< भजन संहिता 12 >
1 संगीत निर्देशक के लिये. शेमिनिथ पर आधारित. दावीद का एक स्तोत्र. याहवेह, हमारी रक्षा कीजिए, कोई भक्त अब शेष न रहा; मनुष्यों के मध्य से विश्वासयोग्य पुरुष नहीं रहे.
ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले क्यूँकि कोई दीनदार नहीं रहा और अमानत दार लोग बनी आदम में से मिट गये।
2 मनुष्य मनुष्य से झूठी बातें कर रहा है; वे चापलूसी करते हुए एक दूसरे का छल करते हैं.
वह अपने अपने पड़ोसी से झूठ बोलते हैं वह ख़ुशामदी लबों से दो रंगी बातें करते हैं
3 अच्छा होगा यदि याहवेह चापलूसी होंठों तथा घमंडी जीभ को काट डालें.
ख़ुदावन्द सब ख़ुशामदी लबों को और बड़े बोल बोलने वाली ज़बान को काट डालेगा।
4 वे डींग मारते हुए कहते हैं, “शक्ति हमारी जीभ में मगन है; ओंठ हमारे वश में हैं. कौन हो सकता है हमारा स्वामी?”
वह कहते हैं, “हम अपनी ज़बान से जीतेंगे, हमारे होंट हमारे ही हैं; हमारा मालिक कौन है?”
5 किंतु अब याहवेह का कहना है, “दुःखितों के प्रति की गई हिंसा के कारण, निर्धनों की करुण वाणी के कारण मैं उनके पक्ष में उठ खड़ा होऊंगा. मैं उन्हें वही सुरक्षा प्रदान करूंगा, वे जिसकी कामना कर रहे हैं.”
ग़रीबों की तबाही और ग़रीबों कीआह की वजह से, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि अब मैं उठूँगा और जिस पर वह फुंकारते हैं उसे अम्न — ओ — अमान में रख्खूँगा।
6 याहवेह का वचन शुद्ध है, उस चांदी-समान हैं, जिसे भट्टी में सात बार तपा कर शुद्ध किया गया है.
ख़ुदावन्द का कलाम पाक है, उस चाँदी की तरह जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार साफ़ की गई हो।
7 याहवेह, उन्हें अपनी सुरक्षा में बनाए रखेंगे उन्हें इस पीढ़ी से सर्वदा सुरक्षा प्रदान करेंगे,
तू ही ऐ ख़ुदावन्द उनकी हिफ़ाज़त करेगा, तू ही उनको इस नसल से हमेशा तक बचाए रखेगा।
8 जब मनुष्यों द्वारा नीचता का आदर किया जाता है, तब दुष्ट चारों और अकड़ कर चलते फिरते हैं.
जब बनी आदम में पाजीपन की क़द्र होती है, तो शरीर हर तरफ़ चलते फिरते हैं।