< भजन संहिता 17 >
1 दावीद की एक प्रार्थना याहवेह, मेरा न्याय संगत, अनुरोध सुनिए; मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए. मेरी प्रार्थना को सुन लीजिए, जो कपटी होंठों से निकले शब्द नहीं हैं.
Doa Daud. Dengarlah seruanku mohon keadilan, perhatikanlah doaku yang tulus, ya TUHAN.
2 आपके द्वारा मेरा न्याय किया जाए; आपकी दृष्टि में वही आए जो धर्ममय है.
Sudilah membela perkaraku sebab Engkau tahu apa yang benar.
3 आप मेरे हृदय को परख चुके हैं, रात्रि में आपने मेरा ध्यान रखा है, आपने मुझे परखकर निर्दोष पाया है; मैंने यह निश्चय किया है कि मेरे मुख से कोई अपराध न होगा.
Bila Engkau menguji hatiku dan datang menyelidiki aku di waktu malam, akan Kaudapati bahwa aku tulus ikhlas; perkataanku sesuai dengan pikiranku.
4 मनुष्यों के आचरण के संदर्भ में, ठीक आपके ही आदेश के अनुरूप मैं हिंसक मनुष्यों के मार्गों से दूर ही दूर रहा हूं.
Aku melakukan apa yang Kauperintahkan dan tidak menempuh jalan kekerasan.
5 मेरे पांव आपके मार्गों पर दृढ़ रहें; और मेरे पांव लड़खड़ाए नहीं.
Aku selalu hidup menurut petunjuk-Mu dan tidak menyimpang daripada-Nya.
6 मैंने आपको ही पुकारा है, क्योंकि परमेश्वर, आप मुझे उत्तर देंगे; मेरी ओर कान लगाकर मेरी बिनती को सुनिए.
Aku berseru kepada-Mu, ya Allah, sebab Engkau menjawab aku; perhatikanlah aku dan dengarlah kata-kataku.
7 अपने शत्रुओं के पास से आपके दायें पक्ष में आए हुए शरणागतों के रक्षक, उन पर अपने करुणा-प्रेम का आश्चर्य प्रदर्शन कीजिए.
Tunjukkanlah kasih-Mu yang mengagumkan sebab Kauselamatkan orang yang berlindung pada-Mu, di sisi-Mu mereka aman dari serangan musuh.
8 अपने आंखों की पुतली के समान मेरी सुरक्षा कीजिए; अपने पंखों की आड़ में मुझे छिपा लीजिए
Peliharalah aku seperti biji mata-Mu, sembunyikanlah aku dalam naungan sayap-Mu
9 उन दुष्टों से, जो मुझ पर प्रहार करते रहते हैं, उन प्राणघातक शत्रुओं से, जिन्होंने मुझे घेर लिया है.
terhadap serangan orang jahat. Aku dikepung musuh yang mau membunuh aku;
10 उनके हृदय कठोर हो चुके हैं, उनके शब्द घमंडी हैं.
mereka tidak mengenal kasihan dan bicara dengan congkak.
11 वे मेरा पीछा करते रहे हैं और अब उन्होंने मुझे घेर लिया है. उनकी आंखें मुझे खोज रही हैं, कि वे मुझे धरती पर पटक दें.
Mereka maju melawan aku dan mengerumuni aku, mencari kesempatan untuk membanting aku.
12 वह उस सिंह के समान है जो फाड़ खाने को तत्पर है, उस जवान सिंह के समान जो घात लगाए छिपा बैठा है.
Mereka seperti singa yang mau menerkam mangsanya, singa muda yang menghadang di tempat tersembunyi.
13 उठिए, याहवेह, उसका सामना कीजिए, उसे नाश कीजिए; अपनी तलवार के द्वारा दुर्जन से मेरे प्राण बचा लीजिए,
Bangkitlah, ya TUHAN, lawanlah musuhku dan kalahkanlah mereka. Selamatkanlah aku dengan pedang-Mu terhadap serangan orang jahat.
14 याहवेह, अपने हाथों द्वारा, उन मनुष्यों से, उन सांसारिक मनुष्यों से जिनका भाग मात्र इसी जीवन में मगन है. उनका पेट आप अपनी निधि से परिपूर्ण कर देते हैं; संतान पाकर वे प्रसन्न हैं, और वे अपनी समृद्धि अपनी संतान के लिए छोड़ जाते हैं.
Lepaskanlah aku dari orang-orang yang menimbun harta di dunia. Hukumlah mereka dengan malapetaka yang telah Kausediakan bagi mereka. Biarlah anak cucu mereka dihukum juga.
15 अपनी धार्मिकता के कारण मैं आपके मुख का दर्शन करूंगा; जब मैं प्रातः आंखें खोलूं, तो आपके स्वरूप का दर्शन मुझे आनंद से तृप्त कर देगा.
Tetapi aku akan memandang Engkau, sebab aku tidak bersalah. Pada waktu aku bangun, kehadiran-Mu membuat hatiku gembira.