< मत्ती 15 >
1 तब येरूशलेम से कुछ फ़रीसी और शास्त्री येशु के पास आकर कहने लगे,
ତିଆଡିଡ୍ ଜିରୁସାଲମନ୍ ସିଲଡ୍ ପାରୁସିଞ୍ଜି ଡ ସାସ୍ତ୍ରିଞ୍ଜି ଜିସୁନ୍ ଆମଙ୍ ଜିର୍ରେ ଇୟ୍ଲାୟ୍ ବରେଜି,
2 “आपके शिष्य पूर्वजों की परंपराओं का उल्लंघन क्यों करते हैं? वे भोजन के पहले हाथ नहीं धोया करते.”
“ଞଙ୍ନେମର୍ନମ୍ଜି ଇନିବା ପୁର୍ବା ଜୋଜୋଲେଞ୍ଜି ଆନୋକ୍କା ଆଲ୍ଲେତଜି? ଇନିଆସନ୍ଗାମେଣ୍ଡେନ୍ ଆନିଞ୍ଜି ଏର୍ନାସିନେନ୍ ଗାଗାତଞ୍ଜି ।”
3 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “अपनी परंपराओं की पूर्ति में आप स्वयं परमेश्वर के आदेशों को क्यों तोड़ते हैं?
ଜିସୁନ୍ ଆନିଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଜାଲଙେଞ୍ଜି, “ଆମ୍ୱେଞ୍ଜି ନିୟ୍ ଅନୋକ୍କାବେନ୍ ଞଣ୍ଡ୍ରମ୍ନେନ୍ ଆସନ୍ ଇନିବା ଇସ୍ୱରନ୍ ଆ ବର୍ନେ ଏଆଲ୍ଲେତେ?
4 परमेश्वर की आज्ञा है, ‘अपने माता-पिता का सम्मान करो’ और वह, जो माता या पिता के प्रति बुरे शब्द बोले, उसे मृत्यु दंड दिया जाए.
ଇସ୍ୱରନ୍ ବର୍ରନେ, ‘ଆପେୟ୍ବେନ୍ ଅୟୋଙ୍ବେନ୍ଆଡଙ୍ ମାନ୍ନେବା,’ ଆରି ‘ଆନା ଆପେୟନ୍ କି ଅୟୋଙନ୍ଆଡଙ୍ ସୟ୍ପତେ, ଆନିନ୍ ରନବୁ ପନବ୍ରଡନ୍ ଞାଙ୍ତେ ।’
5 किंतु तुम कहते हो, ‘जो कोई अपने माता-पिता से कहता है, “आपको मुझसे जो कुछ प्राप्त होना था, वह सब अब परमेश्वर को भेंट किया जा चुका है,”
ବନ୍ଡ ଆମ୍ୱେଞ୍ଜି ଏଗାମ୍ତେ, ‘ଅବୟ୍ ମନ୍ରାନ୍ ଅଙ୍ଗାତେ ବୟନ୍ ଆପେୟନ୍ କି ଆୟୋଙନ୍ଆଡଙ୍ ସାକ୍କେତେ ବନ୍, ତିଆତେ ଇସ୍ୱରନ୍ଆଡଙ୍ ତନିୟନ୍ ଡେଏନ୍ ।’
6 उसे माता-पिता का सम्मान करना आवश्यक नहीं.’ ऐसा करने के द्वारा अपनी ही परंपराओं को पूरा करने की फिराक में तुम परमेश्वर की आज्ञा को तोड़ते हो.
ଆନିନ୍ ଆରି ଆପେୟନ୍ କି ଆୟୋଙନ୍ଆଡଙ୍ ଅଃମ୍ମାନ୍ନେଏ । ଆମ୍ୱେଞ୍ଜି କେନ୍ ଏନ୍ନେଲେ ଇସ୍ୱରନ୍ ଆ ବର୍ନେ ଆଲ୍ଲେଡାଲେ ଅନୋକ୍କାବେଞ୍ଜି ତୁମ୍ ଏଲୁମ୍ତେ ।
7 अरे पाखंडियों! भविष्यवक्ता यशायाह की यह भविष्यवाणी तुम्हारे विषय में ठीक ही है:
ଏ ଇସ୍କତ୍ତାମର୍ଜି, ପୁର୍ବାଃତେ ବର୍ନେମର୍ ଜିସାୟନ୍ ବର୍ନେଲୋଙ୍ବେନ୍ ଆଜାଡ଼ିଡମ୍ ଆ ପୁର୍ବାଃତେବର୍ ବର୍ରନେ,
8 “ये लोग मात्र अपने होंठों से मेरा सम्मान करते हैं, किंतु उनके हृदय मुझसे बहुत दूर हैं.
‘କେନ୍ ଆ ମନ୍ରାଜି ତଅଡନ୍ ବାତ୍ତେ ଞେନ୍ଆଡଙ୍ ମାନ୍ନେତିଁୟ୍ଜି, ବନ୍ଡ ଆ ଉଗରଞ୍ଜି ଅମଙ୍ଞେନ୍ ସିଲଡ୍ ସଙାୟ୍ଡମ୍ ଡକୋ ।
9 व्यर्थ में वे मेरी वंदना करते हैं. उनकी शिक्षा सिर्फ मनुष्यों द्वारा बनाए हुए नियम हैं.”
ଆନିଞ୍ଜି କାଜ୍ଜାନ୍ ଞେନ୍ଆଡଙ୍ ସେନ୍ପୁର୍ତିଁୟ୍ଜି, ଇନିଆସନ୍ଗାମେଣ୍ଡେନ୍ ଆନିଞ୍ଜି ମନ୍ରାଞ୍ଜି ଆ ଞନଙ୍ଜି ବନାଁୟ୍ବର୍ଞେନ୍ ଗାମ୍ଲେ ଞନଙନ୍ ତିୟ୍ତଜି ।’”
10 तब येशु ने भीड़ को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “सुनो और समझो:
ସିଲଡ୍ଲ୍ଲନ୍ ଜିସୁନ୍ ମନ୍ରାଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଓଡ୍ଡେଡାଲେ ଆନିଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ବରେଞ୍ଜି, “ଅମ୍ଡଙ୍ବା ଆରି ଗନ୍ଲୁଡ୍ବେନ୍ତୋ ।
11 वह, जो मनुष्य के मुख में प्रवेश करता है, मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, परंतु उसे अशुद्ध वह करता है, जो उसके मुख से निकलता है.”
ଅଙ୍ଗାତେ ମନ୍ରାନ୍ ଆ ତଅଡ୍ଗଡ୍ ଗନ୍ତେ, ତିଆତେ ଆନିନ୍ଆଡଙ୍ ଏର୍ମଡ଼ିର୍ ଅଃନ୍ନେମେଏ, ବନ୍ଡ ତଅଡନ୍ ସିଲଡ୍ ଅଙ୍ଗାତେ ଡୁଙ୍ତନାୟ୍, ତିଆତେ ମା ମନ୍ରାନ୍ଆଡଙ୍ ଏର୍ମଡ଼ିର୍ ଏମ୍ମେତେ ।”
12 तब येशु के शिष्यों ने उनके पास आ उनसे प्रश्न किया, “क्या आप जानते हैं कि आपके इस वचन से फ़रीसी अपमानित हो रहे हैं?”
ତିଆଡିଡ୍ ଞଙ୍ନେମରଞ୍ଜି ଜିସୁନ୍ ଆମଙ୍ ଜିର୍ରେ ଇୟ୍ଲାୟ୍ ବରେଜି, “ପାରୁସିଞ୍ଜି କେନ୍ ଆ ବର୍ନେ ଅମ୍ଡଙ୍ଡାଲେ ଗରୟ୍ମଡେଞ୍ଜି, କେନ୍ଆତେ ଆମନ୍ ଜନା ପଙ୍?”
13 येशु ने उनसे उत्तर में कहा, “ऐसा हर एक पौधा, जिसे मेरे पिता ने नहीं रोपा है, उखाड़ दिया जाएगा.
ବନ୍ଡ ଜିସୁନ୍ ଆନିଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଜାଲଙେଞ୍ଜି, “ରୁଆଙ୍ଲୋଙନ୍ ଆଡ୍ରକୋତନେନ୍ ଆପେୟ୍ଞେନ୍ ଅଙ୍ଗା ଅରାନୁବ୍ଜି ଅଃଗୁଲୋ, ତି ଅଡ଼୍କୋନ୍ ପୁୟାୟ୍ତନେ ।
14 उनसे दूर ही रहो. वे तो अंधे मार्गदर्शक हैं. यदि अंधा ही अंधे का मार्गदर्शन करेगा, तो दोनों ही गड्ढे में गिरेंगे!”
ଆନିଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଅମ୍ରେଙ୍ବାଜି, ଆନିଞ୍ଜି ଆକାଡ଼ୁଜି, ଆନିଞ୍ଜି କାଡ଼ୁମରଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ତୁରିୟ୍ତଜି; ଅବୟ୍ କାଡ଼ୁମରନ୍ ଆରି ଅବୟ୍ କାଡ଼ୁମରନ୍ଆଡଙ୍ ତୁରିୟେନ୍ ଡେନ୍, ବାଗୁଞ୍ଜି ଲୋଓଙ୍ଲୋଙନ୍ ଗଲୋତଜି ।”
15 पेतरॉस ने येशु से विनती की, “प्रभु हमें इसका अर्थ समझाइए.”
ସିଲତ୍ତେ ପିତ୍ରନ୍ ଜିସୁନ୍ଆଡଙ୍ ବରେନ୍, “ଅନବ୍ଜଙ୍ବରନ୍ ଆ ଗରାମ୍ଗାମ୍ ଇନ୍ଲେନ୍ଆଡଙ୍ ବର୍ରେନ୍ ।”
16 येशु ने कहा, “क्या तुम अब तक समझ नहीं पाए?
ଜିସୁନ୍ ଗାମେନ୍, “ଆମ୍ୱେଞ୍ଜି ନିୟ୍ ପଙ୍ ନମିନ୍ତାନ୍ ଅଃଗନ୍ଲୁଡ୍ବେନ୍?
17 क्या तुम्हें यह समझ नहीं आया कि जो कुछ मुख में प्रवेश करता है, वह पेट में जाकर शरीर से बाहर निकल जाता है?
ଅଙ୍ଗାତେ ତଅଡ୍ଗଡ୍ ଗନ୍ତେ, ତିଆତେ କିମ୍ପୋଙ୍ଲୋଙନ୍ ଜିର୍ରେ, ତିଆତେ ଆରି ଡଅଙନ୍ ସିଲଡ୍ ଡୁଙ୍ଲନ୍ ଜିର୍ତେ, ତିଆତେ ଆମ୍ୱେନ୍ ଅଃଜ୍ଜନାବେନ୍ ପଙ୍?
18 किंतु जो कुछ मुख से निकलता है, उसका स्रोत होता है मनुष्य का हृदय. वही सब है जो मनुष्य को अशुद्ध करता है,
ବନ୍ଡ ଅଙ୍ଗାତେ ତଅଡ୍ଗଡ୍ ଡୁଙ୍ତନାୟ୍, ତିଆତେ ଉଗରନ୍ ସିଲଡ୍ ଡୁଙ୍ତନାୟ୍, ଆରି ତିଆତେ ମା ମନ୍ରାନ୍ଆଡଙ୍ ଏର୍ମଡ଼ିର୍ ଏମ୍ମେତେ ।
19 क्योंकि हृदय से ही बुरे विचार, हत्या, व्यभिचार, वेश्यागामी, चोरियां, झूठी गवाही तथा निंदा उपजा करती हैं.
ଇନିଆସନ୍ଗାମେଣ୍ଡେନ୍ ଉଗରନ୍ ସିଲଡ୍ ପରାନ୍ସାତ୍ତିନ୍ ଆନିଃୟମ୍, ସମ୍ୱବ୍ମରନ୍, ଡାରିନେନ୍, ଜୋଣ୍ଡଡ଼ାନେନ୍, ରାଉନେନ୍, କଣ୍ଡାୟ୍ସାକିନ୍ ଆରି ନିଣ୍ଡୟ୍ବରନ୍ ଡୁଙ୍ତନାୟ୍ ।
20 ये ही मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, किंतु हाथ धोए बिना भोजन करने से कोई व्यक्ति अशुद्ध नहीं होता.”
କେନ୍ ଅଡ଼୍କୋନ୍ ମା ମନ୍ରାନ୍ଆଡଙ୍ ଏର୍ମଡ଼ିର୍ ଏମ୍ମେତେ, ବନ୍ଡ ମନ୍ରାନ୍ ଏର୍ନାସିନେନ୍ ଗାଗାଲନ୍ ଡେନ୍ ଆନିନ୍ ଏର୍ମଡ଼ିର୍ ଅଃଡ୍ଡେଏ ।”
21 तब येशु वहां से निकलकर सोर और सीदोन प्रदेश में एकांतवास करने लगे.
ଜିସୁନ୍ ତେତ୍ତେ ସିଲଡ୍ ଡୁଙ୍ଲନ୍ ସୋରନ୍ ଡ ସିଦୋନ ଡେସାରେଙନ୍ ଜିରେନ୍ ।
22 वहां एक कनानवासी स्त्री आई और पुकार-पुकारकर कहने लगी, “प्रभु! मुझ पर दया कीजिए. दावीद की संतान! मेरी पुत्री में एक क्रूर दुष्टात्मा समाया हुआ है और वह बहुत पीड़ित है.”
ଆରି ଗିୟ୍ବା, ତି ଆ ସଣ୍ଡି ସିଲଡ୍ ଅବୟ୍ କିନାନିଅବଜନ୍ ଜିର୍ରେ ସୋଡ଼ା ସର୍ରଙନ୍ ବାତ୍ତେ ଇୟ୍ଲାୟ୍ ବର୍ନେ, “ଏ ପ୍ରବୁ, ଦାଉଦନ୍ ଆ ଡାଙ୍ଗଡ଼ାଅନ୍, ଞେନ୍ଆଡଙ୍ ସାୟୁମିଁୟ୍, ଡାଙ୍ଗଡ଼ିଅନ୍ଞେନ୍ ବୁତନ୍ ସୁମେନ୍ ଆରି ଆନିନ୍ ବବରନ୍ତଙନ୍ ଡେତେ ।”
23 किंतु येशु ने उसकी ओर लेश मात्र भी ध्यान नहीं दिया. शिष्य आकर उनसे विनती करने लगे, “प्रभु! उसे विदा कर दीजिए. वह चिल्लाती हुई हमारे पीछे लगी है.”
ବନ୍ଡ ଜିସୁନ୍ ଆନିନ୍ଆଡଙ୍ ବପଦ ଓୟ୍ଲେ ଅଃଜ୍ଜାଲଙ୍ଲୋ । ଆରି ଞଙ୍ନେମରଞ୍ଜି ଜିସୁନ୍ ଆମଙ୍ ଜିର୍ରେ କାକୁର୍ତିଡାଲନ୍ ଇୟ୍ଲାୟ୍ ବରେଜି, “କେନ୍ଆନିନ୍ ଲଆପ୍ପାୟା, ଇନିଆସନ୍ଗାମେଣ୍ଡେନ୍ ଆନିନ୍ ବାବ୍ବାବ୍ଲେକାଁୟ୍ ଇନ୍ଲେଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ସଣ୍ଡୋଙ୍ଲେ ପାଙ୍ପାଙ୍ଲଙ୍ତନ୍ ।”
24 येशु ने उत्तर दिया, “मुझे मात्र इस्राएल वंश के खोई हुई भेड़ों के पास ही भेजा गया है.”
ବନ୍ଡ ଜିସୁନ୍ ଆନିଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଜାଲଙେଞ୍ଜି, “ଆରାଡ଼ଏଞ୍ଜି ଆ ମେଣ୍ଡାଜି ଅନ୍ତମ୍ ଇସ୍ରାଏଲ୍ କେଜ୍ଜାଲୋଙନ୍ ଆରାଡ଼ଏଞ୍ଜି ଆ ମନ୍ରାଜି ଆମଙ୍ ଞେନ୍ ଇୟ୍ଲାୟ୍ ।”
25 किंतु उस स्त्री ने येशु के पास आ झुकते हुए उनसे विनती की, “प्रभु! मेरी सहायता कीजिए!”
ବନ୍ଡ ତି ଆଇମରନ୍ ତୁଡ଼ୁମ୍ଲେ ଜିସୁନ୍ଆଡଙ୍ ଲୋମ୍ଲେ ଇୟ୍ଲାୟ୍ ବରେ, “ଏ ପ୍ରବୁ, ଞେନ୍ଆଡଙ୍ ସାଜଇଁୟ୍ ।”
26 येशु ने उसे उत्तर दिया, “बालकों को परोसा भोजन उनसे लेकर कुत्तों को देना सही नहीं!”
ଜିସୁନ୍ ଆନିନ୍ଆଡଙ୍ ଜାଲଙେନ୍, “ପସିଜଞ୍ଜି ଆ ଜନୋମ୍ ପାଙ୍ଲେ କିନ୍ସଡଞ୍ଜି ଆମଙ୍ ଅଃସେଡ୍ବୋ ।”
27 उस स्त्री ने उत्तर दिया, “सच है, प्रभु, किंतु यह भी तो सच है कि स्वामी की मेज़ से गिर जाते टुकड़ों से कुत्ते अपना पेट भर लेते हैं.”
ବନ୍ଡ ତି ଆଇମରନ୍ ଗାମେନ୍, “ଓଓ, ପ୍ରବୁ, ଇନିଆସନ୍ଗାମେଣ୍ଡେନ୍ କିନ୍ସଡଞ୍ଜି ନିୟ୍ ରମ୍ମଙ୍ ରମ୍ମଙ୍ ଆ ସାଉକାର ଆ ମେଜଲୋଙ୍ ସିଲଡ୍ ଆରସେଡ୍ତେନ୍ ଆ ସଙ୍କୁରାଜି ଜୋମ୍ତଜି ।”
28 येशु कह उठे, “सराहनीय है तुम्हारा विश्वास! वैसा ही हो, जैसा तुम चाहती हो.” उसी क्षण उसकी पुत्री स्वस्थ हो गई.
ସିଲତ୍ତେ ଜିସୁନ୍ ଆନିନ୍ଆଡଙ୍ ଜାଲଙେନ୍, “ଏ ଆଇମର୍, ଡର୍ନେନମ୍ ସୋଡ଼ାଡମ୍, ଇସ୍ସୁମ୍ନମ୍ ଅନ୍ତମ୍ ଆମନ୍ ଆସନ୍ ଡେଏତୋ ।” ତି ଆ ବନେଡ଼ା ମା ଆ ଡାଙ୍ଗଡ଼ିଅନନ୍ ମନଙେନ୍ ।
29 वहां से येशु गलील झील के तट से होते हुए पर्वत पर चले गए और वहां बैठ गए.
ଜିସୁନ୍ ତେତ୍ତେ ସିଲଡ୍ ଜିର୍ରେ ଗାଲିଲି ସମେଁୟ୍ଣ୍ଡ୍ରାନ୍ ଆ ତୁୟାୟ୍ ଜିରେନ୍, ଆରି ତୋଣ୍ଡୋ ବରୁନ୍ ଜିର୍ରେ ତେତ୍ତେ ଇୟ୍ଲେ ତଙ୍କୁମେ ।
30 एक बड़ी भीड़ उनके पास आ गयी. जिनमें लंगड़े, अपंग, अंधे, गूंगे और अन्य रोगी थे. लोगों ने इन्हें येशु के चरणों में लिटा दिया और येशु ने उन्हें स्वस्थ कर दिया.
ଆରି, ଗୋଗୋୟ୍ନେଡମ୍ ମନ୍ରାଞ୍ଜି ସୋତ୍ତାମରନ୍, ଗଡ଼ୁଡ୍ମରନ୍, କାଡ଼ୁମରନ୍, ଜାଡ୍ଡାମରନ୍ ଡ ଏର୍ଜାଡ଼ିକାନ୍ ଆ ରୋଗମର୍ଜିଆଡଙ୍ ଓରୋଙ୍ଡାଲେ ଜିସୁନ୍ ଆଜଙ୍ବା ଇୟ୍ଲାୟ୍ ତମ୍ମିଜେଜି, ଆରି ଜିସୁନ୍ ଆନିଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ମବ୍ନଙେଞ୍ଜି ।
31 गूंगों को बोलते, अपंगों को स्वस्थ होते, लंगड़ों को चलते तथा अंधों को देखते देख भीड़ चकित हो इस्राएल के परमेश्वर का गुणगान करने लगी.
ଜାଡ୍ଡାମରଞ୍ଜି କଡାଡ଼ିଲଞ୍ଜି, ଗଡ଼ୁଡ୍ମରଞ୍ଜି ମନଙେଞ୍ଜି, ସୋତ୍ତାମରଞ୍ଜି ତଙିୟ୍ଲଞ୍ଜି ଆରି କାଡ଼ୁମରଞ୍ଜି ରପ୍ତି ଗିଜେଞ୍ଜି, ତିଆସନ୍ ମନ୍ରାଞ୍ଜି କେନ୍ଆତେ ଗିୟ୍ଲେ ସାନ୍ନି ଡେଏଞ୍ଜି କି ଇସ୍ରାଏଲନ୍ ଆ ଇସ୍ୱରଆଡଙ୍ ଅବ୍ଗୁଗୁଏଞ୍ଜି ଅବ୍ପେମେଙେଞ୍ଜି ।
32 येशु ने अपने शिष्यों को अपने पास बुलाकर कहा, “मुझे इन लोगों से सहानुभूति है क्योंकि ये मेरे साथ तीन दिन से हैं और इनके पास अब खाने को कुछ नहीं है. मैं इन्हें भूखा ही विदा करना नहीं चाहता—कहीं ये मार्ग में ही मूर्च्छित न हो जाएं.”
ଆରି, ଜିସୁନ୍ ଆ ଞଙ୍ନେମରଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଓଡ୍ଡେଡାଲେ ବରେଞ୍ଜି, “କେନ୍ ଆ ମନ୍ରାଜି ଆସନ୍ ଞେନ୍ ଇର୍ସୋୟମ୍ଡାତିଁୟ୍, ଇନିଆସନ୍ଗାମେଣ୍ଡେନ୍ କେନ୍ଆନିଞ୍ଜି ୟାଗି ଡିନ୍ନା ଡେଏନ୍ନି ଞେନ୍ ସରିନ୍ ଡକୋଜି ଆରି କେନ୍ ଆମଙଞ୍ଜି ଇନ୍ନିଙ୍ ଜନୋମ୍ଜୋମ୍ ତଡ୍; କେନ୍ଆନିଞ୍ଜି ଜିରେଞ୍ଜି ଆଡିଡ୍ ତଙର୍ଲୋଙନ୍ ଅସମୟ୍ ଇୟ୍ତେ ରାଇଡେଞ୍ଜି, ତିଆସନ୍ ଆନିଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଆଡୋଲେଜନ୍ ଅନାପ୍ପାୟନ୍ ଞେନ୍ ଅଃଲ୍ଲଡଜିଁୟ୍ ।”
33 शिष्यों ने कहा, “इस निर्जन स्थान में इस बड़ी भीड़ की तृप्ति के लिए भोजन का प्रबंध कैसे होगा?”
ଞଙ୍ନେମରଞ୍ଜି ଜିସୁନ୍ଆଡଙ୍ ବରେଞ୍ଜି, “କେନ୍ ଆରିଙ୍ରିଙ୍ଲୋଙନ୍ ଡିୟ୍ନେ ମନ୍ରାଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଅନବ୍ବୋଓନ୍ ଆସନ୍ ଇନ୍ଲେଞ୍ଜି ଅଡ଼େଙ୍ଗା ସିଲଡ୍ ଡିୟ୍ତେ ରୁଟିନ୍ ଞାଙ୍ବୋ?”
34 येशु ने उनसे प्रश्न किया, “कितनी रोटियां हैं तुम्हारे पास?” “सात, और कुछ छोटी मछलियां,” उन्होंने उत्तर दिया.
ଜିସୁନ୍ ଆନିଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ବରେଞ୍ଜି, “ଅମଙ୍ବେନ୍ ଡିଅଙ୍ଗା ରୁଟିନ୍ ଡକୋ?” ଆନିଞ୍ଜି ଗାମେଞ୍ଜି, “ସାତଟା ରୁଟିନ୍, ଆରି ଅସୋୟ୍ ସନ୍ନାରାଡମ୍ ଆ ଆୟ ଡକୋ ।”
35 येशु ने भीड़ को भूमि पर बैठ जाने का निर्देश दिया
ତିଆସନ୍ ଜିସୁନ୍ ମନ୍ରାଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଲବଲୋଙନ୍ ତନଙ୍କୁମନ୍ ଆସନ୍ ବରେଞ୍ଜି ।
36 और स्वयं उन्होंने सातों रोटियां और मछलियां लेकर उनके लिए परमेश्वर के प्रति आभार प्रकट करने के बाद उन्हें तोड़ा और शिष्यों को देते गए तथा शिष्य भीड़ को.
ଆରି ଆନିନ୍ ତି ସାତଟା ରୁଟିନ୍ ଡ ଅୟନ୍ ଞମ୍ଲେ ଇସ୍ୱରନ୍ଆଡଙ୍ ସନେନ୍ସେନନ୍ ତିୟ୍ଲେ ତିଆତେଜି ରେବ୍ଲେ ଞଙ୍ନେମରଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ତିୟେଞ୍ଜି, ଆରି ଆନିଞ୍ଜି ତିଆତେ ମନ୍ରାଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ତିୟେଞ୍ଜି ।
37 सभी ने खाया और तृप्त हुए और शिष्यों ने तोड़ी गई रोटियों के शेष टुकड़ों को इकट्ठा कर सात बड़े टोकरे भर लिए.
ଆନିଞ୍ଜି ଜୋମ୍ଲୋଙ୍ ଜୋମ୍ଲେ ବୋଓଏଞ୍ଜି କି ଡିଅଙ୍ଗା ରୁଟିନ୍ ଲାଗାଏନ୍, ତିଆତେ ଆନିଞ୍ଜି ସାତ ଗୁରୁଲ୍ଲି ବବ୍ରିଜେଞ୍ଜି ।
38 वहां जितनों ने भोजन किया था उनमें स्त्रियों और बालकों के अतिरिक्त पुरुषों ही की संख्या कोई चार हज़ार थी.
ରୁଟିନ୍ ଆଜ୍ରୋମେଞ୍ଜି ଆ ମନ୍ରାଜି, ଆଇମରଞ୍ଜି ଡ ପସିଜଞ୍ଜି ଅଃଡ୍ଡିଡିଲନେ, ଓବ୍ବାମରଞ୍ଜି ଉଞ୍ଜି ଅଜାର ଡକୋଏଞ୍ଜି ।
39 भीड़ को विदा कर येशु नाव में सवार होकर मगादान क्षेत्र में आए.
ତି ସିଲଡ୍ଲ୍ଲନ୍ ଜିସୁନ୍ ମନ୍ରାଞ୍ଜିଆଡଙ୍ ଆପ୍ପାୟ୍ଡାଲେ ଡୋଙ୍ଗାଲୋଙନ୍ ଡାୟ୍ଲେ ମଗଦାନନ୍ ଆ ସଣ୍ଡି ଜିରେନ୍ ।