< भजन संहिता 133 >
1 आराधना के लिए यात्रियों का गीत. दावीद की रचना. कैसी आदर्श और मनोरम है वह स्थिति जब भाइयों में परस्पर एकता होती है!
Kathutkung: Devit Khenhaw! Hmaunawnghanaw ni lungkânging lahoi cungtalah kho a sak awh e teh ahawipoung teh, ngai ao poung.
2 यह वैसी ही मनोरम स्थिति है, जब सुगंध द्रव्य पुरोहित के सिर पर उंडेला जाता है, और बहता हुआ दाढ़ी तक पहुंच जाता है, हां, अहरोन की दाढ़ी पर बहता हुआ, उसके वस्त्र की छोर तक जा पहुंचता है.
Aphu kaawm e satui lû dawk awi teh, pâkhamuen totouh ka lawi e, Aron e pâkhamuen totouh ka lawi niteh, a lahuen koehoi a khohna dawk ka lawi e hoi a kâvan.
3 हरमोन पर्वत की ओस के समान, जो ज़ियोन पर्वत पर पड़ती है. क्योंकि वही है वह स्थान, जहां याहवेह सर्वदा जीवन की आशीष प्रदान करते हैं.
Zion mon dawk ka bawt niteh, Hermon mon e tadamtui patetlah ao. Bangkongtetpawiteh, hote hmuen koe a yungyoe hringnae yawhawi teh na poe han telah BAWIPA ni lawk na kam pouh.