< नीतिवचन 12 >
1 अनुशासन प्रिय व्यक्ति को बुद्धिमता से प्रेम है, किंतु मूर्ख होता है वह, जिसे अप्रिय होती है सुधारना.
Celui qui aime l’instruction aime la science; celui qui hait la réprimande est insensé.
2 धर्मी व्यक्ति को याहवेह की कृपादृष्टि प्राप्त हो जाती है, किंतु जो दुष्कर्म की युक्ति करता रहता है, उसके लिए याहवेह का दंड नियत है.
Celui qui est bon obtient la faveur de Yahweh, mais Yahweh condamne l’homme de malice.
3 किसी को स्थिर करने में दुष्टता कोई भी योग नहीं देती, किंतु धर्मी के मूल को कभी उखाड़ा नहीं जा सकता.
L’homme ne s’affermit pas par la méchanceté, mais la racine des justes ne sera pas ébranlée.
4 अच्छे चाल-चलनवाली पत्नी अपने पति का शिरोमणि होती है, किंतु वह पत्नी, जो पति के लिए लज्जा का विषय है, मानो पति की अस्थियों में लगा रोग है.
Une femme vertueuse est la couronne de son mari, mais la femme sans honneur est comme la carie dans ses os.
5 धर्मी की धारणाएं न्याय संगत होती हैं, किंतु दुष्ट व्यक्ति के परामर्श छल-कपट पूर्ण होते हैं.
Les pensées des justes sont l’équité; les conseils des méchants, la fraude.
6 दुष्ट व्यक्ति के शब्द ही रक्तपात के लिए उच्चारे जाते हैं. किंतु सज्जन व्यक्ति की बातें लोगों को छुड़ाने वाली होती हैं.
Les paroles des méchants sont des pièges de mort, mais la bouche des hommes droits les sauve.
7 बुराइयां उखाड़ फेंकी जाती हैं और उनकी स्मृति भी शेष नहीं रहती, किंतु धार्मिक का परिवार स्थिर खड़ा रहता है.
Le méchant fait un tour, et il n’est plus; mais la maison des justes reste debout.
8 बुद्धिमान की बुद्धि उसे प्रशंसा प्रदान करती है, किंतु कुटिल मनोवृत्ति के व्यक्ति को घृणित समझा जाता है.
L’homme est estimé dans la mesure de son intelligence; mais l’homme au cœur pervers sera méprisé.
9 सामान्य व्यक्ति होकर भी सेवक रखने की क्षमता जिसे है, वह उस व्यक्ति से श्रेष्ठतर है, जो बड़प्पन तो दिखाता है, किंतु खाने की रोटी का भी अभाव में है.
Mieux vaut un homme humble qui suffit à ses besoins, qu’un glorieux manquant de pain.
10 धर्मी अपने पालतू पशु के जीवन का भी ध्यान रखता है, किंतु दुर्जन द्वारा प्रदर्शित दया भी निर्दयता ही होती है.
Le juste s’occupe de son bétail, mais les entrailles des méchants sont cruelles.
11 जो किसान अपनी भूमि की जुताई-गुड़ाई करता रहता है, उसे भोजन का अभाव नहीं होता, किंतु जो व्यर्थ कार्यों में समय नष्ट करता है, निर्बुद्धि प्रमाणित होता है.
Celui qui cultive son champ est rassasié de pain, mais celui qui poursuit des choses inutiles est dépourvu de sens.
12 दुष्ट बुराइयों द्वारा लूटी गई संपत्ति की लालसा करता है, किंतु धर्मी की जड़ फलवंत होती है.
Le méchant convoite la proie des méchants, mais la racine des justes donne son fruit.
13 बुरा व्यक्ति अपने ही मुख की बातों से फंस जाता है, किंतु धर्मी संकट से बच निकलता है.
Il y a dans le péché des lèvres un piège funeste, mais le juste se tire de la détresse.
14 समझदार शब्द कई लाभ लाते हैं, और कड़ी मेहनत प्रतिफल लाती है.
C’est par le fruit de sa bouche qu’on est rassasié de biens, et il sera rendu à chacun suivant l’œuvre de ses mains.
15 मूर्ख की दृष्टि में उसकी अपनी कार्यशैली योग्य लगती है, किंतु ज्ञानवान परामर्श की विवेचना करता है.
La voie de l’insensé est droite à ses yeux, mais le sage écoute les conseils.
16 मूर्ख अपना क्रोध शीघ्र ही प्रकट करता है, किंतु व्यवहार कुशल व्यक्ति अपमान को अनदेखा करता है.
L’insensé laisse voir aussitôt sa colère, mais l’homme prudent sait dissimuler un outrage.
17 सत्यवादी की साक्ष्य सत्य ही होती है, किंतु झूठा छलयुक्त साक्ष्य देता है.
Celui qui proclame la vérité dit ce qui est juste, et le faux témoin profère la perfidie.
18 असावधानी में कहा गया शब्द तलवार समान बेध जाता है, किंतु बुद्धिमान के शब्द चंगाई करने में सिद्ध होते हैं.
Tel qui parle inconsidérément blesse comme un glaive, mais la langue des sages procure la guérison.
19 सच्चाई के वचन चिरस्थायी सिद्ध होते हैं, किंतु झूठ बोलने वाली जीभ पल भर की होती है!
La langue véridique restera toujours, mais la langue mensongère est confondue en un clin d’œil.
20 बुराई की युक्ति करनेवाले के हृदय में छल होता है, किंतु जो मेल स्थापना का प्रयास करते हैं, हर्षित बने रहते हैं.
La fraude est dans le cœur de ceux qui méditent le mal, mais la joie est pour ceux qui conseillent la paix.
21 धर्मी पर हानि का प्रभाव ही नहीं होता, किंतु दुर्जन सदैव संकट का सामना करते रहते हैं.
Aucun malheur n’arrive au juste, mais les méchants sont accablés de maux.
22 झूठ बोलनेवाले ओंठ याहवेह के समक्ष घृणास्पद हैं, किंतु उनकी प्रसन्नता खराई में बनी रहती है.
Les lèvres menteuses sont en horreur à Yahweh, mais ceux qui agissent selon la vérité lui sont agréables.
23 चतुर व्यक्ति ज्ञान को प्रगट नहीं करता, किंतु मूर्ख के हृदय मूर्खता का प्रसार करता है.
L’homme prudent cache sa science, mais le cœur de l’insensé publie sa folie.
24 सावधान और परिश्रमी व्यक्ति शासक के पद तक उन्नत होता है, किंतु आलसी व्यक्ति को गुलाम बनना पड़ता है.
La main vigilante dominera, mais la main indolente sera tributaire.
25 चिंता का बोझ किसी भी व्यक्ति को दबा छोड़ता है, किंतु सांत्वना का मात्र एक शब्द उसमें आनंद को भर देता है.
Le chagrin dans le cœur de l’homme l’abat, mais une bonne parole le réjouit.
26 धर्मी अपने पड़ोसी के लिए मार्गदर्शक हो जाता है, किंतु बुरे व्यक्ति का चालचलन उसे भटका देता है.
Le juste montre la voie à son ami, mais la voie des méchants les égare.
27 आलसी के पास पकाने के लिए अन्न ही नहीं रह जाता, किंतु परिश्रमी व्यक्ति के पास भरपूर संपत्ति जमा हो जाती है.
Le paresseux ne rôtit pas son gibier, mais l’activité est pour l’homme un précieux trésor.
28 धर्म का मार्ग ही जीवन है; और उसके मार्ग पर अमरत्व है.
Dans le sentier de la justice est la vie, et dans le chemin qu’elle trace l’immortalité.