< नीतिवचन 9 >
1 ज्ञान ने एक घर का निर्माण किया है; उसने काटकर अपने लिए सात स्तंभ भी गढ़े हैं.
Премудрость созда себе дом и утверди столпов седмь:
2 उसने उत्कृष्ट भोजन तैयार किए हैं तथा उत्तम द्राक्षारस भी परोसा है; उसने अतिथियों के लिए सभी भोज तैयार कर रखा है.
закла своя жертвенная, и раствори в чаши своей вино, и уготова свою трапезу:
3 आमंत्रण के लिए उसने अपनी सहेलियां भेज दी हैं कि वे नगर के सर्वोच्च स्थलों से आमंत्रण की घोषणा करें,
посла своя рабы, созывающи с высоким проповеданием на чашу, глаголющи:
4 “जो कोई सरल-साधारण है, यहां आ जाए!” जिस किसी में सरल ज्ञान का अभाव है, उसे वह कहता है,
иже есть безумен, да уклонится ко мне.
5 “आ जाओ, मेरे भोज में सम्मिलित हो जाओ. उस द्राक्षारस का भी सेवन करो, जो मैंने परोसा है.
И требующым ума рече: приидите, ядите мой хлеб и пийте вино, еже растворих вам:
6 अपना भोला चालचलन छोड़कर; समझ का मार्ग अपना लो और जीवन में प्रवेश करो.”
оставите безумие и живи будете, да во веки воцаритеся: и взыщите разума, да поживете и исправите разум в ведении.
7 यदि कोई ठट्ठा करनेवाले की भूल सुधारता है, उसे अपशब्द ही सुनने पड़ते हैं; यदि कोई किसी दुष्ट को डांटता है, अपने ही ऊपर अपशब्द ले आता है.
Наказуяй злыя приимет себе безчестие, обличаяй же нечестиваго порочна сотворит себе (обличения бо нечестивому раны ему).
8 तब ठट्ठा करनेवाले को मत डांटो, अन्यथा तुम उसकी घृणा के पात्र हो जाओगे; तुम ज्ञानवान को डांटो, तुम उसके प्रेम पात्र ही बनोगे.
Не обличай злых, да не возненавидят тебе: обличай премудра, и возлюбит тя.
9 शिक्षा ज्ञानवान को दो. इससे वह और भी अधिक ज्ञानवान हो जाएगा; शिक्षा किसी सज्जन को दो, इससे वह अपने ज्ञान में बढ़ते जाएगा.
Даждь премудрому вину, и премудрейший будет: сказуй праведному, и приложит приимати.
10 याहवेह के प्रति श्रद्धा-भय से ज्ञान का तथा महा पवित्र के सैद्धान्तिक ज्ञान से समझ का उद्भव होता है.
Начало премудрости страх Господень, и совет святых разум: разумети бо закон, помысла есть благаго.
11 तुम मेरे द्वारा ही आयुष्मान होगे तथा तुम्हारी आयु के वर्ष बढ़ाए जाएंगे.
Сим бо образом многое поживеши время, и приложатся тебе лета живота твоего.
12 यदि तुम बुद्धिमान हो, तो तुम्हारा ज्ञान तुमको प्रतिफल देगा; यदि तुम ज्ञान के ठट्ठा करनेवाले हो तो इसके परिणाम मात्र तुम भोगोगे.
Сыне, аще премудр будеши, себе премудр будеши и искренним твоим: аще же зол будеши, един почерпнеши злая. Сын наказан премудр будет, безумный же слугою употребится. Иже утверждается на лжах, сей пасет ветры, той же поженет птицы парящыя: остави бо пути своего винограда, в стезях же своего земледелания заблуди, проходит же сквозе пустыню безводную и землю определенную в жаждех, собирает же рукама неплодие.
13 श्रीमती मूर्खता उच्च स्वर में बक-बक करती है; वह भोली है, अज्ञानी है.
Жена безумная и продерзая скудна хлебом бывает, яже не весть стыдения,
14 उसके घर के द्वार पर ही अपना आसन लगाया है, जब वह नगर में होती है तब वह अपने लिए सर्वोच्च आसन चुन लेती है,
седе при дверех дому своего, на столце яве на стогнах,
15 वह उनको आह्वान करती है, जो वहां से निकलते हैं, जो अपने मार्ग की ओर अग्रगामी हैं,
призывающая мимоходящих и исправляющих пути своя:
16 “जो कोई सीधा-सादा है, वह यहां आ जाए!” और निबुद्धियों से वह कहती है,
иже есть от вас безумнейший, да уклонится ко мне: и лишенным разума повелеваю, глаголющи:
17 “मीठा लगता है चोरी किया हुआ जल; स्वादिष्ट लगता है वह भोजन, जो छिपा-छिपा कर खाया जाता है!”
хлебом сокровенным в сладость прикоснитеся и воду татьбы сладкую пийте.
18 भला उसे क्या मालूम कि वह मृतकों का स्थान है, कि उसके अतिथि अधोलोक में पहुंचे हैं. (Sheol )
Он же не весть, яко земнороднии у нея погибают и во дне ада обретаются. (Sheol )