< मत्ती 4 >

1 इसके बाद पवित्र आत्मा के निर्देश में येशु को बंजर भूमि ले जाया गया कि वह शैतान द्वारा परखे जाएं.
तालू पबित्र आत्मा यीशुऐ जो सुनसान जगा च लेई गेई ताकि शैतान उसयो लालच देई सके।
2 उन्होंने चालीस दिन और चालीस रात उपवास किया. उसके बाद जब उन्हें भूख लगी,
यीशु चाली दिन, कने चाली रात, बिना कुछ खादयो ओथु रिया, कने जालू उसयो भूख लग्गी।
3 परखने वाले ने उनके पास आकर कहा, “यदि तुम परमेश्वर-पुत्र हो तो इन पत्थरों को आज्ञा दो कि ये रोटी बन जाएं.”
तालू शैताने उदे बखे आई करी उसयो बोलया, “अगर तू परमेश्वरे दा पुत्र है, तां बोल, कि ऐ पथर रोटियां बणी जान, ताकि तू इना जो खाई सके।”
4 येशु ने उसे उत्तर दिया, “मनुष्य का जीवन सिर्फ भोजन पर नहीं, बल्कि परमेश्वर के मुख से निकले हुए हर एक शब्द पर भी निर्भर है.”
यीशुऐ जबाब दिता, “कि पबित्र शास्त्र च लिखया है, कि माणु सिर्फ रोटियां ला ही नी, पर परमेश्वरे दे बोलयो बचना जो मन्नी करी जिन्दा रेंदा है।”
5 तब शैतान ने येशु को पवित्र नगर में ले जाकर मंदिर के शीर्ष पर खड़ा कर दिया
तालू शैतान यीशुऐ जो पबित्र यरूशलेम शेहर च लेई गिया कने परमेश्वरे दे मंदरे दिया चुंडिया पर खरेड़ी दिता।
6 और उनसे कहा, “यदि तुम परमेश्वर-पुत्र हो तो यहां से नीचे कूद जाओ, क्योंकि लिखा है, “वह अपने स्वर्गदूतों को तुम्हारे संबंध में आज्ञा देंगे तथा वे तुम्हें हाथों-हाथ उठा लेंगे कि तुम्हारे पैर को पत्थर से चोट न लगे.”
कने उसयो बोलया, अगर तू परमेश्वरे दा पुत्र है, तां ऐथू ला छाल मारी करी दस कने तिजो कुथी भी चोट नी लगणी है; क्योंकि पबित्र शास्त्र च लिखया है, कि उनी स्वर्गदूतां जो हुकम देणा; कने उना तिजो हथो हथ सभांली लेणा है; कुथी इयां ना होए कि तेरे पैरां च पथरे ला चोट लग्गी जा।
7 उसके उत्तर में येशु ने उससे कहा, “यह भी तो लिखा है तुम प्रभु अपने परमेश्वर को न परखो.”
यीशुऐ उसयो बोलया, “कि पबित्र शास्त्र च ऐ भी लिखया है, कि लोकां जो अपणे प्रभु परमेश्वरे जो नी परखणा चाईदा।”
8 तब शैतान येशु को अत्यंत ऊंचे पर्वत पर ले गया और विश्व के सारे राज्य और उनका सारा ऐश्वर्य दिखाते हुए उनसे कहा,
फिरी शैतान उसयो इक बड़े उच्चे पहाड़े पर लेई गिया, कने सारे संसारे दे राज्य कने उना दी धन दौलत दस्सी करी,
9 “मैं ये सब तुम्हें दे दूंगा यदि तुम मेरी दंडवत-वंदना करो.”
उनी बोलया, कि अगर तू मेरे पैरां पेईकरी मिंजो नमस्ते करगा, तां मैं ऐ सब कुछ तिजो देई दिंगा।
10 इस पर येशु ने उसे उत्तर दिया, “हट, शैतान! दूर हो! क्योंकि लिखा है, तुम सिर्फ प्रभु अपने परमेश्वर की ही आराधना और सेवा किया करो.”
तालू यीशुऐ उसयो बोलया, शैतान दूर होई जा, क्योंकि पबित्र शास्त्र च लिखया है: “तू सिर्फ अपणे प्रभु परमेश्वरे जो नमस्ते कने सिर्फ उदी ही भक्ति कर।”
11 तब शैतान उन्हें छोड़कर चला गया और स्वर्गदूत आए और उनकी सेवा करने लगे.
तालू शैतान उदे बखे ला चली गिया, कने स्वर्गदूत आई करी यीशुऐ दी सेबा करणा लग्गे।
12 यह मालूम होने पर कि बपतिस्मा देनेवाले योहन को बंदी बना लिया गया है, येशु गलील प्रदेश में चले गए,
जालू उनी ऐ सुणाया कि यूहन्ना जो पकड़ी करी जेला च बन्द करी लिया है, तां सै यहूदिया प्रदेश जो छडी करी गलील प्रदेशे जो चली गिया।
13 और नाज़रेथ नगर को छोड़ कफ़रनहूम नगर में बस गए, जो झील तट पर ज़ेबुलून तथा नफताली नामक क्षेत्र में था.
कने सै नासरते जो छडी करी कफरनहूम शेहरे च जड़ा गलील झिला दे कंडे था, जिथू जबूलून कने नप्ताली दे गोत्र रेंदे थे, ओथु जाई करी रेणा लग्गा।
14 ऐसा इसलिये हुआ कि भविष्यवक्ता यशायाह की यह भविष्यवाणी पूरी हो:
ताकि जड़ा परमेश्वरे दा संदेश देणेबाले यशायाह बोलया था, सै पूरा हो।
15 यरदन नदी के पार समुद्रतट पर बसे ज़ेबुलून तथा नफताली प्रदेश अर्थात् गलील प्रदेश में, जहां गैर-इस्राएली बसे हुए हैं,
“तुसां लोक जड़े जबूलून कने नप्ताली गोत्र दे इलाके च रेंदे न, ऐ इलाके उस रस्ते पर न जड़े गलील दरियाये दे बखे कने यरदन खड्डा दे पूर्वी कंडे पर है, ऐ गलील प्रदेशे दे ऐसे इलाके न जिथू होर जातियां दे लोक रेंदे न।”
16 अंधकार में जी रहे लोगों ने एक बड़ी ज्योति को देखा; गहन अंधकार के निवासियों पर ज्योति चमकी.
परमेश्वरे जो जाणयो बिना नेहरे च रेणेबाले लोकां इक बडी ज्योति दिखणी; इना ज्योतिया उना लोकां जो मुक्ति दा रस्ता दसणा, जड़े परमेश्वरे जो जाणयो बिना जिन्दगी जिंदे न कने हमेशा दिया मौता दे रस्ते पर चलयो न।
17 उस समय से येशु ने यह उपदेश देना प्रारंभ कर दिया, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग-राज्य पास आ गया है.”
उस बेले ला यीशुऐ प्रचार करणा कने ऐ बोलणा शुरू किता, “कि मन बदला क्योंकि स्वर्गे दा राज्य बखे आई रिया है।”
18 एक दिन गलील झील के किनारे चलते हुए येशु ने दो भाइयों को देखा: शिमओन, जो पेतरॉस कहलाए तथा उनके भाई आन्द्रेयास को. ये समुद्र में जाल डाल रहे थे क्योंकि वे मछुआरे थे.
इक दिन जालू यीशु गलील झिला दे बखे-बखे चलया था, तां दो मछवारे भाईयां जो झिला च जाल पांदे दिखया, उना चे इक शमौन था जिसयो पतरस बोलदे न कने उदा भाई अन्द्रियास था।
19 येशु ने उनसे कहा, “मेरा अनुसरण करो—मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुआरे बनाऊंगा.”
यीशुऐ उना जो बोलया, “ओआ कने मेरे चेले बणा; मैं तुहांजो सिखांगा कि लोकां जो मेरे बाल कियां लोणा कने कियां मेरे चेले बणणा है।”
20 वे उसी क्षण अपने जाल छोड़कर येशु का अनुसरण करने लगे.
उना झट जाल छडया कने उदे पिच्छे चली पे।
21 जब वे वहां से आगे बढ़े तो येशु ने दो अन्य भाइयों को देखा—ज़ेबेदियॉस के पुत्र याकोब तथा उनके भाई योहन को. वे दोनों अपने पिता के साथ नाव में अपने जाल ठीक कर रहे थे. येशु ने उन्हें बुलाया.
जालू यीशु थोड़ा अग्गे चलया, उनी होर दो भाईयां जो दिखया जिना दे ना याकूब कने यूहन्ना थे, कने सै जब्दी दे पुत्र थे, सै किस्तिया पर जाले जो ठीक करा दे थे, कने यीशुऐ उना जो भी सदया।
22 उसी क्षण वे नाव और अपने पिता को छोड़ येशु के पीछे हो लिए.
सै झट किस्तिया कने अपणे पिता जो छडी करी उदे पीच्छे चली पे।
23 येशु सारे गलील प्रदेश की यात्रा करते हुए, उनके यहूदी सभागृहों में शिक्षा देते हुए, स्वर्ग-राज्य के ईश्वरीय सुसमाचार का उपदेश देने लगे. वह लोगों के हर एक रोग तथा हर एक व्याधि को दूर करते जा रहे थे.
यीशु सारे गलील प्रदेशे च गुमदा रेंदा कने उना दे यहूदी जंज घरां च उपदेश दिन्दा कने राज्य दा शुभसमाचार दा प्रचार, कने लोकां दियां सारियां बिमारियां कने कमजोरियां जो ठीक करदा जांदा था।
24 सारे सीरिया प्रदेश में उनके विषय में समाचार फैलता चला गया और लोग उनके पास उन सबको लाने लगे, जो रोगी थे तथा उन्हें भी, जो विविध रोगों, पीड़ाओं, दुष्टात्मा, मूर्च्छा रोगों तथा पक्षाघात से पीड़ित थे. येशु इन सभी को स्वस्थ करते जा रहे थे.
कने सारे सीरिया प्रदेश च यीशुये दे कम्मा दी खबर फैली गेई कने लोक सारे बिमारां जो, जिना जो केई किस्मा दियां बिमारियां कने दुखां जकड़या था, कने जिना च बुरियां आत्मा थियां, कने मिर्गिया दे दौरे बाले, कने लकवे दे रोगियां जो उस बाल लेईकरी आऐ कने यीशुऐ उना सारयां जो ठीक करी दिता।
25 गलील प्रदेश, देकापोलिस, येरूशलेम, यहूदिया प्रदेश और यरदन नदी के पार से बड़ी भीड़ उनके पीछे-पीछे चली जा रही थी.
कने गलील प्रदेश कने दिकापुलिस शेहरे कने यरूशलेम शेहर कने यहूदिया प्रदेशे ला कने यरदन खड्डा दे पारे ला भिड़ा दी भीड़ उदे पिच्छे चली पेई।

< मत्ती 4 >