< मत्ती 13 >

1 यह घटना उस दिन की है जब येशु घर से बाहर झील के किनारे पर बैठे हुए थे.
اَپَرَنْچَ تَسْمِنْ دِنے یِیشُح سَدْمَنو گَتْوا سَرِتْپَتے رودھَسِ سَمُپَوِویشَ۔
2 एक बड़ी भीड़ उनके चारों ओर इकट्ठा हो गयी. इसलिये वह एक नाव में जा बैठे और भीड़ झील के तट पर रह गयी.
تَتْرَ تَتْسَنِّدھَو بَہُجَناناں نِوَہوپَسْتھِتیح سَ تَرَنِمارُہْیَ سَمُپاوِشَتْ، تینَ مانَوا رودھَسِ سْتھِتَوَنْتَح۔
3 उन्होंने भीड़ से दृष्टान्तों में अनेक विषयों पर चर्चा की. येशु ने कहा: “एक किसान बीज बोने के लिए निकला.
تَدانِیں سَ درِشْٹانْتَیسْتانْ اِتّھَں بَہُشَ اُپَدِشْٹَوانْ۔ پَشْیَتَ، کَشْچِتْ کرِشِیوَلو بِیجانِ وَپْتُں بَہِرْجَگامَ،
4 बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, जिन्हें पक्षियों ने आकर चुग लिया.
تَسْیَ وَپَنَکالے کَتِپَیَبِیجیشُ مارْگَپارْشْوے پَتِتیشُ وِہَگاسْتانِ بھَکْشِتَوَنْتَح۔
5 कुछ अन्य बीज पथरीली भूमि पर भी जा गिरे, जहां पर्याप्‍त मिट्टी नहीं थी. पर्याप्‍त मिट्टी न होने के कारण वे जल्दी ही अंकुरित भी हो गए.
اَپَرَں کَتِپَیَبِیجیشُ سْتوکَمرِدْیُکْتَپاشانے پَتِتیشُ مرِدَلْپَتْواتْ تَتْکْشَناتْ تانْیَنْکُرِتانِ،
6 किंतु जब सूर्योदय हुआ, वे झुलस गए और इसलिये कि उन्होंने जड़ें ही नहीं पकड़ी थी, वे मुरझा गए.
کِنْتُ رَواوُدِتے دَگْدھانِ تیشاں مُولاپْرَوِشْٹَتْواتْ شُشْکَتاں گَتانِ چَ۔
7 कुछ अन्य बीज कंटीली झाड़ियों में जा गिरे और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा दिया.
اَپَرَں کَتِپَیَبِیجیشُ کَنْٹَکاناں مَدھْیے پَتِتیشُ کَنْٹَکانْییدھِتْوا تانِ جَگْرَسُح۔
8 कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे और फल लाए. यह उपज सौ गुणी, साठ गुणी, तीस गुणी थी.
اَپَرَنْچَ کَتِپَیَبِیجانِ اُرْوَّرایاں پَتِتانِ؛ تیشاں مَدھْیے کانِچِتْ شَتَگُنانِ کانِچِتْ شَشْٹِگُنانِ کانِچِتْ تْرِںشَگُںنانِ پھَلانِ پھَلِتَوَنْتِ۔
9 जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
شْروتُں یَسْیَ شْرُتِی آساتے سَ شرِنُیاتْ۔
10 येशु के शिष्यों ने उनके पास आकर उनसे प्रश्न किया, “गुरुवर, आप लोगों को दृष्टान्तों में ही शिक्षा क्यों देते हैं?”
اَنَنْتَرَں شِشْیَیراگَتْیَ سوپرِچّھیَتَ، بھَوَتا تیبھْیَح کُتو درِشْٹانْتَکَتھا کَتھْیَتے؟
11 उसके उत्तर में येशु ने कहा, “स्वर्ग-राज्य के रहस्य जानने की क्षमता तुम्हें तो प्रदान की गई है, उन्हें नहीं.
تَتَح سَ پْرَتْیَوَدَتْ، سْوَرْگَراجْیَسْیَ نِگُوڈھاں کَتھاں ویدِتُں یُشْمَبھْیَں سامَرْتھْیَمَدایِ، کِنْتُ تیبھْیو نادایِ۔
12 क्योंकि जिस किसी के पास है उसे और अधिक प्रदान किया जाएगा और वह सम्पन्‍न हो जाएगा किंतु जिसके पास नहीं है उससे वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके पास है.
یَسْمادْ یَسْیانْتِکے وَرْدّھَتے، تَسْماییوَ دایِشْیَتے، تَسْماتْ تَسْیَ باہُلْیَں بھَوِشْیَتِ، کِنْتُ یَسْیانْتِکے نَ وَرْدّھَتے، تَسْیَ یَتْ کِنْچَناسْتے، تَدَپِ تَسْمادْ آدایِشْیَتے۔
13 यही कारण है कि मैं लोगों को दृष्टान्तों में शिक्षा देता हूं: “क्योंकि वे देखते हुए भी कुछ नहीं देखते तथा सुनते हुए भी कुछ नहीं सुनते और न उन्हें इसका अर्थ ही समझ आता है.
تے پَشْیَنْتوپِ نَ پَشْیَنْتِ، شرِنْوَنْتوپِ نَ شرِنْوَنْتِ، بُدھْیَمانا اَپِ نَ بُدھْیَنْتے چَ، تَسْماتْ تیبھْیو درِشْٹانْتَکَتھا کَتھْیَتے۔
14 उनकी इसी स्थिति के विषय में भविष्यवक्ता यशायाह की यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है: “‘तुम सुनते तो रहोगे किंतु समझोगे नहीं; तुम देखते तो रहोगे किंतु तुम्हें कोई ज्ञान न होगा;
یَتھا کَرْنَیح شْروشْیَتھَ یُویَں وَے کِنْتُ یُویَں نَ بھوتْسْیَتھَ۔ نیتْرَیرْدْرَکْشْیَتھَ یُویَنْچَ پَرِجْناتُں نَ شَکْشْیَتھَ۔ تے مانُشا یَتھا نَیوَ پَرِپَشْیَنْتِ لوچَنَیح۔ کَرْنَے رْیَتھا نَ شرِنْوَنْتِ نَ بُدھْیَنْتے چَ مانَسَیح۔ وْیاوَرْتِّتیشُ چِتّیشُ کالے کُتْراپِ تَیرْجَنَیح۔ مَتَّسْتے مَنُجاح سْوَسْتھا یَتھا نَیوَ بھَوَنْتِ چَ۔ تَتھا تیشاں مَنُشْیاناں کْرِیَنْتے سْتھُولَبُدّھَیَح۔ بَدھِرِیبھُوتَکَرْناشْچَ جاتاشْچَ مُدْرِتا درِشَح۔
15 क्योंकि इन लोगों का मन-मस्तिष्क मंद पड़ चुका है. वे अपने कानों से ऊंचा ही सुना करते हैं. उन्होंने अपनी आंखें मूंद रखी हैं कि कहीं वे अपनी आंखों से देखने न लगें, कानों से सुनने न लगें तथा अपने हृदय से समझने न लगें और मेरी ओर फिर जाएं कि मैं उन्हें स्वस्थ कर दूं.’
یَدیتانِ وَچَنانِ یِشَیِیَبھَوِشْیَدْوادِنا پْروکْتانِ تیشُ تانِ پھَلَنْتِ۔
16 धन्य हैं तुम्हारी आंखें क्योंकि वे देखती हैं और तुम्हारे कान क्योंकि वे सुनते हैं.
کِنْتُ یُشْماکَں نَیَنانِ دھَنْیانِ، یَسْماتْ تانِ وِیکْشَنْتے؛ دھَنْیاشْچَ یُشْماکَں شَبْدَگْرَہاح، یَسْماتْ تَیراکَرْنْیَتے۔
17 मैं तुम पर एक सच प्रकट कर रहा हूं: अनेक भविष्यवक्ता और धर्मी व्यक्ति वह देखने की कामना करते रहे, जो तुम देख रहे हो किंतु वे देख न सके तथा वे वह सुनने की कामना करते रहे, जो तुम सुन रहे हो किंतु सुन न सके.
مَیا یُویَں تَتھْیَں وَچامِ یُشْمابھِ رْیَدْیَدْ وِیکْشْیَتے، تَدْ بَہَوو بھَوِشْیَدْوادِنو دھارْمِّکاشْچَ مانَوا دِدرِکْشَنْتوپِ دْرَشْٹُں نالَبھَنْتَ، پُنَشْچَ یُویَں یَدْیَتْ شرِنُتھَ، تَتْ تے شُشْرُوشَمانا اَپِ شْروتُں نالَبھَنْتَ۔
18 “अब तुम किसान का दृष्टांत सुनो:
کرِشِیوَلِییَدرِشْٹانْتَسْیارْتھَں شرِنُتَ۔
19 जब कोई व्यक्ति राज्य के विषय में सुनता है किंतु उसे समझा नहीं करता, शैतान आता है और वह, जो उसके हृदय में रोपा गया है, झपटकर ले जाता है. यह वह बीज है जो मार्ग के किनारे गिर गया था.
مارْگَپارْشْوے بِیجانْیُپْتانِ تَسْیارْتھَ ایشَح، یَدا کَشْچِتْ راجْیَسْیَ کَتھاں نِشَمْیَ نَ بُدھْیَتے، تَدا پاپاتْماگَتْیَ تَدِییَمَنَسَ اُپْتاں کَتھاں ہَرَنْ نَیَتِ۔
20 पथरीली भूमि वह व्यक्ति है, जो संदेश को सुनता है तथा तुरंत ही उसे खुशी से अपना लेता है
اَپَرَں پاشانَسْتھَلے بِیجانْیُپْتانِ تَسْیارْتھَ ایشَح؛ کَشْچِتْ کَتھاں شْرُتْوَیوَ ہَرْشَچِتّینَ گرِہْلاتِ،
21 किंतु इसलिये कि उसकी जड़ है ही नहीं, वह थोड़े दिन के लिए ही उसमें टिक पाता है. जब संदेश के कारण यातनाएं और सताहट प्रारंभ होते हैं, उसका पतन हो जाता है.
کِنْتُ تَسْیَ مَنَسِ مُولاپْرَوِشْٹَتْواتْ سَ کِنْچِتْکالَماتْرَں سْتھِرَسْتِشْٹھَتِ؛ پَشْچاتَ تَتْکَتھاکارَناتْ کوپِ کْلیسْتاڈَنا وا چیتْ جایَتے، تَرْہِ سَ تَتْکْشَنادْ وِگھْنَمیتِ۔
22 वह भूमि, जहां बीज कंटीली झाड़ियों के बीच गिरा, वह व्यक्ति है जो संदेश को सुनता तो है किंतु संसार की चिंताएं तथा सम्पन्‍नता का छलावा संदेश को दबा देते हैं और वह बिना फल के रह जाता है. (aiōn g165)
اَپَرَں کَنْٹَکاناں مَدھْیے بِیجانْیُپْتانِ تَدَرْتھَ ایشَح؛ کینَچِتْ کَتھایاں شْرُتایاں ساںسارِکَچِنْتابھِ رْبھْرانْتِبھِشْچَ سا گْرَسْیَتے، تینَ سا ما وِپھَلا بھَوَتِ۔ (aiōn g165)
23 वह उत्तम भूमि, जिस पर बीज रोपा गया, वह व्यक्ति है, जो संदेश को सुनता है, उसे समझता है तथा वास्तव में फल लाता है—बोये गये बीज के तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा.”
اَپَرَمْ اُرْوَّرایاں بِیجانْیُپْتانِ تَدَرْتھَ ایشَح؛ یے تاں کَتھاں شْرُتْوا وُدھْیَنْتے، تے پھَلِتاح سَنْتَح کیچِتْ شَتَگُنانِ کیچِتَ شَشْٹِگُنانِ کیچِچَّ تْرِںشَدْگُنانِ پھَلانِ جَنَیَنْتِ۔
24 येशु ने उनके सामने एक अन्य दृष्टांत प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य की तुलना उस व्यक्ति से की जा सकती है, जिसने अपने खेत में उत्तम बीज का रोपण किया.
اَنَنْتَرَں سوپَرامیکاں درِشْٹانْتَکَتھامُپَسْتھاپْیَ تیبھْیَح کَتھَیاماسَ؛ سْوَرْگِییَراجْیَں تادرِشینَ کینَچِدْ گرِہَسْتھینوپَمِییَتے، یینَ سْوِییَکْشیتْرے پْرَشَسْتَبِیجانْیَوپْیَنْتَ۔
25 जब उसके सेवक सो रहे थे, उसका शत्रु आया और गेहूं के बीज के मध्य जंगली बीज रोप कर चला गया.
کِنْتُ کْشَنَدایاں سَکَلَلوکیشُ سُپْتیشُ تَسْیَ رِپُراگَتْیَ تیشاں گودھُومَبِیجاناں مَدھْیے وَنْیَیَوَمَبِیجانْیُپْتْوا وَوْراجَ۔
26 जब गेहूं के अंकुर फूटे और बालें आईं तब जंगली बीज के पौधे भी दिखाई दिए.
تَتو یَدا بِیجیبھْیونْکَرا جایَماناح کَنِشانِ گھرِتَوَنْتَح؛ تَدا وَنْیَیَوَسانْیَپِ درِشْیَمانانْیَبھَوَنْ۔
27 “इस पर सेवकों ने आकर अपने स्वामी से पूछा, ‘स्वामी, आपने तो अपने खेत में उत्तम बीज रोपे थे! तो फिर ये जंगली पौधे कहां से आ गए?’
تَتو گرِہَسْتھَسْیَ داسییا آگَمْیَ تَسْمَے کَتھَیانْچَکْرُح، ہے مَہیچّھَ، بھَوَتا کِں کْشیتْرے بھَدْرَبِیجانِ نَوپْیَنْتَ؟ تَتھاتْوے وَنْیَیَوَسانِ کرِتَ آیَنْ؟
28 “स्वामी ने उत्तर दिया, ‘यह काम शत्रु का है.’ “तब सेवकों ने उससे पूछा, ‘क्या आप चाहते हैं कि हम इन्हें उखाड़ फेंकें?’
تَدانِیں تینَ تے پْرَتِگَدِتاح، کینَچِتْ رِپُنا کَرْمَّدَمَکارِ۔ داسییاح کَتھَیاماسُح، وَیَں گَتْوا تانْیُتْپایَّ کْشِپامو بھَوَتَح کِیدرِشِیچّھا جایَتے؟
29 “उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली पौधे उखाड़ते हुए तुम गेहूं भी उखाड़ डालो.
تیناوادِ، نَہِ، شَنْکےہَں وَنْیَیَوَسوتْپاٹَنَکالے یُشْمابھِسْتَیح ساکَں گودھُوما اَپْیُتْپاٹِشْیَنْتے۔
30 गेहूं तथा जंगली पौधों को कटनी तक साथ साथ बढ़ने दो. उस समय मैं मज़दूरों को आज्ञा दूंगा, जंगली पौधे इकट्ठा कर उनकी पुलियां बांध दो कि उन्हें जला दिया जाए किंतु गेहूं मेरे खलिहान में इकट्ठा कर दो.’”
اَتَح شْسْیَکَرْتَّنَکالَں یاوَدْ اُبھَیانْیَپِ سَہَ وَرْدّھَنْتاں، پَشْچاتْ کَرْتَّنَکالے کَرْتَّکانْ وَکْشْیامِ، یُویَمادَو وَنْیَیَوَسانِ سَںگرِہْیَ داہَیِتُں وِیٹِکا بَدْوّا سْتھاپَیَتَ؛ کِنْتُ سَرْوّے گودھُوما یُشْمابھِ رْبھانْڈاگارَں نِیتْوا سْتھاپْیَنْتامْ۔
31 येशु ने उनके सामने एक अन्य दृष्टांत प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य एक राई के बीज के समान है, जिसे एक व्यक्ति ने अपने खेत में रोप दिया.
اَنَنْتَرَں سوپَرامیکاں درِشْٹانْتَکَتھامُتّھاپْیَ تیبھْیَح کَتھِتَوانْ کَشْچِنْمَنُجَح سَرْشَپَبِیجَمیکَں نِیتْوا سْوَکْشیتْرَ اُواپَ۔
32 यह अन्य सभी बीजों की तुलना में छोटा होता है किंतु जब यह पूरा विकसित हुआ तब खेत के सभी पौधों से अधिक बड़ा हो गया और फिर वह बढ़कर एक पेड़ में बदल गया कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों में बसेरा करने लगे.”
سَرْشَپَبِیجَں سَرْوَّسْمادْ بِیجاتْ کْشُدْرَمَپِ سَدَنْکُرِتَں سَرْوَّسْماتْ شاکاتْ برِہَدْ بھَوَتِ؛ سَ تادرِشَسْتَرُ رْبھَوَتِ، یَسْیَ شاکھاسُ نَبھَسَح کھَگا آگَتْیَ نِوَسَنْتِ؛ سْوَرْگِییَراجْیَں تادرِشَسْیَ سَرْشَپَیکَسْیَ سَمَمْ۔
33 येशु ने उनके सामने एक और दृष्टांत प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य खमीर के समान है, जिसे एक स्त्री ने लेकर तीन माप आटे में मिला दिया और होते-होते सारा आटा खमीर बन गया, यद्यपि आटा बड़ी मात्रा में था.”
پُنَرَپِ سَ اُپَماکَتھامیکاں تیبھْیَح کَتھَیانْچَکارَ؛ کاچَنَ یوشِتْ یَتْ کِنْوَمادایَ دْرونَتْرَیَمِتَگودھُومَچُورْناناں مَدھْیے سَرْوّیشاں مِشْرِیبھَوَنَپَرْیَّنْتَں سَماچّھادْیَ نِدھَتَّوَتِی، تَتْکِنْوَمِوَ سْوَرْگَراجْیَں۔
34 येशु ने ये पूरी शिक्षाएं भीड़ को दृष्टान्तों में दीं. कोई भी शिक्षा ऐसी न थी, जो दृष्टांत में न दी गई
اِتّھَں یِیشُ رْمَنُجَنِوَہاناں سَنِّدھاوُپَماکَتھابھِریتانْیاکھْیانانِ کَتھِتَوانْ اُپَماں وِنا تیبھْیَح کِمَپِ کَتھاں ناکَتھَیَتْ۔
35 कि भविष्यवक्ता द्वारा की गई यह भविष्यवाणी पूरी हो जाए: मैं दृष्टान्तों में वार्तालाप करूंगा, मैं वह सब कहूंगा, जो सृष्टि के आरंभ से गुप्‍त है.
ایتینَ درِشْٹانْتِییینَ واکْیینَ وْیادایَ وَدَنَں نِجَں۔ اَہَں پْرَکاشَیِشْیامِ گُپْتَواکْیَں پُرابھَوَں۔ یَدیتَدْوَچَنَں بھَوِشْیَدْوادِنا پْروکْتَماسِیتْ، تَتْ سِدّھَمَبھَوَتْ۔
36 जब येशु भीड़ को छोड़कर घर के भीतर चले गए, उनके शिष्यों ने उनके पास आकर उनसे विनती की, “गुरुवर, हमें खेत के जंगली बीज का दृष्टांत समझा दीजिए.”
سَرْوّانْ مَنُجانْ وِسرِجْیَ یِیشَو گرِہَں پْرَوِشْٹے تَچّھِشْیا آگَتْیَ یِیشَوے کَتھِتَوَنْتَح، کْشیتْرَسْیَ وَنْیَیَوَسِییَدرِشْٹانْتَکَتھامْ بھَوانَ اَسْمانْ سْپَشْٹِیکرِتْیَ وَدَتُ۔
37 येशु ने दृष्टांत की व्याख्या इस प्रकार की, “अच्छे बीज बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है.
تَتَح سَ پْرَتْیُواچَ، یینَ بھَدْرَبِیجانْیُپْیَنْتے سَ مَنُجَپُتْرَح،
38 खेत यह संसार है. अच्छा बीज राज्य की संतान हैं तथा जंगली बीज शैतान की.
کْشیتْرَں جَگَتْ، بھَدْرَبِیجانِی راجْیَسْیَ سَنْتاناح،
39 शत्रु, जिसने उनको बोया है, शैतान है. कटनी इस युग का अंत तथा काटने के लिए निर्धारित मज़दूर स्वर्गदूत हैं. (aiōn g165)
وَنْیَیَوَسانِ پاپاتْمَنَح سَنْتاناح۔ یینَ رِپُنا تانْیُپْتانِ سَ شَیَتانَح، کَرْتَّنَسَمَیَشْچَ جَگَتَح شیشَح، کَرْتَّکاح سْوَرْگِییَدُوتاح۔ (aiōn g165)
40 “इसलिये ठीक जिस प्रकार जंगली पौधे कटने के बाद आग में भस्म कर दिए जाते हैं, युग के अंत में ऐसा ही होगा. (aiōn g165)
یَتھا وَنْیَیَوَسانِ سَںگرِہْیَ داہْیَنْتے، تَتھا جَگَتَح شیشے بھَوِشْیَتِ؛ (aiōn g165)
41 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य में पतन के सभी कारणों तथा कुकर्मियों को इकट्ठा करेंगे और
اَرْتھاتْ مَنُجَسُتَح سْواںیَدُوتانْ پْریشَیِشْیَتِ، تینَ تے چَ تَسْیَ راجْیاتْ سَرْوّانْ وِگھْنَکارِنودھارْمِّکَلوکاںشْچَ سَںگرِہْیَ
42 उन्हें आग कुंड में झोंक देंगे, जहां लगातार रोना तथा दांतों का पीसना होता रहेगा.
یَتْرَ رودَنَں دَنْتَگھَرْشَنَنْچَ بھَوَتِ، تَتْراگْنِکُنْڈے نِکْشیپْسْیَنْتِ۔
43 तब धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे. जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
تَدانِیں دھارْمِّکَلوکاح سْویشاں پِتُو راجْیے بھاسْکَرَاِوَ تیجَسْوِنو بھَوِشْیَنْتِ۔ شْروتُں یَسْیَ شْرُتِی آساتے، مَ شرِنُیاتْ۔
44 “स्वर्ग-राज्य खेत में छिपाए गए उस खजाने के समान है, जिसे एक व्यक्ति ने पाया और दोबारा छिपा दिया. आनंद में उसने अपनी सारी संपत्ति बेचकर उस खेत को मोल ले लिया.
اَپَرَنْچَ کْشیتْرَمَدھْیے نِدھِں پَشْیَنْ یو گوپَیَتِ، تَتَح پَرَں سانَنْدو گَتْوا سْوِییَسَرْوَّسْوَں وِکْرِییَ تَّکْشیتْرَں کْرِیناتِ، سَ اِوَ سْوَرْگَراجْیَں۔
45 “स्वर्ग-राज्य उस व्यापारी के समान है, जो अच्छे मोतियों की खोज में था.
اَنْیَنْچَ یو وَنِکْ اُتَّماں مُکْتاں گَویشَیَنْ
46 एक कीमती मोती मिल जाने पर उसने अपनी सारी संपत्ति बेचकर उस मोती को मोल ले लिया.
مَہارْگھاں مُکْتاں وِلوکْیَ نِجَسَرْوَّسْوَں وِکْرِییَ تاں کْرِیناتِ، سَ اِوَ سْوَرْگَراجْیَں۔
47 “स्वर्ग-राज्य समुद्र में डाले गए उस जाल के समान है, जिसमें सभी प्रजातियों की मछलियां आ जाती हैं.
پُنَشْچَ سَمُدْرو نِکْشِپْتَح سَرْوَّپْرَکارَمِینَسَںگْراہْیانایَاِوَ سْوَرْگَراجْیَں۔
48 जब वह जाल भर गया और खींचकर तट पर लाया गया, उन्होंने बैठकर अच्छी मछलियों को टोकरी में इकट्ठा कर लिया तथा निकम्मी को फेंक दिया.
تَسْمِنْ آنایے پُورْنے جَنا یَتھا رودھَسْیُتّولْیَ سَمُپَوِشْیَ پْرَشَسْتَمِینانْ سَںگْرَہْیَ بھاجَنیشُ نِدَدھَتے، کُتْسِتانْ نِکْشِپَنْتِ؛
49 युग के अंत में ऐसा ही होगा. स्वर्गदूत आएंगे और दुष्टों को धर्मियों के मध्य से निकालकर अलग करेंगे (aiōn g165)
تَتھَیوَ جَگَتَح شیشے بھَوِشْیَتِ، پھَلَتَح سْوَرْگِییَدُوتا آگَتْیَ پُنْیَوَجَّناناں مَدھْیاتْ پاپِنَح پرِتھَکْ کرِتْوا وَہْنِکُنْڈے نِکْشیپْسْیَنْتِ، (aiōn g165)
50 तथा उन्हें आग के कुंड में झोंक देंगे, जहां रोना तथा दांतों का पीसना होता रहेगा.
تَتْرَ رودَنَں دَنْتَے رْدَنْتَگھَرْشَنَنْچَ بھَوِشْیَتَح۔
51 “क्या तुम्हें अब यह सब समझ आया?” उन्होंने उत्तर दिया. “जी हां, प्रभु.”
یِیشُنا تے پرِشْٹا یُشْمابھِح کِمیتانْیاکھْیانانْیَبُدھْیَنْتَ؟ تَدا تے پْرَتْیَوَدَنْ، سَتْیَں پْرَبھو۔
52 येशु ने उनसे कहा, “यही कारण है कि व्यवस्था का हर एक शिक्षक, जो स्वर्ग-राज्य के विषय में प्रशिक्षित किया जा चुका है, परिवार के प्रधान के समान है, जो अपने भंडार से नई और पुरानी हर एक वस्तु को निकाल लाता है.”
تَدانِیں سَ کَتھِتَوانْ، نِجَبھانْڈاگاراتْ نَوِینَپُراتَنانِ وَسْتُونِ نِرْگَمَیَتِ یو گرِہَسْتھَح سَ اِوَ سْوَرْگَراجْیَمَدھِ شِکْشِتاح سْوَرْوَ اُپَدیشْٹارَح۔
53 दृष्टान्तों में अपनी शिक्षा दे चुकने पर येशु उस स्थान से चले गए.
اَنَنْتَرَں یِیشُریتاح سَرْوّا درِشْٹانْتَکَتھاح سَماپْیَ تَسْماتْ سْتھاناتْ پْرَتَسْتھے۔ اَپَرَں سْوَدیشَماگَتْیَ جَنانْ بھَجَنَبھَوَنَ اُپَدِشْٹَوانْ؛
54 तब येशु अपने गृहनगर में आए और वहां वह यहूदी सभागृह में लोगों को शिक्षा देने लगे. इस पर वे चकित होकर आपस में कहने लगे, “इस व्यक्ति को यह ज्ञान तथा इन अद्भुत कामों का सामर्थ्य कैसे प्राप्‍त हो गया?
تے وِسْمَیَں گَتْوا کَتھِتَوَنْتَ ایتَسْیَیتادرِشَں جْنانَمْ آشْچَرْیَّں کَرْمَّ چَ کَسْمادْ اَجایَتَ؟
55 क्या यह उस बढ़ई का पुत्र नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम नहीं और क्या याकोब, योसेफ़, शिमओन और यहूदाह इसके भाई नहीं?
کِمَیَں سُوتْرَدھارَسْیَ پُتْرو نَہِ؟ ایتَسْیَ ماتُ رْنامَ چَ کِں مَرِیَمْ نَہِ؟ یاکُبْ-یُوشَپھْ-شِمونْ-یِہُوداشْچَ کِمیتَسْیَ بھْراتَرو نَہِ؟
56 और क्या इसकी बहनें हमारे बीच नहीं? तब इसे ये सब कैसे प्राप्‍त हो गया?”
ایتَسْیَ بھَگِنْیَشْچَ کِمَسْماکَں مَدھْیے نَ سَنْتِ؟ تَرْہِ کَسْمادَیَمیتانِ لَبْدھَوانْ؟ اِتّھَں سَ تیشاں وِگھْنَرُوپو بَبھُووَ؛
57 वे येशु के प्रति क्रोध से भर गए. इस पर येशु ने उनसे कहा, “अपने गृहनगर और परिवार के अलावा भविष्यवक्ता कहीं भी अपमानित नहीं होता.”
تَتو یِیشُنا نِگَدِتَں سْوَدیشِییَجَناناں مَدھْیَں وِنا بھَوِشْیَدْوادِی کُتْراپْیَنْیَتْرَ ناسَمّانْیو بھَوَتِی۔
58 लोगों के अविश्वास के कारण येशु ने उस नगर में अधिक अद्भुत काम नहीं किए.
تیشامَوِشْواسَہیتوح سَ تَتْرَ سْتھانے بَہْواشْچَرْیَّکَرْمّانِ نَ کرِتَوانْ۔

< मत्ती 13 >