< भजन संहिता 110 >
1 दावीद की रचना. एक स्तोत्र. याहवेह मेरे प्रभु ने, राजा से कहा: “मेरे दायें पक्ष में विराजमान हो जाओ. तुम्हारे शत्रुओं को मैं तुम्हारे चरणों की चौकी बना रहा हूं.”
Рече Господь Господеви моему: седи одесную Мене, дондеже положу враги Твоя подножие ног Твоих.
2 याहवेह ही ज़ियोन से आपके सामर्थ्यवान राजदंड का विस्तार करेंगे, “आपका शासन आपके शत्रुओं के मध्य बसा होगा!”
Жезл силы послет Ти Господь от Сиона, и господствуй посреде врагов Твоих.
3 आपकी सेना आपकी लड़ाई के समय स्वेच्छा से आपका साथ देगी, सबेरे के गर्भ से जन्मी हुई ओस के समान पवित्रता से सुशोभित होकर आपके पास आएंगे आपके जवान.
С Тобою начало в день силы Твоея, во светлостех святых твоих: из чрева прежде денницы родих Тя.
4 यह याहवेह की शपथ है, जो अपने वक्तव्य से दूर नहीं होते: “तुम मेलखीज़ेदेक की शृंखला में सनातन पुरोहित हो.”
Клятся Господь и не раскается: Ты иерей во век по чину Мелхиседекову.
5 प्रभु आपके दायें पक्ष में तत्पर हैं; वह उदास होकर राजाओं को कुचल डालेंगे.
Господь одесную Тебе сокрушил есть в день гнева Своего цари:
6 वह राष्ट्रों पर अपने न्याय का निर्णय घोषित करेंगे, मृतकों का ढेर लग जाएगा और संपूर्ण पृथ्वी के न्यायियों की हत्या कर दी जाएगी.
судит во языцех, исполнит падения, сокрушит главы на земли многих.
7 तब महाराज मार्ग के किनारे के झरने से जल का पान करेंगे, उनका सिर गर्व से ऊंचा होगा.
От потока на пути пиет: сего ради вознесет главу.