< भजन संहिता 120 >

1 आराधना के लिए यात्रियों का गीत. मैंने अपनी पीड़ा में याहवेह को पुकारा, और उन्होंने मेरी सुन ली.
سرود زائران به هنگام بالا رفتن به اورشلیم. وقتی در زحمت بودم، از خداوند کمک خواستم و او به داد من رسید.
2 याहवेह, मेरी रक्षा कीजिए, झूठ बोलनेवाले होंठों से, और छली जीभ से!
ای خداوند مرا از دست دروغگویان و مردم حیله‌گر نجات بده.
3 तुम्हारे साथ परमेश्वर क्या करेंगे, और उसके भी अतिरिक्त और क्या करेंगे, ओ छली जीभ?
ای حیله‌گران، می‌دانید چه در انتظار شماست؟
4 वह तुझे योद्धा के तीक्ष्ण बाणों से दंड देंगे, वह तुझे वृक्ष की लकड़ी के प्रज्वलित कोयलों से दंड देंगे.
تیرهای تیز و اخگرهای داغ!
5 धिक्कार है मुझ पर, जो मैं मेशेख देश में जा निवास करूं, जो मैं केदार देश के मण्डपों में जा रहूं!
شما مانند مردمان «ماشک» و خیمه نشینان «قیدار» شرور هستید. وای بر من که در بین شما زندگی می‌کنم!
6 बहुत समय मैंने उनके साथ व्यतीत की है, जिन्हें शांति से घृणा हैं.
از زندگی کردن در میان این جنگ‌طلبان خسته شده‌ام.
7 मैं खड़ा शांति प्रिय पुरुष; किंतु जब मैं कुछ कहता हूं, वे युद्ध पर उतारू हो जाते हैं.
من صلح را دوست دارم، اما آنان طرفدار جنگ هستند و به سخنان من گوش نمی‌دهند.

< भजन संहिता 120 >