< मत्ती 9 >

1 इसलिये येशु नाव में सवार होकर झील पार करके अपने ही नगर में आ गए.
ᏥᏳᎯᏃ ᎤᏣᏅ, ᏚᏪᏐᏤᎢ, ᎤᏩᏒᏃ ᎤᏪᏚᎲ ᏭᎷᏤᎢ.
2 कुछ लोग एक लकवा पीड़ित को बिछौने पर उनके पास लाए. उनका विश्वास देख येशु ने रोगी से कहा, “तुम्हारे लिए यह आनंद का विषय है: तुम्हारे पाप क्षमा हो गए हैं.”
ᎬᏂᏳᏉᏃ ᎬᏩᏘᏃᎮᎴ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏢᎩ ᎤᎸᏓᎸᎥᏍᎩ ᎦᏅᎨ ᎠᏤᏍᏙᎩᎯ; ᏥᏌᏃ ᎤᏙᎴᎰᏒ ᎠᏃᎯᏳᎲᏍᎬᎢ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎤᎸᏓᎸᎥᏍᎩ; ᎠᏇᏥ, ᎤᎦᎵᏍᏗᏳᏉ ᎭᏓᏅᏓᏓ, ᏣᏍᎦᏅᏨ ᎡᏣᏙᎵᎩ.
3 कुछ शास्त्री आपस में कहने लगे, “यह तो परमेश्वर की निंदा कर रहा है!”
ᎬᏂᏳᏉᏃ ᎢᎦᏛ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎ ᏚᎾᏓᏅᏛᎢ; ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ ᎦᎸᎳᏗ ᎡᎯ ᎠᏐᏢᎢᏍᏗᎭ.
4 उनके विचारों का अहसास होने पर येशु उन्हें संबोधित कर बोले, “क्यों अपने मनों में बुरा विचार कर रहे हो?
ᏥᏌᏃ ᎠᎦᏔᎮ ᏄᏍᏛ ᎠᎾᏓᏅᏖᏍᎬᎢ, ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ; ᎦᏙᏃ ᎤᏲ ᎢᏣᏓᏅᏖᎭ ᏗᏥᎾᏫᏱ?
5 क्या कहना सरल है, ‘तुम्हारे पाप क्षमा हो गए’ या ‘उठो, चलने लगो?’
ᎦᏙᎨ ᎤᏍᏗ ᎤᏟ ᎠᎯᏗᏳ ᎧᏁᎢᏍᏗᏱ, ᏥᎪ ᎯᎠ ᏱᎾᎦᏪᎠ, ᏣᏍᎦᏅᏨ ᎡᏣᏙᎵᎩ? ᎯᎠᎨ ᏱᎾᎦᏪᎠ, ᏔᎴᎲᎦ ᎠᎴ ᎨᏓ?
6 किंतु इसका उद्देश्य यह है कि तुम्हें यह मालूम हो जाए कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा का अधिकार सौंपा गया है.” तब रोगी से येशु ने कहा, “उठो, अपना बिछौना उठाओ और अपने घर जाओ.”
ᎠᏗᎾ ᎢᏣᏙᎴᎰᎯᏍᏗᏱ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎠᏍᎦᏅᏨ ᎬᏩᏓᏙᎵᏍᏗ ᎨᏒ ᎠᏂ ᎡᎶᎯ, ᎿᎭᏉ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎤᎸᏓᎸᎥᏍᎩ; ᏔᎴᎲᎦ, ᏣᏤᏍᏙ ᎯᎾᎩ, ᎠᎴ ᏗᏤᏅᏒ ᎮᎾ.
7 वह उठा और घर चला गया.
ᏚᎴᏅᏃ ᏧᏪᏅᏒ ᏭᎶᏎᎢ.
8 यह देख भीड़ हैरान रह गई और परमेश्वर का गुणगान करने लगी, जिन्होंने मनुष्यों को इस प्रकार का अधिकार दिया है.
ᎤᏂᏣᏘᏃ ᎤᏂᎪᎲ, ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᎸᏉᏔᏁ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎾᏍᎩ ᏧᎵᏍᎪᎸᏓᏁᎸᎯ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᏗᏱ ᏴᏫ.
9 वहां से जाने के बाद येशु ने चुंगी लेनेवाले के आसन पर बैठे हुए एक व्यक्ति को देखा, जिसका नाम मत्तियाह था. येशु ने उसे आज्ञा दी, “मेरे पीछे हो ले.” मत्तियाह उठकर येशु के साथ हो लिए.
ᏥᏌᏃ ᎾᎿᎭᎤᏓᏅᏒ, ᎤᎪᎲᎩ ᎠᏍᎦᏯ ᎹᏚ ᏧᏙᎢᏛ, ᎤᏬᎸᎩ ᎠᏰᎵ ᎠᎫᏴᏗᏱ. ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᏍᎩᏍᏓᏩᏚᎦ. ᏚᎴᏅᏃ ᎤᏍᏓᏩᏛᏒᎩ.
10 जब येशु भोजन के लिए बैठे थे, अनेक चुंगी लेनेवाले तथा अपराधी व्यक्ति भी उनके साथ शामिल थे.
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏅᎩ, ᎦᏅᎬ [ ᎠᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎬ ] ᎦᎵᏦᏕ, ᎬᏂᏳᏉ ᎤᏂᏣᏛᎩ ᎠᏕᎸ ᎠᏂᎩᏏᏙᎯ ᎠᎴ ᎠᏂᏍᎦᎾ ᎤᏂᎷᏨ ᎤᎾᏂᏢᏅᎩ ᎠᏂᏅᏜᏓᎥ ᏥᏌ ᎠᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ.
11 यह देख फ़रीसियों ने आपत्ति उठाते हुए येशु के शिष्यों से कहा, “तुम्हारे गुरु चुंगी लेनेवाले और अपराधी व्यक्तियों के साथ भोजन क्यों करते हैं?”
ᎠᏂᏆᎵᏏᏃ ᎤᎾᏙᎴᎰᏒ, ᎯᎠ ᏂᏚ ᏂᏪᏎᎸ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ; ᎦᏙᏃ ᏗᏤᏲᎲᏍᎩ ᎠᏕᎸ ᎠᏂᎩᏏᏙᎯ ᎠᎴ ᎠᏂᏍᎦᎾ ᎢᏧᎳᎭ ᎢᎠᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎦ?
12 यह सुन येशु ने स्पष्ट किया, “चिकित्सक की ज़रूरत स्वस्थ व्यक्ति को नहीं परंतु रोगी व्यक्ति को होती है.
ᏥᏌᏃ ᎤᏛᎦᏅ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᏂᏚᏂᏢᎬᎾ ᎥᏝ ᎤᏚᎸᏗ ᏱᏄᎾᎵᏍᏓᏁᎰ ᏗᏓᏅᏫᏍᎩ, ᏧᏂᏢᎩᏍᎩᏂ.
13 अब जाओ और इस कहावत का अर्थ समझो: ‘मैं बलिदान से नहीं, पर दया से प्रसन्‍न होता हूं,’ क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परंतु पापियों को बुलाने के लिए इस पृथ्वी पर आया हूं.”
ᎢᏤᎾᏍᎩᏂ, ᏫᏣᏕᎶᏆ ᎦᏛᎬ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᏂᎦᏪᎭ; ᎠᏓᏙᎵᏍᏗ ᎨᏒ ᎠᏆᏚᎵᎭ, ᎥᏝᏃ ᎠᏥᎸ-ᎨᎳᏍᏗᏱ ᎨᏒᎢ. ᎥᏝᏰᏃ ᎾᏂᏍᎦᏅᎾ ᏱᏗᏥᏯᏅᎯᎸ, ᎠᏂᏍᎦᎾᏍᎩᏂ ᏧᏂᏁᏟᏴᏍᏗᏱ ᏚᎾᏓᏅᏛᎢ.
14 बपतिस्मा देनेवाले योहन के शिष्य येशु के पास आए और उनसे प्रश्न किया, “क्या कारण है कि फ़रीसी और हम तो उपवास करते हैं किंतु आपके शिष्य नहीं?”
ᎿᎭᏉᏃ ᏣᏂ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ [ ᏥᏌ ] ᎬᏩᎷᏤᎸᎩ, ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎸᎩ; ᎦᏙᏃ ᎠᏴ ᎠᏂᏆᎵᏏᏃ ᏯᏃ ᎠᎹᏟ ᏦᏨᏍᎦ, ᏂᎯᏃ ᎨᏣᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎠᎹᏟ ᎾᏅᏍᎬᎾ ᏥᎩ?
15 येशु ने उन्हें समझाया: “क्या यह संभव है कि दुल्हे के होते हुए बाराती विलाप करें? हां, ऐसा समय आएगा जब दूल्हा उनसे अलग कर दिया जाएगा—तब वे उपवास करेंगे.
ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᏥᎪ ᏰᎵ ᏕᎨᎦᏨᏍᏗᏍᎬ ᎠᏂᎦᏔᎯ ᏱᏓᎾᏠᏱᎦ ᎠᏏᏉ ᎤᏕᏒᏂᎸᎯ ᎤᏁᎳᏗᏙᎲᎢ? ᎠᏎᏃ ᎢᎦ ᏛᎵᏱᎶᎵ ᏓᎨᏥᏯᏅᎡᎵ ᎤᏕᏒᏂᎸᎯ, ᎩᎳ ᎿᎭᏉ ᎠᎹᏟ ᏛᏅᏂ.
16 “पुराने वस्त्र में कोई भी नये कपड़े का जोड़ नहीं लगाता, नहीं तो कोरा वस्त्र का जोड़ सिकुड़ कर वस्त्र से अलग हो जाता है और वस्त्र और भी अधिक फट जाता है.
ᎥᏝ ᎠᎴ ᎩᎶ ᎢᏤ ᏱᎦᎳᏍᏢᏗᏍᎪ ᎤᏪᏘ ᎠᏄᏬᎩᎯ, ᎦᎳᏍᏢᏛᏰᏃ ᏴᎦᏣᎦᎸᏓ ᎠᏄᏬ, ᎤᏓᏣᎦᎸᎲᏃ ᎤᏟ ᎡᏉᎯᏳ ᏱᏂᎦᎵᏍᏓ.
17 वैसे ही लोग नए दाखरस को पुरानी मशकों में नहीं रखते; अन्यथा वे फट जाती हैं और दाखरस तो बहकर नाश हो ही जाता है, साथ ही मशके भी. नया दाखरस नई मशकों में ही रखा जाता है. परिणामस्वरूप दोनों ही सुरक्षित रहते हैं.”
ᎥᏝ ᎠᎴ ᎢᏤ ᎩᎦᎨ-ᎠᏗᏔᏍᏗ ᏧᏪᏘ ᏗᏑᏢᏛ ᏱᏓᏂᏟᏍᏗᏍᎪᎢ; ᏗᏑᏢᏛᏰᏃ ᏱᏓᏓᏣᎦᎸ, ᎠᎴ ᎩᎦᎨ-ᎠᏗᏔᏍᏗ ᏯᏤᏬᎩ, ᏗᏑᏢᏛᏃ ᏱᏓᏲᎩ. ᎢᏤᏍᎩᏂ ᎩᎦᎨ-ᎠᏗᏔᏍᏗ ᏗᏤ ᏗᏑᏢᏛ ᏓᏂᏟᏍᏗᏍᎪᎢ, ᎢᏧᎳᏃ ᏚᏂᏍᏆᏂᎪᏙᎢ.
18 जब येशु उन लोगों से इन विषयों पर बातचीत कर रहे थे, यहूदी सभागृह का एक अधिकारी उनके पास आया और उनके सामने झुककर विनती करने लगा, “कुछ देर पहले ही मेरी पुत्री की मृत्यु हुई है. आप कृपया आकर उस पर हाथ रख दीजिए और वह जीवित हो जाएगी.”
ᎠᏏᏉ ᎾᏍᎩ ᏂᏕᎦᏪᏎᎲᎩ, ᎬᏂᏳᏉ ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᏄᎬᏫᏳᏌᏕᎩ ᎤᎷᏨ ᎤᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎸᎩ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎠᏇᏥ ᎠᎨᏳᏣ ᎦᏳᎳ ᎤᏲᎱᏏᏕᎾ. ᎠᏗᎾ ᎮᎾ, ᎯᏯᏒᏂᎸᎭ, ᎠᎭ ᏛᎠᏛᏂᏗᏉ.
19 येशु और उनके शिष्य उसके साथ चले गए.
ᏥᏌᏃ ᏚᎴᏅ ᎤᏍᏓᏩᏛᏒᎩ, ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ.
20 मार्ग में बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ,
ᎬᏂᏳᏉᏃ ᎠᎨᏴ ᎤᏢᎩ ᎩᎬ ᎤᏪᏅᎡᎯ ᏔᎳᏚ ᏧᏕᏘᏴᏓ ᎢᎬᏩᎵᏍᏔᏅᎯ, ᎣᏂᏗᏢ ᎤᎷᎯᏍᏓᏁᎸᎩ, ᎦᏓᎷᏯᏛ ᎤᏄᏩᎥ ᎤᏒᏁᎸᎩ.
21 क्योंकि उसने अपने मन में यह कहा था: “यदि मैं उनके वस्त्र को भी छू लूं, तो मैं रोगमुक्त हो जाऊंगी.”
ᎯᎠᏰᏃ ᏄᏪᏎ ᎤᏓᏅᏛᎢ; ᎢᏳᏃ ᎤᏄᏩᎥᏉ ᏯᏆᏒᏂᎸ, ᎠᏎ ᏯᏆᏗᏫ.
22 येशु ने पीछे मुड़कर उसे देखा और उससे कहा, “तुम्हारे लिए यह आनंद का विषय है: तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ कर दिया.” उसी क्षण वह स्त्री स्वस्थ हो गई.
ᏥᏌᏃ ᎤᎦᏔᎲᏒ ᎠᎴ ᎤᎪᎲ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎠᏇᏥ, ᎤᎦᎵᏍᏗᏉ ᎭᏓᏅᏓᏓ. ᏦᎯᏳᏒ ᏣᏗᏫᏍᏓ. ᎠᎨᏴᏃ ᎾᎯᏳᏉ ᎤᏗᏩᏒᎩ.
23 जब येशु यहूदी सभागृह के अधिकारी के घर पर पहुंचे तो उन्होंने भीड़ का कोलाहल और बांसुरी वादक शोक-संगीत बजाते हुए भी सुना.
ᏥᏌᏃ ᏄᎬᏫᏳᏌᏕᎩ ᎦᏁᎸ ᎤᎷᏨ, ᎠᎴ ᏚᎪᎲ ᏗᏂᏤᎷᎯᏍᎩ, ᎠᎴ ᏴᏫ ᏓᏂᏴᎬᎢ,
24 इसलिये उन्होंने आज्ञा दी, “यहां से चले जाओ क्योंकि बालिका की मृत्यु नहीं हुई है—वह सो रही है.” इस पर वे येशु का ठट्ठा करने लगे,
ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎢᏣᏓᏅᎾ, ᎾᎪᏃ ᎤᏲᎱᏒᎯ ᏱᎩ ᎠᎨᏳᏣ; ᎦᎵᎭᏉᏍᎩᏂ. ᎥᎬᏩᏰᏣᏍᏔᏅᏉᏃ.
25 किंतु जब भीड़ को बाहर निकाल दिया गया, येशु ने कक्ष में प्रवेश कर बालिका का हाथ पकड़ा और वह उठ बैठी.
ᎨᏥᏄᎪᏫᏒᏃ ᏴᏫ, ᎤᏴᎸᎩ ᎤᏬᏰᏂ ᎤᏂᏴᎲᎩ, ᎠᎨᏳᏣᏃ ᏚᎴᏅᎩ.
26 यह समाचार सारे क्षेत्र में फैल गया.
ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᏚᏃᏣᎶᏥᏙᎸᎢ ᎾᎿᎭᏂᎬᎾᏛ ᏚᏰᎵᏏᏙᎸᎩ.
27 जब येशु वहां से विदा हुए, दो अंधे व्यक्ति यह पुकारते हुए उनके पीछे चलने लगे, “दावीद-पुत्र, हम पर कृपा कीजिए!”
ᏥᏌᏃ ᎾᎿᎭᎤᏓᏅᏒ, ᎠᏂᏔᎵ ᏗᏂᎨᏫ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎬᏩᏍᏓᏩᏛᏒᎩ, ᎤᏁᎷᎬᎩ ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎬᎩ, ᏍᎩᏂᏙᎵᎩ ᏂᎯ ᏕᏫ ᎤᏪᏥ.
28 जब येशु ने घर में प्रवेश किया वे अंधे भी उनके पास पहुंच गए. येशु ने उनसे प्रश्न किया, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मुझमें यह करने का सामर्थ्य है?” उन्होंने उत्तर दिया, “जी हां, प्रभु.”
ᎦᎵᏦᏕᏃ ᎤᏴᎸ, ᏗᏂᎨᏫ ᎬᏩᎷᏤᎸᎩ, ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎢᏍᏙᎯᏳᎲᏍᎦᏍᎪ ᏰᎵ ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏆᏛᏁᏗ ᎨᏒᎢ? ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎸᎩ; ᎥᎥ, ᏣᎬᏫᏳᎯ.
29 तब येशु ने यह कहते हुए उनके नेत्रों का स्पर्श किया, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारी इच्छा पूरी हो,”
ᎿᎭᏉᏃ ᏚᏒᏁᎸ ᏗᏂᎦᏙᎵ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᏄᏍᏛ ᎢᏍᏙᎯᏳᎲᏍᎬ ᎾᏍᎩᏯ ᏂᏍᏓᎵᏍᏓᏏ.
30 और उन्हें दृष्टि प्राप्‍त हो गई. येशु ने उन्हें कड़ी चेतावनी दी, “यह ध्यान रखना कि इसके विषय में किसी को मालूम न होने पाए!”
ᏗᏂᎦᏙᎵᏃ ᏚᎵᏍᏚᎩᏒᎩ. ᏥᏌᏃ ᏚᏅᏍᏓᏕᎸᎩ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᏞᏍᏗ ᎩᎶ ᎤᏙᎴᎰᏒᎩ.
31 किंतु उन्होंने जाकर सभी क्षेत्र में येशु के विषय में यह समाचार प्रसारित कर दिया.
ᎠᏎᏃ ᎤᎾᏓᏅᏒᏉ ᏚᏂᏃᏣᎳᏅᎩ ᎾᎿᎭᏂᎬᎾᏛᎢ.
32 जब वे सब वहां से बाहर निकल रहे थे, उनके सामने एक गूंगा व्यक्ति, जो दुष्टात्मा से पीड़ित था, लाया गया.
ᎿᎭᏉᏃ ᎠᏂᏄᎪᎬᎢ ᎬᏂᏳᏉ ᎩᎶ ᎬᏩᏘᏃᎮᎸᎩ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏩᎨᏫ, ᎠᏍᎩᎾ ᎤᏯᎢ.
33 दुष्टात्मा के निकल जाने के बाद वह बातें करने लगा. यह देख भीड़ चकित रह गई और कहने लगी, “इससे पहले इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया.”
ᎠᏍᎩᎾᏃ ᎠᏥᏄᎪᏫᏒ ᎤᏩᎨᏫ ᎤᏬᏂᏒᎩ. ᎤᏂᏣᏘᏃ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏒᎩ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎥᏝ ᎢᎸᎯᏳ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᎪᎲᎯ ᏱᎩ ᎢᏏᎵᏱ.
34 जबकि फ़रीसी कह रहे थे, “यह दुष्टात्मा का निकालना दुष्टात्मा के प्रधान की सहायता से करता है.”
ᎠᏎᏃ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎠᏂᏍᎩᎾ ᎤᎾᏤᎵ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎬᏗᎭ ᏥᏕᎦᏄᎪᏫᏍᎦ ᎠᏂᏍᎩᎾ.
35 येशु नगर-नगर और गांव-गांव की यात्रा कर रहे थे. वह उनके यहूदी सभागृहों में शिक्षा देते, स्वर्ग-राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते तथा हर एक प्रकार के रोग और दुर्बलताओं को स्वस्थ करते जा रहे थे.
ᏥᏌᏃ ᏂᎦᎥ ᏧᏛᎾ ᏕᎦᏚᎲ ᎠᎴ ᏧᏍᏗ ᏕᎦᏚᎲ ᎤᏪᏙᎸᎩ, ᏓᏕᏲᎲᏍᎬᎩ ᏧᏂᎳᏫᎢᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᎠᎵᏥᏙᎲᏍᎬᎩ ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᎦᎸᎳᏗ ᎡᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒ ᎧᏃᎮᏍᎬᎩ, ᎠᎴ ᏕᎧᏅᏫᏍᎬ ᏂᎦᎥ ᏚᏂᏢᎬ ᎠᎴ ᏂᎦᎥ ᎥᏳᎩ ᏴᏫ ᎤᏂᏱᎵᏕᎲᎢ.
36 भीड़ को देख येशु का हृदय करुणा से दुःखित हो उठा क्योंकि वे बिन चरवाहे की भेड़ों के समान व्याकुल और निराश थे.
ᏚᎪᎲᏃ ᎤᏂᏣᏘ ᏴᏫ, ᏚᏪᏙᎵᏨᎩ, ᎤᏓᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬᎩ ᏩᎾᏉ ᏓᏂᎶᎬᎢ, ᎠᎴ ᎤᎾᏗᎦᎴᏲᏨᎯ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᎠᏫ ᎤᏂᏃᏕᎾ ᏁᎲᎾ ᏥᎨᏐ ᎤᏂᎦᏘᏯ.
37 इस पर येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “उपज तो बहुत है किंतु मज़दूर कम,
ᎿᎭᏉ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᎭᎸ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ; ᎡᏉᎯᏳ ᏠᎨᏏ ᎤᎦᏛᎾᏨᎯ, ᎠᏎᏃ ᎠᏂᎦᏲᎵᏳ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ.
38 इसलिये उपज के स्वामी से विनती करो कि इस उपज के लिए मज़दूर भेज दें.”
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎡᏥᏔᏲᏏ ᎤᎶᎨᏛ ᏧᏅᏍᏗᏱ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᎤᎦᏛᎾᏤᎸᎢ.

< मत्ती 9 >