< मत्ती 21 >

1 जब वे येरूशलेम नगर के पास पहुंचे और ज़ैतून पर्वत पर बैथफ़गे नामक स्थान पर आए, येशु ने दो चेलों को इस आज्ञा के साथ आगे भेजा,
ཨནནྟརཾ ཏེཥུ ཡིརཱུཤཱལམྣགརསྱ སམཱིཔཝེརྟྟིནོ ཛཻཏུནནཱམཀདྷརཱདྷརསྱ སམཱིཔསྠྟིཾ བཻཏྥགིགྲཱམམ྄ ཨཱགཏེཥུ, ཡཱིཤུཿ ཤིཥྱདྭཡཾ པྲེཥཡན྄ ཛགཱད,
2 “सामने गांव में जाओ. वहां पहुंचते ही तुम्हें एक गधी बंधी हुई दिखाई देगी. उसके साथ उसका बच्चा भी होगा. उन्हें खोलकर मेरे पास ले आओ.
ཡུཝཱཾ སམྨུཁསྠགྲཱམཾ གཏྭཱ བདྡྷཱཾ ཡཱཾ སཝཏྶཱཾ གརྡྡབྷཱིཾ ཧཋཱཏ྄ པྲཱཔྶྱཐཿ, ཏཱཾ མོཙཡིཏྭཱ མདནྟིཀམ྄ ཨཱནཡཏཾ།
3 यदि कोई तुमसे इस विषय में प्रश्न करे तो तुम उसे यह उत्तर देना, ‘प्रभु को इनकी ज़रूरत है.’ वह व्यक्ति तुम्हें आज्ञा दे देगा.”
ཏཏྲ ཡདི ཀཤྩིཏ྄ ཀིཉྩིད྄ ཝཀྵྱཏི, ཏརྷི ཝདིཥྱཐཿ, ཨེཏསྱཱཾ པྲབྷོཿ པྲཡོཛནམཱསྟེ, ཏེན ས ཏཏྐྵཎཱཏ྄ པྲཧེཥྱཏི།
4 यह घटना भविष्यवक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:
སཱིཡོནཿ ཀནྱཀཱཾ ཡཱུཡཾ བྷཱཥདྷྭམིཏི བྷཱརཏཱིཾ། པཤྱ ཏེ ནམྲཤཱིལཿ སན྄ ནྲྀཔ ཨཱརུཧྱ གརྡབྷཱིཾ། ཨརྠཱདཱརུཧྱ ཏདྭཏྶམཱཡཱསྱཏི ཏྭདནྟིཀཾ།
5 ज़ियोन की बेटी को यह सूचना दो: तुम्हारे पास तुम्हारा राजा आ रहा है; वह नम्र है और वह गधे पर बैठा हुआ है, हां, गधे के बच्‍चे पर, बोझ ढोनेवाले के बच्‍चे पर.
བྷཝིཥྱདྭཱདིནོཀྟཾ ཝཙནམིདཾ ཏདཱ སཕལམབྷཱུཏ྄།
6 शिष्यों ने येशु की आज्ञा का पूरी तरह पालन किया
ཨནནྟརཾ ཏཽ ཤྵྱི ཡཱིཤོ ཪྻཐཱནིདེཤཾ ཏཾ གྲཱམཾ གཏྭཱ
7 और वे गधी और उसके बच्‍चे को ले आए, उन पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए और येशु उन कपड़ो पर बैठ गए.
གརྡབྷཱིཾ ཏདྭཏྶཉྩ སམཱནཱིཏཝནྟཽ, པཤྩཱཏ྄ ཏདུཔརི སྭཱིཡཝསནཱནཱི པཱཏཡིཏྭཱ ཏམཱརོཧཡཱམཱསཏུཿ།
8 भीड़ में से अधिकांश ने मार्ग पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए. कुछ अन्यों ने पेड़ों की टहनियां काटकर मार्ग पर बिछा दीं.
ཏཏོ བཧཝོ ལོཀཱ ནིཛཝསནཱནི པཐི པྲསཱརཡིཏུམཱརེབྷིརེ, ཀཏིཔཡཱ ཛནཱཤྩ པཱདཔཔརྞཱདིཀཾ ཚིཏྭཱ པཐི ཝིསྟཱརཡཱམཱསུཿ།
9 येशु के आगे-आगे जाती हुई तथा पीछे-पीछे आती हुई भीड़ ये नारे लगा रही थी “दावीद के पुत्र की होशान्‍ना!” “धन्य है, वह जो प्रभु के नाम में आ रहे हैं.” “सबसे ऊंचे स्थान में होशान्‍ना!”
ཨགྲགཱམིནཿ པཤྩཱདྒཱམིནཤྩ མནུཛཱ ཨུཙྩཻརྫཡ ཛཡ དཱཡཱུདཿ སནྟཱནེཏི ཛགདུཿ པརམེཤྭརསྱ ནཱམྣཱ ཡ ཨཱཡཱཏི ས དྷནྱཿ, སཪྻྭོཔརིསྠསྭརྒེཔི ཛཡཏི།
10 जब येशु ने येरूशलेम नगर में प्रवेश किया, पूरे नगर में हलचल मच गई. उनके आश्चर्य का विषय था: “कौन है यह?”
ཨིཏྠཾ ཏསྨིན྄ ཡིརཱུཤཱལམཾ པྲཝིཥྚེ ཀོ྅ཡམིཏི ཀཐནཱཏ྄ ཀྲྀཏྶྣཾ ནགརཾ ཙཉྩལམབྷཝཏ྄།
11 भीड़ उन्हें उत्तर दे रही थी, “यही तो हैं वह भविष्यद्वक्ता—गलील के नाज़रेथ के येशु.”
ཏཏྲ ལོཀོཿ ཀཐཡཱམཱསུཿ, ཨེཥ གཱལཱིལྤྲདེཤཱིཡ-ནཱསརཏཱིཡ-བྷཝིཥྱདྭཱདཱི ཡཱིཤུཿ།
12 येशु ने मंदिर में प्रवेश किया और उन सभी को मंदिर से बाहर निकाल दिया, जो वहां लेनदेन कर रहे थे. साथ ही येशु ने साहूकारों की चौकियां उलट दीं और कबूतर बेचने वालों के आसनों को पलट दिया.
ཨནནྟརཾ ཡཱིཤུརཱིཤྭརསྱ མནྡིརཾ པྲཝིཤྱ ཏནྨདྷྱཱཏ྄ ཀྲཡཝིཀྲཡིཎོ ཝཧིཤྩཀཱར; ཝཎིཛཱཾ མུདྲཱསནཱནཱི ཀཔོཏཝིཀྲཡིཎཱཉྩསནཱནཱི ཙ ནྱུཝྫཡཱམཱས།
13 येशु ने उन्हें फटकारते हुए कहा, “पवित्र शास्त्र का लेख है: मेरा मंदिर प्रार्थना का घर कहलाएगा किंतु तुम इसे डाकुओं की खोह बना रहे हो.”
ཨཔརཾ ཏཱནུཝཱཙ, ཨེཥཱ ལིཔིརཱསྟེ, "མམ གྲྀཧཾ པྲཱརྠནཱགྲྀཧམིཏི ཝིཁྱཱསྱཏི", ཀིནྟུ ཡཱུཡཾ ཏད྄ དསྱཱུནཱཾ གཧྭརཾ ཀྲྀཏཝནྟཿ།
14 मंदिर में ही, येशु के पास अंधे और लंगड़े आए और येशु ने उन्हें स्वस्थ किया.
ཏདནནྟརམ྄ ཨནྡྷཁཉྩལོཀཱསྟསྱ སམཱིཔམཱགཏཱཿ, ས ཏཱན྄ ནིརཱམཡཱན྄ ཀྲྀཏཝཱན྄།
15 जब प्रधान पुरोहितों तथा शास्त्रियों ने देखा कि येशु ने अद्भुत काम किए हैं और बच्‍चे मंदिर में, “दावीद की संतान की होशान्‍ना” के नारे लगा रहे हैं, तो वे अत्यंत गुस्सा हुए.
ཡདཱ པྲདྷཱནཡཱཛཀཱ ཨདྷྱཱཔཀཱཤྩ ཏེན ཀྲྀཏཱནྱེཏཱནི ཙིཏྲཀརྨྨཱཎི དདྲྀཤུཿ, ཛཡ ཛཡ དཱཡཱུདཿ སནྟཱན, མནྡིརེ བཱལཀཱནཱམ྄ ཨེཏཱདྲྀཤམ྄ ཨུཙྩདྷྭནིཾ ཤུཤྲུཝུཤྩ, ཏདཱ མཧཱཀྲུདྡྷཱ བབྷཱུཝཿ,
16 और येशु से बोले, “तुम सुन रहे हो न, ये बच्‍चे क्या नारे लगा रहे हैं?” येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “हां, क्या आपने पवित्र शास्त्र में कभी नहीं पढ़ा, बालकों और दूध पीते शिशुओं के मुख से आपने अपने लिए अपार स्तुति का प्रबंध किया है?”
ཏཾ པཔྲཙྪུཤྩ, ཨིམེ ཡད྄ ཝདནྟི, ཏཏ྄ ཀིཾ ཏྭཾ ཤྲྀཎོཥི? ཏཏོ ཡཱིཤུསྟཱན྄ ཨཝོཙཏ྄, སཏྱམ྄; སྟནྱཔཱཡིཤིཤཱུནཱཉྩ བཱལཀཱནཱཉྩ ཝཀྟྲཏཿ། སྭཀཱིཡཾ མཧིམཱནཾ ཏྭཾ སཾཔྲཀཱཤཡསི སྭཡཾ། ཨེཏདྭཱཀྱཾ ཡཱུཡཾ ཀིཾ ནཱཔཋཏ?
17 येशु उन्हें छोड़कर नगर के बाहर चले गए तथा आराम के लिए बैथनियाह नामक गांव में ठहर गए.
ཏཏསྟཱན྄ ཝིཧཱཡ ས ནགརཱད྄ བཻཐནིཡཱགྲཱམཾ གཏྭཱ ཏཏྲ རཛནཱིཾ ཡཱཔཡཱམཱས།
18 भोर को जब वह नगर में लौटकर आ रहे थे, उन्हें भूख लगी.
ཨནནྟརཾ པྲབྷཱཏེ སཏི ཡཱིཤུཿ པུནརཔི ནགརམཱགཙྪན྄ ཀྵུདྷཱརྟྟོ བབྷཱུཝ།
19 मार्ग के किनारे एक अंजीर का पेड़ देखकर वह उसके पास गए किंतु उन्हें उसमें पत्तियों के अलावा कुछ नहीं मिला. इस पर येशु ने उस पेड़ को शाप दिया, “अब से तुझमें कभी कोई फल नहीं लगेगा.” तुरंत ही वह पेड़ मुरझा गया. (aiōn g165)
ཏཏོ མཱརྒཔཱརྴྭ ཨུཌུམྦརཝྲྀཀྵམེཀཾ ཝིལོཀྱ ཏཏྶམཱིཔཾ གཏྭཱ པཏྲཱཎི ཝིནཱ ཀིམཔི ན པྲཱཔྱ ཏཾ པཱདཔཾ པྲོཝཱཙ, ཨདྱཱརབྷྱ ཀདཱཔི ཏྭཡི ཕལཾ ན བྷཝཏུ; ཏེན ཏཏྐྵཎཱཏ྄ ས ཨུཌུམྦརམཱཧཱིརུཧཿ ཤུཥྐཏཱཾ གཏཿ། (aiōn g165)
20 यह देख शिष्य हैरान रह गए. उन्होंने प्रश्न किया, “अंजीर का यह पेड़ तुरंत ही कैसे मुरझा गया?”
ཏད྄ དྲྀཥྚྭཱ ཤིཥྱཱ ཨཱཤྩཪྻྱཾ ཝིཛྙཱཡ ཀཐཡཱམཱསུཿ, ཨཱཿ, ཨུཌུམྭརཔཱདཔོ྅ཏིཏཱུརྞཾ ཤུཥྐོ྅བྷཝཏ྄།
21 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम इस सच्चाई को समझ लो: यदि तुम्हें विश्वास हो—संदेह तनिक भी न हो—तो तुम न केवल वह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ के साथ किया गया परंतु तुम यदि इस पर्वत को भी आज्ञा दोगे, ‘उखड़ जा और समुद्र में जा गिर!’ तो यह भी हो जाएगा.
ཏཏོ ཡཱིཤུསྟཱནུཝཱཙ, ཡུཥྨཱནཧཾ སཏྱཾ ཝདཱམི, ཡདི ཡཱུཡམསནྡིགྡྷཱཿ པྲཏཱིཐ, ཏརྷི ཡཱུཡམཔི ཀེཝལོཌུམྭརཔཱདཔཾ པྲཏཱིཏྠཾ ཀརྟྟུཾ ཤཀྵྱཐ, ཏནྣ, ཏྭཾ ཙལིཏྭཱ སཱགརེ པཏེཏི ཝཱཀྱཾ ཡུཥྨཱབྷིརསྨིན ཤཻལེ པྲོཀྟེཔི ཏདཻཝ ཏད྄ གྷཊིཥྱཏེ།
22 प्रार्थना में विश्वास से तुम जो भी विनती करोगे, तुम उसे प्राप्‍त करोगे.”
ཏཐཱ ཝིཤྭསྱ པྲཱརྠྱ ཡུཥྨཱབྷི ཪྻད྄ ཡཱཙིཥྱཏེ, ཏདེཝ པྲཱཔྶྱཏེ།
23 येशु ने मंदिर में प्रवेश किया और जब वह वहां शिक्षा दे ही रहे थे, प्रधान पुरोहित और पुरनिए उनके पास आए और उनसे पूछा, “किस अधिकार से तुम ये सब कर रहे हो? कौन है वह, जिसने तुम्हें इसका अधिकार दिया है?”
ཨནནྟརཾ མནྡིརཾ པྲཝིཤྱོཔདེཤནསམཡེ ཏཏྶམཱིཔཾ པྲདྷཱནཡཱཛཀཱཿ པྲཱཙཱིནལོཀཱཤྩཱགཏྱ པཔྲཙྪུཿ, ཏྭཡཱ ཀེན སཱམརྠྱནཻཏཱནི ཀརྨྨཱཎི ཀྲིཡནྟེ? ཀེན ཝཱ ཏུབྷྱམེཏཱནི སཱམརྠྱཱནི དཏྟཱནི?
24 येशु ने इसके उत्तर में कहा, “मैं भी आपसे एक प्रश्न करूंगा. यदि आप मुझे उसका उत्तर देंगे तो मैं भी आपके इस प्रश्न का उत्तर दूंगा कि मैं किस अधिकार से यह सब करता हूं:
ཏཏོ ཡཱིཤུཿ པྲཏྱཝདཏ྄, ཨཧམཔི ཡུཥྨཱན྄ ཝཱཙམེཀཱཾ པྲྀཙྪཱམི, ཡདི ཡཱུཡཾ ཏདུཏྟརཾ དཱཏུཾ ཤཀྵྱཐ, ཏདཱ ཀེན སཱམརྠྱེན ཀརྨྨཱཎྱེཏཱནི ཀརོམི, ཏདཧཾ ཡུཥྨཱན྄ ཝཀྵྱཱམི།
25 योहन का बपतिस्मा किसकी ओर से था—स्वर्ग की ओर से या मनुष्यों की ओर से?” इस पर वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “यदि हम कहते हैं, ‘स्वर्ग की ओर से,’ तो वह हमसे कहेगा, ‘तब आपने योहन में विश्वास क्यों नहीं किया?’
ཡོཧནོ མཛྫནཾ ཀསྱཱཛྙཡཱབྷཝཏ྄? ཀིམཱིཤྭརསྱ མནུཥྱསྱ ཝཱ? ཏཏསྟེ པརསྤརཾ ཝིཝིཙྱ ཀཐཡཱམཱསུཿ, ཡདཱིཤྭརསྱེཏི ཝདཱམསྟརྷི ཡཱུཡཾ ཏཾ ཀུཏོ ན པྲཏྱཻཏ? ཝཱཙམེཏཱཾ ཝཀྵྱཏི།
26 किंतु यदि हम कहते हैं, ‘मनुष्यों की ओर से,’ तब हमें भीड़ से भय है; क्योंकि सभी योहन को भविष्यवक्ता मानते हैं.”
མནུཥྱསྱེཏི ཝཀྟུམཔི ལོཀེབྷྱོ བིབྷཱིམཿ, ཡཏཿ སཪྻྭཻརཔི ཡོཧན྄ བྷཝིཥྱདྭཱདཱིཏི ཛྙཱཡཏེ།
27 उन्होंने आकर येशु से कहा, “आपके प्रश्न का उत्तर हमें मालूम नहीं.” येशु ने भी उन्हें उत्तर दिया, “मैं भी आपको नहीं बताऊंगा कि मैं किस अधिकार से ये सब करता हूं.
ཏསྨཱཏ྄ ཏེ ཡཱིཤུཾ པྲཏྱཝདན྄, ཏད྄ ཝཡཾ ན ཝིདྨཿ། ཏདཱ ས ཏཱནུཀྟཝཱན྄, ཏརྷི ཀེན སཱམརཐྱེན ཀརྨྨཱཎྱེཏཱནྱཧཾ ཀརོམི, ཏདཔྱཧཾ ཡུཥྨཱན྄ ན ཝཀྵྱཱམི།
28 “इस विषय में क्या विचार है आपका? एक व्यक्ति के दो पुत्र थे. उसने बड़े पुत्र से कहा, ‘हे पुत्र, आज जाकर दाख की बारी का काम देख लेना.’
ཀསྱཙིཛྫནསྱ དྭཽ སུཏཱཝཱསྟཱཾ ས ཨེཀསྱ སུཏསྱ སམཱིཔཾ གཏྭཱ ཛགཱད, ཧེ སུཏ, ཏྭམདྱ མམ དྲཱཀྵཱཀྵེཏྲེ ཀརྨྨ ཀརྟུཾ ཝྲཛ།
29 “उसने उत्तर दिया, ‘नहीं जाऊंगा.’ परंतु कुछ समय के बाद उसे पछतावा हुआ और वह दाख की बारी चला गया.
ཏཏཿ ས ཨུཀྟཝཱན྄, ན ཡཱསྱཱམི, ཀིནྟུ ཤེཥེ྅ནུཏཔྱ ཛགཱམ།
30 “पिता दूसरे पुत्र के पास गया और उससे भी यही कहा. उसने उत्तर दिया, ‘जी हां, अवश्य.’ किंतु वह गया नहीं.
ཨནནྟརཾ སོནྱསུཏསྱ སམཱིཔཾ གཏྭཱ ཏཐཻཝ ཀཐྟིཝཱན྄; ཏཏཿ ས པྲཏྱུཝཱཙ, མཧེཙྪ ཡཱམི, ཀིནྟུ ན གཏཿ།
31 “यह बताइए कि किस पुत्र ने अपने पिता की इच्छा पूरी की?” उन्होंने उत्तर दिया: “बड़े पुत्र ने.” येशु ने उनसे कहा, “सच यह है कि समाज से निकाले लोग तथा वेश्याएं आप लोगों से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर जाएंगे.
ཨེཏཡོཿ པུཏྲཡོ རྨདྷྱེ པིཏུརབྷིམཏཾ ཀེན པཱལིཏཾ? ཡུཥྨཱབྷིཿ ཀིཾ བུདྷྱཏེ? ཏཏསྟེ པྲཏྱཱུཙུཿ, པྲཐམེན པུཏྲེཎ། ཏདཱནཱིཾ ཡཱིཤུསྟཱནུཝཱཙ, ཨཧཾ ཡུཥྨཱན྄ ཏཐྱཾ ཝདཱམི, ཙཎྜཱལཱ གཎིཀཱཤྩ ཡུཥྨཱཀམགྲཏ ཨཱིཤྭརསྱ རཱཛྱཾ པྲཝིཤནྟི།
32 बपतिस्मा देनेवाले योहन आपको धर्म का मार्ग दिखाते हुए आए, किंतु आप लोगों ने उनका विश्वास ही न किया. किंतु समाज के बहिष्कृतों और वेश्याओं ने उनका विश्वास किया. यह सब देखने पर भी आपने उनमें विश्वास के लिए पश्चाताप न किया.
ཡཏོ ཡུཥྨཱཀཾ སམཱིཔཾ ཡོཧནི དྷརྨྨཔཐེནཱགཏེ ཡཱུཡཾ ཏཾ ན པྲཏཱིཐ, ཀིནྟུ ཙཎྜཱལཱ གཎིཀཱཤྩ ཏཾ པྲཏྱཱཡན྄, ཏད྄ ཝིལོཀྱཱཔི ཡཱུཡཾ པྲཏྱེཏུཾ ནཱཁིདྱདྷྭཾ།
33 “एक और दृष्टांत सुनिए: एक गृहस्वामी था, जिसने एक दाख की बारी लगायी, चारदीवारी खड़ी की, रसकुंड बनाया तथा मचान भी. इसके बाद वह दाख की बारी किसानों को पट्टे पर देकर यात्रा पर चला गया.
ཨཔརམེཀཾ དྲྀཥྚཱནྟཾ ཤྲྀཎུཏ, ཀཤྩིད྄ གྲྀཧསྠཿ ཀྵེཏྲེ དྲཱཀྵཱལཏཱ རོཔཡིཏྭཱ ཏཙྩཏུརྡིཀྵུ ཝཱརཎཱིཾ ཝིདྷཱཡ ཏནྨདྷྱེ དྲཱཀྵཱཡནྟྲཾ སྠཱཔིཏཝཱན྄, མཱཉྩཉྩ ནིརྨྨིཏཝཱན྄, ཏཏཿ ཀྲྀཥཀེཥུ ཏཏ྄ ཀྵེཏྲཾ སམརྤྱ སྭཡཾ དཱུརདེཤཾ ཛགཱམ།
34 जब उपज तैयार होने का समय आया, तब उसने किसानों के पास अपने दास भेजे कि वे उनसे उपज का पहले से तय किया हुआ भाग इकट्ठा करें.
ཏདནནྟརཾ ཕལསམཡ ཨུཔསྠིཏེ ས ཕལཱནི པྲཱཔྟུཾ ཀྲྀཥཱིཝལཱནཱཾ སམཱིཔཾ ནིཛདཱསཱན྄ པྲེཥཡཱམཱས།
35 “किसानों ने उसके दासों को पकड़ा, उनमें से एक की पिटाई की, एक की हत्या तथा एक का पथराव.
ཀིནྟུ ཀྲྀཥཱིཝལཱསྟསྱ ཏཱན྄ དཱསེཡཱན྄ དྷྲྀཏྭཱ ཀཉྩན པྲཧྲྀཏཝནྟཿ, ཀཉྩན པཱཥཱཎཻརཱཧཏཝནྟཿ, ཀཉྩན ཙ ཧཏཝནྟཿ།
36 अब गृहस्वामी ने पहले से अधिक संख्या में दास भेजे. इन दासों के साथ भी किसानों ने वही सब किया.
པུནརཔི ས པྲབྷུཿ པྲཐམཏོ྅དྷིཀདཱསེཡཱན྄ པྲེཥཡཱམཱས, ཀིནྟུ ཏེ ཏཱན྄ པྲཏྱཔི ཏཐཻཝ ཙཀྲུཿ།
37 इस पर यह सोचकर कि वे मेरे पुत्र का तो सम्मान करेंगे, उस गृहस्वामी ने अपने पुत्र को किसानों के पास भेजा.
ཨནནྟརཾ མམ སུཏེ གཏེ ཏཾ སམཱདརིཥྱནྟེ, ཨིཏྱུཀྟྭཱ ཤེཥེ ས ནིཛསུཏཾ ཏེཥཱཾ སནྣིདྷིཾ པྲེཥཡཱམཱས།
38 “किंतु जब किसानों ने पुत्र को देखा तो आपस में विचार किया, ‘सुनो! यह तो वारिस है, चलो, इसकी हत्या कर दें और पूरी संपत्ति हड़प लें.’
ཀིནྟུ ཏེ ཀྲྀཥཱིཝལཱཿ སུཏཾ ཝཱིཀྵྱ པརསྤརམ྄ ཨིཏི མནྟྲཡིཏུམ྄ ཨཱརེབྷིརེ, ཨཡམུཏྟརཱདྷིཀཱརཱི ཝཡམེནཾ ནིཧཏྱཱསྱཱདྷིཀཱརཾ སྭཝཤཱིཀརིཥྱཱམཿ།
39 इसलिये उन्होंने पुत्र को पकड़ा, उसे बारी के बाहर ले गए और उसकी हत्या कर दी.
པཤྩཱཏ྄ ཏེ ཏཾ དྷྲྀཏྭཱ དྲཱཀྵཱཀྵེཏྲཱད྄ བཧིཿ པཱཏཡིཏྭཱབདྷིཥུཿ།
40 “इसलिये यह बताइए, जब दाख की बारी का स्वामी वहां आएगा, इन किसानों का क्या करेगा?”
ཡདཱ ས དྲཱཀྵཱཀྵེཏྲཔཏིརཱགམིཥྱཏི, ཏདཱ ཏཱན྄ ཀྲྀཥཱིཝལཱན྄ ཀིཾ ཀརིཥྱཏི?
41 उन्होंने उत्तर दिया, “वह उन दुष्टों का सर्वनाश कर देगा तथा दाख की बारी ऐसे किसानों को पट्टे पर दे देगा, जो उसे सही समय पर उपज का भाग देंगे.”
ཏཏསྟེ པྲཏྱཝདན྄, ཏཱན྄ ཀལུཥིཎོ དཱརུཎཡཱཏནཱབྷིརཱཧནིཥྱཏི, ཡེ ཙ སམཡཱནུཀྲམཱཏ྄ ཕལཱནི དཱསྱནྟི, ཏཱདྲྀཤེཥུ ཀྲྀཥཱིཝལེཥུ ཀྵེཏྲཾ སམརྤཡིཥྱཏི།
42 येशु ने उनसे कहा, “क्या आपने पवित्र शास्त्र में कभी नहीं पढ़ा: “‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने अनुपयोगी घोषित कर दिया था, वही कोने का मुख्य पत्थर बन गया. यह प्रभु की ओर से हुआ और यह हमारी दृष्टि में अनूठा है’?
ཏདཱ ཡཱིཤུནཱ ཏེ གདིཏཱཿ, གྲཧཎཾ ན ཀྲྀཏཾ ཡསྱ པཱཥཱཎསྱ ནིཙཱཡཀཻཿ། པྲདྷཱནཔྲསྟརཿ ཀོཎེ སཨེཝ སཾབྷཝིཥྱཏི། ཨེཏཏ྄ པརེཤིཏུཿ ཀརྨྨཱསྨདྲྀཥྚཱཝདྦྷུཏཾ བྷཝེཏ྄། དྷརྨྨགྲནྠེ ལིཁིཏམེཏདྭཙནཾ ཡུཥྨཱབྷིཿ ཀིཾ ནཱཔཱཋི?
43 “इसलिये मैं आप सब पर यह सत्य प्रकाशित कर रहा हूं: परमेश्वर का राज्य आपसे छीन लिया जाएगा तथा उस राष्ट्र को सौंप दिया जाएगा, जो उपयुक्त फल लाएगा.
ཏསྨཱདཧཾ ཡུཥྨཱན྄ ཝདཱམི, ཡུཥྨཏྟ ཨཱིཤྭརཱིཡརཱཛྱམཔནཱིཡ ཕལོཏྤཱདཡིཏྲནྱཛཱཏཡེ དཱཡིཥྱཏེ།
44 वह, जो इस पत्थर पर गिरेगा, टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा किंतु जिस किसी पर यह पत्थर गिरेगा उसे कुचलकर चूर्ण बना देगा.”
ཡོ ཛན ཨེཏཏྤཱཥཱཎོཔརི པཏིཥྱཏི, ཏཾ ས བྷཾཀྵྱཏེ, ཀིནྟྭཡཾ པཱཥཱཎོ ཡསྱོཔརི པཏིཥྱཏི, ཏཾ ས དྷཱུལིཝཏ྄ ཙཱུརྞཱིཀརིཥྱཏི།
45 प्रधान पुरोहित और फ़रीसी यह दृष्टांत सुनकर यह समझ गए कि प्रभु येशु ने उन पर ही यह दृष्टांत कहा है.
ཏདཱནཱིཾ པྲཱདྷནཡཱཛཀཱཿ ཕིརཱུཤིནཤྩ ཏསྱེམཱཾ དྲྀཥྚཱནྟཀཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ སོ྅སྨཱནུདྡིཤྱ ཀཐིཏཝཱན྄, ཨིཏི ཝིཛྙཱཡ ཏཾ དྷརྟྟུཾ ཙེཥྚིཏཝནྟཿ;
46 इसलिये उन्होंने येशु को पकड़ने की कोशिश तो की, किंतु उन्हें भीड़ का भय था, क्योंकि लोग येशु को भविष्यवक्ता मानते थे.
ཀིནྟུ ལོཀེབྷྱོ བིབྷྱུཿ, ཡཏོ ལོཀཻཿ ས བྷཝིཥྱདྭཱདཱིཏྱཛྙཱཡི།

< मत्ती 21 >