< भजन संहिता 15 >

1 दावीद का एक स्तोत्र. याहवेह, कौन आपके तंबू में रह सकेगा? कौन आपके पवित्र पर्वत पर निवास कर सकेगा?
JEOVA, jaye usaga gue tabernaculumo? jaye usaga gui santos na ogsomo.
2 वही, जिसका आचरण निष्कलंक है, जो धार्मिकता का आचरण करता है, जो हृदय से सच बोलता है;
Y jumanao gui minauleg, ya y fumatitinas y tininas, yan y cumuecuentos magajet gui jalom corasonña.
3 जिसकी जीभ से निंदा के शब्द नहीं निकलते, जो न तो अपने पड़ोसी की बुराई करता है, और न अपने किसी मित्र की,
Y ti fafajiyunge ni jilaña, ni ti jafatitinas taelaye gui amiguña, ni usigue sumangan y minamajlao contra y tiguangña.
4 जिसके लिए याहवेह की दृष्टि में निकम्मा पुरुष घृणित है, किंतु याहवेह का भय माननेवाले पुरुष सम्मान्य; जो हर मूल्य पर अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करता है, चाहे उसकी हानि ही क्यों न हो;
Gui atadogña ninadespresiao ni y taotao áplacha, lao y maañao as Jeova jaonra: y manjula para dañoña namaesa ya ti jatolaeca.
5 जो ऋण देकर ब्याज नहीं लेता; और निर्दोष के विरुद्ध झूठी गवाही देने के उद्देश्य से घूस नहीं लेता. इस प्रकार के आचरण का पुरुष सदैव स्थिर रहेगा वह कभी न डगमगाएगा.
Y salapeña ti mannanae para ufangana, ni uchule y apas contra y taeisao: ya y fumatinas estesija ti siña cumalamten.

< भजन संहिता 15 >