< भजन संहिता 138 >

1 दावीद की रचना. याहवेह, मैं हृदय की गहराई से आपका स्तवन करूंगा; मैं “देवताओं” के सामने आपका स्तवन करूंगा.
Jeg vil prise dig af mit ganske Hjerte; over for Guderne vil jeg lovsynge dig.
2 आपके पवित्र मंदिर की ओर मुख कर मैं नतमस्तक हूं, आपके करुणा-प्रेम के लिए; आपकी सच्चाई के लिए मैं आपके नाम का आभार मानता हूं; आपने अपने वचन को अपनी महिमा के भी ऊपर ऊंचा किया है.
Jeg vil kaste mig ned for dit hellige Tempel og prise dit Navn for din Miskundhed og for din Sandhed; thi du har gjort dit Ord herligt over al dit Navns Herlighed.
3 जिस समय मैंने आपको पुकारा, आपने प्रत्युत्तर दिया; आपने मेरे प्राणों में बल के संचार से धैर्य दिया.
Den Dag, jeg kaldte, da bønhørte du mig; du gav mig Mod, i min Sjæl kom Styrke.
4 पृथ्वी के समस्त राजा, याहवेह, आपके कृतज्ञ होंगे, क्योंकि उन्होंने आपके मुख से निकले वचन सुने हैं,
Herre! alle Konger paa Jorden skulle prise dig; thi de have hørt din Munds Ord.
5 वे याहवेह की नीतियों का गुणगान करेंगे, क्योंकि याहवेह का तेज बड़ा है.
Og de skulle synge om Herrens Veje; thi stor er Herrens Ære.
6 यद्यपि याहवेह स्वयं महान हैं, वह नगण्यों का ध्यान रखते हैं; किंतु अहंकारी को वह दूर से ही पहचान लेते हैं.
Thi Herren er høj og ser til den ringe, og den stolte kender han i det fjerne.
7 यद्यपि इस समय मेरा विषम समय चल रहा है, आप मेरे जीवन के रक्षक हैं. आप ही अपना हाथ बढ़ाकर मेरे शत्रुओं के प्रकोप से मेरी रक्षा करते हैं; आपका दायां हाथ मेरा उद्धार करता है.
Naar jeg vandrer midt i Angest, vil du holde mig i Live; du vil udrække din Haand imod mine Fjenders Vrede, og din højre Haand vil frelse mig.
8 याहवेह मेरे लिए निर्धारित उद्देश्य को पूरा करेंगे; याहवेह, सर्वदा है आपका करुणा-प्रेम. अपनी ही हस्तकृति का परित्याग न कीजिए.
Herren skal fuldføre det for mig; Herre! din Miskundhed varer evindelig, opgiv ikke dine Hænders Gerninger.

< भजन संहिता 138 >