< भजन संहिता 100 >

1 एक स्तोत्र. धन्यवाद के लिए गीत याहवेह के स्तवन में समस्त पृथ्वी उच्च स्वर में जयघोष करे.
E HOOHO olioli oukou, ia Iehova, e na aina a pau.
2 याहवेह की आराधना आनंदपूर्वक की जाए; हर्ष गीत गाते हुए उनकी उपस्थिति में प्रवेश किया जाए.
E malama ia Iehova me ka kauoli: E hele aku imua ona me ka oli ana.
3 यह समझ लो कि स्वयं याहवेह ही परमेश्वर हैं. हमारी रचना उन्हीं ने की है, स्वयं हमने नहीं; हम पर उन्हीं का स्वामित्व है. हम उनकी प्रजा, उनकी चराई की भेड़ें हैं.
E ike hoi oukou, o Iehova, oia no ke Akua, Nana kakou i hana, aole na kakou iho: O kona poe kanaka hoi kakou, A me na hipa ana i hanai ai.
4 धन्यवाद के भाव में उनके द्वारों में और स्तवन भाव में उनके आंगनों में प्रवेश करो; उनकी महिमा को धन्य कहो.
E komo oukou iloko o kona ipuka me ka mililani, A iloko hoi o kona kahua me ka halelu; E mililani aku ia ia, a e hoomaikai aku hoi i kona inoa.
5 याहवेह भले हैं; उनकी करुणा सदा की है; उनकी सच्चाई का प्रसरण समस्त पीढ़ियों में होता जाता है.
No ka mea, ua maikai o Iehova; Ua mau loa kona lokomaikai, A me kona oiaio hoi i na hanauna a pau.

< भजन संहिता 100 >