< नहेमायाह 1 >
1 यह हाकालियाह के पुत्र नेहेमियाह के वचन हैं. यह घटना बीसवें वर्ष के किसलेव महीने की है, जब मैं राजधानी शूशन में था,
Paroles de Néhémias, fils de Helchias. Et il arriva au mois de Casleu, en l’année vingtième, que j’étais dans le château de Suse.
2 यहूदिया से कुछ लोग मेरे एक रिश्तेदार हनानी के साथ आए; मैंने उनसे येरूशलेम के बारे में और उन यहूदियों के बारे में जानकारी पाई, जो बंधुआई से बच निकले थे और जो अब जीवित थे.
Et Hanani, un de mes frères, vint, lui et des hommes de Juda; et je les interrogeai sur ceux des Juifs, qui étaient restés de la captivité, et qui vivaient encore, et sur Jérusalem.
3 उन्होंने मुझे बताया, “वह बचे हुए यहूदी, जो बंधुआई से जीवित बच निकल आये हैं और जो इस समय उस प्रदेश में रह रहे हैं, वे बड़े दर्द में और निंदनीय अवस्था में हैं. येरूशलेम की शहरपनाह टूट चुकी है और उसके प्रवेश फाटक जला दिए जा चुके हैं.”
Et ils me répondirent: Ceux qui sont restés et qui ont été laissés de la captivité là dans la province, sont dans une grande affliction et dans l’opprobre; et le mur de Jérusalem est tombé, et ses portes ont été brûlées au feu.
4 यह सुनकर मैं बैठकर रोने लगा और मैं बहुत दिन रोता रहा; कुछ दिन तक मैं स्वर्ग के परमेश्वर के सामने उपवास और प्रार्थना करता रहा.
Lorsque j’eus ouï de telles paroles, je m’assis, je pleurai, et je gémis durant plusieurs jours; je jeûnais, et je priais devant la face du Dieu du ciel.
5 मैंने कहा: “याहवेह, स्वर्ग के परमेश्वर यह मेरी प्रार्थना है, आप जो महान और आदरणीय परमेश्वर हैं, आप, जो उनके प्रति अपनी वाचा और अपनी करुणा रखते हैं, जो आपके प्रति अपने प्रेम में अटल और आज्ञापालन करते हैं,
Et je dis: Je vous prie. Seigneur, Dieu du ciel, fort, grand et terrible, qui gardez l’alliance et la miséricorde avec ceux qui vous aiment et qui gardent vos commandements,
6 आपके सेवक की प्रार्थना की ओर आपके कान लगे रहें और आपकी आंखें खुली रहें, कि आप अपने सेवक की प्रार्थना सुनें, मैं आपके चरणों में आपके सेवक इस्राएल वंशजों की ओर से दिन-रात यह प्रार्थना कर रहा हूं. इस्राएलियों ने और हमने जो पाप आपके विरुद्ध किए हैं, उन्हें मैं स्वीकार कर रहा हूं. मैंने और मेरे पिता के परिवार ने पाप किए हैं.
Que vos oreilles deviennent attentives et vos yeux, ouverts pour en cendre la prière de votre serviteur, que je fais aujourd’hui devant vous, nuit et jour, pour les enfants d’Israël, vos serviteurs; et je confesse les péchés des enfants d’Israël, par lesquels ils ont péché contre vous: moi et la maison de mon père, nous avons péché.
7 हमारा आचरण आपके सामने बहुत ही दुष्टता से भरा रहा है. हमने आपके आदेशों का पालन नहीं किया है, न ही हमने आपके नियमों और विधियों का पालन ही किया है, जिनका आदेश आपने अपने सेवक मोशेह को दिया था.
Nous avons été séduits par la vanité, et nous n’avons pas gardé votre commandement, vos cérémonies, et les ordonnances que vous avez prescrites à Moïse, votre serviteur.
8 “आप अपने उस आदेश को याद कीजिए, जो आपने अपने सेवक मोशेह को इस प्रकार दिया था: ‘यदि तुम अविश्वासी हो जाओगे तो मैं तुम्हें देशों के बीच बिखरा दूंगा.
Souvenez-vous de la parole que vous avez confiée à Moïse, votre serviteur, disant: Lorsque vous aurez transgressé, moi je vous disperserai parmi les peuples:
9 मगर यदि तुम मेरी ओर फिरकर मेरे आदेशों का पालन करके उनका अनुसरण करोगे, तो तुममें से बिखरे हुए लोगों को यदि दूर आकाश के नीचे तक कर दिया गया है, मैं वहां से भी उस जगह पर ले आऊंगा, जिस जगह को मैंने अपनी प्रतिष्ठा की स्थापना के लिए सही समझा है.’
Et si vous revenez à moi, et que vous gardiez mes préceptes, et que vous les accomplissiez, quand même vous auriez été emmenés jusqu’aux extrémités du ciel, je vous rassemblerai de là, et je vous ramènerai au lieu que j’ai choisi pour que mon nom y habite.
10 “वे आपके ही सेवक हैं, आपकी ही प्रजा, जिन्हें आपने अपने असाधारण सामर्थ्य और बलवंत हाथ से छुड़ा लिया था.
Et ceux-ci sont vos serviteurs et votre peuple, que vous avez rachetés par votre grande force et par votre main puissante.
11 प्रभु, आपसे मेरी प्रार्थना है, अपने सेवक की विनती पर कान लगाएं और उन सेवकों की प्रार्थनाओं पर, जो आपका भय मानते हैं. आज अपने सेवक को सफलता देकर उसके प्रति इस व्यक्ति पर दया कीजिए.” मैं इस समय राजा के लिए पिलाने वाले के पद पर था.
Je vous conjure, Seigneur, que votre oreille soit attentive à la prière de votre serviteur, et à la prière de vos serviteurs, qui veulent craindre votre nom; et dirigez votre serviteur aujourd’hui, et donnez-lui miséricorde devant cet homme: car moi j’étais l’échanson du roi.