< भजन संहिता 119 >
1 कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है.
Alle sind glücklich zu preisen, die da untadelig wandeln, / Die einhergehn nach Jahwes Gesetz.
2 कैसे धन्य हैं वे, जो उनके अधिनियमों का पालन करते हैं तथा जो पूर्ण मन से उनके खोजी हैं.
Alle sind glücklich zu preisen, die seine Zeugnisse halten, / Die ihn suchen von ganzem Herzen.
3 वे याहवेह के मार्गों में चलते हैं, और उनसे कोई अन्याय नहीं होता.
Auch keine Frevel verüben, / Sondern in seinen Wegen gehn.
4 आपने ये आदेश इसलिये दिए हैं, कि हम इनका पूरी तरह पालन करें.
Aufgestellt hast du deine Befehle, / Daß man sie treu erfüllen soll.
5 मेरी कामना है कि आपके आदेशों का पालन करने में मेरा आचरण दृढ़ रहे!
Ach, stünde doch mein Wandel fest, / Indem ich deine Gesetze hielte!
6 मैं आपके आदेशों पर विचार करता रहूंगा, तब मुझे कभी लज्जित होना न पड़ेगा.
Alsdann werd ich nicht zuschanden, / Wenn ich auf all deine Gebote blicke.
7 जब मैं आपकी धर्ममय व्यवस्था का मनन करूंगा, तब मैं निष्कपट हृदय से आपका स्तवन करूंगा.
Aufrichtigen Herzens dank ich dir, / Wenn ich deine gerechten Befehle lerne.
8 मैं आपकी विधियों का पालन करूंगा; आप मेरा परित्याग कभी न कीजिए.
Auf deine Satzungen achte ich: / Verlaß mich nicht völlig!
9 युवा अपना आचरण कैसे स्वच्छ रखे? आपके वचन पालन के द्वारा.
Bei einem Jüngling bleibt sein Wandel rein, / Wenn er ihn führt nach deinem Wort.
10 मैं आपको संपूर्ण हृदय से खोजता हूं; आप मुझे अपने आदेशों से भटकने न दीजिए.
Begehrt hab ich dein Wort von ganzem Herzen, / Laß mich nicht irren von deinen Geboten!
11 आपके वचन को मैंने अपने हृदय में इसलिये रख छोड़ा है, कि मैं आपके विरुद्ध पाप न कर बैठूं.
Bewahret hab ich dein Wort in meinem Herzen, / Damit ich nicht sündige wider dich.
12 याहवेह, आपका स्तवन हो; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
Besungen mit Lobpreis seiest du, Jahwe, / Lehre mich deine Satzungen!
13 जो व्यवस्था आपके मुख द्वारा निकली हैं, मैं उन्हें अपने मुख से दोहराता रहता हूं.
Bekundet hab ich mit meinen Lippen / Alle Ordnungen deines Mundes.
14 आपके अधिनियमों का पालन करना मेरा आनंद है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कोई विशाल धनराशि पर आनंदित होता है.
Betracht ich den Wandel, den deine Zeugnisse fordern, / So freu ich mich stets wie über allerlei Reichtum.
15 आपके नीति-सिद्धांत मेरे चिंतन का विषय हैं, मैं आपकी सम्विधियों की विवेचना करता रहता हूं.
Bei deinen Befehlen soll mein Sinnen verweilen, / Und blicken will ich auf deine Pfade.
16 आपकी विधियां मुझे मगन कर देती हैं, आपके वचनों को मैं कभी न भूलूंगा.
Bei deinen Satzungen will ich mich ergötzen, / Will nicht vergessen deine Worte.
17 अपने सेवक पर उपकार कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं, मैं आपके वचन का पालन करूंगा.
Gewähre deinem Knechte Gutes, daß ich leben bleibe, / So will ich deine Worte halten.
18 मुझे आपकी व्यवस्था की गहन और अद्भुत बातों को ग्रहण करने की दृष्टि प्रदान कीजिए.
Gib mir offne Augen, / Damit ich erkenne die Wunder in deinem Gesetz.
19 पृथ्वी पर मैं प्रवासी मात्र हूं; मुझसे अपने निर्देश न छिपाइए.
Gast nur bin ich auf Erden: / Verbirg vor mir nicht deine Gebote!
20 सारा समय आपकी व्यवस्था की अभिलाषा करते-करते मेरे प्राण डूब चले हैं.
Ganz verzehrt hat sich meine Seele vor Sehnsucht / Nach deinen Rechten zu jeder Zeit.
21 आपकी प्रताड़ना उन पर पड़ती है, जो अभिमानी हैं, शापित हैं, और जो आपके आदेशों का परित्याग कर भटकते रहते हैं.
Gescholten hast du Frevelhafte. / Fluch treff alle, die deine Gebote verlassen!
22 मुझ पर लगे घृणा और तिरस्कार के कलंक को मिटा दीजिए, क्योंकि मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं.
Gespött und Schande, die ich erfahre, nimm weg! / Denn deine Zeugnisse halte ich.
23 यद्यपि प्रशासक साथ बैठकर मेरी निंदा करते हैं, आपका यह सेवक आपकी विधियों पर मनन करेगा.
Gingen auch Fürsten wider mich an mit feindlicher Rede: / Dein Knecht sinnt doch über deine Satzungen nach.
24 आपके अधिनियमों में मगन है मेरा आनंद; वे ही मेरे सलाहकार हैं.
Gar meine Lust sind deine Zeugnisse, / Sie sind meine Berater.
25 मेरा प्राण नीचे धूलि में जा पड़ा है; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
Dem Staub klebt meine Seele an; / Belebe mich wieder nach deinem Wort!
26 जब मैंने आपके सामने अपने आचरण का वर्णन किया, आपने मुझे उत्तर दिया; याहवेह, अब मुझे अपनी विधियां सिखा दीजिए.
Dir hab ich mein Los geschildert: da erhörtest du mich. / Lehre mich deine Satzungen!
27 मुझे अपने उपदेशों की प्रणाली की समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपके अद्भुत कार्यों पर मनन कर सकूं.
Den Weg, den deine Befehle gebieten, laß mich verstehn! / Denn über deine Wunder will ich sinnen.
28 शोक अतिरेक में मेरा प्राण डूबा जा रहा है; अपने वचन से मुझमें बल दीजिए.
Durch Kummer zerfließt meine Seele: / Richte mich auf nach deinen Verheißungsworten!
29 झूठे मार्ग से मुझे दूर रखिए; और अपनी कृपा में मुझे अपनी व्यवस्था की शिक्षा दीजिए.
Den Weg der Lüge halte mir fern, / Begnade mich aber mit deiner Lehre!
30 मैंने सच्चाई के मार्ग को अपनाया है; मैंने आपके नियमों को अपना आदर्श बनाया है.
Den Weg der Treue hab ich erwählt, / Deine Rechte mir vorgesetzt.
31 याहवेह, मैंने आपके नियमों को दृढतापूर्वक थाम रखा है; मुझे लज्जित न होने दीजिए.
Deine Zeugnisse, Jahwe, halt ich fest; / Laß mich nicht zuschanden werden!
32 आपने मेरे हृदय में साहस का संचार किया है, तब मैं अब आपके आदेशों के पथ पर दौड़ रहा हूं.
Den Weg, den deine Gebote weisen, will ich laufen, / Denn du erfüllst mich mit Einsicht.
33 याहवेह, मुझे आपकी विधियों का आचरण करने की शिक्षा दीजिए, कि मैं आजीवन उनका पालन करता रहूं.
Helle mir auf, o Jahwe, deiner Satzungen Weg, / Damit ich ihn immer beachte!
34 मुझे वह समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी व्यवस्था का पालन कर सकूं और संपूर्ण हृदय से इसमें मगन आज्ञाओं का पालन कर सकूं.
Hilf mir zur rechten Erkenntnis, daß ich deine Lehre bewahre / Und sie von ganzem Herzen befolge!
35 अपने आदेशों के मार्ग में मेरा संचालन कीजिए, क्योंकि इन्हीं में मेरा आनंद है.
Hinführen wollest du mich auf deiner Gebote Pfad, / Denn ich habe Gefallen daran.
36 मेरे हृदय को स्वार्थी लाभ की ओर नहीं, परंतु अपने नियमों की ओर फेर दीजिए.
Hinlenken wollest du mein Herz zu deinen Gesetzen / Und nicht zu ungerechtem Gewinn.
37 अपने वचन के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए; मेरी रुचि निरर्थक वस्तुओं से हटा दीजिए.
Hinweg zieh meine Augen, daß sie nicht nach dem Eitlen schaun, / Auf deinen Wegen belebe mich!
38 अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा पूर्ण कीजिए, कि आपके प्रति मेरी श्रद्धा स्थायी रहे.
Halt deinem Knechte deine Verheißung, / Damit ich wachse in Ehrfurcht vor dir!
39 उस लज्जा को मुझसे दूर रखिए, जिसकी मुझे आशंका है, क्योंकि आपके नियम उत्तम हैं.
Halt fern von mir die Schmach, vor der mir graut! / Denn deine Urteilssprüche sind gut.
40 कैसी तीव्र है आपके उपदेशों के प्रति मेरी अभिलाषा! अपनी धार्मिकता के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
Hat mich nicht stets verlangt nach deinen Befehlen? / Durch deine Gerechtigkeit belebe mich!
41 याहवेह, आपका करुणा-प्रेम मुझ पर प्रगट हो जाए, और आपकी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे आपका उद्धार प्राप्त हो;
Und laß, o Jahwe, deine Huld mich reich erfahren. / Dein Heil nach deiner Verheißung!
42 कि मैं उसे उत्तर दे सकूं, जो मेरा अपमान करता है, आपके वचन पर मेरा भरोसा है.
Und dann will ich auch Rede stehn dem, der mich lästert; / Denn ich vertraue auf dein Wort.
43 सत्य के वचन मेरे मुख से न छीनिए, मैं आपकी व्यवस्था पर आशा रखता हूं.
Und entzieh doch meinem Munde das Wort der Wahrheit nicht, / Denn auf deine Rechte hoffe ich.
44 मैं सदा-सर्वदा निरंतर, आपकी व्यवस्था का पालन करता रहूंगा.
Und deine Weisung will ich stets beachten, / Immer und ewiglich.
45 मेरा जीवन स्वतंत्र हो जाएगा, क्योंकि मैं आपके उपदेशों का खोजी हूं.
Und so werd ich dann auch getrost und unbefangen wandeln, / Denn in deinen Geboten hab ich Rat gesucht.
46 राजाओं के सामने मैं आपके अधिनियमों पर व्याख्यान दूंगा और मुझे लज्जित नहीं होना पड़ेगा.
Und von deinen Zeugnissen will ich reden vor Königen / Furchtlos und ohne Scheu.
47 क्योंकि आपका आदेश मेरे आनंद का उगम हैं, और वे मुझे प्रिय हैं.
Und ich erfreue mich an deinen Geboten, / Die ich liebgewonnen habe.
48 मैं आपके आदेशों की ओर हाथ बढ़ाऊंगा, जो मुझे प्रिय हैं, और आपकी विधियां मेरे मनन का विषय हैं.
Und ich will meine Hände erheben zu deinen Geboten, (die ich liebgewonnen habe, ) / Nachsinnen will ich über deine Satzungen.
49 याहवेह, अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा को स्मरण कीजिए, क्योंकि आपने मुझमें आशा का संचार किया है.
Sei eingedenk des Worts, das du zu deinem Knecht geredet, / Weil du (auf einen guten Ausgang) mich hast hoffen lassen.
50 मेरी पीड़ा में मुझे इस बातों से सांत्वना प्राप्त होती है: आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे नवजीवन का स्रोत हैं.
So fand ich Trost in meinem Elend, (als ich inneward) / Daß dein Verheißungswort mich neubelebte.
51 अहंकारी बेधड़क मेरा उपहास करते हैं, किंतु मैं आपकी व्यवस्था से दूर नहीं होता.
Stolze haben mich gar sehr verspottet, / Dennoch bin ich von deinem Gesetz nicht abgewichen.
52 याहवेह, जब प्राचीन काल से प्रगट आपकी व्यवस्था पर मैं विचार करता हूं, तब मुझे उनमें सांत्वना प्राप्त होती है.
Sooft ich daran denke, wie du von altersher gerichtet hast, / Werd ich, o Jahwe, auch getröstet.
53 दुष्ट मुझमें कोप उकसाते हैं, ये वे हैं, जिन्होंने आपकी व्यवस्था त्याग दी है.
Starker Zorn hat mich erfaßt den Frevlern gegenüber, / Die dein Gesetz verlassen haben.
54 आपकी विधियां मेरे गीत की विषय-वस्तु हैं चाहे मैं किसी भी स्थिति में रहूं.
Siegeslieder sind mir deine Satzungen / Im Hause meiner Fremdlingschaft.
55 याहवेह, मैं आपकी व्यवस्था का पालन करता हूं, रात्रि में मैं आपका स्मरण करता हूं.
Sogar des Nachts hab ich gedacht, o Jahwe, deines Namens, / Und darum hab ich deine Weisung auch befolgt.
56 आपके उपदेशों का पालन करते जाना ही मेरी चर्या है.
Solches ist mir zuteil geworden: / Daß ich deine Befehle halte.
57 याहवेह, आप मेरे जीवन का अंश बन गए हैं; आपके आदेशों के पालन के लिए मैंने शपथ की है.
Geschenkt — so habe ich gesagt — ist mir, o Jahwe, deine Gnade, / Daß ich deine Worte befolgen darf.
58 सारे मन से मैंने आपसे आग्रह किया है; अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझ पर कृपा कीजिए.
Gesucht hab ich von ganzem Herzen deine Huld: / Sei mir denn gnädig nach deiner Verheißung!
59 मैंने अपनी जीवनशैली का विचार किया है और मैंने आपके अधिनियमों के पालन की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं.
Gedacht hab ich an meine Wege / Und habe meine Füße dann gelenkt zu deinen Zeugnissen.
60 अब मैं विलंब न करूंगा और शीघ्रता से आपके आदेशों को मानना प्रारंभ कर दूंगा.
Geeilt bin ich dabei und habe nicht gezaudert, / Deine Gebote zu halten.
61 मैं आपकी व्यवस्था से दूर न होऊंगा, यद्यपि दुर्जनों ने मुझे रस्सियों से बांध भी रखा हो.
Gottlose haben mich mit Stricken umringt: / Aber dein Gesetz hab ich nicht vergessen.
62 आपकी युक्ति संगत व्यवस्था के प्रति आभार अभिव्यक्त करने के लिए, मैं मध्य रात्रि को ही जाग जाता हूं.
Gegen Mitternacht steh ich auf, um dir zu danken / Für deine gerechten Gerichtsurteile.
63 मेरी मैत्री उन सभी से है, जिनमें आपके प्रति श्रद्धा है, उन सभी से, जो आपके उपदेशों पर चलते हैं.
Genosse bin ich allen, die dich fürchten / Und deine Befehle befolgen.
64 याहवेह, पृथ्वी आपके करुणा-प्रेम से तृप्त है; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
Gefüllt mit deiner Güte, Jahwe, ist die Erde: / Lehre mich nun deine Satzungen!
65 याहवेह, अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप अपने सेवक का कल्याण कीजिए.
Tröstliches hast du deinem Knechte erwiesen, / Jahwe, nach deinen Worten.
66 मुझे ज्ञान और धर्ममय परख सीखाइए, क्योंकि मैं आपकी आज्ञाओं पर भरोसा करता हूं.
Treffliche Klugheit und Einsicht lehre mich! / Denn deinen Geboten vertrau ich.
67 अपनी पीड़ाओं में रहने के पूर्व मैं भटक गया था, किंतु अब मैं आपके वचन के प्रति आज्ञाकारी हूं.
Trugwege bin ich gewandelt, eh ich ins Elend geriet; / Nun aber acht ich auf dein Gebot.
68 आप धन्य हैं, और जो कुछ आप करते हैं भला ही होता है; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
Treusorgend bist du und voller Güte: / Lehre mich deine Satzungen!
69 यद्यपि अहंकारियों ने मुझे झूठी बातों से कलंकित कर दिया है, मैं पूर्ण सच्चाई में आपके आदेशों को थामे हुए हूं.
Trugvoll haben Frevler mir Lügen angedichtet: / Ich aber halte dennoch mit ganzem Herzen deine Befehle.
70 उनके हृदय कठोर तथा संवेदनहीन हो चुके हैं, किंतु आपकी व्यवस्था ही मेरा आनंद है.
Töricht und fühllos ist ihr Herz; / Doch mein Entzücken ist dein Gesetz.
71 यह मेरे लिए भला ही रहा कि मैं प्रताड़ित किया गया, इससे मैं आपकी विधियों से सीख सकूं.
Traun, heilsam war mir des Leidens Schule, / Damit ich deine Satzungen lernte.
72 आपके मुख से निकली व्यवस्था मेरे लिए स्वर्ण और चांदी की हजारों मुद्राओं से कहीं अधिक मूल्यवान हैं.
Teurer ist mir deines Mundes Gesetz / Als reiche Schätze an Silber und Gold.
73 आपके हाथों ने मेरा निर्माण किया और मुझे आकार दिया; मुझे अपने आदेशों को समझने की सद्बुद्धि प्रदान कीजिए.
Ja, deine Hände haben mich geschaffen und bereitet: / Gib mir nun auch Einsicht, daß ich deine Gebote lerne!
74 मुझे देख आपके भक्त उल्लसित हो सकें, क्योंकि आपका वचन ही मेरी आशा है.
Jeder, der dich fürchtet, wird freudig auf mich blicken; / Denn ich habe darauf geharrt, daß sich dein Verheißungswort erfülle.
75 याहवेह, यह मैं जानता हूं कि आपकी व्यवस्था धर्ममय है, और आपके द्वारा मेरा क्लेश न्याय संगत था.
Ich weiß, o Jahwe: gerecht sind deine Gerichte, / Und weil du es treu mit mir meinst, hast du mich in Trübsal geführt.
76 अब अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा के अनुरूप, आपका करुणा-प्रेम ही मेरी शांति है!
In deiner Gnade laß mich nun aber auch Trost erfahren, / Wie du es deinem Knechte verheißen!
77 आपकी व्यवस्था में मेरा आनन्दमग्न है, तब मुझे आपकी मनोहरता में जीवन प्राप्त हो.
In dein Erbarmen hülle mich ein, damit ich lebe! / Denn dein Gesetz ist meine Lust.
78 अहंकारियों को लज्जित होना पड़े क्योंकि उन्होंने अकारण ही मुझसे छल किया है; किंतु मैं आपके उपदेशों पर मनन करता रहूंगा.
In Schande laß fallen die Frevelhaften, weil sie mich mit Lügen ins Elend gebracht! / Ich aber will über deine Befehle sinnen.
79 आपके श्रद्धालु, जिन्होंने आपके अधिनियमों को समझ लिया है, पुनः मेरे पक्ष में हो जाएं,
Ja, mögen sich zu mir wenden, die dich fürchten / Und die deine Zeugnisse anerkennen!
80 मेरा हृदय पूर्ण सिद्धता में आपकी विधियों का पालन करता रहे, कि मुझे लज्जित न होना पड़े.
In deinen Satzungen soll mein Herz beständig leben, / Damit ich nicht zuschanden werde.
81 आपके उद्धार की तीव्र अभिलाषा करते हुए मेरा प्राण बेचैन हुआ जा रहा है, अब आपका वचन ही मेरी आशा का आधार है.
Klagend hat meine Seele nach deiner Hilfe geschmachtet: / Auf dein Wort hab ich geharrt.
82 आपकी प्रतिज्ञा-पूर्ति की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं; मैं पूछ रहा हूं, “कब मुझे आपकी ओर से सांत्वना प्राप्त होगी?”
Konnten nicht meine Augen vergehn, als ich nach deinem Wort ausschaute / Und (ängstlich) fragte: "Wann wirst du mich trösten?"
83 यद्यपि मैं धुएं में संकुचित द्राक्षारस की कुप्पी के समान हो गया हूं, फिर भी आपकी विधियां मेरे मन से लुप्त नहीं हुई हैं.
Kann man auch von mir sagen: / "Der ist wie ein Schlauch im Rauch" — / Deine Satzungen hab ich doch nimmer vergessen.
84 और कितनी प्रतीक्षा करनी होगी आपके सेवक को? आप कब मेरे सतानेवालों को दंड देंगे?
Kurz sind die Lebenstage deines Knechts. / Wann wirst du nun das Gericht vollstrecken an meinen Verfolgern?
85 अहंकारियों ने मेरे लिए गड्ढे खोद रखे हैं, उनका आचरण आपकी व्यवस्था के विपरीत है.
Kerkergruben haben mir Gottvergeßne gegraben, / Sie, die nicht handeln nach deinem Gesetz.
86 विश्वासयोग्य हैं आपके आदेश; मेरी सहायता कीजिए, झूठ बोलनेवाले मुझे दुःखित कर रहे हैं.
Können doch all deine Gebote nichts als ein Ausfluß deiner Treue sein! / Sie aber haben mich mit Lügen verfolgt: hilf du mir!
87 उन्होंने मुझे धरती पर से लगभग मिटा ही डाला था, फिर भी मैं आपके नीति सूत्रों से दूर न हुआ.
Kümmerlich hätten sie mich beinah in der Grube sterben lassen, / Aber trotzdem hab ich deine Befehle nicht verlassen.
88 मैं आपके मुख से बोले हुए नियमों का पालन करता रहूंगा, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मेरे जीवन की रक्षा कीजिए.
Könnt ich doch wieder aufleben durch deine Güte! / Dann will ich auch das Zeugnis deines Mundes halten.
89 याहवेह, सर्वदा है आपका वचन; यह स्वर्ग में दृढतापूर्वक बसा है.
Lebt, o Jahwe, nicht in Ewigkeit / Dein Wort im Himmel fort?
90 पीढ़ी से पीढ़ी आपकी सच्चाई बनी रहती है; आपके द्वारा ही पृथ्वी की स्थापना की गई और यह स्थायी बनी हुई है.
Lang bis ins fernste Geschlecht währt deine Treu; / Du hast die Erde gegründet, und sie bleibt.
91 आप के नियम सभी आज तक अस्तित्व में हैं, और सभी कुछ आपकी सेवा कर रहे हैं.
Laut deiner Ordnung stehn sie noch heute; / Denn alles ist dir untertan.
92 यदि आपकी व्यवस्था में मैं उल्लास मगन न होता, तो इन पीड़ाओं को सहते सहते मेरी मृत्यु हो जाती.
Ließe mich dein Gesetz nicht immer wieder Freude empfinden: / Ich wäre vergangen in meinem Elend.
93 आपके उपदेश मेरे मन से कभी नष्ट न होंगे, क्योंकि इन्हीं के द्वारा आपने मुझे जीवन प्रदान किया है,
Lebenslang werd ich deine Befehle nicht vergessen, / Denn durch sie hast du mich im Dasein erhalten.
94 तब मुझ पर आपका ही स्वामित्व है, मेरी रक्षा कीजिए; मैं आपके ही उपदेशों का खोजी हूं.
Liebend bin ich dein: drum rette mich! / Deine Befehle suche ich ja.
95 दुष्ट मुझे नष्ट करने के उद्देश्य से घात लगाए बैठे हैं, किंतु आपकी चेतावनियों पर मैं विचार करता रहूंगा.
Listig haben mir Frevler nachgestellt, um mich zu töten; / Dennoch werd ich auf deine Zeugnisse merken.
96 हर एक सिद्धता में मैंने कोई न कोई सीमा ही पाई है, किंतु आपके आदेश असीमित हैं.
Läßt sich auch sehn, daß alles Vollkommne begrenzt ist: / Dein Gebot reicht über die Maßen weit.
97 आह, कितनी अधिक प्रिय है मुझे आपकी व्यवस्था! इतना, कि मैं दिन भर इसी पर विचार करता रहता हूं.
Mit ganzer Seele lieb ich dein Gesetz; / Den ganzen Tag sinn ich darüber nach.
98 आपके आदेशों ने तो मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बना दिया है क्योंकि ये कभी मुझसे दूर नहीं होते.
Mich werden deine Gebote weiser machen, als meine Feinde sind; / Denn sie sind mein für immer.
99 मुझमें तो अपने सभी शिक्षकों से अधिक समझ है, क्योंकि आपके उपदेश मेरे चिंतन का विषय हैं.
Meine Lehrer alle übertreffe ich an Einsicht, / Denn über deine Zeugnisse sinne ich.
100 आपके उपदेशों का पालन करने का ही परिणाम यह है, कि मुझमें बुजुर्गों से अधिक समझ है.
Mehr als Alte werd ich mir Verstand erwerben, / Wenn ich deinen Befehlen folge.
101 आपकी आज्ञा का पालन करने के लक्ष्य से, मैंने अपने कदम हर एक अधर्म के पथ पर चलने से बचा रखे हैं.
Mit allen bösen Pfaden haben meine Füße nichts gemein, / Damit ich deine Gebote mit der Tat erfülle.
102 आप ही के द्वारा दी गई शिक्षा के कारण, मैं आपके नियम तोड़ने से बच सका हूं.
Mitnichten bin ich von deinen Rechten gewichen; / Du hast mich ja belehrt.
103 कैसा मधुर है आपकी प्रतिज्ञाओं का आस्वादन करना, आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे मुख में मधु से भी अधिक मीठी हैं!
Meinem Geschmack sind deine Worte lieber / Als Honig meinem Mund.
104 हर एक झूठा मार्ग मेरी दृष्टि में घृणास्पद है; क्योंकि आपके उपदेशों से मुझे समझदारी प्राप्त होती है.
Mit Einsicht erfüllen mich deine Befehle; / Drum haß ich jeden Lügenpfad.
105 आपका वचन मेरे पांवों के लिए दीपक, और मेरे मार्ग के लिए प्रकाश है.
Nur dein Wort ist eine Leuchte meinem Fuß / Und ein Licht für meinen Weg.
106 मैंने यह शपथ ली है और यह सुनिश्चित किया है, कि मैं आपके धर्ममय नियमों का ही पालन करता जाऊंगा.
Nimmer werd ich brechen, was ich eidlich gelobt: / "Deine gerechten Vorschriften will ich befolgen."
107 याहवेह, मेरी पीड़ा असह्य है; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
Niedergebeugt bin ich gar sehr; / Jahwe, belebe mich wieder nach deinem Wort!
108 याहवेह, मेरे मुख से निकले स्वैच्छिक स्तवन वचनों को स्वीकार कीजिए, और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए.
Nimm wohlgefällig an, o Jahwe, die willigen Opfer meines Mundes / Und lehre mich deine Gebote!
109 आपकी व्यवस्था से मैं कभी दूर न होऊंगा, यद्यपि मैं लगातार अपने जीवन को हथेली पर लिए फिरता हूं.
Nicht einen Augenblick bin ich des Lebens sicher: / Dennoch hab ich dein Gesetz nicht vergessen.
110 दुष्टों ने मेरे लिए जाल बिछाया हुआ है, किंतु मैं आपके उपदेशों से नहीं भटका.
Nichtswürdige haben mir Schlingen gelegt; / Aber von deinen Befehlen bin ich nicht abgeirrt.
111 आपके नियमों को मैंने सदा-सर्वदा के लिए निज भाग में प्राप्त कर लिया है; वे ही मेरे हृदय का आनंद हैं.
Nie werd ich deine Zeugnisse fahren lassen, / Denn sie sind meines Herzens Wonne.
112 आपकी विधियों का अंत तक पालन करने के लिए मेरा हृदय तैयार है.
Neigen lassen hab ich mein Herz, deine Satzungen zu erfüllen: / Das bringt ewigen Lohn.
113 दुविधा से ग्रस्त मन का पुरुष मेरे लिए घृणास्पद है, मुझे प्रिय है आपकी व्यवस्था.
Solche, die sich absondern, hasse ich; / Doch dein Gesetz hab ich lieb.
114 आप मेरे आश्रय हैं, मेरी ढाल हैं; मेरी आशा का आधार है आपका वचन.
Sichrer Schutz und Schild bist du für mich; / Auf dein Wort hab ich geharrt.
115 अधर्मियो, दूर रहो मुझसे, कि मैं परमेश्वर के आदेशों का पालन कर सकूं!
Sondert euch ab von mir, ihr Übeltäter, / Damit ich meines Gottes Gebote halte!
116 याहवेह, अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे सम्भालिए, कि मैं जीवित रहूं; मेरी आशा भंग न होने पाए.
Sei du meine Stütze nach deiner Verheißung, damit ich am Leben bleibe, / Und laß mich nicht zuschanden werden mit meiner Hoffnung!
117 मुझे थाम लीजिए कि मैं सुरक्षित रहूं; मैं सदैव आपकी विधियों पर भरोसा करता रहूंगा.
Sei du mein sichrer Halt, damit ich gerettet werde! / Dann will ich stets mit Vertraun auf deine Satzungen schaun.
118 वे सभी, जो आपके नियमों से भटक जाते हैं, आपकी उपेक्षा के पात्र हो जाते हैं, क्योंकि निरर्थक होती है उनकी चालाकी.
Sie, die von deinen Satzungen irren, hast du immer verworfen; / Denn nichts als Lüge ist ihr verführerisch Tun.
119 संसार के सभी दुष्टों को आप मैल के समान फेंक देते हैं; यही कारण है कि मुझे आपकी चेतावनियां प्रिय हैं.
So wie Schlacken hast du alle Frevler des Landes hinweggeräumt; / Drum lieb ich deine Zeugnisse.
120 आपके भय से मेरी देह कांप जाती है; आपके निर्णयों का विचार मुझमें भय का संचार कर देता है.
Sieh, ich schaudre in Angst vor dir; / Denn vor deinen Gerichten fürcht ich mich.
121 मैंने वही किया है, जो न्याय संगत तथा धर्ममय है; मुझे सतानेवालों के सामने न छोड़ दीजिएगा.
Ausgeübt hab ich Recht und Gerechtigkeit: / So gib mich denn nicht meinen Drängern preis!
122 अपने सेवक का हित निश्चित कर दीजिए; अहंकारियों को मुझ पर अत्याचार न करने दीजिए.
Auf deines Knechtes Wohl sei du bedacht, / Daß Frevler mich nicht vergewaltigen!
123 आपके उद्धार की प्रतीक्षा में, आपकी निष्ठ प्रतिज्ञाओं की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं.
Ausgeschaut hab ich voll Sehnsucht, daß mir Hilfe komme / Und deine Verheißung sich erfülle.
124 अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप अपने सेवक से व्यवहार कीजिए और मुझे अपने अधिनियमों की शिक्षा दीजिए.
An deinem Knechte handle du nach deiner Huld / Und lehre mich deine Satzungen!
125 मैं आपका सेवक हूं, मुझे समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी विधियों को समझ सकूं.
Ach, sieh, ich bin dein Knecht: unterweise mich, / Daß ich deine Zeugnisse erkenne!
126 याहवेह, आपके नियम तोड़े जा रहे हैं; समय आ गया है कि आप अपना कार्य करें.
An der Zeit ist's für Jahwe, zu handeln: / Sie haben ja dein Gesetz gebrochen.
127 इसलिये कि मुझे आपके आदेश स्वर्ण से अधिक प्रिय हैं, शुद्ध कुन्दन से अधिक,
Aus diesem Grunde lieb ich deine Gebote / Mehr als Gold und gediegen Gold.
128 मैं आपके उपदेशों को धर्ममय मानता हूं, तब मुझे हर एक गलत मार्ग से घृणा है.
Aus diesem Grunde hab ich auch stets all deine Befehle aufrechtgehalten / Und jeglichen Lügenpfad gehaßt.
129 अद्भुत हैं आपके अधिनियम; इसलिये मैं उनका पालन करता हूं.
Fürwahr, deine Zeugnisse sind wunderbar; / Darum bewahrt sie auch meine Seele.
130 आपके वचन के खुलने से ज्योति उत्पन्न होती है; परिणामस्वरूप भोले पुरुषों को सबुद्धि प्राप्त होती है.
Führst du in deine Gebote ein, so wird es licht: / Einfältige werden verständig.
131 मेरा मुख खुला है और मैं हांफ रहा हूं, क्योंकि मुझे प्यास है आपके आदेशों की.
Frei hab ich meinen Mund geöffnet voll Verlangen; / Denn nach deinen Geboten sehnte ich mich.
132 मेरी ओर ध्यान दीजिए और मुझ पर कृपा कीजिए, जैसी आपकी नीति उनके प्रति है, जिन्हें आपसे प्रेम है.
Führ mir deine Gnade zu: / Das dürfen ja auch erwarten, die deinen Namen lieben.
133 अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मेरे पांव को स्थिर कर दीजिए; कोई भी दुष्टता मुझ पर प्रभुता न करने पाए.
Fest mach meine Schritte durch dein Wort / Und laß mich nichts Böses beherrschen!
134 मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा लीजिए, कि मैं आपके उपदेशों का पालन कर सकूं.
Frei laß mich sein von der Menschen Druck, / Damit ich deine Befehle erfülle!
135 अपने सेवक पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए.
Für deinen Knecht laß du dein Antlitz leuchten / Und lehre mich deine Satzungen!
136 मेरी आंखों से अश्रुप्रवाह हो रहा है, क्योंकि लोग आपकी व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे.
Flossen nicht aus meinen Augen Wasserbäche / Über die, die dein Gesetz nicht halten?
137 याहवेह, आप धर्मी हैं, सच्चे हैं आपके नियम.
Zeigst du nicht, Jahwe, dich gerecht? / Drum ist auch all dein Walten richtig.
138 जो अधिनियम आपने प्रगट किए हैं, वे धर्ममय हैं; वे हर एक दृष्टिकोण से विश्वासयोग्य हैं.
Zugeteilt hast du deine Zeugnisse / In Treue und großer Wahrhaftigkeit.
139 मैं भस्म हो रहा हूं, क्योंकि मेरे शत्रु आपके वचनों को भूल गए हैं.
Zehrender Eifer hat mich vernichtet; / Denn meine Feinde haben deine Worte vergessen.
140 आपकी प्रतिज्ञाओं का उचित परीक्षण किया जा चुका है, वे आपके सेवक को अत्यंत प्रिय हैं.
Zerschmolzen gleichsam in Feuer, ganz echt und bewährt ist dein Wort, / Und dein Knecht hat es lieb.
141 यद्यपि मैं छोटा, यहां तक कि लोगों की दृष्टि में घृणास्पद हूं, फिर भी मैं आपके अधिनियमों को नहीं भूलता.
Zwar bin ich jung und verachtet; / Doch deine Befehle hab ich nicht vergessen.
142 अनंत है आपकी धार्मिकता, परमेश्वर तथा यथार्थ है आपकी व्यवस्था.
Zuverlässig gerecht bleibt deine Gerechtigkeit auf ewig, / Und dein Gesetz bleibt Wahrheit.
143 क्लेश और संकट मुझ पर टूट पड़े हैं, किंतु आपके आदेश मुझे मगन रखे हुए हैं.
Zwang und Drangsal haben mich getroffen; / Doch deine Gebote sind meine Lust.
144 आपके अधिनियम सदा-सर्वदा धर्ममय ही प्रमाणित हुए हैं; मुझे इनके विषय में ऐसी समझ प्रदान कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं.
Zu aller Zeit sind deine Zeugnisse gerecht: / Laß mich sie verstehn, damit ich lebe!
145 याहवेह, मैं संपूर्ण हृदय से आपको पुकार रहा हूं, मुझे उत्तर दीजिए, कि मैं आपकी विधियों का पालन कर सकूं.
Kraftvoll hab ich dich angerufen: / "Erhöre mich, Jahwe, deine Satzungen will ich halten!"
146 मैं आपको पुकार रहा हूं; मेरी रक्षा कीजिए, कि मैं आपके अधिनियमों का पालन कर सकूं.
Komm mir zu Hilfe, wenn ich dich rufe: / So will ich auf deine Zeugnisse achten.
147 मैं सूर्योदय से पूर्व ही जाग कर सहायता के लिये पुकारता हूं; मेरी आशा आपके वचन पर आधारित है.
Kaum graute der Morgen, da flehte ich schon: / "Ich habe geharrt, daß du dein Wort erfüllest."
148 रात्रि के समस्त प्रहरों में मेरी आंखें खुली रहती हैं, कि मैं आपकी प्रतिज्ञाओं पर मनन कर सकूं.
Konnte doch keine Nachtwache beginnen, ohne daß ich meine Augen schon offen hatte, / Um nachzusinnen über dein Wort.
149 अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरी पुकार सुनिए; याहवेह, अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
Klagend ruf ich: hör mich in deiner Huld! / Nach deiner Treue, o Jahwe, belebe mich wieder!
150 जो मेरे विरुद्ध बुराई की युक्ति रच रहे हैं, मेरे निकट आ गए हैं, किंतु वे आपकी व्यवस्था से दूर हैं.
Kommen mir nahe, die Schandtaten verüben wollen, / Menschen, die fern sind von deinem Gesetz:
151 फिर भी, याहवेह, आप मेरे निकट हैं, और आपके सभी आदेश प्रामाणिक हैं.
Kommst du mir auch nahe, o Jahwe — / All deine Gebote aber sind Wahrheit.
152 अनेक-अनेक वर्ष पूर्व मैंने आपके अधिनियमों से यह अनुभव कर लिया था कि आपने इनकी स्थापना ही इसलिये की है कि ये सदा-सर्वदा स्थायी बने रहें.
Kann ich doch längst schon aus deinen Zeugnissen sehn, / Daß du sie für immer verordnet hast.
153 मेरे दुःख पर ध्यान दीजिए और मुझे इससे बचा लीजिए, क्योंकि आपकी व्यवस्था को मैं भुला नहीं.
Richte den Blick auf mein Elend und reiß mich heraus, / Denn dein Gesetz hab ich nimmer vergessen.
154 मेरे पक्ष का समर्थन करके मेरा उद्धार कीजिए; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
Recht schaffe du mir und erlöse mich, / Nach deiner Verheißung belebe mich wieder!
155 कठिन है दुष्टों का उद्धार होना, क्योंकि उन्हें आपकी विधियों की महानता ही ज्ञात नहीं.
Rettung bleibt den Frevlern fern, / Denn deine Satzungen haben sie nicht gesucht.
156 याहवेह, अनुपम है आपकी मनोहरता; अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
Reich, o Jahwe, ist dein Erbarmen; / Nach deinem Urteil belebe mich wieder!
157 मेरे सतानेवाले तथा शत्रु अनेक हैं, किंतु मैं आपके अधिनियमों से दूर नहीं हुआ हूं.
Reichlich bin ich verfolgt und bedrängt, / Aber doch nicht gewichen von deinen Geboten.
158 विश्वासघाती आपके आदेशों का पालन नहीं करते, तब मेरी दृष्टि में वे घृणास्पद हैं.
Recht von Ekel ward ich erfaßt, wenn ich Treulose sah, / Weil sie dein Wort nicht hielten.
159 आप ही देख लीजिए: कितने प्रिय हैं मुझे आपके नीति-सिद्धांत; याहवेह, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
Rechne mir zu, daß ich deine Befehle liebe; / Jahwe, belebe mich wieder nach deiner Huld!
160 वस्तुतः सत्य आपके वचन का सार है; तथा आपके धर्ममय नियम सदा-सर्वदा स्थायी रहते हैं.
Richtig ist's: deines Wortes Inhalt ist Wahrheit, / Und ewig währt all dein gerechtes Walten.
161 प्रधान मुझे बिना किसी कारण के दुःखित कर रहे हैं, किंतु आपके वचन का ध्यान कर मेरा हृदय कांप उठता है.
Sonder Ursach haben mich Fürsten verfolgt, / Doch nur vor deinem Worte hat mein Herz gezittert.
162 आपकी प्रतिज्ञाओं से मुझे ऐसा उल्लास प्राप्त होता है; जैसा किसी को बड़ी लूट प्राप्त हुई है.
So froh bin ich ob deiner Verheißung / Wie einer, der viel Beute findet.
163 झूठ से मुझे घृणा है, बैर है किंतु मुझे प्रेम है आपकी व्यवस्था से.
Schändliche Lüge hab ich stets gehaßt und verabscheut, / Dein Gesetz aber hab ich lieb.
164 आपकी धर्ममय व्यवस्था का ध्यान कर मैं दिन में सात-सात बार आपका स्तवन करता हूं.
Siebenmal täglich hab ich dich stets gepriesen / Ob deiner gerechten Gerichtsurteile.
165 जिन्हें आपकी व्यवस्था से प्रेम है, उनको बड़ी शांति मिलती रहती है, वे किसी रीति से विचलित नहीं हो सकते.
Schönen Frieden genießen alle, die deine Lehre lieben, / Und sie straucheln nimmer.
166 याहवेह, मैं आपके उद्धार का प्रत्याशी हूं, मैं आपके आदेशों का पालन करता हूं.
Sehnend hab ich, Jahwe, deiner Hilfe geharrt, / Und deine Gebote erfülle ich stets.
167 मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं, क्योंकि वे मुझे अत्यंत प्रिय हैं.
Scheu befolg ich deine Befehle, / Und ich liebe sie sehr.
168 मैं आपके उपदेशों तथा नियमों का पालन करता हूं, आपके सामने मेरा संपूर्ण आचरण प्रगट है.
Scheu halt ich stets deine Ordnungen und Befehle, / Weil du ja all meine Wege kennst.
169 याहवेह, मेरी पुकार आप तक पहुंचे; मुझे अपने वचन को समझने की क्षमता प्रदान कीजिए.
Tu auf meinem Ruf den Weg zu dir, o Jahwe, / In deinem Wort mach mich verständig!
170 मेरा गिड़गिड़ाना आप तक पहुंचे; अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करते हुए मुझे छुड़ा लीजिए.
Tu auf meinem innigen Flehn den Weg zu dir, / Nach deiner Verheißung rette mich!
171 मेरे होंठों से आपका स्तवन छलक उठे, क्योंकि आपने मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दी है.
Triefen sollen meine Lippen von Lobgesang, / Wenn du mich deine Satzungen lehrst.
172 मेरी जीभ आपके वचन का गान करेगी, क्योंकि आपके सभी आदेश आदर्श हैं.
Tönen soll von meiner Zunge das Loblied auf deine Verheißung; / Denn deine Gebote sind alle gerecht.
173 आपकी भुजा मेरी सहायता के लिए तत्पर रहे, मैंने आपके उपदेशों को अपनाया है.
Tritt du mir als Helfer zur Seite! / Denn deine Befehle hab ich zu Führern erkoren.
174 आपसे उद्धार की प्राप्ति की मुझे उत्कंठा है, याहवेह, आपकी व्यवस्था में मेरा आनंद है.
Tiefes Sehnen nach deinem Heil erfüllt mich, o Jahwe, / Und dein Gesetz ist meine Lust.
175 मुझे आयुष्मान कीजिए कि मैं आपका स्तवन करता रहूं, और आपकी व्यवस्था मुझे संभाले रहे.
Teile mir Leben zu, damit ich dich lobe! / Und deine Rechte mögen mir helfen.
176 मैं खोई हुई भेड़ के समान हो गया था. आप ही अपने सेवक को खोज लीजिए, क्योंकि मैं आपके आदेशों को भूला नहीं.
Tret ich auf einen Irrweg wie ein verloren Schaf, / Dann suche du deinen Knecht; denn deine Gebote vergesse ich nicht.