< भजन संहिता 29 >

1 दावीद का एक स्तोत्र. स्वर्गदूत, याहवेह की महिमा करो, उनके तेज तथा सामर्थ्य की महिमा करो.
You angels in heaven, praise Yahweh! Praise him because he is very glorious and powerful.
2 याहवेह को उनके नाम के अनुरूप महिमा प्रदान करो; उनकी पवित्रता की भव्यता में याहवेह की आराधना करो.
Proclaim that (he/his name) is glorious; bow down before Yahweh in his holy [temple].
3 महासागर की सतह पर याहवेह का स्वर प्रतिध्वनित होता है; महिमामय परमेश्वर का स्वर गर्जन समान है, याहवेह प्रबल लहरों के ऊपर गर्जन करते हैं.
Yahweh’s voice is heard above the oceans; Yahweh, the glorious God, thunders. His voice thunders over the huge oceans [DOU].
4 शक्तिशाली है याहवेह का स्वर; भव्य है याहवेह का स्वर.
His voice is powerful and majestic.
5 याहवेह का स्वर देवदार वृक्ष को उखाड़ फेंकता है; याहवेह लबानोन के देवदार वृक्षों को टुकड़े-टुकड़े कर डालते हैं.
The sound of Yahweh’s voice breaks great cedar trees, the cedars that grow in Lebanon.
6 याहवेह लबानोन को बछड़े जैसे उछलने, तथा हर्मोन को वन्य सांड़ जैसे, उछलने के लिए प्रेरित करते हैं.
He causes [the mountains in] Lebanon to jump like calves jump, and causes Hermon [Mountain] to jump like a young bull jumps.
7 याहवेह के स्वर का प्रहार, बिजलियों के समान होता है.
Yahweh’s voice causes lightning to flash.
8 याहवेह का स्वर वन को हिला देता है; याहवेह कादेश के बंजर भूमि को हिला देते हैं.
His voice causes the desert to shake; he shakes Kadesh Desert [in the southern part of Judah].
9 याहवेह के स्वर से हिरणियों का गर्भपात हो जाता है; उनके स्वर से बंजर भूमि में पतझड़ हो जाता है. तब उनके मंदिर में सभी पुकार उठते हैं, “याहवेह की महिमा ही महिमा!”
Yahweh’s voice shakes the huge oak trees and strips the leaves from the trees while the people in the temple shout, “Praise [God]!”
10 ढेर जल राशि पर याहवेह का सिंहासन बसा है; सर्वदा महाराजा होकर वह सिंहासन पर विराजमान हैं.
Yahweh ruled over the flood [that covered the earth]; he is our King who will rule forever.
11 याहवेह अपनी प्रजा को बल प्रदान करते हैं; याहवेह अपनी प्रजा को शांति की आशीष प्रदान करते हैं.
Yahweh enables his people to be strong, and he blesses them by causing things to go well for them.

< भजन संहिता 29 >