< मत्ती 20 >
1 “स्वर्ग-राज्य दाख की बारी के उस स्वामी के समान है, जो सबेरे अपने उद्यान के लिए मज़दूर लाने निकला.
ⲁ̅ⲉⲥⲧⲛⲧⲱⲛ ⲅⲁⲣ ⲛϭⲓⲧⲙⲛⲧⲣⲣⲟ ⲛⲙⲡⲏⲩⲉ ⲉⲩⲣⲱⲙⲉ ⲛⲣⲙⲙⲁⲟ. ⲡⲁⲓ ⲛⲧⲁϥⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲉϩⲧⲟⲟⲩⲉ ⲉⲑⲛⲉⲉⲣⲅⲁⲧⲏⲥ ⲉⲡⲉϥⲙⲁ ⲛⲉⲗⲟⲟⲗⲉ.
2 जब वह मज़दूरों से एक दीनार रोज़ की मज़दूरी पर सहमत हो गया, उसने उन्हें दाख की बारी में काम करने भेज दिया.
ⲃ̅ⲁϥⲥⲙⲛⲧⲥ ⲇⲉ ⲙⲛⲛⲉⲣⲅⲁⲧⲏⲥ ⲉⲩⲥⲁⲧⲉⲉⲣⲉ ⲙⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲁϥϫⲟⲟⲩⲥⲉ ⲉⲡⲉϥⲙⲁ ⲛⲉⲗⲟⲟⲗⲉ.
3 “सुबह नौ बजे जब वह दोबारा नगर चौक से जा रहा था, उसने वहां कुछ मज़दूरों को बेकार खड़े पाया.
ⲅ̅ⲁϥⲉⲓ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡⲛⲁⲩ ⲛϫⲡϣⲟⲙⲧⲉ ⲁϥⲛⲁⲩ ⲉϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲉⲩⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ϩⲛⲧⲁⲅⲟⲣⲁ ⲉⲩⲟⲩⲟⲥϥ.
4 उसने उनसे कहा, ‘तुम भी जाकर मेरे दाख की बारी में काम करो. जो कुछ सही होगा, मैं तुम्हें दूंगा.’
ⲇ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲛⲕⲟⲟⲩⲉ. ϫⲉ ⲃⲱⲕ ϩⲱⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲉⲡⲁⲙⲁ ⲛⲉⲗⲟⲟⲗⲉ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲙⲡϣⲁ ϯⲛⲁⲧⲁⲁϥ ⲛⲏⲧⲛ.
5 तब वे चले गए. “वह दोबारा बारह बजे और तीन बजे नगर चौक में गया और ऐसा ही किया.
ⲉ̅ⲛⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲃⲱⲕ. ⲁϥⲉⲓ ⲇⲉ ⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡⲛⲁⲩ ⲛϫⲡⲥⲟ ⲙⲛϫⲡⲯⲓⲧⲉ ⲁϥⲉⲓⲣⲉ ϩⲓⲛⲁⲓ.
6 लगभग शाम पांच बजे वह दोबारा वहां गया और कुछ अन्यों को वहां खड़े पाया. उसने उनसे प्रश्न किया, ‘तुम सारे दिन यहां बेकार क्यों खड़े रहे?’
ⲋ̅ⲛⲧⲉⲣⲉϥⲉⲓ ⲇⲉ ⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡⲛⲁⲩ ⲛϫⲡⲙⲛⲧⲟⲩⲉ. ⲁϥⲛⲁⲩ ⲉϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲉⲩⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲁϩⲣⲱⲧⲛ ⲧⲉⲧⲛⲁϩⲉⲣⲁⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲙⲡⲉⲓⲙⲁ ⲙⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲧⲏⲣϥ ⲉⲧⲉⲧⲛⲟⲩⲟⲥϥ.
7 “उन्होंने उसे उत्तर दिया, ‘इसलिये कि किसी ने हमें काम नहीं दिया.’ “उसने उनसे कहा, ‘तुम भी मेरे दाख की बारी में चले जाओ.’
ⲍ̅ⲡⲉϫⲁⲩ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲙⲡⲉⲗⲁⲁⲩ ⲑⲛⲟⲛ. ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲃⲱⲕ ϩⲱⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲉⲡⲁⲙⲁ ⲛⲉⲗⲟⲟⲗⲉ.
8 “सांझ होने पर दाख की बारी के स्वामी ने प्रबंधक को आज्ञा दी, ‘अंत में आए मज़दूरों से प्रारंभ करते हुए सबसे पहले काम पर लगाए गए मज़दूरों को उनकी मज़दूरी दे दो.’
ⲏ̅ⲣⲟⲩϩⲉ ⲇⲉ ⲛⲧⲉⲣⲉϥϣⲱⲡⲉ. ⲡⲉϫⲁϥ ⲛϭⲓⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲙⲡⲙⲁ ⲛⲉⲗⲟⲟⲗⲉ ⲙⲡⲉϥⲉⲡⲓⲧⲣⲟⲡⲟⲥ. ϫⲉ ⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲛⲉⲣⲅⲁⲧⲏⲥ ⲛⲅϯ ⲛⲁⲩ ⲙⲡⲉⲩⲃⲉⲕⲉ ⲉⲁⲕⲁⲣⲭⲉⲓ ϫⲓⲛⲛϩⲁⲉⲉⲩ ϣⲁⲛⲧⲉⲕⲡⲱϩ ⲉⲛϣⲟⲣⲡ.
9 “उन मज़दूरों को, जो ग्यारहवें घंटे काम पर लगाए गए थे, एक-एक दीनार मिला.
ⲑ̅ⲁⲩⲉⲓ ⲇⲉ ⲛϭⲓⲛⲁϫⲡⲙⲛⲧⲟⲩⲉ ⲁⲩϫⲓ ⲛⲟⲩⲥⲁⲧⲉⲉⲣⲉ ⲉⲡⲟⲩⲁ.
10 इस प्रकार सबसे पहले आए मज़दूरों ने सोचा कि उन्हें अधिक मज़दूरी प्राप्त होगी किंतु उन्हें भी एक-एक दीनार ही मिला.
ⲓ̅ⲁⲩⲉⲓ ϩⲱⲟⲩ ⲛϭⲓⲛϣⲟⲣⲡ ⲉⲩⲙⲉⲉⲩⲉ ϫⲉ ⲉⲩⲛⲁϫⲓ ⲛⲟⲩϩⲟⲩⲟ. ⲁⲩϫⲓ ϩⲱⲟⲩ ⲛⲟⲩⲥⲁⲧⲉⲉⲣⲉ ⲉⲡⲟⲩⲁ.
11 जब उन्होंने इसे प्राप्त किया तब वे भूस्वामी के खिलाफ बड़बड़ाने लगे,
ⲓ̅ⲁ̅ⲛⲧⲉⲣⲟⲩϫⲓⲧⲥ ⲇⲉ ⲁⲩⲕⲣⲙⲣⲙ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡϫⲟⲉⲓⲥ.
12 ‘अंत में आए इन मज़दूरों ने मात्र एक ही घंटा काम किया है और आपने उन्हें हमारे बराबर ला दिया, जबकि हमने दिन की तेज धूप में कठोर परिश्रम किया.’
ⲓ̅ⲃ̅ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ. ϫⲉ ⲛⲉⲓϩⲁⲉⲉⲩ ⲟⲩⲟⲩⲛⲟⲩ ⲛⲟⲩⲱⲧ ⲧⲉⲛⲧⲁⲩⲁⲁⲥ ⲁⲩⲱ ⲁⲕϣⲁϣⲟⲩ ⲛⲙⲙⲁⲛ ⲛⲁⲓ ⲛⲧⲁⲩϥⲓ ⲙⲡⲃⲁⲣⲟⲥ ⲙⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲙⲛⲡⲕⲁⲩⲥⲱⲛ.
13 “बारी के मालिक ने उन्हें उत्तर दिया, ‘मित्र मैं तुम्हारे साथ कोई अन्याय नहीं कर रहा. क्या हम एक दीनार मज़दूरी पर सहमत न हुए थे?
ⲓ̅ⲅ̅ⲛⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ ⲛⲟⲩⲁ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ. ϫⲉ ⲡⲉϣⲃⲏⲣ ⲛϯϫⲓ ⲙⲙⲟⲕ ⲁⲛ ⲛϭⲟⲛⲥ. ⲙⲏ ⲛⲧⲁⲓⲥⲙⲛⲧⲥ ⲛⲙⲙⲁⲕ ⲁⲛ ⲉⲩⲥⲁⲧⲉⲉⲣⲉ.
14 जो कुछ तुम्हारा है उसे स्वीकार कर लो और जाओ. मेरी इच्छा यही है कि अंत में काम पर आए मज़दूर को उतना ही दूं जितना तुम्हें.
ⲓ̅ⲇ̅ϥⲓ ⲙⲡⲉⲧⲉⲡⲱⲕ ⲡⲉ ⲛⲅⲃⲱⲕ. ϯⲟⲩⲱϣ ⲇⲉ ⲁⲛⲟⲕ ⲉϯ ⲙⲡⲉⲓϩⲁⲉ ⲛⲧⲉⲕϩⲉ.
15 क्या यह न्याय संगत नहीं कि मैं अपनी संपत्ति के साथ वह करूं जो मैं चाहता हूं? क्या मेरा उदार होना तुम्हारी आंखों में खटक रहा है?’
ⲓ̅ⲉ̅ⲏ ⲟⲩⲕ ⲉⲝⲉⲥⲧⲉⲓ ⲛⲁⲓ ⲉⲣⲡⲉϯⲟⲩⲁϣϥ ϩⲛⲛⲉⲧⲉⲛⲟⲩⲓ ⲛⲉ. ⲏ ⲉⲣⲉ ⲡⲉⲕⲃⲁⲗ ⲟ ⲙⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲛⲅⲟⲩⲁⲅⲁⲑⲟⲥ ⲁⲛⲟⲕ.
16 “इसलिये वे, जो अंतिम हैं पहले होंगे तथा जो पहले हैं, वे अंतिम.”
ⲓ̅ⲋ̅ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲧⲉⲣⲉⲛϣⲟⲣⲡ ⲛⲁⲣϩⲁⲉ ⲛⲧⲉⲛϩⲁⲉ ⲣϣⲟⲣⲡ.
17 जब येशु येरूशलेम नगर जाने पर थे, उन्होंने मात्र अपने बारह शिष्यों को अपने साथ लिया. मार्ग में येशु ने उनसे कहा,
ⲓ̅ⲍ̅ⲉⲣⲉⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲛⲁⲃⲱⲕ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉⲑⲓⲉⲣⲟⲥⲟⲗⲩⲙⲁ. ⲁϥϫⲓ ⲙⲡⲉϥⲙⲛⲧⲥⲛⲟⲟⲩⲥ ⲙⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲙⲁⲩⲁⲁⲩ. ⲁⲩⲱ ϩⲣⲁⲓ ϩⲛⲧⲉϩⲓⲏ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ.
18 “यह समझ लो कि हम येरूशलेम नगर जा रहे हैं, जहां मनुष्य के पुत्र को पकड़वाया जाएगा, प्रधान पुरोहितों तथा शास्त्रियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा और वे उसे मृत्यु दंड के योग्य घोषित करेंगे.
ⲓ̅ⲏ̅ϫⲉ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲧⲛⲛⲁⲃⲱⲕ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉⲑⲓⲉⲣⲟⲥⲟⲗⲩⲙⲁ. ⲁⲩⲱ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲣⲱⲙⲉ ⲥⲉⲛⲁⲡⲁⲣⲁⲇⲓⲇⲟⲩ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲧⲟⲟⲧⲟⲩ ⲛⲛⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲙⲛⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲛⲥⲉⲧϭⲁⲓⲟϥ ⲉⲡⲙⲟⲩ.
19 इसके लिए मनुष्य के पुत्र को गैर-यहूदियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा कि वे उसका ठट्ठा करें, उसे कोड़े लगवाएं और उसे क्रूस पर चढ़ाएं किंतु वह तीसरे दिन मरे हुओं में से जीवित किया जाएगा.”
ⲓ̅ⲑ̅ⲛⲥⲉⲡⲁⲣⲁⲇⲓⲇⲟⲩ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲧⲟⲟⲧⲟⲩ ⲛⲛϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲉⲥⲱⲃⲉ ⲙⲙⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲛⲥⲉⲙⲁⲥⲧⲓⲅⲟⲩ ⲙⲙⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲛⲥⲉⲥxⲟ̅ⲩ̅ ⲙⲙⲟϥ. ⲛϥⲧⲱⲟⲩⲛ ϩⲙⲡⲙⲉϩϣⲟⲙⲛⲧ ⲛϩⲟⲟⲩ.
20 ज़ेबेदियॉस की पत्नी अपने पुत्रों के साथ येशु के पास आईं तथा येशु के सामने झुककर उनसे एक विनती करनी चाही.
ⲕ̅ⲧⲟⲧⲉ ⲁⲥϯⲡⲉⲥⲟⲩⲟⲓ ⲉⲣⲟϥ ⲛϭⲓⲧⲙⲁⲁⲩ ⲛⲛϣⲏⲣⲉ ⲛⲍⲉⲃⲉⲇⲁⲓⲟⲥ ⲙⲛⲛⲉⲥϣⲏⲣⲉ ⲉⲥⲟⲩⲱϣⲧ ⲛⲁϥ ⲁⲩⲱ ⲉⲥⲁⲓⲧⲉⲓ ⲛⲟⲩϩⲱⲃ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧϥ.
21 येशु ने उनसे पूछा, “आप क्या चाहती हैं?” उन्होंने येशु को उत्तर दिया, “यह आज्ञा दे दीजिए कि आपके राज्य में मेरे ये दोनों पुत्र, एक आपके दायें तथा दूसरा आपके बायें बैठे.”
ⲕ̅ⲁ̅ⲛⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲥ ϫⲉ ⲉⲣⲟⲩⲉϣⲟⲩ. ⲛⲧⲟⲥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁⲥ. ϫⲉ ⲁϫⲓⲥ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲣⲉⲡⲁϣⲏⲣⲉ ⲥⲛⲁⲩ ⲛⲁϩⲙⲟⲟⲥ. ⲟⲩⲁ ϩⲓⲟⲩⲛⲁⲙ ⲙⲙⲟⲕ ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲁ ϩⲓϩⲃⲟⲩⲣ ⲙⲙⲟⲕ ϩⲣⲁⲓ ϩⲛⲧⲉⲕⲙⲛⲧⲣⲣⲟ.
22 येशु ने दोनों भाइयों से उन्मुख हो कहा, “तुम समझ नहीं रहे कि तुम क्या मांग रहे हो! क्या तुममें उस प्याले को पीने की क्षमता है, जिसे मैं पीने पर हूं?” “हां, प्रभु,” उन्होंने उत्तर दिया.
ⲕ̅ⲃ̅ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ ⲛϭⲓⲓ̅ⲥ̅ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ. ϫⲉ ⲛⲧⲉⲧⲛⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ ϫⲉ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲓⲧⲉⲓ ⲙⲙⲟϥ. ⲟⲩⲛϣϭⲟⲙ ⲙⲙⲱⲧⲛ ⲉⲥⲉⲡϫⲱ ⲉϯⲛⲁⲥⲟⲟϥ. ⲡⲉϫⲁⲩ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲥⲉ.
23 इस पर येशु ने उनसे कहा, “सचमुच मेरा प्याला तो तुम पियोगे, किंतु किसी को अपने दायें या बायें बैठाना मेरा अधिकार नहीं है. यह उनके लिए है, जिनके लिए यह मेरे पिता द्वारा तैयार किया गया है.”
ⲕ̅ⲅ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲡⲁϫⲱ ⲙⲉⲛ ⲧⲉⲧⲛⲁⲥⲟⲟϥ. ⲡⲉϩⲙⲟⲟⲥ ⲇⲉ ϩⲓⲟⲩⲛⲁⲙ ⲙⲙⲟⲓ ⲏ ϩⲓϩⲃⲟⲩⲣ ⲙⲙⲟⲓ ⲙⲡⲱⲓ ⲁⲛ ⲡⲉ ⲉⲧⲁⲁϥ ⲁⲗⲗⲁ ⲡⲁⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲥⲃⲧⲱⲧϥ ⲛⲁⲩ ⲛⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧϥ ⲙⲡⲁⲉⲓⲱⲧ.
24 यह सुन शेष दस शिष्य इन दोनों भाइयों पर नाराज़ हो गए;
ⲕ̅ⲇ̅ⲁⲩⲥⲱⲧⲙ ⲇⲉ ⲛϭⲓⲡⲙⲏⲧ ⲁⲩⲁⲅⲁⲛⲁⲕⲧⲉⲓ ⲉⲧⲃⲉⲡⲥⲟⲛ ⲥⲛⲁⲩ.
25 किंतु येशु ने उन सभी को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “वे, जो इस संसार में शासक हैं, अपने लोगों पर प्रभुता करते हैं तथा उनके बड़े अधिकारी उन पर अपना अधिकार दिखाया करते हैं.
ⲕ̅ⲉ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲁϥⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛⲥⲟⲟⲩⲛ ϫⲉ ⲛⲁⲣⲭⲱⲛ ⲛⲛϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲥⲉⲟ ⲛϫⲟⲉⲓⲥ ⲉⲣⲟⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ⲛⲛⲟϭ ⲥⲉⲟ ⲛⲧⲉⲩⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ.
26 तुममें ऐसा नहीं है, तुममें जो महान बनने की इच्छा रखता है, वह तुम्हारा सेवक बने,
ⲕ̅ⲋ̅ⲛⲧⲉⲓϩⲉ ⲛⲧⲱⲧⲛ ⲁⲛ ⲧⲉⲧϣⲟⲟⲡ ⲛϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ. ⲁⲗⲗⲁ ⲡⲉⲧⲛⲁⲟⲩⲱϣ ⲉϣⲱⲡⲉ ⲛⲛⲟϭ ⲛϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲉϥⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲇⲓⲁⲕⲟⲛⲟⲥ.
27 तथा तुममें जो कोई श्रेष्ठ होना चाहता है, वह तुम्हारा दास हो.
ⲕ̅ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲛⲁⲟⲩⲱϣ ⲉϣⲱⲡⲉ ⲛϣⲟⲣⲡ ⲛϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲉϥⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲏⲧⲛ ⲛϩⲙϩⲁⲗ.
28 ठीक जैसे मनुष्य का पुत्र यहां इसलिये नहीं आया कि अपनी सेवा करवाए, परंतु इसलिये कि सेवा करे, और अनेकों की छुड़ौती के लिए अपना जीवन बलिदान कर दे.”
ⲕ̅ⲏ̅ⲛⲑⲉ ⲙⲡϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛⲧⲁϥⲉⲓ ⲁⲛ ⲉⲧⲣⲉⲩⲇⲓⲁⲕⲟⲛⲉⲓ ⲛⲁϥ. ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲇⲓⲁⲕⲟⲛⲉⲓ. ⲁⲩⲱ ⲉϯ ⲛⲧⲉϥⲯⲩⲭⲏ ⲛⲥⲱⲧⲉ ϩⲁϩⲁϩ.
29 जब वे येरीख़ो नगर से बाहर निकल ही रहे थे, एक बड़ी भीड़ उनके साथ हो ली.
ⲕ̅ⲑ̅ⲉϥⲛⲏⲩ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛϩⲓⲉⲣⲓⲭⲱ ⲁⲩⲟⲩⲁϩⲟⲩ ⲛⲥⲱϥ ⲛϭⲓϩⲉⲛⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲛⲁϣⲱⲟⲩ.
30 वहां मार्ग के किनारे दो अंधे व्यक्ति बैठे हुए थे. जब उन्हें यह अहसास हुआ कि येशु वहां से जा रहे हैं, वे पुकार-पुकारकर विनती करने लगे, “प्रभु! दावीद की संतान! हम पर कृपा कीजिए!”
ⲗ̅ⲁⲩⲱ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲉⲓⲥⲃⲗⲗⲉ ⲥⲛⲁⲩ ⲉⲩϩⲙⲟⲟⲥ ϩⲁⲧⲛⲧⲉϩⲓⲏ. ⲁⲩⲥⲱⲧⲙ ϫⲉ ⲓ̅ⲥ̅ ⲛⲁⲡⲁⲣⲁⲅⲉ. ⲁⲩϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲁ ⲛⲁⲛ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲛⲇ̅ⲁ̅ⲇ̅.
31 भीड़ ने उन्हें झिड़कते हुए शांत रहने की आज्ञा दी, किंतु वे और भी अधिक ऊंचे शब्द में पुकारने लगे, “प्रभु! दावीद की संतान! हम पर कृपा कीजिए!”
ⲗ̅ⲁ̅ⲙⲙⲏⲏϣⲉ ⲇⲉ ⲁⲩⲉⲡⲓⲧⲓⲙⲁ ⲛⲁⲩ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲩⲉⲕⲁⲣⲱⲟⲩ. ⲛⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲛϩⲟⲩⲟ ⲁⲩϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ. ϫⲉ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲛⲁ ⲛⲁⲛ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲛⲇⲁⲩⲉⲓⲇ.
32 येशु रुक गए, उन्हें पास बुलाया और उनसे प्रश्न किया, “क्या चाहते हो तुम? मैं तुम्हारे लिए क्या करूं?”
ⲗ̅ⲃ̅ⲁϥⲁϩⲉⲣⲁⲧϥ ⲛϭⲓⲓ̅ⲥ̅ ⲁϥⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ. ϫⲉ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛⲟⲩⲉϣⲧⲣⲁⲁϥ ⲛⲏⲧⲛ.
33 उन्होंने उत्तर दिया, “प्रभु! हम चाहते हैं कि हम देखने लगें.”
ⲗ̅ⲅ̅ⲡⲉϫⲁⲩ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲩⲉⲟⲩⲱⲛ ⲛϭⲓⲛⲉⲛⲃⲁⲗ.
34 तरस खाकर येशु ने उनकी आंखें छुई. तुरंत ही वे देखने लगे और वे येशु के पीछे हो लिए.
ⲗ̅ⲇ̅ⲁϥϣⲛϩⲧⲏϥ ⲇⲉ ⲛϭⲓⲓ̅ⲥ̅ ⲁϥϫⲱϩ ⲉⲛⲉⲩⲃⲁⲗ. ⲁⲩⲱ ⲛⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲁⲩⲛⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲩⲟⲩⲁϩⲟⲩ ⲛⲥⲱϥ.