< भजन संहिता 113 >

1 याहवेह का स्तवन हो. याहवेह के सेवको, स्तवन करो; याहवेह की महिमा का स्तवन करो.
Rühmet Jah! Rühmet, ihr Knechte Jahwes, rühmet den Namen Jahwes!
2 आज से सदा-सर्वदा याहवेह के नाम का स्तवन होता रहे.
Der Name Jahwes sei gepriesen von nun an bis in Ewigkeit.
3 उपयुक्त है कि सूर्योदय से सूर्यास्त के क्षण तक, याहवेह के नाम का स्तवन हो.
Vom Aufgang der Sonne bis zu ihrem Niedergang sei der Name Jahwes gerühmt!
4 याहवेह समस्त राष्ट्रों के ऊपर हैं, उनका तेज स्वर्ग से भी महान है.
Jahwe ist erhaben über alle Völker, den Himmel überragt seine Herrlichkeit.
5 और कौन है याहवेह हमारे परमेश्वर के तुल्य, जो सर्वोच्च सिंहासन पर विराजमान हैं,
Wer gleicht Jahwe, unserem Gott, der da hoch thront,
6 जिन्हें स्वर्ग एवं पृथ्वी को देखने के लिए झुककर दृष्टिपात करना पड़ता है?
der tief herabschaut, im Himmel und auf Erden;
7 याहवेह ही कंगाल को धूलि से उठाकर बसाते हैं, वही दरिद्र को राख के ढेर से उठाकर ऊंचा करते हैं.
der den Geringen aus dem Staube aufrichtet, den Armen aus dem Kot erhebt,
8 वही उन्हें प्रधानों के साथ लाकर, अपनी प्रजा के प्रधानों के साथ विराजमान करते हैं.
daß er ihn neben den Edlen sitzen lasse, den Edlen seines Volks,
9 वही बांझ स्त्री को बच्चों की माता का आनंद प्रदान करके परिवार में सम्मान प्रदान करते हैं. याहवेह का स्तवन हो.
der die Unfruchtbare, die ohne Familie dastand, als Mutter der Kinder fröhlich wohnen läßt. Rühmet Jah!

< भजन संहिता 113 >