< भजन संहिता 17 >

1 दावीद की एक प्रार्थना याहवेह, मेरा न्याय संगत, अनुरोध सुनिए; मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए. मेरी प्रार्थना को सुन लीजिए, जो कपटी होंठों से निकले शब्द नहीं हैं.
Kathutkung: Devit Oe BAWIPA, lannae koe lah awm nateh, ka hramnae hah na thai pouh haw. Dumnae ka dei boihoeh e pahni hoi ka ratoumnae hah na thai pouh haw.
2 आपके द्वारा मेरा न्याय किया जाए; आपकी दृष्टि में वही आए जो धर्ममय है.
Ka kong dawk lawk tâtuengnae hah na hmalah tâcawt naseh, na mit teh kalan e hno dawk um naseh.
3 आप मेरे हृदय को परख चुके हैं, रात्रि में आपने मेरा ध्यान रखा है, आपने मुझे परखकर निर्दोष पाया है; मैंने यह निश्चय किया है कि मेरे मुख से कोई अपराध न होगा.
Ka lungthin teh na tanouk toe. Karum vah na pai toe. Na tanouk teh banghai na hmawt hoeh. Ka pahni ni payon hoeh nahanelah ka noe toe.
4 मनुष्यों के आचरण के संदर्भ में, ठीक आपके ही आदेश के अनुरूप मैं हिंसक मनुष्यों के मार्गों से दूर ही दूर रहा हूं.
Taminaw ni sak e kong dawk, karaphoekungnaw e lam hah na lawk lahoi ouk ka roun toe.
5 मेरे पांव आपके मार्गों पर दृढ़ रहें; और मेरे पांव लड़खड़ाए नहीं.
Na lamthung dawk ka dawn lahun nah ka tâlaw payon hoeh nahanlah, na ka bawm haw.
6 मैंने आपको ही पुकारा है, क्योंकि परमेश्वर, आप मुझे उत्तर देंगे; मेरी ओर कान लगाकर मेरी बिनती को सुनिए.
Oe Cathut, nang ni na thai pouh dawkvah, kai ni ka hei. Na hnâ pakeng nateh, ka lawk hah na thai pouh haw.
7 अपने शत्रुओं के पास से आपके दायें पक्ष में आए हुए शरणागतों के रक्षक, उन पर अपने करुणा-प्रेम का आश्चर्य प्रदर्शन कीजिए.
Nang kâuepnaw hah, katarankungnaw e kut dawk hoi, rungngangkung Cathut, pahrenlungmanae hah kamnuek sak haw.
8 अपने आंखों की पुतली के समान मेरी सुरक्षा कीजिए; अपने पंखों की आड़ में मुझे छिपा लीजिए
Kai rep na kacuengroe e tamikayonnaw hoi kai thei hanlah na kalup e tarannaw kut dawk hoi,
9 उन दुष्टों से, जो मुझ पर प्रहार करते रहते हैं, उन प्राणघातक शत्रुओं से, जिन्होंने मुझे घेर लिया है.
Mitmu patetlah kai hah na ring haw. Na rathei rahim vah na ramuk haw.
10 उनके हृदय कठोर हो चुके हैं, उनके शब्द घमंडी हैं.
Ahnimouh teh amamae thâwnae hah a kâuep awh teh, kâoup laihoi lawk a dei awh.
11 वे मेरा पीछा करते रहे हैं और अब उन्होंने मुझे घेर लिया है. उनकी आंखें मुझे खोज रही हैं, कि वे मुझे धरती पर पटक दें.
Ka ceinae lam hah a kalup awh teh, talai dawk rawp sak hanelah a mit pakhap laipalah na khet awh.
12 वह उस सिंह के समान है जो फाड़ खाने को तत्पर है, उस जवान सिंह के समान जो घात लगाए छिपा बैठा है.
Sendek ni a kei e moi ca han thouk a ngai e patetlah thoseh, sendek kanaw ni arulahoi a pawp e patetlah thoseh ao awh.
13 उठिए, याहवेह, उसका सामना कीजिए, उसे नाश कीजिए; अपनी तलवार के द्वारा दुर्जन से मेरे प्राण बचा लीजिए,
Oe BAWIPA, thaw haw. Kangdout sin nateh, rawm sak haw. Tamikathoutnaw e kut dawk hoi na tahloi hoi na rungngang haw.
14 याहवेह, अपने हाथों द्वारा, उन मनुष्यों से, उन सांसारिक मनुष्यों से जिनका भाग मात्र इसी जीवन में मगन है. उनका पेट आप अपनी निधि से परिपूर्ण कर देते हैं; संतान पाकर वे प्रसन्‍न हैं, और वे अपनी समृद्धि अपनी संतान के लिए छोड़ जाते हैं.
Oe BAWIPA, talai tami lah kaawm e hotnaw e kut dawk hoi na rungngang haw. Ahnimouh teh atuvah, amamouh hanelah, a pang awh toe. Ahnimae ngainae hah hnopai hoi a kawi sak. A canaw hai a tawnta awh teh, a catounnaw koe a hnopainaw hah a parâw pouh awh.
15 अपनी धार्मिकता के कारण मैं आपके मुख का दर्शन करूंगा; जब मैं प्रातः आंखें खोलूं, तो आपके स्वरूप का दर्शन मुझे आनंद से तृप्‍त कर देगा.
Kai niteh, lannae lahoi na minhmai ka hmu han. Nang patetlah ka kâhlaw toteh ka lung a kuep han.

< भजन संहिता 17 >