< भजन संहिता 10 >
1 याहवेह, आप दूर क्यों खड़े हैं? संकट के समय आप स्वयं को क्यों छिपा लेते हैं?
(По славянски, част от 9-ий). Защо Господи, стоиш надалеч? Защо се криеш във времена на неволя?
2 दुर्जन अपने अहंकार में असहाय निर्धन को खदेड़ते हैं, दुर्जन अपनी ही रची गई युक्तियों में फंसकर रह जाएं.
Чрез гордостта на нечестивите сиромахът се измъчва; Те се хващат в лукавствата, които ония измислюват.
3 दुर्जन की मनोकामना पूर्ण होती जाती है, तब वह इसका घमंड करता है; लालची पुरुष याहवेह की निंदा करता तथा उनसे अलग हो जाता है.
Защото нечестивият се хвали с пожеланията на душата си; И сребролюбецът се отрича от Господа, даже Го презира.
4 दुष्ट अपने अहंकार में परमेश्वर की कामना ही नहीं करता; वह अपने मन में मात्र यही विचार करता रहता है: परमेश्वर है ही नहीं.
Нечестивият, от гордостта на лицето си казва: Господ няма да издири; Всичките му помисли са, че няма Бог.
5 दुष्ट के प्रयास सदैव सफल होते जाते हैं; उसके सामने आपके आदेशों का कोई महत्व है ही नहीं; उसके समस्त विरोधी उसके सामने तुच्छ हैं.
Неговите пътища всякога са упорити; Твоите съдби са твърде високо от очите му; Той презира всичките си противници.
6 वह स्वयं को आश्वासन देता रहता है: “मैं विचलित न होऊंगा, मेरी किसी भी पीढ़ी में कोई भी विपदा नहीं आ सकती.”
Казва в сърцето си: Няма да се поклатя, От род в род няма да изпадна в злощастие.
7 उसका मुख शाप, छल तथा अत्याचार से भरा रहता है; उसकी जीभ उत्पात और दुष्टता छिपाए रहती है.
Устата му са пълни с проклинание и угнетяване и насилство; Под езика му има злоба и беззаконие.
8 वह गांवों के निकट घात लगाए बैठा रहता है; वह छिपकर निर्दोष की हत्या करता है. उसकी आंखें चुपचाप असहाय की ताक में रहती हैं;
Седи в съседа в селата, В скришни места, за да убие невинния; Очите му са насочени тайно против безпомощния.
9 वह प्रतीक्षा में घात लगाए हुए बैठा रहता है, जैसे झाड़ी में सिंह. घात में बैठे हुए उसका लक्ष्य होता है निर्धन-दुःखी, वह उसे अपने जाल में फंसा घसीटकर ले जाता है.
Причаква скришно като лъв в рова си, Причаква за да грабни сиромаха; Грабва сиромаха, като го влачи в мрежата си.
10 वह दुःखी दब कर झुक जाता; और उसकी शक्ति के सामने पराजित हो जाता है.
Навежда се снишава се; И безпомощните падат в ноктите му.
11 उस दुष्ट की यह मान्यता है, “परमेश्वर सब भूल चुके हैं; उन्होंने अपना मुख छिपा लिया है, वह यह सब कभी नहीं देखेंगे.”
Казва в сърцето си: Бог е забравил, Скрил е лицето Си, никога няма да види.
12 याहवेह, उठिए, अपना हाथ उठाइये, परमेश्वर! इन दुष्टों को दंड दीजिए, दुःखितों को भुला न दीजिए.
Стани, Господи; Боже, издигни ръката Си; Да не забравяш кротките.
13 दुष्ट परमेश्वर का तिरस्कार करते हुए अपने मन में क्यों कहता रहता है, “परमेश्वर इसका लेखा लेंगे ही नहीं”?
Нечестивият защо презира Бога, И казва в сърцето си: Ти няма да Го издирваш?
14 किंतु निःसंदेह आपने सब कुछ देखा है, आपने यातना और उत्पीड़न पर ध्यान दिया है; आप स्थिति को अपने नियंत्रण में ले लें. दुःखी और लाचार स्वयं को आपके हाथों में सौंप रहे हैं; क्योंकि आप ही सहायक हैं अनाथों के.
Ти си го видял; защото гледаш неправдата и престъплението, За да ги хванеш в ръката Си; На Тебе се поверява безпомощният; На сирачето Ти си помощник.
15 कुटिल और दुष्ट का भुजबल तोड़ दीजिए; उसकी दुष्टता का लेखा उस समय तक लेते रहिए जब तक कुछ भी दुष्टता शेष न रह जाए.
Строши мишцата на нечестивия; Издири нечестието на злия човек, докато не намериш вече от него.
16 सदा-सर्वदा के लिए याहवेह महाराजाधिराज हैं; उनके राज्य में से अन्य जनता मिट गए हैं.
Господ е цар до вечни векове; Народите са изчезнали от земята Му.
17 याहवेह, आपने विनीत की अभिलाषा पर दृष्टि की है; आप उनके हृदय को आश्वासन प्रदान करेंगे,
Господи, послушал си желанието на кротките; Ще утвърдиш сърцето им; Ще направиш внимателно ухото Си,
18 अनाथ तथा दुःखित की रक्षा के लिए, आपका ध्यान उनकी वाणी पर लगा रहेगा कि मिट्टी से बना मानव अब से पुनः आतंक प्रसारित न करे.
За да отсъдиш за сирачето и угнетения, Тъй щото човекът, който е от земята, да не застрашава вече.