< मत्ती 26 >
1 इस रहस्य के खुलने के बाद येशु ने शिष्यों को देखकर कहा,
And it came to pass, when Jesus had finished all these words, he said unto his disciples,
2 “यह तो तुम्हें मालूम ही है कि दो दिन बाद फ़सह उत्सव है. इस समय मनुष्य के पुत्र को क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए सौंप दिया जाएगा.”
Ye know that after two days the passover cometh, and the Son of man is delivered up to be crucified.
3 दूसरी ओर प्रधान पुरोहित और वरिष्ठ नागरिक कायाफ़स नामक महापुरोहित के घर के आंगन में इकट्ठा हुए.
Then were gathered together the chief priests, and the elders of the people, unto the court of the high priest, who was called Caiaphas;
4 उन्होंने मिलकर येशु को छलपूर्वक पकड़कर उनकी हत्या कर देने का विचार किया.
and they took counsel together that they might take Jesus by subtlety, and kill him.
5 वे यह विचार भी कर रहे थे: “यह फ़सह उत्सव के अवसर पर न किया जाए—कहीं इससे लोगों में बलवा न भड़क उठे.”
But they said, Not during the feast, lest a tumult arise among the people.
6 जब येशु बैथनियाह गांव में शिमओन के घर पर थे—वही शिमओन, जिसे पहले कोढ़ रोग हुआ था,
Now when Jesus was in Bethany, in the house of Simon the leper,
7 एक स्त्री उनके पास संगमरमर के बर्तन में कीमती इत्र लेकर आई. उसे उसने भोजन के लिए बैठे येशु के सिर पर उंडेल दिया.
there came unto him a woman having an alabaster cruse of exceeding precious ointment, and she poured it upon his head, as he sat at meat.
8 यह देख शिष्य गुस्सा हो कहने लगे, “यह फिज़ूलखर्ची किस लिए?
But when the disciples saw it, they had indignation, saying, To what purpose is this waste?
9 यह इत्र तो ऊंचे दाम पर बिक सकता था और प्राप्त धनराशि गरीबों में बांटी जा सकती थी.”
For this [ointment] might have been sold for much, and given to the poor.
10 इस विषय को जानकर येशु ने उन्हें झिड़कते हुए कहा, “क्यों सता रहे हो इस स्त्री को? इसने मेरे हित में एक सराहनीय काम किया है.
But Jesus perceiving it said unto them, Why trouble ye the woman? for she hath wrought a good work upon me.
11 निर्धन तुम्हारे साथ हमेशा रहेंगे किंतु मैं तुम्हारे साथ हमेशा नहीं रहूंगा.
For ye have the poor always with you; but me ye have not always.
12 मुझे मेरे अंतिम संस्कार के लिए तैयार करने के लिए इसने यह इत्र मेरे शरीर पर उंडेला है.
For in that she poured this ointment upon my body, she did it to prepare me for burial.
13 सच तो यह है कि सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, इस स्त्री के इस कार्य का वर्णन भी इसकी याद में किया जाएगा.”
Verily I say unto you, Wheresoever this gospel shall be preached in the whole world, that also which this woman hath done shall be spoken of for a memorial of her.
14 तब कारियोतवासी यहूदाह, जो बारह शिष्यों में से एक था, प्रधान पुरोहितों के पास गया
Then one of the twelve, who was called Judas Iscariot, went unto the chief priests,
15 और उनसे विचार-विमर्श करने लगा, “यदि मैं येशु को पकड़वा दूं तो आप मुझे क्या देंगे?” उन्होंने उसे गिन कर चांदी के तीस सिक्के दे दिए.
and said, What are ye willing to give me, and I will deliver him unto you? And they weighed unto him thirty pieces of silver.
16 उस समय से वह येशु को पकड़वाने के लिए सही अवसर की ताक में रहने लगा.
And from that time he sought opportunity to deliver him [unto them].
17 अखमीरी रोटी के उत्सव के पहले दिन शिष्यों ने येशु के पास आकर पूछा, “हम आपके लिए फ़सह भोज की तैयारी कहां करें? आप क्या चाहते हैं?”
Now on the first [day] of unleavened bread the disciples came to Jesus, saying, Where wilt thou that we make ready for thee to eat the passover?
18 येशु ने उन्हें निर्देश दिया, “नगर में एक व्यक्ति विशेष के पास जाना और उससे कहना, ‘गुरुवर ने कहा है, मेरा समय पास है. मुझे अपने शिष्यों के साथ आपके घर में फ़सह उत्सव मनाना है.’”
And he said, Go into the city to such a man, and say unto him, The Teacher saith, My time is at hand; I keep the passover at thy house with my disciples.
19 शिष्यों ने वैसा ही किया, जैसा येशु ने निर्देश दिया था और उन्होंने फ़सह भोज तैयार किया.
And the disciples did as Jesus appointed them; and they made ready the passover.
20 संध्या समय येशु अपने बारह शिष्यों के साथ बैठे हुए थे.
Now when even was come, he was sitting at meat with the twelve disciples;
21 जब वे भोजन कर रहे थे येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक सच प्रकट कर रहा हूं: तुम्हीं में एक है, जो मेरे साथ धोखा करेगा.”
and as they were eating, he said, Verily I say unto you, that one of you shall betray me.
22 बहुत उदास मन से हर एक शिष्य येशु से पूछने लगा, “प्रभु, वह मैं तो नहीं हूं?”
And they were exceeding sorrowful, and began to say unto him every one, Is it I, Lord?
23 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जिसने मेरे साथ कटोरे में अपना कौर डुबोया था, वही है, जो मेरे साथ धोखा करेगा.
And he answered and said, He that dipped his hand with me in the dish, the same shall betray me.
24 मनुष्य के पुत्र को तो जैसा कि उसके विषय में पवित्र शास्त्र में लिखा है, जाना ही है; किंतु धिक्कार है उस व्यक्ति पर, जो मनुष्य के पुत्र के साथ धोखा करेगा. उस व्यक्ति के लिए अच्छा तो यही होता कि उसका जन्म ही न होता.”
The Son of man goeth, even as it is written of him: but woe unto that man through whom the Son of man is betrayed! good were it for that man if he had not been born.
25 यहूदाह ने, जो येशु के साथ धोखा कर रहा था, उनसे प्रश्न किया, “रब्बी, वह मैं तो नहीं हूं न?” येशु ने उसे उत्तर दिया, “यह तुमने स्वयं ही कह दिया है.”
And Judas, who betrayed him, answered and said, Is it I, Rabbi? He saith unto him, Thou hast said.
26 जब वे भोजन के लिए बैठे, येशु ने रोटी ली, उसके लिए आशीष विनती की, उसे तोड़ी और शिष्यों को देते हुए कहा, “यह लो, खाओ; यह मेरा शरीर है.”
And as they were eating, Jesus took bread, and blessed, and brake it; and he gave to the disciples, and said, Take, eat; this is my body.
27 तब येशु ने प्याला लिया, उसके लिए धन्यवाद दिया तथा शिष्यों को देते हुए कहा, “तुम सब इसमें से पियो.
And he took a cup, and gave thanks, and gave to them, saying, Drink ye all of it;
28 यह वाचा का मेरा लहू है जो अनेकों की पाप क्षमा के लिए उंडेला जा रहा है.
for this is my blood of the covenant, which is poured out for many unto remission of sins.
29 मैं यह बताना चाहता हूं कि मैं दाख का रस उस दिन तक नहीं पिऊंगा जब तक मैं अपने पिता के राज्य में तुम्हारे साथ दाखरस दोबारा नहीं पिऊं.”
But I say unto you, I shall not drink henceforth of this fruit of the vine, until that day when I drink it new with you in my Father’s kingdom.
30 एक भक्ति गीत गाने के बाद वे ज़ैतून पर्वत पर चले गए.
And when they had sung a hymn, they went out into the mount of Olives.
31 येशु ने शिष्यों से कहा, “आज रात तुम सभी मेरा साथ छोड़कर चले जाओगे, जैसा कि इस संबंध में पवित्र शास्त्र का लेख है: “‘मैं चरवाहे का संहार करूंगा और, झुंड की सभी भेड़ें तितर-बितर हो जाएंगी.’
Then saith Jesus unto them, All ye shall be offended in me this night: for it is written, I will smite the shepherd, and the sheep of the flock shall be scattered abroad.
32 हां, पुनर्जीवित किए जाने के बाद मैं तुमसे पहले गलील प्रदेश पहुंच जाऊंगा.”
But after I am raised up, I will go before you into Galilee.
33 किंतु पेतरॉस ने येशु से कहा, “सभी शिष्य आपका साथ छोड़कर जाएं तो जाएं किंतु मैं आपका साथ कभी न छोड़ूंगा.”
But Peter answered and said unto him, If all shall be offended in thee, I will never be offended.
34 येशु ने उनसे कहा, “सच्चाई तो यह है कि आज ही रात में, इसके पहले कि मुर्ग बांग दे, तुम मुझे तीन बार नकार चुके होंगे.”
Jesus said unto him, Verily I say unto thee, that this night, before the cock crow, thou shalt deny me thrice.
35 पेतरॉस ने दोबारा उनसे कहा, “मुझे आपके साथ यदि मृत्यु को भी गले लगाना पड़े तो भी मैं आपको नहीं नकारूंगा.” अन्य सभी शिष्यों ने यही दोहराया.
Peter saith unto him, Even if I must die with thee, [yet] will I not deny thee. Likewise also said all the disciples.
36 तब येशु उनके साथ गेतसेमनी नामक स्थान पर पहुंचे. उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “तुम यहीं बैठो जब तक मैं वहां जाकर प्रार्थना करता हूं.”
Then cometh Jesus with them unto a place called Gethsemane, and saith unto his disciples, Sit ye here, while I go yonder and pray.
37 फिर वह पेतरॉस और ज़ेबेदियॉस के दोनों पुत्रों को अपने साथ ले आगे चले गए. वहां येशु अत्यंत उदास और व्याकुल होने लगे.
And he took with him Peter and the two sons of Zebedee, and began to be sorrowful and sore troubled.
38 उन्होंने शिष्यों से कहा, “मेरे प्राण इतने अधिक उदास हैं, मानो मेरी मृत्यु हो रही हो. मेरे साथ तुम भी जागते रहो.”
Then saith he unto them, My soul is exceeding sorrowful, even unto death: abide ye here, and watch with me.
39 तब येशु उनसे थोड़ी ही दूर जा मुख के बल गिरकर प्रार्थना करने लगे. उन्होंने परमेश्वर से निवेदन किया, “मेरे पिता, यदि संभव हो तो यह प्याला मुझसे टल जाए; फिर भी मेरी नहीं परंतु आपकी इच्छा के अनुरूप हो.”
And he went forward a little, and fell on his face, and prayed, saying, My Father, if it be possible, let this cup pass away from me: nevertheless, not as I will, but as thou wilt.
40 जब वह अपने शिष्यों के पास लौटे तो उन्हें सोया हुआ देख उन्होंने पेतरॉस से कहा, “अच्छा, तुम मेरे साथ एक घंटा भी सजग न रह सके!
And he cometh unto the disciples, and findeth them sleeping, and saith unto Peter, What, could ye not watch with me one hour?
41 सजग रहो, प्रार्थना करते रहो, ऐसा न हो कि तुम परीक्षा में पड़ जाओ. हां, निःसंदेह आत्मा तो तैयार है किंतु शरीर दुर्बल.”
Watch and pray, that ye enter not into temptation: the spirit indeed is willing, but the flesh is weak.
42 तब येशु ने दूसरी बार जाकर प्रार्थना की, “मेरे पिता, यदि यह प्याला मेरे पिए बिना मुझसे टल नहीं सकता तो आप ही की इच्छा पूरी हो.”
Again a second time he went away, and prayed, saying, My Father, if this cannot pass away, except I drink it, thy will be done.
43 वह दोबारा लौटकर आए तो देखा कि शिष्य सोए हुए हैं—क्योंकि उनकी पलकें बोझिल थी.
And he came again and found them sleeping, for their eyes were heavy.
44 एक बार फिर वह उन्हें छोड़ आगे चले गए और तीसरी बार प्रार्थना की और उन्होंने प्रार्थना में वही सब दोहराया.
And he left them again, and went away, and prayed a third time, saying again the same words.
45 तब वह शिष्यों के पास लौटे और उनसे कहा, “क्या तुम अभी भी सो रहे और आराम कर रहे हो? बहुत हो गया! देखो! आ गया है वह क्षण! मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथों पकड़वाया जा रहा है.
Then cometh he to the disciples, and saith unto them, Sleep on now, and take your rest: behold, the hour is at hand, and the Son of man is betrayed into the hands of sinners.
46 उठो! यहां से चलें. देखो, जो मुझे पकड़वाने पर है, वह आ गया!”
Arise, let us be going: behold, he is at hand that betrayeth me.
47 येशु अपना कथन समाप्त भी न कर पाए थे कि यहूदाह, जो बारह शिष्यों में से एक था, वहां आ पहुंचा. उसके साथ एक बड़ी भीड़ थी, जो तलवारें और लाठियां लिए हुए थी. ये सब प्रधान पुरोहितों और पुरनियों की ओर से भेजे गए थे.
And while he yet spake, lo, Judas, one of the twelve, came, and with him a great multitude with swords and staves, from the chief priests and elders of the people.
48 येशु के विश्वासघाती ने उन्हें यह संकेत दिया था: “मैं जिसे चूमूं, वही होगा वह. उसे ही पकड़ लेना.”
Now he that betrayed him gave them a sign, saying, Whomsoever I shall kiss, that is he: take him.
49 वहां पहुंचते ही यहूदाह सीधे मसीह येशु के पास गया और उनसे कहा, “प्रणाम, रब्बी!” और उन्हें चूम लिया.
And straightway he came to Jesus, and said, Hail, Rabbi; and kissed him.
50 येशु ने यहूदाह से कहा, “मेरे मित्र, जिस काम के लिए आए हो, उसे पूरा कर लो.” उन्होंने आकर येशु को पकड़ लिया.
And Jesus said unto him, Friend, [do] that for which thou art come. Then they came and laid hands on Jesus, and took him.
51 येशु के शिष्यों में से एक ने तलवार खींची और महापुरोहित के दास पर चला दी जिससे उसका कान कट गया.
And behold, one of them that were with Jesus stretched out his hand, and drew his sword, and smote the servant of the high priest, and struck off his ear.
52 येशु ने उस शिष्य से कहा, “अपनी तलवार को म्यान में रखो! जो तलवार उठाते हैं, वे तलवार से ही नाश किए जाएंगे.
Then saith Jesus unto him, Put up again thy sword into its place: for all they that take the sword shall perish with the sword.
53 क्या तुम यह तो सोच रहे कि मैं अपने पिता से विनती नहीं कर सकता और वह मेरे लिए स्वर्गदूतों के बारह या उससे अधिक लेगिओन (बड़ी सेना) नहीं भेज सकते?
Or thinkest thou that I cannot beseech my Father, and he shall even now send me more than twelve legions of angels?
54 फिर भला पवित्र शास्त्र के लेख कैसे पूरे होंगे, जिनमें लिखा है कि यह सब इसी प्रकार होना अवश्य है?”
How then should the scriptures be fulfilled, that thus it must be?
55 तब येशु ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “क्या तुम्हें मुझे पकड़ने के लिए तलवारें और लाठियां लेकर आने की ज़रूरत थी, जैसे किसी डाकू को पकड़ने के लिए होती है? मैं तो प्रतिदिन मंदिर में बैठकर शिक्षा दिया करता था! तब तुमने मुझे नहीं पकड़ा!
In that hour said Jesus to the multitudes, Are ye come out as against a robber with swords and staves to seize me? I sat daily in the temple teaching, and ye took me not.
56 यह सब इसलिये हुआ है कि भविष्यद्वक्ताओं के लेख पूरे हों.” इस समय सभी शिष्य उन्हें छोड़कर भाग चुके थे.
But all this is come to pass, that the scriptures of the prophets might be fulfilled. Then all the disciples left him, and fled.
57 जिन्होंने येशु को पकड़ा था वे उन्हें महापुरोहित कायाफ़स के यहां ले गए, जहां शास्त्री तथा पुरनिये इकट्ठा थे.
And they that had taken Jesus led him away to [the house of] Caiaphas the high priest, where the scribes and the elders were gathered together.
58 पेतरॉस कुछ दूरी पर येशु के पीछे-पीछे चलते हुए महापुरोहित के आंगन में आ पहुंचे और वहां वह प्रहरियों के साथ बैठ गए कि देखें आगे क्या-क्या होता है.
But Peter followed him afar off, unto the court of the high priest, and entered in, and sat with the officers, to see the end.
59 मसीह येशु को मृत्यु दंड देने की इच्छा लिए हुए प्रधान पुरोहित तथा पूरी महासभा मसीह येशु के विरुद्ध झूठे गवाह खोजने का यत्न कर रही थी,
Now the chief priests and the whole council sought false witness against Jesus, that they might put him to death;
60 किंतु इसमें वे विफल ही रहे. यद्यपि अनेक झूठे गवाह सामने आए, किंतु मृत्यु दंड के लिए आवश्यक दो सहमत गवाह उन्हें फिर भी न मिले. आखिर दो गवाह सामने आए
and they found it not, though many false witnesses came. But afterward came two,
61 जिन्होंने कहा, “यह व्यक्ति कहता था, ‘मैं परमेश्वर के मंदिर को नाश करके उसे तीन दिन में दोबारा खड़ा करने में समर्थ हूं.’”
and said, This man said, I am able to destroy the temple of God, and to build it in three days.
62 तब महापुरोहित खड़े हुए तथा मसीह येशु से पूछा, “क्या तुम्हें अपने बचाव में कुछ नहीं कहना है? ये सब तुम्हारे विरुद्ध क्या-क्या गवाही दे रहे हैं!”
And the high priest stood up, and said unto him, Answerest thou nothing? what is it which these witness against thee?
63 येशु मौन ही रहे. तब महापुरोहित ने येशु से कहा, “मैं तुम्हें जीवित परमेश्वर की शपथ देता हूं कि तुम हमें बताओ, क्या तुम ही मसीह, परमेश्वर के पुत्र हो?”
But Jesus held his peace. And the high priest said unto him, I adjure thee by the living God, that thou tell us whether thou art the Christ, the Son of God.
64 येशु ने उसे उत्तर दिया, “आपने यह स्वयं कह दिया है, फिर भी, मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि इसके बाद आप मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दायीं ओर बैठे तथा आकाश के बादलों पर आता हुआ देखेंगे.”
Jesus saith unto him, Thou hast said: nevertheless I say unto you, Henceforth ye shall see the Son of man sitting at the right hand of Power, and coming on the clouds of heaven.
65 यह सुनना था कि महापुरोहित ने अपने वस्त्र फाड़ डाले और कहा, “परमेश्वर-निंदा की है इसने! क्या अब भी गवाहों की ज़रूरत है? आप सभी ने स्वयं यह परमेश्वर-निंदा सुनी है.
Then the high priest rent his garments, saying, He hath spoken blasphemy: what further need have we of witnesses? behold, now ye have heard the blasphemy:
66 अब क्या विचार है आपका?” सभी परिषद ने उत्तर दिया, “यह मृत्यु दंड के योग्य है.”
what think ye? They answered and said, He is worthy of death.
67 तब उन्होंने येशु के मुख पर थूका, उन पर घूंसों से प्रहार किया, कुछ ने उन्हें थप्पड़ भी मारे और फिर उनसे प्रश्न किया,
Then did they spit in his face and buffet him: and some smote him with the palms of their hands,
68 “मसीह! भविष्यवाणी कीजिए, कि आपको किसने मारा है?”
saying, Prophesy unto us, thou Christ: who is he that struck thee?
69 पेतरॉस आंगन में बैठे हुए थे. एक दासी वहां से निकली और पेतरॉस से पूछने लगी, “तुम भी तो उस गलीलवासी येशु के साथ थे न?”
Now Peter was sitting without in the court: and a maid came unto him, saying, Thou also wast with Jesus the Galilæan.
70 किंतु पेतरॉस ने सबके सामने यह कहते हुए इस सच को नकार दिया: “क्या कह रही हो? मैं समझा नहीं!”
But he denied before them all, saying, I know not what thou sayest.
71 जब पेतरॉस द्वार से बाहर निकले, एक दूसरी दासी ने पेतरॉस को देख वहां उपस्थित लोगों से कहा, “यह व्यक्ति नाज़रेथ के येशु के साथ था.”
And when he was gone out into the porch, another [maid] saw him, and saith unto them that were there, This man also was with Jesus of Nazareth.
72 एक बार फिर पेतरॉस ने शपथ खाकर नकारते हुए कहा, “मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता.”
And again he denied with an oath, I know not the man.
73 कुछ समय बाद एक व्यक्ति ने पेतरॉस के पास आकर कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं कि तुम भी उनमें से एक हो. तुम्हारी भाषा-शैली से यह स्पष्ट हो रहा है.”
And after a little while they that stood by came and said to Peter, Of a truth thou also art [one] of them; for thy speech maketh thee known.
74 पेतरॉस अपशब्द कहते हुए शपथ खाकर कहने लगे, “मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता!” उनका यह कहना था कि मुर्ग ने बांग दी.
Then began he to curse and to swear, I know not the man. And straightway the cock crew.
75 पेतरॉस को येशु की वह कही हुई बात याद आई, “इसके पूर्व कि मुर्ग बांग दे तुम मुझे तीन बार नकार चुके होगे.” पेतरॉस बाहर गए और फूट-फूटकर रोने लगे.
And Peter remembered the word which Jesus had said, Before the cock crow, thou shalt deny me thrice. And he went out, and wept bitterly.