< भजन संहिता 103 >

1 दावीद की रचना मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो; मेरी संपूर्ण आत्मा उनके पवित्र नाम का स्तवन करे.
[David kah] Aw ka hinglu, BOEIPA te uem lamtah, ka kotak boeih loh a ming cim te uem lah.
2 मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो, उनके किसी भी उपकार को न भूलो.
Aw ka hinglu, BOEIPA te uem lamtah amah kah a thaphu paek boeih te hnilh boeh.
3 वह तेरे सब अपराध क्षमा करते तथा तेरे सब रोग को चंगा करते हैं.
Nang kah thaesainah boeih te khodawk han ngai tih, na tlohtat boeih aka hoeih sak,
4 वही तेरे जीवन को गड्ढे से छुड़ा लेते हैं तथा तुझे करुणा-प्रेम एवं मनोहरता से सुशोभित करते हैं.
Na hingnah vaam khui lamkah aka tlan tih sitlohnah neh haidamnah te nang aka khuem sak loh,
5 वह तेरी अभिलाषाओं को मात्र उत्कृष्ट वस्तुओं से ही तृप्‍त करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप तेरी जवानी गरुड़-समान नई हो जाती है.
Na kamrhui te hnothen neh a kum sak tih na camoe tue te atha bangla a thahuel sak.
6 याहवेह सभी दुःखितों के निमित्त धर्म एवं न्यायसंगतता के कार्य करते हैं.
Hlang kah hnaemtaek aka yok rhoek boeih ham BOEIPA loh duengnah neh tiktamnah a saii pah.
7 उन्होंने मोशेह को अपनी नीति स्पष्ट की, तथा इस्राएल राष्ट्र के सामने अपना अद्भुत कृत्य:
Moses taengah amah khosing, Israel ca rhoek taengah a khoboe te a tueng.
8 याहवेह करुणामय, कृपानिधान, क्रोध में विलंबी तथा करुणा-प्रेम में समृद्ध हैं.
Thinphoei neh lungvatnah BOEIPA loh thintoek a ueh tih sitlohnah neh baetawt.
9 वह हम पर निरंतर आरोप नहीं लगाते रहेंगे, और न ही हम पर उनकी अप्रसन्‍नता स्थायी बनी रहेगी;
A yoeyah la ho pawt vetih, kumhal duela lunguen mahpawh.
10 उन्होंने हमें न तो हमारे अपराधों के लिए निर्धारित दंड दिया और न ही उन्होंने हमारे अधर्मों का प्रतिफल हमें दिया है.
Mamih kah tholhnah bangla mamih taengah saii pawt tih mamih kah thaesainah bangla mamih taengah han suk moenih.
11 क्योंकि आकाश पृथ्वी से जितना ऊपर है, उतना ही महान है उनका करुणा-प्रेम उनके श्रद्धालुओं के लिए.
Diklai soah vaan a sang bangla amah aka rhih rhoek ham a sitlohnah khaw len.
12 पूर्व और पश्चिम के मध्य जितनी दूरी है, उन्होंने हमारे अपराध हमसे उतने ही दूर कर दिए हैं.
Khocuk lamkah khotlak a lakhla bangla mamih kah boekoeknah te mamih taeng lamkah a lakhla sak coeng.
13 जैसे पिता की मनोहरता उसकी संतान पर होती है, वैसे ही याहवेह की मनोहरता उनके श्रद्धालुओं पर स्थिर रहती है;
A napa loh camoe rhoek te a haidam bangla amah aka rhih rhoek te BOEIPA loh a haidam.
14 क्योंकि उन्हें हमारी सृष्टि ज्ञात है, उन्हें स्मरण रहता है कि हम मात्र धूल ही हैं.
Amah loh mamih kah benbonah he a ming tih mamih he laipi ni tila a poek.
15 मनुष्य से संबंधित बातें यह है, कि उसका जीवन घास समान है, वह मैदान के पुष्प समान खिलता है,
Hlanghing kah a tue sulrham bangla om tih khohmuen tamlaep bangla khooi van mai.
16 उस पर उष्ण हवा का प्रवाह होता है और वह नष्ट हो जाता है, किसी को यह स्मरण तक नहीं रह जाता, कि पुष्प किस स्थान पर खिला था,
Khohli loh anih a pah tih a hmata atah amah hmuen hmat voel pawh.
17 किंतु याहवेह का करुणा-प्रेम उनके श्रद्धालुओं पर अनादि से अनंत तक, तथा परमेश्वर की धार्मिकता उनकी संतान की संतान पर स्थिर बनी रहती है.
Tedae BOEIPA kah sitlohnah tah amah aka rhih rhoek taengah khosuen lamkah kumhal duela om tih a duengnah a ca rhoek kah a ca rhoek patoeng taengah,
18 जो उनकी वाचा का पालन करते तथा उनके आदेशों का पालन करना याद रखते हैं.
a paipi aka tuem tih a olrhi vai ham aka thoelh rhoek taengah om.
19 याहवेह ने अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थापित किया है, समस्त बनाई वस्तुओं पर उनका शासन है.
BOEIPA loh vaan ah a ngolkhoel a hol tih a ram a cungkuem te a taemrhai.
20 तुम, जो उनके स्वर्गदूत हो, याहवेह का स्तवन करो, तुम जो शक्तिशाली हो, तुम उनके आदेशों का पालन करते हो, उनके मुख से निकले वचन को पूर्ण करते हो.
A olthui ol ngai ham amah kah olka bangla aka saii, thadueng puencawn, hlangrhalh rhoek loh BOEIPA te uem uh lah.
21 स्वर्ग की संपूर्ण सेना और तुम, जो उनके सेवक हो, और जो उनकी इच्छा की पूर्ति करते हो, याहवेह का स्तवन करो.
Amah kah caempuei boeih loh BOEIPA te uem uh lamtah amah kah bibi boeih loh a kolonah te saii uh lah.
22 उनकी समस्त सृष्टि, जो समस्त रचना में व्याप्‍त हैं, याहवेह का स्तवन करें. मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो.
A khohung hmuen boeih kah a kutngo boeih BOEIPA te uem uh lah. Aw ka hinglu, BOEIPA te uem lah.

< भजन संहिता 103 >