< भजन संहिता 129 >
1 आराधना के लिए यात्रियों का गीत. “मेरे बचपन से वे मुझ पर घोर अत्याचार करते आए हैं,” इस्राएल राष्ट्र यही कहे;
[I say that] my enemies have (afflicted/caused trouble for) me ever since I was young. [Now I ask you, my fellow] Israelis, to repeat those same words:
2 “मेरे बचपन से वे मुझ पर घोर अत्याचार करते आए हैं, किंतु वे मुझ पर प्रबल न हो सके हैं.
“Our enemies have afflicted us since our nation began, but they have not defeated us!
3 हल चलानेवालों ने मेरे पीठ पर हल चलाया है, और लम्बी-लम्बी हल रेखाएं खींच दी हैं.
[Our enemies struck us with whips] that cut into our backs [MET] like a [farmer uses a] plow to cut deep furrows into the ground.”
4 किंतु याहवेह युक्त है; उन्हीं ने मुझे दुष्टों के बंधनों से मुक्त किया है.”
[But] Yahweh is righteous, and he has freed [me] from being a slave [MTY] of wicked [people].
5 वे सभी, जिन्हें ज़ियोन से बैर है, लज्जित हो लौट जाएं.
I wish/hope that all those who hate Jerusalem/Israel will be ashamed because of being defeated.
6 उनकी नियति भी वही हो, जो घर की छत पर उग आई घास की होती है, वह विकसित होने के पूर्व ही मुरझा जाती है;
I hope/wish that they will be [of no value], like grass that grows on the roofs of houses that dries up and does not grow tall;
7 किसी के हाथों में कुछ भी नहीं आता, और न उसकी पुलियां बांधी जा सकती हैं.
[as a result] no one [cuts it and] puts it in bundles and carries it away.
8 आते जाते पुरुष यह कभी न कह पाएं, “तुम पर याहवेह की कृपादृष्टि हो; हम याहवेह के नाम में तुम्हारे लिए मंगल कामना करते हैं.”
People who pass by [and see men harvesting grain usually greet them by saying to them], “We wish/hope that Yahweh will bless you!” But this will not happen [to those who hate Israel]. We, acting as Yahweh’s representatives, bless you [Israelis.]