< गिनती 23 >
1 तब बिलआम ने बालाक से विनती की, “मेरे लिए यहां सात वेदियां बनवाइए, और वहां मेरे लिए सात बछड़े एवं सात मेढ़े तैयार रखिए.”
A řekl Balám Balákovi: Udělej mi tuto sedm oltářů, a připrav mi také sedm volků a sedm skopců.
2 बालाक ने यही किया. फिर बालाक एवं बिलआम ने मिलकर हर एक वेदी पर एक-एक बछड़ा एवं मेढ़ा भेंट किया.
I udělal Balák, jakž mluvil Balám. Tedy obětoval Balák a Balám volka a na každém oltáři.
3 फिर बिलआम ने बालाक से विनती की, “आप अपनी होमबलि के निकट ठहरे रहिए, मैं याहवेह के सामने जाऊंगा, हो सकता है कि याहवेह मुझसे भेंट करने आएं. वह मुझ पर, जो कुछ स्पष्ट करेंगे, मैं आप पर प्रकट कर दूंगा.” यह कहकर बिलआम एक सुनसान पहाड़ी पर चला गया.
Řekl pak Balám Balákovi: Postůj při oběti své zápalné, a půjdu, zdali by se potkal se mnou Hospodin, a což by koli mně ukázal, povím tobě. I odšel sám.
4 यहां बिलआम ने परमेश्वर से बातें करनी शुरू की, “मैंने सात वेदियां बनवाई हैं, और मैंने हर एक पर एक-एक बछड़ा तथा मेढ़ा भेंट चढ़ाया है.”
I potkal se Bůh s Balámem, a řekl jemu Balám: Sedm oltářů zpořádal jsem, a obětoval jsem volka a skopce na každém oltáři.
5 याहवेह ने बिलआम को वह वचन सौंप दिया और उसे आज्ञा दी, “बालाक के पास जाओ तथा उससे यही कह देना.”
Vložil pak Hospodin slovo v ústa Balámova a řekl: Navrať se k Balákovi a tak mluv.
6 फिर बिलआम बालाक के पास लौट गया. बालाक अपनी होमबलि के पास खड़ा हुआ था, उसके साथ मोआब के सारे प्रधान भी थे.
I navrátil se k němu, a nalezl jej, an stojí při oběti své zápalné, i všecka knížata Moábská.
7 बिलआम ने अपना वचन शुरू किया, “अराम देश से बालाक मुझे यहां ले आया है, बालाक, जो पूर्वी पर्वतों में से मोआब का राजा है, उसका आदेश है, ‘मेरी ओर से याकोब को शाप दो; यहां आकर इस्राएल की बुराई करो.’
Tedy vzav před sebe přísloví své, řekl: Z Aram přivedl mne Balák král Moábský, z hor východních, řka: Poď, zlořeč mi k vůli Jákoba, a poď, vydej klatbu na Izraele.
8 मैं उन्हें शाप कैसे दे दूं, जिन्हें परमेश्वर ने शापित नहीं किया? मैं उनकी बुराई कैसे करूं, जिनकी बुराई याहवेह ने नहीं की है?
Proč bych zlořečil, komuž Bůh silný nezlořečí? A proč bych klel, kohož Hospodin neproklíná?
9 मैं यहां चट्टानों के शिखर से उन्हें देख रहा हूं, मैं यहां पहाड़ियों से उन्हें देख रहा हूं; ये वे लोग हैं, जो सबसे अलग हैं, ये अन्य देशों में मिलाए नहीं जा सकते.
Když s vrchu skal hledím na něj, a s pahrbků spatřuji jej, aj, lid ten sám bydlí, a k jiným národům se nepřiměšuje.
10 किसमें क्षमता है, याकोब के धूलि के कणों की गिनती करने की, या इस्राएल के एक चौथाई भाग की गिनती करने की भी? मेरी कामना यही है कि मैं धर्मी की मृत्यु को प्राप्त हो जाऊं. हां, ऐसा ही हो मेरा अंत!”
Kdo sečte prach Jákobův? a kdo počet? Kdo sečte čtvrtý díl Izraelského lidu? Ó bych já umřel smrtí spravedlivých, a dokonání mé ó by bylo jako i jeho!
11 यह सुन बालाक ने बिलआम से कहा, “आपने मेरे साथ यह क्या कर डाला है? मैंने तो आपको यहां इसलिये आमंत्रित किया था, कि आप मेरे शत्रुओं को शाप दें, किंतु आपने तो वस्तुतः उन्हें आशीर्वाद दे दिया है!”
I řekl Balák Balámovi: Což mi to děláš? Abys zlořečil nepřátelům mým, povolal jsem tě, a ty pak ustavičně dobrořečíš jim.
12 बिलआम ने उत्तर दिया, “क्या, ज़रूरी नहीं कि मैं वही कहूं, जो याहवेह ने मुझे बोलने के लिए सौंपा है?”
Kterýž odpovídaje, řekl: Zdali toho, což Hospodin vložil v ústa má, nemám šetřiti, abych tak mluvil?
13 फिर बालाक ने बिलआम से आग्रह किया, “कृपा कर आप इस दूसरी जगह पर आ जाइए, जहां से ये लोग आपको दिखाई दे सकें, हालांकि यहां से आप उनका पास वाला छोर ही देख सकेंगे, पूरे समूह को नहीं. आप उन्हें वहीं से शाप दे दीजिए.”
I řekl jemu Balák: Poď, prosím, se mnou na jiné místo, odkudž bys viděl jej, (toliko zadní díl jeho viděti budeš, a všeho nebudeš viděti), a proklň mi jej odtud.
14 तब बालाक बिलआम को ज़ोफिम के मैदान में, पिसगाह की चोटी पर ले गया. वहां उसने सात वेदियां बनवाई और हर एक पर एक-एक बछड़ा तथा एक-एक मेढ़ा भेंट चढ़ाया.
I pojav jej, vyvedl ho na rovinu Zofim, na vrch jednoho pahrbku, a udělav sedm oltářů, obětoval volka a skopce na každém oltáři.
15 फिर वहां बिलआम ने बालाक से कहा, “आप यहीं होमबलि के निकट ठहरिए और मैं वहां आगे जाकर याहवेह से भेंट करूंगा.”
Řekl pak Balákovi: Postůj tuto při zápalné oběti své, a já půjdu tamto vstříc Hospodinu.
16 वहां याहवेह ने बिलआम से भेंट की तथा उसके मुख में अपने शब्द भर दिए और याहवेह ने बिलआम को यह आज्ञा दी, “बालाक के पास लौटकर तुम यह कहोगे.”
I potkal se Hospodin s Balámem, a vloživ slovo v ústa jeho, řekl: Navrať se k Balákovi a mluv tak.
17 बिलआम बालाक के पास लौट आया, जो इस समय होमबलि के निकट खड़ा हुआ था, तथा मोआब के प्रधान भी उसके पास खड़े हुए थे. बालाक ने उससे पूछा, “क्या कहा है याहवेह ने तुमसे?”
Přišel tedy k němu, a hle, on stál při zápalné oběti své, a knížata Moábská s ním. Jemužto řekl Balák: Co mluvil Hospodin?
18 तब बिलआम ने उसे सौंपा गया वचन दोहरा दिया: “उठो, बालाक, सुन लो; ज़ीप्पोर के पुत्र, मेरी ओर ध्यान दो!
A on vzav přísloví své, řekl: Povstaň Baláku a slyš, pozoruj mne, synu Seforův.
19 परमेश्वर मनुष्य तो हैं नहीं, कि झूठी बात करें, न ही वह मानव की संतान हैं, कि उन्हें अपना मन बदलना पड़े. क्या, यह संभव है कि उन्होंने कुछ कहा है? और उन्हें वह पूरा करना असंभव हो गया?
Bůh silný není jako člověk, aby klamal, a jako syn člověka, aby se měnil. Což by řekl, zdaliž neučiní? Což by promluvil, zdali neutvrdí toho?
20 सुन लीजिए, मुझे तो आदेश मिला है इन्हें आशीर्वाद देने का; जब याहवेह ने आशीर्वाद दे दिया है, तो उसे पलटा नहीं जा सकता.
Hle, abych dobrořečil, přijal jsem to na sebe; nebo dobrořečilť jest, a já toho neodvolám.
21 “याहवेह ने याकोब में अनर्थ नहीं पाया, न उन्हें इस्राएल में विपत्ति दिखी है; याहवेह, जो उनके परमेश्वर हैं, उनके साथ हैं; उनके साथ राजा की ललकार रहती है.
Nepatříť na nepravosti v Jákobovi, aniž hledí na přestoupení v Izraeli; Hospodin Bůh jeho jestiť s ním, a zvuk krále vítězícího v něm.
22 परमेश्वर ही हैं, मिस्र से उन्हें निकालने वाले; उनमें जंगली सांड़ के समान ताकत है.
Bůh silný vyvedl je z Egypta, jako silou jednorožcovou byv jim.
23 कोई अपशकुन नहीं है याकोब के विरुद्ध, न ही इस्राएल के विरुद्ध कोई भावी घोषणा. सही अवसर पर याकोब के विषय में कहा जाएगा, इस्राएल के विषय में कहा जाएगा, ‘याहवेह ने कैसा महान कार्य किया है!’
Nebo není kouzlů proti Jákobovi, ani zaklínání proti Izraelovi; již od toho času vypravováno bude o Jákobovi a Izraelovi, co učinil s ním Bůh silný.
24 देखो, सिंहनी के समान यह दल उभर रहा है, एक शेर के समान यह स्वयं को खड़ा कर रहा है; जब तक वह आहार को खा न ले, वह विश्राम न करेगा, हां, तब तक, जब तक वह मारे हुओं का लहू न पी ले.”
Aj, lid jakožto silný lev povstane, a jakožto lvíče vzchopí se; nepoloží se, dokudž by nejedl loupeže, a dokudž by nevypil krve zbitých.
25 यह सुन बालाक ने बिलआम से कहा, “ऐसा करो, अब न तो शाप दो और न ही आशीर्वाद!”
I řekl Balák Balámovi: Aniž mu již zlořeč více, ani dobrořeč.
26 किंतु बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “क्या मैंने आपको बताया न था, जो कुछ याहवेह मुझसे कहेंगे, वही करना मेरे लिए ज़रूरी है?”
Jemuž odpověděl Balám, řka: Zdaližť jsem nepravil, že, což by mi koli mluvil Hospodin, to učiním?
27 तब बालाक ने बिलआम से विनती की, “कृपा कर आइए, मैं आपको एक दूसरी जगह पर ले चलूंगा. हो सकता है यह परमेश्वर को ठीक लगे और आप मेरी ओर से उन्हें शाप दे दें.”
I řekl Balák Balámovi: Poď, prosím, povedu tě na jiné místo, odkudž snad líbiti se bude Bohu, abys mi je proklel.
28 फिर बालाक बिलआम को पेओर की चोटी पर ले गया, जहां से उजाड़ क्षेत्र दिखाई देता है.
A pojav Balák Baláma, uvedl jej na vrch hory Fegor, kteráž leží naproti poušti.
29 बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “अब आप यहां मेरे लिए सात वेदियां बना दीजिए तथा मेरे लिए यहां सात बछड़े एवं सात मेढ़े तैयार कीजिए.”
Tedy řekl Balám Balákovi: Udělej mi tuto sedm oltářů, a připrav mi také sedm volků a sedm skopců.
30 बालाक ने ठीक वैसा ही किया, जैसा बिलआम ने विनती की थी. उसने हर एक वेदी पर एक-एक मेढ़ा चढ़ाया.
I učinil Balák, jakž řekl Balám, a obětoval volka a skopce na každém oltáři.