< मत्ती 21 >

1 जब वे येरूशलेम नगर के पास पहुंचे और ज़ैतून पर्वत पर बैथफ़गे नामक स्थान पर आए, येशु ने दो चेलों को इस आज्ञा के साथ आगे भेजा,
อนนฺตรํ เตษุ ยิรูศาลมฺนครสฺย สมีปเวรฺตฺติโน ไชตุนนามกธราธรสฺย สมีปสฺถฺตึ ไพตฺผคิคฺรามมฺ อาคเตษุ, ยีศุ: ศิษฺยทฺวยํ เปฺรษยนฺ ชคาท,
2 “सामने गांव में जाओ. वहां पहुंचते ही तुम्हें एक गधी बंधी हुई दिखाई देगी. उसके साथ उसका बच्चा भी होगा. उन्हें खोलकर मेरे पास ले आओ.
ยุวำ สมฺมุขสฺถคฺรามํ คตฺวา พทฺธำ ยำ สวตฺสำ ครฺทฺทภีํ หฐาตฺ ปฺราปฺสฺยถ: , ตำ โมจยิตฺวา มทนฺติกมฺ อานยตํฯ
3 यदि कोई तुमसे इस विषय में प्रश्न करे तो तुम उसे यह उत्तर देना, ‘प्रभु को इनकी ज़रूरत है.’ वह व्यक्ति तुम्हें आज्ञा दे देगा.”
ตตฺร ยทิ กศฺจิตฺ กิญฺจิทฺ วกฺษฺยติ, ตรฺหิ วทิษฺยถ: , เอตสฺยำ ปฺรโภ: ปฺรโยชนมาเสฺต, เตน ส ตตฺกฺษณาตฺ ปฺรเหษฺยติฯ
4 यह घटना भविष्यवक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:
สีโยน: กนฺยกำ ยูยํ ภาษธฺวมิติ ภารตีํฯ ปศฺย เต นมฺรศีล: สนฺ นฺฤป อารุหฺย ครฺทภีํฯ อรฺถาทารุหฺย ตทฺวตฺสมายาสฺยติ ตฺวทนฺติกํฯ
5 ज़ियोन की बेटी को यह सूचना दो: तुम्हारे पास तुम्हारा राजा आ रहा है; वह नम्र है और वह गधे पर बैठा हुआ है, हां, गधे के बच्‍चे पर, बोझ ढोनेवाले के बच्‍चे पर.
ภวิษฺยทฺวาทิโนกฺตํ วจนมิทํ ตทา สผลมภูตฺฯ
6 शिष्यों ने येशु की आज्ञा का पूरी तरह पालन किया
อนนฺตรํ เตา ศฺษฺยิ ยีโศ รฺยถานิเทศํ ตํ คฺรามํ คตฺวา
7 और वे गधी और उसके बच्‍चे को ले आए, उन पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए और येशु उन कपड़ो पर बैठ गए.
ครฺทภีํ ตทฺวตฺสญฺจ สมานีตวนฺเตา, ปศฺจาตฺ ตทุปริ สฺวียวสนานี ปาตยิตฺวา ตมาโรหยามาสตุ: ฯ
8 भीड़ में से अधिकांश ने मार्ग पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए. कुछ अन्यों ने पेड़ों की टहनियां काटकर मार्ग पर बिछा दीं.
ตโต พหโว โลกา นิชวสนานิ ปถิ ปฺรสารยิตุมาเรภิเร, กติปยา ชนาศฺจ ปาทปปรฺณาทิกํ ฉิตฺวา ปถิ วิสฺตารยามาสุ: ฯ
9 येशु के आगे-आगे जाती हुई तथा पीछे-पीछे आती हुई भीड़ ये नारे लगा रही थी “दावीद के पुत्र की होशान्‍ना!” “धन्य है, वह जो प्रभु के नाम में आ रहे हैं.” “सबसे ऊंचे स्थान में होशान्‍ना!”
อคฺรคามิน: ปศฺจาทฺคามินศฺจ มนุชา อุจฺไจรฺชย ชย ทายูท: สนฺตาเนติ ชคทุ: ปรเมศฺวรสฺย นามฺนา ย อายาติ ส ธนฺย: , สรฺโวฺวปริสฺถสฺวรฺเคปิ ชยติฯ
10 जब येशु ने येरूशलेम नगर में प्रवेश किया, पूरे नगर में हलचल मच गई. उनके आश्चर्य का विषय था: “कौन है यह?”
อิตฺถํ ตสฺมินฺ ยิรูศาลมํ ปฺรวิษฺเฏ โก'ยมิติ กถนาตฺ กฺฤตฺสฺนํ นครํ จญฺจลมภวตฺฯ
11 भीड़ उन्हें उत्तर दे रही थी, “यही तो हैं वह भविष्यद्वक्ता—गलील के नाज़रेथ के येशु.”
ตตฺร โลโก: กถยามาสุ: , เอษ คาลีลฺปฺรเทศีย-นาสรตีย-ภวิษฺยทฺวาที ยีศุ: ฯ
12 येशु ने मंदिर में प्रवेश किया और उन सभी को मंदिर से बाहर निकाल दिया, जो वहां लेनदेन कर रहे थे. साथ ही येशु ने साहूकारों की चौकियां उलट दीं और कबूतर बेचने वालों के आसनों को पलट दिया.
อนนฺตรํ ยีศุรีศฺวรสฺย มนฺทิรํ ปฺรวิศฺย ตนฺมธฺยาตฺ กฺรยวิกฺรยิโณ วหิศฺจการ; วณิชำ มุทฺราสนานี กโปตวิกฺรยิณาญฺจสนานี จ นฺยุวฺชยามาสฯ
13 येशु ने उन्हें फटकारते हुए कहा, “पवित्र शास्त्र का लेख है: मेरा मंदिर प्रार्थना का घर कहलाएगा किंतु तुम इसे डाकुओं की खोह बना रहे हो.”
อปรํ ตานุวาจ, เอษา ลิปิราเสฺต, "มม คฺฤหํ ปฺรารฺถนาคฺฤหมิติ วิขฺยาสฺยติ", กินฺตุ ยูยํ ตทฺ ทสฺยูนำ คหฺวรํ กฺฤตวนฺต: ฯ
14 मंदिर में ही, येशु के पास अंधे और लंगड़े आए और येशु ने उन्हें स्वस्थ किया.
ตทนนฺตรมฺ อนฺธขญฺจโลกาสฺตสฺย สมีปมาคตา: , ส ตานฺ นิรามยานฺ กฺฤตวานฺฯ
15 जब प्रधान पुरोहितों तथा शास्त्रियों ने देखा कि येशु ने अद्भुत काम किए हैं और बच्‍चे मंदिर में, “दावीद की संतान की होशान्‍ना” के नारे लगा रहे हैं, तो वे अत्यंत गुस्सा हुए.
ยทา ปฺรธานยาชกา อธฺยาปกาศฺจ เตน กฺฤตาเนฺยตานิ จิตฺรกรฺมฺมาณิ ททฺฤศุ: , ชย ชย ทายูท: สนฺตาน, มนฺทิเร พาลกานามฺ เอตาทฺฤศมฺ อุจฺจธฺวนึ ศุศฺรุวุศฺจ, ตทา มหากฺรุทฺธา พภูว: ,
16 और येशु से बोले, “तुम सुन रहे हो न, ये बच्‍चे क्या नारे लगा रहे हैं?” येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “हां, क्या आपने पवित्र शास्त्र में कभी नहीं पढ़ा, बालकों और दूध पीते शिशुओं के मुख से आपने अपने लिए अपार स्तुति का प्रबंध किया है?”
ตํ ปปฺรจฺฉุศฺจ, อิเม ยทฺ วทนฺติ, ตตฺ กึ ตฺวํ ศฺฤโณษิ? ตโต ยีศุสฺตานฺ อโวจตฺ, สตฺยมฺ; สฺตนฺยปายิศิศูนาญฺจ พาลกานาญฺจ วกฺตฺรต: ฯ สฺวกียํ มหิมานํ ตฺวํ สํปฺรกาศยสิ สฺวยํฯ เอตทฺวากฺยํ ยูยํ กึ นาปฐต?
17 येशु उन्हें छोड़कर नगर के बाहर चले गए तथा आराम के लिए बैथनियाह नामक गांव में ठहर गए.
ตตสฺตานฺ วิหาย ส นคราทฺ ไพถนิยาคฺรามํ คตฺวา ตตฺร รชนีํ ยาปยามาสฯ
18 भोर को जब वह नगर में लौटकर आ रहे थे, उन्हें भूख लगी.
อนนฺตรํ ปฺรภาเต สติ ยีศุ: ปุนรปิ นครมาคจฺฉนฺ กฺษุธารฺตฺโต พภูวฯ
19 मार्ग के किनारे एक अंजीर का पेड़ देखकर वह उसके पास गए किंतु उन्हें उसमें पत्तियों के अलावा कुछ नहीं मिला. इस पर येशु ने उस पेड़ को शाप दिया, “अब से तुझमें कभी कोई फल नहीं लगेगा.” तुरंत ही वह पेड़ मुरझा गया. (aiōn g165)
ตโต มารฺคปารฺศฺว อุฑุมฺพรวฺฤกฺษเมกํ วิโลกฺย ตตฺสมีปํ คตฺวา ปตฺราณิ วินา กิมปิ น ปฺราปฺย ตํ ปาทปํ โปฺรวาจ, อทฺยารภฺย กทาปิ ตฺวยิ ผลํ น ภวตุ; เตน ตตฺกฺษณาตฺ ส อุฑุมฺพรมาหีรุห: ศุษฺกตำ คต: ฯ (aiōn g165)
20 यह देख शिष्य हैरान रह गए. उन्होंने प्रश्न किया, “अंजीर का यह पेड़ तुरंत ही कैसे मुरझा गया?”
ตทฺ ทฺฤษฺฏฺวา ศิษฺยา อาศฺจรฺยฺยํ วิชฺญาย กถยามาสุ: , อา: , อุฑุมฺวรปาทโป'ติตูรฺณํ ศุษฺโก'ภวตฺฯ
21 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम इस सच्चाई को समझ लो: यदि तुम्हें विश्वास हो—संदेह तनिक भी न हो—तो तुम न केवल वह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ के साथ किया गया परंतु तुम यदि इस पर्वत को भी आज्ञा दोगे, ‘उखड़ जा और समुद्र में जा गिर!’ तो यह भी हो जाएगा.
ตโต ยีศุสฺตานุวาจ, ยุษฺมานหํ สตฺยํ วทามิ, ยทิ ยูยมสนฺทิคฺธา: ปฺรตีถ, ตรฺหิ ยูยมปิ เกวโลฑุมฺวรปาทปํ ปฺรตีตฺถํ กรฺตฺตุํ ศกฺษฺยถ, ตนฺน, ตฺวํ จลิตฺวา สาคเร ปเตติ วากฺยํ ยุษฺมาภิรสฺมิน ไศเล โปฺรกฺเตปิ ตไทว ตทฺ ฆฏิษฺยเตฯ
22 प्रार्थना में विश्वास से तुम जो भी विनती करोगे, तुम उसे प्राप्‍त करोगे.”
ตถา วิศฺวสฺย ปฺรารฺถฺย ยุษฺมาภิ รฺยทฺ ยาจิษฺยเต, ตเทว ปฺราปฺสฺยเตฯ
23 येशु ने मंदिर में प्रवेश किया और जब वह वहां शिक्षा दे ही रहे थे, प्रधान पुरोहित और पुरनिए उनके पास आए और उनसे पूछा, “किस अधिकार से तुम ये सब कर रहे हो? कौन है वह, जिसने तुम्हें इसका अधिकार दिया है?”
อนนฺตรํ มนฺทิรํ ปฺรวิโศฺยปเทศนสมเย ตตฺสมีปํ ปฺรธานยาชกา: ปฺราจีนโลกาศฺจาคตฺย ปปฺรจฺฉุ: , ตฺวยา เกน สามรฺถฺยไนตานิ กรฺมฺมาณิ กฺริยนฺเต? เกน วา ตุภฺยเมตานิ สามรฺถฺยานิ ทตฺตานิ?
24 येशु ने इसके उत्तर में कहा, “मैं भी आपसे एक प्रश्न करूंगा. यदि आप मुझे उसका उत्तर देंगे तो मैं भी आपके इस प्रश्न का उत्तर दूंगा कि मैं किस अधिकार से यह सब करता हूं:
ตโต ยีศุ: ปฺรตฺยวทตฺ, อหมปิ ยุษฺมานฺ วาจเมกำ ปฺฤจฺฉามิ, ยทิ ยูยํ ตทุตฺตรํ ทาตุํ ศกฺษฺยถ, ตทา เกน สามรฺเถฺยน กรฺมฺมาเณฺยตานิ กโรมิ, ตทหํ ยุษฺมานฺ วกฺษฺยามิฯ
25 योहन का बपतिस्मा किसकी ओर से था—स्वर्ग की ओर से या मनुष्यों की ओर से?” इस पर वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “यदि हम कहते हैं, ‘स्वर्ग की ओर से,’ तो वह हमसे कहेगा, ‘तब आपने योहन में विश्वास क्यों नहीं किया?’
โยหโน มชฺชนํ กสฺยาชฺญยาภวตฺ? กิมีศฺวรสฺย มนุษฺยสฺย วา? ตตเสฺต ปรสฺปรํ วิวิจฺย กถยามาสุ: , ยทีศฺวรเสฺยติ วทามสฺตรฺหิ ยูยํ ตํ กุโต น ปฺรไตฺยต? วาจเมตำ วกฺษฺยติฯ
26 किंतु यदि हम कहते हैं, ‘मनुष्यों की ओर से,’ तब हमें भीड़ से भय है; क्योंकि सभी योहन को भविष्यवक्ता मानते हैं.”
มนุษฺยเสฺยติ วกฺตุมปิ โลเกโภฺย พิภีม: , ยต: สรฺไวฺวรปิ โยหนฺ ภวิษฺยทฺวาทีติ ชฺญายเตฯ
27 उन्होंने आकर येशु से कहा, “आपके प्रश्न का उत्तर हमें मालूम नहीं.” येशु ने भी उन्हें उत्तर दिया, “मैं भी आपको नहीं बताऊंगा कि मैं किस अधिकार से ये सब करता हूं.
ตสฺมาตฺ เต ยีศุํ ปฺรตฺยวทนฺ, ตทฺ วยํ น วิทฺม: ฯ ตทา ส ตานุกฺตวานฺ, ตรฺหิ เกน สามรเถฺยน กรฺมฺมาเณฺยตานฺยหํ กโรมิ, ตทปฺยหํ ยุษฺมานฺ น วกฺษฺยามิฯ
28 “इस विषय में क्या विचार है आपका? एक व्यक्ति के दो पुत्र थे. उसने बड़े पुत्र से कहा, ‘हे पुत्र, आज जाकर दाख की बारी का काम देख लेना.’
กสฺยจิชฺชนสฺย เทฺวา สุตาวาสฺตำ ส เอกสฺย สุตสฺย สมีปํ คตฺวา ชคาท, เห สุต, ตฺวมทฺย มม ทฺรากฺษากฺเษเตฺร กรฺมฺม กรฺตุํ วฺรชฯ
29 “उसने उत्तर दिया, ‘नहीं जाऊंगा.’ परंतु कुछ समय के बाद उसे पछतावा हुआ और वह दाख की बारी चला गया.
ตต: ส อุกฺตวานฺ, น ยาสฺยามิ, กินฺตุ เศเษ'นุตปฺย ชคามฯ
30 “पिता दूसरे पुत्र के पास गया और उससे भी यही कहा. उसने उत्तर दिया, ‘जी हां, अवश्य.’ किंतु वह गया नहीं.
อนนฺตรํ โสนฺยสุตสฺย สมีปํ คตฺวา ตไถว กถฺติวานฺ; ตต: ส ปฺรตฺยุวาจ, มเหจฺฉ ยามิ, กินฺตุ น คต: ฯ
31 “यह बताइए कि किस पुत्र ने अपने पिता की इच्छा पूरी की?” उन्होंने उत्तर दिया: “बड़े पुत्र ने.” येशु ने उनसे कहा, “सच यह है कि समाज से निकाले लोग तथा वेश्याएं आप लोगों से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर जाएंगे.
เอตโย: ปุตฺรโย รฺมเธฺย ปิตุรภิมตํ เกน ปาลิตํ? ยุษฺมาภิ: กึ พุธฺยเต? ตตเสฺต ปฺรตฺยูจุ: , ปฺรถเมน ปุเตฺรณฯ ตทานีํ ยีศุสฺตานุวาจ, อหํ ยุษฺมานฺ ตถฺยํ วทามิ, จณฺฑาลา คณิกาศฺจ ยุษฺมากมคฺรต อีศฺวรสฺย ราชฺยํ ปฺรวิศนฺติฯ
32 बपतिस्मा देनेवाले योहन आपको धर्म का मार्ग दिखाते हुए आए, किंतु आप लोगों ने उनका विश्वास ही न किया. किंतु समाज के बहिष्कृतों और वेश्याओं ने उनका विश्वास किया. यह सब देखने पर भी आपने उनमें विश्वास के लिए पश्चाताप न किया.
ยโต ยุษฺมากํ สมีปํ โยหนิ ธรฺมฺมปเถนาคเต ยูยํ ตํ น ปฺรตีถ, กินฺตุ จณฺฑาลา คณิกาศฺจ ตํ ปฺรตฺยายนฺ, ตทฺ วิโลกฺยาปิ ยูยํ ปฺรเตฺยตุํ นาขิทฺยธฺวํฯ
33 “एक और दृष्टांत सुनिए: एक गृहस्वामी था, जिसने एक दाख की बारी लगायी, चारदीवारी खड़ी की, रसकुंड बनाया तथा मचान भी. इसके बाद वह दाख की बारी किसानों को पट्टे पर देकर यात्रा पर चला गया.
อปรเมกํ ทฺฤษฺฏานฺตํ ศฺฤณุต, กศฺจิทฺ คฺฤหสฺถ: เกฺษเตฺร ทฺรากฺษาลตา โรปยิตฺวา ตจฺจตุรฺทิกฺษุ วารณีํ วิธาย ตนฺมเธฺย ทฺรากฺษายนฺตฺรํ สฺถาปิตวานฺ, มาญฺจญฺจ นิรฺมฺมิตวานฺ, ตต: กฺฤษเกษุ ตตฺ เกฺษตฺรํ สมรฺปฺย สฺวยํ ทูรเทศํ ชคามฯ
34 जब उपज तैयार होने का समय आया, तब उसने किसानों के पास अपने दास भेजे कि वे उनसे उपज का पहले से तय किया हुआ भाग इकट्ठा करें.
ตทนนฺตรํ ผลสมย อุปสฺถิเต ส ผลานิ ปฺราปฺตุํ กฺฤษีวลานำ สมีปํ นิชทาสานฺ เปฺรษยามาสฯ
35 “किसानों ने उसके दासों को पकड़ा, उनमें से एक की पिटाई की, एक की हत्या तथा एक का पथराव.
กินฺตุ กฺฤษีวลาสฺตสฺย ตานฺ ทาเสยานฺ ธฺฤตฺวา กญฺจน ปฺรหฺฤตวนฺต: , กญฺจน ปาษาไณราหตวนฺต: , กญฺจน จ หตวนฺต: ฯ
36 अब गृहस्वामी ने पहले से अधिक संख्या में दास भेजे. इन दासों के साथ भी किसानों ने वही सब किया.
ปุนรปิ ส ปฺรภุ: ปฺรถมโต'ธิกทาเสยานฺ เปฺรษยามาส, กินฺตุ เต ตานฺ ปฺรตฺยปิ ตไถว จกฺรุ: ฯ
37 इस पर यह सोचकर कि वे मेरे पुत्र का तो सम्मान करेंगे, उस गृहस्वामी ने अपने पुत्र को किसानों के पास भेजा.
อนนฺตรํ มม สุเต คเต ตํ สมาทริษฺยนฺเต, อิตฺยุกฺตฺวา เศเษ ส นิชสุตํ เตษำ สนฺนิธึ เปฺรษยามาสฯ
38 “किंतु जब किसानों ने पुत्र को देखा तो आपस में विचार किया, ‘सुनो! यह तो वारिस है, चलो, इसकी हत्या कर दें और पूरी संपत्ति हड़प लें.’
กินฺตุ เต กฺฤษีวลา: สุตํ วีกฺษฺย ปรสฺปรมฺ อิติ มนฺตฺรยิตุมฺ อาเรภิเร, อยมุตฺตราธิการี วยเมนํ นิหตฺยาสฺยาธิการํ สฺววศีกริษฺยาม: ฯ
39 इसलिये उन्होंने पुत्र को पकड़ा, उसे बारी के बाहर ले गए और उसकी हत्या कर दी.
ปศฺจาตฺ เต ตํ ธฺฤตฺวา ทฺรากฺษากฺเษตฺราทฺ พหิ: ปาตยิตฺวาพธิษุ: ฯ
40 “इसलिये यह बताइए, जब दाख की बारी का स्वामी वहां आएगा, इन किसानों का क्या करेगा?”
ยทา ส ทฺรากฺษากฺเษตฺรปติราคมิษฺยติ, ตทา ตานฺ กฺฤษีวลานฺ กึ กริษฺยติ?
41 उन्होंने उत्तर दिया, “वह उन दुष्टों का सर्वनाश कर देगा तथा दाख की बारी ऐसे किसानों को पट्टे पर दे देगा, जो उसे सही समय पर उपज का भाग देंगे.”
ตตเสฺต ปฺรตฺยวทนฺ, ตานฺ กลุษิโณ ทารุณยาตนาภิราหนิษฺยติ, เย จ สมยานุกฺรมาตฺ ผลานิ ทาสฺยนฺติ, ตาทฺฤเศษุ กฺฤษีวเลษุ เกฺษตฺรํ สมรฺปยิษฺยติฯ
42 येशु ने उनसे कहा, “क्या आपने पवित्र शास्त्र में कभी नहीं पढ़ा: “‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने अनुपयोगी घोषित कर दिया था, वही कोने का मुख्य पत्थर बन गया. यह प्रभु की ओर से हुआ और यह हमारी दृष्टि में अनूठा है’?
ตทา ยีศุนา เต คทิตา: , คฺรหณํ น กฺฤตํ ยสฺย ปาษาณสฺย นิจายไก: ฯ ปฺรธานปฺรสฺตร: โกเณ เสอว สํภวิษฺยติฯ เอตตฺ ปเรศิตุ: กรฺมฺมาสฺมทฺฤษฺฏาวทฺภุตํ ภเวตฺฯ ธรฺมฺมคฺรนฺเถ ลิขิตเมตทฺวจนํ ยุษฺมาภิ: กึ นาปาฐิ?
43 “इसलिये मैं आप सब पर यह सत्य प्रकाशित कर रहा हूं: परमेश्वर का राज्य आपसे छीन लिया जाएगा तथा उस राष्ट्र को सौंप दिया जाएगा, जो उपयुक्त फल लाएगा.
ตสฺมาทหํ ยุษฺมานฺ วทามิ, ยุษฺมตฺต อีศฺวรียราชฺยมปนีย ผโลตฺปาทยิตฺรนฺยชาตเย ทายิษฺยเตฯ
44 वह, जो इस पत्थर पर गिरेगा, टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा किंतु जिस किसी पर यह पत्थर गिरेगा उसे कुचलकर चूर्ण बना देगा.”
โย ชน เอตตฺปาษาโณปริ ปติษฺยติ, ตํ ส ภํกฺษฺยเต, กินฺตฺวยํ ปาษาโณ ยโสฺยปริ ปติษฺยติ, ตํ ส ธูลิวตฺ จูรฺณีกริษฺยติฯ
45 प्रधान पुरोहित और फ़रीसी यह दृष्टांत सुनकर यह समझ गए कि प्रभु येशु ने उन पर ही यह दृष्टांत कहा है.
ตทานีํ ปฺราธนยาชกา: ผิรูศินศฺจ ตเสฺยมำ ทฺฤษฺฏานฺตกถำ ศฺรุตฺวา โส'สฺมานุทฺทิศฺย กถิตวานฺ, อิติ วิชฺญาย ตํ ธรฺตฺตุํ เจษฺฏิตวนฺต: ;
46 इसलिये उन्होंने येशु को पकड़ने की कोशिश तो की, किंतु उन्हें भीड़ का भय था, क्योंकि लोग येशु को भविष्यवक्ता मानते थे.
กินฺตุ โลเกโภฺย พิภฺยุ: , ยโต โลไก: ส ภวิษฺยทฺวาทีตฺยชฺญายิฯ

< मत्ती 21 >