< भजन संहिता 148 >

1 याहवेह का स्तवन हो. आकाशमंडल में याहवेह का स्तवन हो; उच्च स्थानों में उनका स्तवन हो.
הַ֥לְלוּ יָ֨הּ ׀ הַֽלְל֣וּ אֶת־יְ֭הוָה מִן־הַשָּׁמַ֑יִם הַֽ֝לְל֗וּהוּ בַּמְּרוֹמִֽים׃
2 उनके समस्त स्वर्गदूत उनका स्तवन करें; स्वर्गिक सेनाएं उनका स्तवन करें.
הַֽלְל֥וּהוּ כָל־מַלְאָכָ֑יו הַֽ֝לְל֗וּהוּ כָּל־צְבָאָֽיו׃
3 सूर्य और चंद्रमा उनका स्तवन करें; टिमटिमाते समस्त तारे उनका स्तवन करें.
הַֽ֭לְלוּהוּ שֶׁ֣מֶשׁ וְיָרֵ֑חַ הַ֝לְל֗וּהוּ כָּל־כּ֥וֹכְבֵי אֽוֹר׃
4 सर्वोच्च आकाश, उनका स्तवन करे और वह जल भी, जो स्वर्ग के ऊपर संचित है.
הַֽ֭לְלוּהוּ שְׁמֵ֣י הַשָּׁמָ֑יִם וְ֝הַמַּ֗יִם אֲשֶׁ֤ר ׀ מֵעַ֬ל הַשָּׁמָֽיִם׃
5 ये सभी याहवेह की महिमा का स्तवन करें, क्योंकि इन सब की रचना, आदेश मात्र से हुई है.
יְֽ֭הַֽלְלוּ אֶת־שֵׁ֣ם יְהוָ֑ה כִּ֤י ה֭וּא צִוָּ֣ה וְנִבְרָֽאוּ׃
6 उन्होंने इन्हें सदा-सर्वदा के लिए स्थापित किया है; उन्होंने राजाज्ञा प्रसारित की, जिसको टाला नहीं जा सकता.
וַיַּעֲמִידֵ֣ם לָעַ֣ד לְעוֹלָ֑ם חָק־נָ֝תַ֗ן וְלֹ֣א יַעֲבֽוֹר׃
7 पृथ्वी से याहवेह का स्तवन किया जाए, महासागर तथा उनके समस्त विशालकाय प्राणी,
הַֽלְל֣וּ אֶת־יְ֭הוָה מִן־הָאָ֑רֶץ תַּ֝נִּינִ֗ים וְכָל־תְּהֹמֽוֹת׃
8 अग्नि और ओले, हिम और धुंध, प्रचंड बवंडर उनका आदेश पालन करते हैं,
אֵ֣שׁ וּ֭בָרָד שֶׁ֣לֶג וְקִיט֑וֹר ר֥וּחַ סְ֝עָרָ֗ה עֹשָׂ֥ה דְבָרֽוֹ׃
9 पर्वत और पहाड़ियां, फलदायी वृक्ष तथा सभी देवदार,
הֶהָרִ֥ים וְכָל־גְּבָע֑וֹת עֵ֥ץ פְּ֝רִ֗י וְכָל־אֲרָזִֽים׃
10 वन्य पशु और पालतू पशु, रेंगते जंतु और उड़ते पक्षी,
הַֽחַיָּ֥ה וְכָל־בְּהֵמָ֑ה רֶ֝֗מֶשׂ וְצִפּ֥וֹר כָּנָֽף׃
11 पृथ्वी के राजा और राज्य के लोग, प्रधान और पृथ्वी के समस्त शासक,
מַלְכֵי־אֶ֭רֶץ וְכָל־לְאֻמִּ֑ים שָׂ֝רִ֗ים וְכָל־שֹׁ֥פְטֵי אָֽרֶץ׃
12 युवक और युवतियां, वृद्ध और बालक.
בַּחוּרִ֥ים וְגַם־בְּתוּל֑וֹת זְ֝קֵנִ֗ים עִם־נְעָרִֽים׃
13 सभी याहवेह की महिमा का गुणगान करें, क्योंकि मात्र उन्हीं की महिमा सर्वोच्च है; उनका ही तेज पृथ्वी और आकाश से महान है.
יְהַלְל֤וּ ׀ אֶת־שֵׁ֬ם יְהוָ֗ה כִּֽי־נִשְׂגָּ֣ב שְׁמ֣וֹ לְבַדּ֑וֹ ה֝וֹד֗וֹ עַל־אֶ֥רֶץ וְשָׁמָֽיִם׃
14 अपनी प्रजा के लिए उन्होंने एक सामर्थ्यी राजा का उद्भव किया है, जो उनके सभी भक्तों के गुणगान का पात्र हैं, इस्राएली प्रजा के लिए, जो उनकी अत्यंत प्रिय है. याहवेह की स्तुति हो.
וַיָּ֤רֶם קֶ֨רֶן ׀ לְעַמּ֡וֹ תְּהִלָּ֤ה לְֽכָל־חֲסִידָ֗יו לִבְנֵ֣י יִ֭שְׂרָאֵל עַֽם־קְרֹב֗וֹ הַֽלְלוּ־יָֽהּ׃

< भजन संहिता 148 >