< भजन संहिता 3 >

1 दावीद का एक स्तोत्र. जब वह अपने पुत्र अबशालोम से बचकर भाग रहे थे. याहवेह! कितने सारे हैं मेरे शत्रु! कितने हैं जो मेरे विरोध में उठ खड़े हुए हैं!
Псалом Давида, когда он бежал от Авессалома, сына своего. Господи! как умножились враги мои! Многие восстают на меня
2 वे मेरे विषय में कहने लगे हैं, “परमेश्वर उसे उद्धार प्रदान नहीं करेंगे.”
многие говорят душе моей: “нет ему спасения в Боге”.
3 किंतु, याहवेह, आप सदैव ही जोखिम में मेरी ढाल हैं, आप ही हैं मेरी महिमा, आप मेरा मस्तक ऊंचा करते हैं.
Но Ты, Господи, щит предо мною, слава моя, и Ты возносишь голову мою.
4 याहवेह! मैंने उच्च स्वर में आपको पुकारा है, और आपने अपने पवित्र पर्वत से मुझे उत्तर दिया.
Гласом моим взываю к Господу, и Он слышит меня со святой горы Своей.
5 मैं लेटता और निश्चिंत सो जाता हूं; मैं पुनः सकुशल जाग उठता हूं, क्योंकि याहवेह मेरी रक्षा कर रहे थे.
Ложусь я, сплю и встаю, ибо Господь защищает меня.
6 मुझे उन असंख्य शत्रुओं का कोई भय नहीं जिन्होंने मुझे चारों ओर से घेर लिया है.
Не убоюсь тем народа, которые со всех сторон ополчились на меня.
7 उठिए याहवेह! मेरे परमेश्वर, आकर मुझे बचाइए! निःसंदेह आप मेरे समस्त शत्रुओं के जबड़े पर प्रहार करें; आप उन दुष्टों के दांत तोड़ डालें.
Восстань, Господи! спаси меня, Боже мой! ибо Ты поражаешь в ланиту всех врагов моих; сокрушаешь зубы нечестивых.
8 उद्धार तो याहवेह में ही है, आपकी प्रजा पर आपकी कृपादृष्टि बनी रहे!
От Господа спасение. Над народом Твоим благословение Твое.

< भजन संहिता 3 >