< भजन संहिता 150 >

1 याहवेह का स्तवन हो. परमेश्वर का उनके मंदिर में स्तवन हो; अत्यंत विशाल आकाश में उनका स्तवन हो.
هَلِّلُويَا! سَبِّحُوا اللهَ فِي هَيْكَلِهِ. سَبِّحُوهُ فِي السَّمَاءِ الَّتِي صَنَعَهَا بِقُدْرَتِهِ١
2 उनके अद्भुत कार्यों के लिए उनका स्तवन हो; उनके सर्वोत्कृष्ट महानता के योग्य उनका स्तवन हो.
سَبِّحُوهُ مِنْ أَجْلِ أَعْمَالِهِ الْمُقْتَدِرَةِ. سَبِّحُوهُ حَسَبَ عَظَمَتِهِ الفَائِقَةِ.٢
3 तुरही के साथ उनका स्तवन हो, वीणा तथा किन्‍नोर की संगत पर उनका स्तवन हो,
سَبِّحُوهُ بِصَوْتِ بُوقٍ. سَبِّحُوهُ بِالرَّبَابِ وَالْعُودِ.٣
4 खंजरी और नृत्य के साथ उनका स्तवन हो, तन्तु एवं बांसुरी के साथ उनका स्तवन हो,
سَبِّحُوهُ بِالدُّفِّ وَالرَّقْصِ. سَبِّحُوهُ بِأَوْتَارٍ وَمِزْمَارٍ.٤
5 झांझ की ध्वनि की संगत पर उनका स्तवन हो, झांझ की उच्च झंकार में उनका स्तवन हो.
سَبِّحُوهُ عَلَى وَقْعِ الصُّنُوجِ. سَبِّحُوهُ بالصُّنُوجِ الْمُدَوِّيَّةِ.٥
6 हर एक प्राणी, जिसमें जीवन का श्वास है, याहवेह का स्तवन करे. याहवेह का स्तवन हो!
لِتُسَبِّحِ الرَّبَّ كُلُّ نَسَمَةٍ. هَلِّلُويَا.٦

< भजन संहिता 150 >