< नीतिवचन 21 >
1 याहवेह के हाथों में राजा का हृदय जलप्रवाह-समान है; वही इसे ईच्छित दिशा में मोड़ देते हैं.
Serce króla [jest] w ręku PANA [jak] potoki wód; kieruje je, dokąd chce.
2 मनुष्य की दृष्टि में उसका हर एक कदम सही ही होता है, किंतु याहवेह उसके हृदय को जांचते रहते हैं.
Wszelka droga człowieka jest słuszna w jego oczach, ale PAN waży serca.
3 याहवेह के लिए सच्चाई तथा न्याय्यता कहीं अधिक स्वीकार्य है.
Czynienie sprawiedliwości i sądu bardziej się podobają PANU niż ofiara.
4 घमंडी आंखें, दंभी हृदय तथा दुष्ट का दीप पाप हैं.
Wyniosłe oczy, pyszne serce [i] praca niegodziwych są grzechem.
5 यह सुनिश्चित होता है कि परिश्रमी व्यक्ति की योजनाएं लाभ में निष्पन्न होती हैं, किंतु हर एक उतावला व्यक्ति निर्धन ही हो जाता है.
Myśli pracowitego [przynoszą] pewny dostatek, a [myśli] każdego spieszącego się – niedostatek.
6 झूठ बोलने के द्वारा पाया गया धन इधर-उधर लहराती वाष्प होती है, यह मृत्यु का फंदा है.
Gromadzenie skarbów kłamliwym językiem jest przemijającą marnością tych, którzy szukają śmierci.
7 दुष्ट अपने ही हिंसक कार्यों में उलझ कर विनष्ट हो जाएंगे, क्योंकि वे उपयुक्त और सुसंगत विकल्प को ठुकरा देते हैं.
Grabież niegodziwych zniszczy ich, bo nie chcą czynić tego, co sprawiedliwe.
8 दोषी व्यक्ति कुटिल मार्ग को चुनता है, किंतु सात्विक का चालचलन धार्मिकतापूर्ण होता है.
Droga człowieka jest przewrotna i obca, ale dzieło czystego jest prawe.
9 विवादी पत्नी के साथ घर में निवास करने से कहीं अधिक श्रेष्ठ है छत के एक कोने में रह लेना.
Lepiej mieszkać w kącie dachu niż z kłótliwą żoną w przestronnym domu.
10 दुष्ट के मन की लालसा ही बुराई की होती है; उसके पड़ोसी तक भी उसकी आंखों में कृपा की झलक नहीं देख पाते.
Dusza niegodziwego pragnie zła, a jego bliźni nie znajduje łaski w jego oczach.
11 जब ज्ञान के ठट्ठा करनेवालों को दंड दिया जाता है, बुद्धिहीनों में ज्ञानोदय हो जाता है; जब बुद्धिमान को शिक्षा दी जाती है, उसमें ज्ञानवर्धन होता जाता है.
Gdy się karze szydercę, prosty mądrzeje, a gdy uczą mądrego, przyjmuje wiedzę.
12 धर्मी दुष्ट के घर पर दृष्टि बनाए रखता है, और वह दुष्ट को विनाश गर्त में डाल देता है.
Sprawiedliwy zważa na dom niegodziwego, ale [Bóg] powala niegodziwych za [ich] nieprawość.
13 जो कोई निर्धन की पुकार की अनसुनी करता है, उसकी पुकार के अवसर पर उसकी भी अनसुनी की जाएगी.
Kto zatyka swe ucho na wołanie ubogiego, ten sam będzie wołał, a nie zostanie wysłuchany.
14 गुप्त रूप से दिया गया उपहार और चुपचाप दी गई घूस कोप शांत कर देती है.
[Potajemny] dar łagodzi zapalczywość i upominek w zanadrzu uspokaja wielki gniew.
15 बिना पक्षपात न्याय को देख धर्मी हर्षित होते हैं, किंतु यही दुष्टों के लिए आतंक प्रमाणित होता है.
Radością jest dla sprawiedliwego czynić sąd, a na czyniących nieprawość przyjdzie zniszczenie.
16 जो ज्ञान का मार्ग छोड़ देता है, उसका विश्रान्ति स्थल मृतकों के साथ निर्धारित है.
Człowiek, który zbacza z drogi mądrości, odpocznie w zgromadzeniu umarłych.
17 यह निश्चित है कि विलास प्रिय व्यक्ति निर्धन हो जाएगा तथा वह; जिसे दाखमधु तथा शारीरिक सुखों का मोह है, निर्धन होता जाएगा.
Kto kocha zabawę, zubożeje, a kto kocha wino i olejek, nie wzbogaci się.
18 धर्मी के लिए दुष्ट फिरौती हो जाता है, तथा विश्वासघाती खराई के लिए.
Niegodziwy [będzie] okupem za sprawiedliwego, a przewrotny – za prawych.
19 क्रोधी, विवादी और चिड़चिड़ी स्त्री के साथ निवास करने से उत्तम होगा बंजर भूमि में निवास करना.
Lepiej mieszkać na pustyni niż z kłótliwą i gniewliwą żoną.
20 अमूल्य निधि और उत्कृष्ट भोजन बुद्धिमान के घर में ही पाए जाते हैं, किंतु मूर्ख इन्हें नष्ट करता चला जाता है.
Pożądany skarb i olej [są] w mieszkaniu mądrego, ale głupiec je trwoni.
21 धर्म तथा कृपा के अनुयायी को प्राप्त होता है जीवन, धार्मिकता और महिमा.
Kto podąża za sprawiedliwością i miłosierdziem, znajduje życie, sprawiedliwość i chwałę.
22 बुद्धिमान व्यक्ति ही योद्धाओं के नगर पर आक्रमण करके उस सुरक्षा को ध्वस्त कर देता है, जिस पर उन्होंने भरोसा किया था.
Mądry wdziera się do miasta mocarzy i burzy potęgę ich ufności.
23 जो कोई अपने मुख और जीभ को वश में रखता है, स्वयं को विपत्ति से बचा लेता है.
Kto strzeże swoich ust i języka, strzeże swojej duszy przed utrapieniem.
24 अहंकारी तथा दुष्ट व्यक्ति, जो ठट्ठा करनेवाले के रूप में कुख्यात हो चुका है, गर्व और क्रोध के भाव में ही कार्य करता है.
Hardy i pyszny szyderca – oto imię tego, kto działa w pysznym gniewie.
25 आलसी की अभिलाषा ही उसकी मृत्यु का कारण हो जाती है, क्योंकि उसके हाथ कार्य करना ही नहीं चाहते.
Pragnienie leniwego zabija [go], bo jego ręce nie chcą pracować.
26 सारे दिन वह लालसा ही लालसा करता रहता है, किंतु धर्मी उदारतापूर्वक दान करता जाता है.
Przez cały dzień pożąda on zachłannie, a sprawiedliwy daje i nie szczędzi.
27 याहवेह के लिए दुष्ट द्वारा अर्पित बलि घृणास्पद है और उससे भी कहीं अधिक उस स्थिति में, जब यह बलि कुटिल अभिप्राय से अर्पित की जाती है.
Ofiara niegodziwych budzi odrazę, a cóż dopiero, gdy ją w niegodziwości ofiarują.
28 झूठा साक्षी तो नष्ट होगा ही, किंतु वह, जो सच्चा है, सदैव सुना जाएगा.
Fałszywy świadek zginie, lecz kto słucha, będzie mówił nieustannie.
29 दुष्ट व्यक्ति अपने मुख पर निर्भयता का भाव ले आता है, किंतु धर्मी अपने चालचलन के प्रति अत्यंत सावधान रहता है.
Niegodziwy ma upór na twarzy, ale prawy wytycza swoją drogę.
30 याहवेह के समक्ष न तो कोई ज्ञान, न कोई समझ और न कोई परामर्श ठहर सकता है.
Nie ma mądrości ani rozumu, ani rady przeciwko PANU.
31 युद्ध के दिन के लिए घोड़े को सुसज्जित अवश्य किया जाता है, किंतु जय याहवेह के ही अधिकार में रहती है.
Konia przygotowują na dzień bitwy, ale wybawienie zależy od PANA.