< भजन संहिता 130 >

1 आराधना के लिए यात्रियों का गीत. याहवेह, गहराइयों में से मैं आपको पुकार रहा हूं;
Cántico gradual. Desde lo más profundo clamo a Ti, Yahvé,
2 हे प्रभु, मेरा स्वर सुन लीजिए, कृपा के लिए मेरी नम्र विनती की ओर आपके कान लगे रहें.
Señor, oye mi voz. Estén tus oídos atentos al grito de mi súplica.
3 याहवेह, यदि आप अपराधों का लेखा रखने लगें, तो प्रभु, कौन ठहर सकेगा?
Si Tú recordaras las iniquidades, oh Yah, Señor ¿quién quedaría en pie?
4 किंतु आप क्षमा शील हैं, तब आप श्रद्धा के योग्य हैं.
Mas en Ti esta el perdón de los pecados, a fin de que se te venere.
5 मुझे, मेरे प्राणों को, याहवेह की प्रतीक्षा रहती है, उनके वचन पर मैंने आशा रखी है.
Espero en Yahvé, mi alma confía en su palabra. Aguardando está
6 मुझे प्रभु की प्रतीक्षा है उन रखवालों से भी अधिक, जिन्हें सूर्योदय की प्रतीक्षा रहती है, वस्तुतः उन रखवालों से कहीं अधिक जिन्हें भोर की प्रतीक्षा रहती है.
mi alma al Señor, más que los centinelas el alba. Más que los centinelas con la aurora
7 इस्राएल, याहवेह पर भरोसा रखो, क्योंकि जहां याहवेह हैं वहां करुणा-प्रेम भी है और वही पूरा छुटकारा देनेवाले हैं.
cuenta Israel con Yahvé, porque en Yahvé está la misericordia, y con Él copiosa redención.
8 स्वयं वही इस्राएल को, उनके अपराधों को क्षमा करेंगे.
Y Él mismo redimirá a Israel de todas sus iniquidades.

< भजन संहिता 130 >