< भजन संहिता 137 >
1 बाबेल की नदी के तट पर बैठे हुए ज़ियोन का स्मरण कर हम रो रहे थे.
Давида. При реках Вавилона, там сидели мы и плакали, когда вспоминали о Сионе;
2 वहां मजनू वृक्षों पर हमने अपने वाद्य टांग दिए थे.
на вербах, посреди его, повесили мы наши арфы.
3 क्योंकि जिन्होंने हमें बंदी बनाया था, वे हमारा गायन सुनना चाह रहे थे और जो हमें दुःख दे रहे थे; वे हमसे हर्षगान सुनने की चाह कर रहे थे, “हमें ज़ियोन का कोई गीत सुनाओ!”
Там пленившие нас требовали от нас слов песней, и притеснители наши - веселья: “пропойте нам из песней Сионских”.
4 प्रवास में हमारे लिए याहवेह का स्तवन गान गाना कैसे संभव हो सकता था?
Как нам петь песнь Господню на земле чужой?
5 येरूशलेम, यदि मैं तुम्हें भूल जाऊं, तो मेरे दायें हाथ का कौशल जाता रहेगा.
Если я забуду тебя, Иерусалим, - забудь меня десница моя;
6 यदि मैं तुम्हारा स्मरण न करूं, यदि मैं येरूशलेम को अपना सर्वोच्च आनंद न मानूं, मेरी जीभ तालू से जा चिपके.
прилипни язык мой к гортани моей, если не буду помнить тебя, если не поставлю Иерусалима во главе веселия моего.
7 याहवेह, वह दिन स्मरण कीजिए जब एदोम के वंशज येरूशलेम के विरुद्ध एकत्र हो गए थे. वे कैसे चिल्ला रहे थे, “ढा दो इसे, इसे नींव तक ढा दो!”
Припомни, Господи, сынам Едомовым день Иерусалима, когда они говорили: “разрушайте, разрушайте до основания его”.
8 बाबेल की पुत्री, तेरा विनाश तो निश्चित है, धन्य होगा वह पुरुष, जो तुझसे उन अत्याचारों का प्रतिशोध लेगा जो तूने हम पर किए.
Дочь Вавилона, опустошительница! блажен, кто воздаст тебе за то, что ты сделала нам!
9 धन्य होगा वह पुरुष, जो तेरे शिशुओं को उठाकर चट्टान पर पटक देगा.
Блажен, кто возьмет и разобьет младенцев твоих о камень!