< नीतिवचन 29 >
1 वह, जिसे बार-बार डांट पड़ती रहती है, फिर भी अपना हठ नहीं छोड़ता, उस पर विनाश अचानक रूप से टूट पड़ेगा और वह पुनः उठ न सकेगा.
Чоловік остере́жуваний, та твердошиїй, буде зламаний нагло, і ліку не буде йому.
2 जब खरे की संख्या में वृद्धि होती है, लोगों में हर्ष की लहर दौड़ जाती है; किंतु जब दुष्ट शासन करने लगते हैं, तब प्रजा कराहने लगती है.
Коли мно́жаться праведні, радіє наро́д, як панує ж безбожний — то сто́гне наро́д.
3 बुद्धि से प्रेम करनेवाला पुत्र अपने पिता के हर्ष का विषय होता है, किंतु जो वेश्याओं में संलिप्त रहता है वह अपनी संपत्ति उड़ाता जाता है.
Люди́на, що мудрість кохає, поті́шує батька свого, а хто попасає блудни́ць, той губить маєток.
4 न्याय्यता पर ही राजा अपने राष्ट्र का निर्माण करता है, किंतु वह, जो जनता को करो के बोझ से दबा देता है, राष्ट्र के विनाश को आमंत्रित करता है.
Цар утримує край правосу́ддям, а люди́на хаба́рна руйнує його.
5 जो अपने पड़ोसियों की चापलूसी करता है, वह अपने पड़ोसी के पैरों के लिए जाल बिछा रहा होता है.
Люди́на, що другові своєму підле́щує, на сто́пах його па́стку ставить.
6 दुष्ट अपने ही अपराधों में उलझा रहता है, किंतु धर्मी सदैव उल्लसित हो गीत गाता रहता है.
У провині люди́ни лихої знахо́диться па́стка, а справедливий радіє та ті́шиться.
7 धर्मी को सदैव निर्धन के अधिकारों का बोध रहता है, किंतु दुष्ट को इस विषय का ज्ञान ही नहीं होता.
Праведний знає про право вбогих, безбожний же не розуміє пізна́ння про це.
8 ठट्ठा करनेवाले नगर को अग्नि लगाते हैं, किंतु बुद्धिमान ही कोप को शांत करते हैं.
Люди глузли́ві підбу́рюють місто, а мудрі утишують гнів.
9 यदि बुद्धिमान व्यक्ति किसी मूर्ख को न्यायालय ले जाता है, तो विवाद न तो शीघ्र क्रोधी होने से सुलझता है न ही हंसी में उड़ा देने से.
Мудра люди́на, що праву́ється із нерозумним, то чи гні́вається, чи сміється, — споко́ю не знає.
10 खून के प्यासे हिंसक व्यक्ति खराई से घृणा करते हैं, वे धर्मी के प्राणों के प्यासे हो जाते हैं.
Кровоже́рці нена́видять праведного, справедливі ж шукають спасти його душу.
11 क्रोध में मूर्ख व्यक्ति अनियंत्रित हो जाता है, किंतु बुद्धिमान संयमपूर्वक शांत बना रहता है.
Глупа́к уесь свій гнів увиявляє, а мудрий назад його стри́мує.
12 यदि शासक असत्य को सुनने लगता है, उसके सभी मंत्री कुटिल बन जाते हैं.
Володар, що слухає сло́ва брехливого, — безбожні всі слу́ги його!
13 अत्याचारी और निर्धन व्यक्ति में एक साम्य अवश्य है: दोनों ही को याहवेह ने दृष्टि प्रदान की है.
Убогий й гноби́тель стрічаються, — їм обом Господь очі освітлює.
14 यदि राजा पूर्ण खराई में निर्धन का न्याय करता है, उसका सिंहासन स्थायी रहता है.
Як цар правдою судить убогих, стоя́тиме трон його за́вжди.
15 ज्ञानोदय के साधन हैं डांट और छड़ी, किंतु जिस बालक पर ये प्रयुक्त न हुए हों, वह माता की लज्जा का कारण हो जाता है.
Різка й поу́ка премудрість дають, а дити́на, зали́шена тільки собі, засоро́млює матір свою.
16 दुष्टों की संख्या में वृद्धि अपराध दर में वृद्धि करती है, किंतु धर्मी उनके पतन के दर्शक होते हैं.
Як мно́жаться несправедливі — провина розмно́жується, але праведні бачитимуть їхній упа́док.
17 अपने पुत्र को अनुशासन में रखो कि तुम्हारा भविष्य सुखद हो; वही तुम्हारे हृदय को आनंदित रखेगा.
Карай сина свого — й він тебе заспоко́їть, і приє́мнощі дасть для твоєї душі.
18 भविष्य के दर्शन के अभाव में लोग प्रतिबन्ध तोड़ फेंकते हैं; किंतु धन्य होता है वह, जो नियमों का पालन करता है.
Без пророчих виді́нь люд розбе́щений, коли ж стереже він Зако́на — блаженний.
19 सेवकों के अनुशासन के लिए मात्र शब्द निर्देश पर्याप्त नहीं होता; वे इसे समझ अवश्य लेंगे, किंतु इसका पालन नहीं करेंगे.
Раб словами не буде пока́раний, — хоч він розуміє, але́ не послу́хає.
20 एक मूर्ख व्यक्ति से उस व्यक्ति की अपेक्षा अधिक आशा की जा सकती है, जो बिना विचार अपना मत दे देता है.
Чи бачив люди́ну, квапли́ву в словах своїх? — Більша надія глупце́ві, ніж їй!
21 यदि सेवक को बाल्यकाल से ही जो भी चाहे दिया जाए, तो अंततः वह घमंडी हो जाएगा.
Хто розпе́щує зма́лку свого раба, то кінець його буде невдячний.
22 शीघ्र क्रोधी व्यक्ति कलह करनेवाला होता है, और अनियंत्रित क्रोध का दास अनेक अपराध कर बैठता है.
Гнівли́ва люди́на викли́кує сварку, а лютий вчиняє багато провин.
23 अहंकार ही व्यक्ति के पतन का कारण होता है, किंतु वह, जो आत्मा में विनम्र है, सम्मानित किया जाता है.
Горди́ня люди́ни її понижає, а чести набуває покірливий духом.
24 जो चोर का साथ देता है, वह अपने ही प्राणों का शत्रु होता है; वह न्यायालय में सबके द्वारा शापित किया जाता है, किंतु फिर भी सत्य प्रकट नहीं कर सकता.
Хто ді́литься з зло́дієм, той нена́видить душу свою, — він чує прокля́ття, та не виявляє.
25 लोगों से भयभीत होना उलझन प्रमाणित होता है, किंतु जो कोई याहवेह पर भरोसा रखता है, सुरक्षित रहता है.
Страх перед люди́ною па́стку дає, хто ж наді́ю складає на Господа, буде безпечний.
26 शासक के प्रिय पात्र सभी बनना चाहते हैं, किंतु वास्तविक न्याय याहवेह के द्वारा निष्पन्न होता है.
Багато шукають для себе обличчя володаря, та від Господа суд для люди́ни.
27 अन्यायी खरे के लिए तुच्छ होते हैं; किंतु वह, जिसका चालचलन खरा है, दुष्टों के लिए तुच्छ होता है.
Наси́льник — оги́да для праведних, а простодоро́гий — оги́да безбожному.