< नहेमायाह 9 >

1 इसी महीने की चौबीसवीं तारीख पर इस्राएली इकट्ठा हुए. वे उपवास कर रहे थे, वे टाट पहने हुए थे और उन्होंने अपने-अपने सिरों पर धूल भी डाल ली थी.
وَفِي الْيَوْمِ الرَّابِعِ وَالْعِشْرِينَ مِنَ الشَّهْرِ ذَاتِهِ، اجْتَمَعَ بَنُو إِسْرَائِيلَ صَائِمِينَ وَمُرْتَدِينَ الْمُسُوحَ وَمُعَفَّرِي الرُّؤُوسِ بِالتُّرَابِ.١
2 इस्राएलियों ने अपने आपको सभी परदेशियों से अलग कर लिया था, वे खड़े हो गए और उन्होंने वहां अपने पाप और अपने पूर्वजों के पापों को भी अंगीकार किया.
وَعَزَلَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ أَنْفُسَهُمْ عَنِ الْغُرَبَاءِ، وَوَقَفُوا مُعْتَرِفِينَ بِخَطَايَاهُمْ وَخَطَايَا آبَائِهِمْ،٢
3 जब वे अपनी-अपनी जगह पर ही खड़े थे, वे छः घंटे याहवेह, अपने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक को पढ़ते रहे और बाकी छः घंटे वे याहवेह, अपने परमेश्वर के सामने पाप अंगीकार और उनकी स्तुति करते रहे.
وَمَكَثُوا فِي أَمَاكِنِهِمْ حَيْثُ تُلِيَ عَلَيْهِمْ مِنْ سِفْرِ شَرِيعَةِ الرَّبِّ إِلَهِهِمْ رُبْعَ النَّهَارِ، وَحَمَدُوا وَسَجَدُوا لَهُ فِي الرُّبْعِ الأَخِيرِ.٣
4 इसके बाद येशुआ, बानी, कदमिएल, शेबानियाह, बुन्‍नी, शेरेबियाह, बानी और केनानी लेवियों के लिए ठहराई गई चौकी पर खड़े हो गए और ऊंची आवाज में याहवेह, अपने परमेश्वर की दोहाई दी.
وَوَقَفَ يَشُوعُ وَبَانِي وَقَدْمِيئِيلُ وَشَبَنْيَا وَبُنِّي وَشَرَبْيَا وَبَانِي وَكَنَانِي عَلَى دَرَجِ اللّاوِيِّينَ، وَهَتَفُوا بِصَوْتٍ عَظِيمٍ إِلَى الرَّبِّ إِلَهِهِمْ.٤
5 इसके बाद लेवियों, येशुआ, कदमिएल, बानी, हशबनेइयाह, शेरेबियाह, होदियाह, शेबानियाह और पेथाइयाह ने भीड़ को आज्ञा दी: “उठो, याहवेह, अपने परमेश्वर की हमेशा स्तुति करते रहो!” “आपका महिमामय नाम धन्य कहा जाए और यह सारी प्रशंसा और स्तुति से ऊपर ही बनी रहे!
وَنَادَى اللّاوِيُّونَ: يَشُوعُ وَقَدْمِيئِيلُ وَبَانِي وَحَشَبْنِيَا وَشَرَبْيَا وَهُودِيَّا وَشَبَنْيَا وَفَتَحْيَا قَائِلِينَ: «قُومُوا وَبَارِكُوا الرَّبَّ إِلَهَكُمْ مِنَ الأَزَلِ إِلَى الأَبَدِ، وَلْيَتَبَارَكِ اسْمُكَ الْمَجِيدُ الْمُتَعَالِي فَوْقَ كُلِّ بَرَكَةٍ وَتَسْبِيحٍ.٥
6 वह याहवेह तो सिर्फ आप ही हैं. आकाशमंडल के बनानेवाले आप ही हैं. आकाशमंडल और सारे नक्षत्र, यह पृथ्वी और उस पर की सारी वस्तुएं, सागर और उनमें की सारी वस्तुएं, आपने उन सबको जीवन दिया है. आकाश की शक्तियां आपके सामने झुककर आपको दंडवत करती हैं.
أَنْتَ وَحْدَكَ هُوَ الرَّبُّ. أَنْتَ صَانِعُ السَّمَاوَاتِ وَسَمَاءِ السَّمَاوَاتِ، وُكُلِّ كَوَاكِبِهَا، وَالأَرْضِ وَجَمِيعِ مَا عَلَيْهَا، وَالْبِحَارِ وَكُلِّ مَا فِيهَا. أَنْتَ تُحْيِيهَا، وُكُلُّ جُنْدِ السَّمَاءِ يَسْجُدُونَ لَكَ.٦
7 “आप ही वह याहवेह परमेश्वर हैं जिन्होंने अब्राम को चुना और उन्हें कसदियों के ऊर में से निकाला और उन्हें वह नाम अब्राहाम दिया.
أَنْتَ هُوَ الرَّبُّ الإِلَهُ الَّذِي اخْتَرْتَ أَبْرَامَ وَأَخْرَجْتَهُ مِنْ أُورِ الْكِلْدَانِيِّينَ وَدَعَوْتَهُ إِبْرَاهِيمَ،٧
8 आपने यह जान लिया था कि उनका हृदय आपके प्रति विश्वासयोग्य है. इसलिये आपने उनके साथ वाचा बांधी कि आप उन्हें कनानियों, हित्तियों, अमोरियों, परिज्ज़ियों, यबूसियों गिर्गाशियों का देश उनके वंशजों को देंगे. आपने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की, क्योंकि आप धर्मी परमेश्वर हैं.
وَقَدْ وَجَدْتَ قَلْبَهُ خَالِصَ الْوَلاءِ لَكَ، فَقَطَعْتَ لَهُ عَهْداً أَنْ تَهَبَهُ أَرْضَ الْكَنْعَانِيِّينَ وَالْحِثِّيِّينَ وَالأَمُورِيِّينَ وَالْفَرِزِّيِّينَ وَالْيَبُوسِيِّينَ وَالْجِرْجَاشِيِّينَ فَيَرِثَهَا نَسْلُهُ. وَقَدْ حَقَّقْتَ وَعْدَكَ لأَنَّكَ صَادِقٌ.٨
9 “मिस्र में हमारे पूर्वजों का दुःख आपने देखा था, लाल सागर तट पर आपने उनकी विनती सुन ली.
أَنْتَ رَأَيْتَ مَذَلَّةَ آبَائِنَا فِي مِصْرَ وَاسْتَجَبْتَ إِلَى صُرَاخِهِمْ عِنْدَ الْبَحْرِ الأَحْمَرِ،٩
10 तब आपने फ़रोह के विरोध में चिन्ह और अद्भुत चमत्कार दिखाए. यह सब आपने फ़रोह के सेवकों और मिस्र देश की प्रजा के विरुद्ध किया, क्योंकि आप यह देख रहे थे, कि वे यह सब हमारे पूर्वजों के विरुद्ध कर रहे थे. ऐसा करके आपने अपने लिए बड़ा नाम किया है, जो आज तक बना है.
فَأَجْرَيْتَ عَجَائِبَ وَآيَاتٍ عَلَى فِرْعَوْنَ وَعَلَى سَائِرِ رِجَالِهِ وَعَلَى شَعْبِ أَرْضِهِ كُلِّهِ، لأَنَّكَ عَلِمْتَ أَنَّهُمْ تَجَبَّرُوا عَلَيْهِمْ، فَأَشْهَرْتَ بِهَذِهِ الْعَجَائِبِ اسْمَكَ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ،١٠
11 आपने उनके सामने सागर को दो भाग कर दिया. वे सागर के बीच में से सूखी ज़मीन पर चलते हुए चले गए. जो उनका पीछा कर रहे थे, आपने उन्हें गहराइयों में ऐसा ड़ाल दिया जैसे उफ़नते हुए समुद्र में पत्थर डाला जाए.
إِذْ فَلَقْتَ الْبَحْرَ أَمَامَ آبَائِنَا، فَاجْتَازُوا فِي وَسَطِهِ عَلَى الْيَابِسَةِ، وَطَرَحْتَ مُطَارِدِيهِمْ فِي الأَعْمَاقِ كَمَا يُطْرَحُ حَجَرٌ فِي مِيَاهٍ هَائِجَةٍ،١١
12 दिन में आप उनका मार्गदर्शन बादल के खंभे से और रात में आग के खंभे से करते थे, कि जिस मार्ग पर उन्हें चलना था उस पर उजाला बना रहे.
وَهَدَيْتَهُمْ بِعَمُودِ سَحَابٍ نَهَاراً، وَبِعَمُودِ نَارٍ لَيْلاً، لِتُضِيءَ لَهُمْ طَرِيقَهُمْ الَّتِي هُمْ فِيهَا سَالِكُونَ،١٢
13 “तब आपने सीनायी पहाड़ पर उतरकर स्वर्ग से उनसे बातें की; आपने उनके लिए सच्ची व्यवस्था और अच्छी आज्ञाएं दी, आदर्श व्यवस्था और आज्ञा.
وَنَزَلْتَ عَلَى جَبَلِ سِينَاءَ وَخَاطَبْتَهُمْ مِنَ السَّمَاءِ، وَأَعْطَيْتَهُمْ أَحْكَاماً مُسْتَقِيمَةً وَشَرَائِعَ صَادِقَةً وَفَرَائِضَ وَوَصَايَا صَالِحَةً،١٣
14 आपने उन्हें अपने पवित्र शब्बाथ के बारे में बताया, आपने उनकी भलाई में अपने सेवक मोशेह के द्वारा आज्ञाएं, विधियां और व्यवस्था दीं.
وَلَقَّنْتَهُمْ حِفْظَ سَبْتِكَ الْمُقَدَّسِ، وَأَمَرْتَهُمْ بِمُمَارَسَةِ وَصَايَا وَفَرَائِضَ وَشَرَائِعَ عَلَى لِسَانِ مُوسَى عَبْدِكَ،١٤
15 आपने उनकी भूख मिटाने के लिए स्वर्ग से भोजन दिया, उनकी प्यास बुझाने के लिए चट्टान से पानी निकाला. आपने उन्हें आज्ञा दी कि उस देश में प्रवेश कर उस पर अधिकार करें, जिसे देने की आपने उनसे प्रतिज्ञा की थी.
وَأَشْبَعْتَ جُوعَهُمْ بِخُبْزٍ مِنَ السَّمَاءِ، وَفَجَّرْتَ لَهُمْ مَاءً مِنَ الصَّخْرَةِ إِرْوَاءً لِعَطَشِهِمْ، وَأَمَرْتَهُمْ أَنْ يَدْخُلُوا وَيَرِثُوا الأَرْضَ الَّتِي أَقْسَمْتَ أَنْ تَهَبَهَا لَهُمْ.١٥
16 “मगर उन्होंने, हमारे पूर्वजों ने घमण्ड़ किया; वे हठीले बन गए और उन्होंने आपके आदेशों को न माना.
وَلَكِنَّ أَسْلافَنَا وَآبَاءَنَا طَغَوْا وَقَسَّوْا قُلُوبَهُمْ وَلَمْ يُطِيعُوا وَصَايَاكَ،١٦
17 उन्होंने आपकी आवाज को सुनना ही न चाहा. उन्होंने आपके द्वारा किए गए अद्भुत चमत्कारों को भुला दिया, जो आपने उनके बीच में किए थे; इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने मिस्र की बंधुआई में लौट जाने के लक्ष्य से अपने लिए एक प्रधान चुन लिया. किंतु आप क्षमा करनेवाले परमेश्वर हैं, अनुग्रहकारी और दयालु, क्रोध करने में धीमे और प्रेम करने में अपार. आपने उन्हें अकेला न छोड़ा.
وَأَبَوْا أَنْ يَسْمَعُوا، وَتَجَاهَلُوا عَجَائِبَكَ الَّتِي أَجْرَيْتَهَا لَهُمْ، وَأَغْلَظُوا قُلُوبَهُمْ، ثُمَّ تَمَرَّدُوا وَنَصَبُوا عَلَيْهِمْ قَائِداً لِيَرْجِعُوا إِلَى عُبُودِيَّتِهِمْ، وَلَكِنَّكَ إِلَهٌ غَفُورٌ وَحَنَّانٌ وَرَحِيمٌ وَحَكِيمٌ وَكَثِيرُ الإِحْسَانِ، فَلَمْ تَتَخَلَّ عَنْهُمْ،١٧
18 उस मौके पर भी नहीं, जब उन्होंने अपने लिए बछड़े की मूर्ति बनायी थी और यह घोषित कर दिया था: ‘यही है तुम्हारा परमेश्वर, जिसने तुम्हें मिस्र से निकाला है,’ इस प्रकार उन्होंने परमेश्वर का बहुत अपमान किया.
مَعَ أَنَّهُمْ سَبَكُوا لأَنْفُسِهِمْ عِجْلاً وَقَالُوا:’هَذَا هُوَ إِلَهُكُمْ الَّذِي أَخْرَجَكُمْ مِنْ مِصْرَ‘فَاقْتَرَفُوا بِذَلِكَ إِثْماً عَظِيماً.١٨
19 “अपनी अद्भुत दया में आपने उन्हें बंजर भूमि में अकेला न छोड़ा; दिन में न तो बादल के खंभे ने उनका साथ छोड़ा कि उन्हें मार्गदर्शन मिलता रहे, न ही रात में उस आग के खंभे ने, कि उनके रास्ते में उजाला रहे, जिस पर उन्हें आगे बढ़ना था.
فَأَنْتَ بِفَائِقِ رَحْمَتِكَ لَمْ تَنْبِذْهُمْ فِي الصَّحْرَاءِ، وَلَمْ يُفَارِقْهُمْ عَمُودُ السَّحَابِ الَّذِي هَدَاهُمْ فِي الطَّرِيقِ نَهَاراً، وَلا عَمُودُ النَّارِ الَّذِي أَضَاءَ لَهُمْ مَسَالِكَهُمْ الَّتِي يَسِيرُونَ فِيهَا لَيْلاً.١٩
20 आपने अपना भला आत्मा उनके लिए दे दिया, कि वह उन्हें समझाते जाएं. आपने उन्हें मन्‍ना खिलाना न छोड़ा और उनकी प्यास बुझाने के लिए पानी हमेशा बना रहा.
وَأَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ بِرُوحِكَ الصَّالِحِ لِيُلَقِّنَهُمْ، وَلَمْ تَمْنَعْ مَنَّكَ عَنْ أَفْوَاهِهِمْ، وَوَفَّرْتَ لَهُمْ مَاءً لإِرْوَاءِ عَطَشِهِمْ.٢٠
21 सच तो यह है, कि बंजर भूमि में आप उनकी आवश्यकताओं को पूरा करते रहें, उन्हें किसी प्रकार की कोई कमी न हुई; न उनके कपड़े ही फटे और न ही उनके पैरों में सूजन आई.
وَعُلْتَهُمْ طَوَالَ أَرْبَعِينَ سَنَةً فِي الصَّحْرَاءِ، فَلَمْ يُعْوِزْهُمْ شَيْءٌ، وَلَمْ تَبْلَ ثِيَابُهُمْ وَلا تَوَرَّمَتْ أَقْدَامُهُمْ،٢١
22 “आपने राज्य और लोग उनके वश में कर दिए और उन्हें क्षेत्र का हर एक कोना भी दे दिया. उन्होंने हेशबोन के राजा सीहोन के देश पर अधिकार कर लिया और बाशान के राजा ओग के देश पर भी.
وَوَهَبْتَ لَهُمْ مَمَالِكَ وَأُمَماً، وَوَزَّعْتَ عَلَيْهِمْ أَنْصِبَةً فِي أَقْصَى الْبِلادِ فَامْتَلَكُوا بِلادَ سِيحُونَ وَأَرْضَ مَلِكِ حَشْبُونَ وَدِيَارَ عُوجٍ مَلِكِ بَاشَانَ،٢٢
23 आपने उनके वंशजों की गिनती आकाश के तारों के समान अनगिनत कर दी और उन्हें उस देश में ले आए, जिसमें प्रवेश कर उस पर अधिकार कर लेने का आदेश आपने उनके पूर्वजों को दिया था.
وَأَكْثَرْتَ نَسْلَهُمْ فَصَارُوا كَنُجُومِ السَّمَاءِ عَدَداً، وَأَتَيْتَ بِهِمْ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي وَعَدْتَ آباءَهُمْ أَنْ يَدْخُلُوهَا وَيَرِثُوهَا،٢٣
24 तब उनके वंशजों ने उस देश में प्रवेश किया और उस पर अधिकार कर लिया. आपने ही उनके सामने से उस देश के निवासी कनानियों को उनके अधीन कर दिया. उस देश के राजा और प्रजा को आपने उनके हाथ में दे दिया, कि वे उनके साथ अपनी इच्छा अनुसार व्यवहार करें.
فَاسْتَوْلَى عَلَيْهَا الأَبْنَاءُ وَوَرِثُوا الأَرْضَ بَعْدَ أَنْ أَخْضَعْتَ لَهُمْ سُكَّانَهَا الْكَنْعَانِيِّينَ، وَأَسْلَمْتَهُمْ لَهُمْ مَعَ مُلُوكِهِمْ وَأُمَمِ الْبِلادِ لِيَصْنَعُوا بِهِمْ حَسَبَ مَا يَطِيبُ لَهُمْ.٢٤
25 उन्होंने गढ़ नगरों और उपजाऊ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया. उन्होंने उन सभी घरों को अपने अधिकार में कर लिया, जिनमें सब प्रकार के अच्छे-अच्छे सामान भरे हुए थे: चट्टानों में खोदा गया हौद, अंगूर के बगीचे, ज़ैतून के बगीचे और बहुल फलदाई पेड़. वे उनको खाते थे, वे तृप्‍त हुए, वे अच्छी तरह से पोषित होते चले गए और आपकी बड़ी भलाई के प्रति वे खुशी मनाते रहे.
فَتَمَلَّكُوا مُدُناً حَصِينَةً وَأَرْضاً خَصِيبَةً، وَوَرِثُوا بُيُوتاً تَفِيضُ خَيْراً، وَآبَاراً مَحْفُورَةً، وَكُرُوماً وَزَيْتُوناً وَأَشْجَاراً مُثْمِرَةً كَثِيرَةً، فَأَكَلُوا وَشَبِعُوا وَسَمِنُوا وَتَمَتَّعُوا بِخَيْرِكَ الْعَمِيمِ.٢٥
26 “फिर भी वे आपसे फिर गए और उन्होंने आपसे विद्रोह किया. उन्होंने तो आपकी व्यवस्था को अपने पीठ पीछे फेंक दिया, वे उन भविष्यवक्ताओं का वध कर देते थे, जो उन्हें इस उद्देश्य से चेतावनी और झिड़कियां देते थे, कि वे आपकी ओर लौट जाएं, वे परमेश्वर की घोर निन्दाएं करते चले गए.
وَمَعَ ذَلِكَ ثَارُوا عَلَيْكَ وَتَمَرَّدُوا وَطَرَحُوا شَرِيعَتَكَ خَلْفَ ظُهُورِهِمْ، وَقَتَلُوا أَنْبِيَاءَكَ الَّذِينَ حَذَّرُوهُمْ وَأَنْذَرُوهُمْ لِيَرْتَدُّوا إِلَيْكَ، وَارْتَكَبُوا الشُّرُورَ الْفَوَاحِشَ.٢٦
27 यही कारण था कि आपने उन्हें उनके सतानेवालों के अधीन कर दिया, जो उन्हें सताते रहे; मगर जब अपने दुःख के समय में उन्होंने आपकी दोहाई दी, आपने अपनी बड़ी करुणा के अनुसार स्वर्ग से उनकी सुन ली, आपने उनके लिए छुड़ानेवाले भी भेजे.
عِنْدَئِذٍ أَسْلَمْتَهُمْ لِمُضَايِقِيهِمْ، فَسَامُوهُمْ سُوءَ الْعَذَابِ. وَفِي ضِيقِهِمِ اسْتَغَاثُوا بِكَ، فَاسْتَجَبْتَ مِنَ السَّمَاءِ. وَبِفَضْلِ مَرَاحِمِكَ الْغَزِيرَةِ بَعَثْتَ مَنْ أَنْقَذَهُمْ مِنْ يَدِ مُضَايِقِيهِمْ.٢٧
28 “मगर जैसे ही उन्हें यह छुटकारा मिलता था, वे आपके सामने दोबारा बुराई करने लगते थे; फलस्वरूप आपने उन्हें उनके शत्रुओं के अधीन कर दिया कि वे उन पर शासन करें. जब उन्होंने आपकी दोहाई दी, आपने स्वर्ग से उनकी सुन ली. बहुत बार आपने अपनी करुणा के अनुसार उन्हें छुड़ाया.
وَلَكِنْ مَا إِنِ اسْتَقَرَّ لَهُمُ الأَمْرُ حَتَّى رَجَعُوا يَرْتَكِبُونَ الشَّرَّ أَمَامَكَ، فَأَسْلَمْتَهُمْ إِلَى أَعْدَائِهِمِ الَّذِينَ تَسَلَّطُوا عَلَيْهِمْ، فَعَادُوا يَسْتَغِيثُونَ بِكَ، فَاسْتَمَعْتَ إِلَيْهِمْ مِنَ السَّمَاءِ وَأَنْقَذْتَهُمْ بِفَضْلِ مَرَاحِمِكَ الْوَفِيرَةِ، أَحْيَاناً كَثِيرَةً٢٨
29 “उन्हें अपनी व्यवस्था की ओर फेरने के उद्देश्य से आप उन्हें चेतावनी पर चेतावनी देते रहें. मगर वे अपने हठ में ही अड़े रहें, आपके आदेशों को न मानते थे और आपके नियमों के विरुद्ध पाप करते रहें, जिनका पालन करने में ही मानव का जीवन है. अपने हठ में वे आपकी आज्ञा को ठुकराते चले गए.
وَأَنْذَرْتَهُمْ لِتَرُدَّهُمْ إِلَى شَرِيعَتِكَ. غَيْرَ أَنَّهُمْ طَغَوْا وَتَمَرَّدُوا عَلَى وَصَايَاكَ وَأَخْطَأُوا ضِدَّ أَحْكَامِكَ، الَّتِي إِنْ مَارَسَهَا إِنْسَانٌ يَحْيَا بِها، وَاعْتَصَمُوا بِعِنَادِهِمْ وَأَغْلَظُوا قُلُوبَهُمْ وَلَمْ يُطِيعُوا.٢٩
30 फिर भी, सालों तक आप उनकी सहते रहे. आप उन्हें अपनी आत्मा के द्वारा अपने भविष्यवक्ताओं के माध्यम से चेतावनी देते रहे; मगर तब भी उन्होंने आपकी न सुनी. इसलिये आपने उन्हें उन देशों के निवासियों के अधीन कर दिया.
لَقَدْ تَحَمَّلْتَهُمْ سِنِينَ كَثِيرَةً، وَحَذَّرْتَهُمْ بِرُوحِكَ عَلَى لِسَانِ أَنْبِيَائِكَ فَلَمْ يُصْغُوا، فَأَسْلَمْتَهُمْ لِعُبُودِيَّةِ أُمَمِ الْبِلادِ.٣٠
31 फिर भी, अपनी अपार दया में आपने उन्हें मिटा नहीं दिया और न ही उन्हें अकेला छोड़ दिया; क्योंकि आप दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्वर हैं.
وَلَكِنْ مِنْ أَجْلِ مَرَاحِمِكَ الْعَمِيمَةِ لَمْ تُبِدْهُمْ، وَلَمْ تَتَخَلَّ عَنْهُمْ، لأَنَّكَ إِلَهٌ حَنَّانٌ رَحِيمٌ.٣١
32 “इसलिये, हमारे परमेश्वर, आप जो महान, सर्वशक्तिमान और भय-योग्य हैं, जो अपनी वाचा को स्थिर रखते हैं, जो करुणा से भरपूर हैं, आपकी नज़रों में हमारी सारी कठिनाइयां छोटी न जानी जाएं. वे सभी कठिनाइयां हम पर, हमारे राजाओं पर, हमारे शासकों पर, हमारे पुरोहितों पर, हमारे भविष्यवक्ताओं पर, हमारे पूर्वजों पर और आपके सभी लोगों पर अश्शूर के राजाओं के समय से आज तक आती रही हैं.
وَالآنَ يَا إِلَهَنَا، أَيُّهَا الإِلَهُ الْعَظِيمُ الْجَبَّارُ الْمَرْهُوبُ حَافِظُ الْعَهْدِ وَمُغْدِقُ الرَّحْمَةِ، لَا تَسْتَصْغِرْ كُلَّ الْمَشَقَّاتِ الَّتِي أَصَابَتْنَا نَحْنُ وَمُلُوكَنَا وَرُؤَسَاءَنَا وَكَهَنَتَنَا وَأَنْبِيَاءَنَا وَآبَاءَنَا وَكُلَّ شَعْبِكَ، مُنْذُ أَيَّامِ مُلُوكِ أَشُّورَ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ،٣٢
33 फिर भी, जो कुछ आपने हम पर भेजा है, उसमें आप न्यायी ही हैं; क्योंकि आपका व्यवहार विश्वासयोग्य था, मगर हमने ही दुष्टता की है.
فَقَدْ كُنْتَ عَادِلاً فِي كُلِّ مَا حَلَّ بِنَا، لأَنَّكَ عَاقَبْتَنَا بِالْحَقِّ، وَنَحْنُ الَّذِينَ أَذْنَبْنَا.٣٣
34 क्योंकि हमारे राजाओं ने, हमारे पुरोहितों ने और हमारे पूर्वजों ने आपकी व्यवस्था का पालन नहीं किया और न ही उन्होंने आपके आदेशों की ओर ध्यान दिया है, न आपकी चेतावनियों पर.
وَلَمْ يُطِعْ مُلُوكُنَا وَرُؤَسَاؤُنَا وَكَهَنَتُنَا وَآبَاؤُنَا شَرِيعَتَكَ، وَلا اسْتَمَعُوا إِلَى وَصَايَاكَ وَتَحْذِيرَاتِكَ الَّتِي أَنْذَرْتَهُمْ بِها.٣٤
35 वह राज्य, जो आपने उन्हें अपनी भलाई में दिया था, वह देश, जो विशाल और फलवंत देश था, जो उन्हें आपकी दी हुई भेंट थी, उसमें उन्होंने न तो आपकी सेवा की और न ही अपने बुरे कामों से दूर हुए.
وَلَمْ يَعْبُدُوكَ فِي مُلْكِهِمْ، وَلا حِينَ كَانُوا يَتَمَتَّعُونَ بِخَيْرِكَ الْعَمِيمِ الَّذِي أَنْعَمْتَ بِهِ عَلَيْهِمْ، وَلا فِي أَرْضِهِمِ الشَّاسِعَةِ الْخَصِيبَةِ الَّتِي بَسَطْتَهَا أَمَامَهُمْ، وَلَمْ يَرْتَدُّوا عَنْ سَيِّئَاتِ أَعْمَالِهِمْ.٣٥
36 “देख लीजिए: हम आज भी दास ही हैं. हम उसी देश में दास होकर रह रहे हैं, जिसे आपने हमारे पूर्वजों को यह कहते हुए दिया था: ‘इसकी अच्छी उपज को खाओ!’
وَهَا نَحْنُ الْيَوْمَ مُسْتَعْبَدُونَ فِي الأَرْضِ الَّتِي وَهَبْتَهَا لِآبَائِنَا لِيَأْكُلُوا أَثْمَارَهَا وَخَيْرَهَا.٣٦
37 इसकी उपज अब उन राजाओं की होकर रह गई है, जिन्हें आपने ही हमारे पापों के कारण हम पर अधिकारी बना दिया है. वे तो हमारे शरीर और हमारे पशुओं तक पर अपनी इच्छा के अनुसार कर रहे हैं. इसके कारण हम बहुत दर्द में पड़े हैं.
تَذْهَبُ غَلَّاتُهَا الْوَفِيرَةُ إِلَى الْمُلُوكِ الَّذِينَ سَلَّطْتَهُمْ عَلَيْنَا مِنْ جَرَّاءِ مَعَاصِينَا، وَهُمْ يَتَحَكَّمُونَ فِي أَجْسَادِنَا وَبَهَائِمِنَا كَمَا يَطِيبُ لَهُمْ، بَيْنَمَا نَحْنُ فِي كَرْبٍ شَدِيدٍ.٣٧
38 “यह सब देख हम अब एक वाचा लिखकर बना रहे हैं; इस पर हमारे नायकों, लेवियों और पुरोहितों के नाम की मोहर भी लगा देते हैं.”
فَمِنْ أَجْلِ ذَلِكَ كُلِّهِ هَا نَحْنُ نُبْرِمُ مَعَكَ مِيثَاقاً مَكْتُوباً يُوَقِّعُهُ رُؤَسَاؤُنَا وَلاوِيُّونَا وَكَهَنَتُنَا».٣٨

< नहेमायाह 9 >