< नीतिवचन 4 >

1 मेरे पुत्रो, अपने पिता की शिक्षा ध्यान से सुनो; इन पर विशेष ध्यान दो, कि तुम्हें समझ प्राप्‍त हो सके.
Ecoutez, mes fils, l’instruction d’un père, et soyez attentifs, pour apprendre l’intelligence;
2 क्योंकि मेरे द्वारा दिए जा रहे नीति-सिद्धांत उत्तम हैं, इन शिक्षाओं का कभी त्याग न करना.
car je vous donne une bonne doctrine: n’abandonnez pas mon enseignement.
3 जब मैं स्वयं अपने पिता का पुत्र था, मैं सुकुमार था, माता के लिए लाखों में एक.
Moi aussi j’ai été un fils pour mon père, un fils tendre et unique auprès de ma mère.
4 मेरे पिता ने मुझे शिक्षा देते हुए कहा था, “मेरी शिक्षा अपने हृदय में दृढतापूर्वक बैठा लो; मेरे आदेशों का पालन करते रहो, क्योंकि इन्हीं में तुम्हारा जीवन सुरक्षित है.
Il m’instruisait et il me disait: « Que ton cœur retienne mes paroles, observe mes préceptes, et tu vivras.
5 मेरे मुख से निकली शिक्षा से बुद्धिमत्ता प्राप्‍त करो, समझ प्राप्‍त करो; न इन्हें त्यागना, और न इनसे दूर जाओ.
Acquiers la sagesse, acquiers l’intelligence; n’oublie pas les paroles de ma bouche, et ne t’en détourne pas.
6 यदि तुम इसका परित्याग न करो, तो यह तुम्हें सुरक्षित रखेगी; इसके प्रति तुम्हारा प्रेम ही तुम्हारी सुरक्षा होगी.
Ne l’abandonne pas, et elle te gardera; aime-la, et elle te conservera.
7 सर्वोच्च प्राथमिकता है बुद्धिमत्ता की उपलब्धि: बुद्धिमत्ता प्राप्‍त करो. यदि तुम्हें अपना सर्वस्व भी देना पड़े, समझ अवश्य प्राप्‍त कर लेना.
Voici le commencement de la sagesse: acquiers la sagesse; au prix de tout ce que tu possèdes, acquiers l’intelligence.
8 ज्ञान को अमूल्य संजो रखना, तब वह तुम्हें भी प्रतिष्ठित बनाएगा; तुम इसे आलिंगन करो तो यह तुम्हें सम्मानित करेगा.
Tiens-la en haute estime, et elle t’exaltera; elle fera ta gloire, si tu l’embrasses.
9 यह तुम्हारे मस्तक को एक भव्य आभूषण से सुशोभित करेगा; यह तुम्हें एक मनोहर मुकुट प्रदान करेगा.”
Elle mettra sur ta tête une couronne de grâce, elle t’ornera d’un magnifique diadème. »
10 मेरे पुत्र, मेरी शिक्षाएं सुनो और उन्हें अपना लो, कि तुम दीर्घायु हो जाओ.
Ecoute, mon fils, et reçois mes paroles, et les années de ta vie se multiplieront.
11 मैंने तुम्हें ज्ञान की नीतियों की शिक्षा दी है, मैंने सीधे मार्ग पर तुम्हारी अगुवाई की है.
Je t’enseigne la voie de la sagesse, je te conduis dans les sentiers de la droiture.
12 इस मार्ग पर चलते हुए तुम्हारे पैर बाधित नहीं होंगे; यदि तुम दौड़ोगे तब भी तुम्हारे पांव ठोकर न खाएंगे.
Si tu marches, tes pas ne seront pas à l’étroit, et si tu cours, tu ne trébucheras pas.
13 इन शिक्षाओं पर अटल रहो; कभी इनका परित्याग न करो; ज्ञान तुम्हारा जीवन है, उसकी रक्षा करो.
Retiens l’instruction, ne l’abandonne pas; garde-la, car elle est ta vie.
14 दुष्टों के मार्ग पर पांव न रखना, दुर्जनों की राह पर पांव न रखना.
N’entre pas dans le sentier des méchants, et ne marche pas dans la voie des hommes mauvais.
15 इससे दूर ही दूर रहना, उस मार्ग पर कभी न चलना; इससे मुड़कर आगे बढ़ जाना.
Evite-la, n’y passe point, détourne-t’en et passe.
16 उन्हें बुराई किए बिना नींद ही नहीं आती; जब तक वे किसी का बुरा न कर लें, वे करवटें बदलते रह जाते हैं.
Car ils ne dorment pas, s’ils ne font le mal; leur sommeil s’enfuit s’ils ne font tomber personne.
17 क्योंकि बुराई ही उन्हें आहार प्रदान करती है और हिंसा ही उनका पेय होती है.
Car ils mangent le pain du crime, ils boivent le vin de la violence.
18 किंतु धर्मी का मार्ग भोर के प्रकाश समान है, जो दिन चढ़ते हुए उत्तरोत्तर प्रखर होती जाती है और मध्याह्न पर पहुंचकर पूर्ण तेज पर होती है.
Le sentier des justes est comme la brillante lumière du matin, dont l’éclat va croissant jusqu’à ce que paraisse le jour.
19 पापी की जीवनशैली गहन अंधकार होती है; उन्हें यह ज्ञात ही नहीं हो पाता, कि उन्हें ठोकर किससे लगी है.
La voie des méchants est comme les ténèbres; ils n’aperçoivent pas ce qui les fera tomber.
20 मेरे पुत्र, मेरी शिक्षाओं के विषय में सचेत रहना; मेरी बातों पर विशेष ध्यान देना.
Mon fils, sois attentif à mes paroles, prête l’oreille à mes discours.
21 ये तुम्हारी दृष्टि से ओझल न हों, उन्हें अपने हृदय में बनाए रखना.
Qu’ils ne s’éloignent pas de tes yeux, garde-les au milieu de ton cœur.
22 क्योंकि जिन्होंने इन्हें प्राप्‍त कर लिया है, ये उनका जीवन हैं, ये उनकी देह के लिए स्वास्थ्य हैं.
Car ils sont vie pour ceux qui les trouvent, santé pour tout leur corps.
23 सबसे अधिक अपने हृदय की रक्षा करते रहना, क्योंकि जीवन के प्रवाह इसी से निकलते हैं.
Garde ton cœur avant toute chose, car de lui jaillissent les sources de la vie.
24 कुटिल बातों से दूर रहना; वैसे ही छल-प्रपंच के वार्तालाप में न बैठना.
Ecarte de ta bouche les paroles tortueuses, et éloigne de tes lèvres la fausseté.
25 तुम्हारी आंखें सीधे लक्ष्य को ही देखती रहें; तुम्हारी दृष्टि स्थिर रहे.
Que tes yeux regardent en face, et que tes paupières se dirigent devant toi.
26 इस पर विचार करो कि तुम्हारे पांव कहां पड़ रहे हैं तब तुम्हारे समस्त लेनदेन निरापद बने रहेंगे.
Fais à tes pieds un chemin uni, et que toutes tes voies soient droites.
27 सन्मार्ग से न तो दायें मुड़ना न बाएं; बुराई के मार्ग पर पांव न रखना.
N’incline ni à droite ni à gauche, et détourne ton pied du mal.

< नीतिवचन 4 >