< मत्ती 13 >
1 यह घटना उस दिन की है जब येशु घर से बाहर झील के किनारे पर बैठे हुए थे.
ཨཔརཉྩ ཏསྨིན྄ དིནེ ཡཱིཤུཿ སདྨནོ གཏྭཱ སརིཏྤཏེ རོདྷསི སམུཔཝིཝེཤ།
2 एक बड़ी भीड़ उनके चारों ओर इकट्ठा हो गयी. इसलिये वह एक नाव में जा बैठे और भीड़ झील के तट पर रह गयी.
ཏཏྲ ཏཏྶནྣིདྷཽ བཧུཛནཱནཱཾ ནིཝཧོཔསྠིཏེཿ ས ཏརཎིམཱརུཧྱ སམུཔཱཝིཤཏ྄, ཏེན མཱནཝཱ རོདྷསི སྠིཏཝནྟཿ།
3 उन्होंने भीड़ से दृष्टान्तों में अनेक विषयों पर चर्चा की. येशु ने कहा: “एक किसान बीज बोने के लिए निकला.
ཏདཱནཱིཾ ས དྲྀཥྚཱནྟཻསྟཱན྄ ཨིཏྠཾ བཧུཤ ཨུཔདིཥྚཝཱན྄། པཤྱཏ, ཀཤྩིཏ྄ ཀྲྀཥཱིཝལོ བཱིཛཱནི ཝཔྟུཾ བཧིརྫགཱམ,
4 बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, जिन्हें पक्षियों ने आकर चुग लिया.
ཏསྱ ཝཔནཀཱལེ ཀཏིཔཡབཱིཛེཥུ མཱརྒཔཱརྴྭེ པཏིཏེཥུ ཝིཧགཱསྟཱནི བྷཀྵིཏཝནྟཿ།
5 कुछ अन्य बीज पथरीली भूमि पर भी जा गिरे, जहां पर्याप्त मिट्टी नहीं थी. पर्याप्त मिट्टी न होने के कारण वे जल्दी ही अंकुरित भी हो गए.
ཨཔརཾ ཀཏིཔཡབཱིཛེཥུ སྟོཀམྲྀདྱུཀྟཔཱཥཱཎེ པཏིཏེཥུ མྲྀདལྤཏྭཱཏ྄ ཏཏྐྵཎཱཏ྄ ཏཱནྱངྐུརིཏཱནི,
6 किंतु जब सूर्योदय हुआ, वे झुलस गए और इसलिये कि उन्होंने जड़ें ही नहीं पकड़ी थी, वे मुरझा गए.
ཀིནྟུ རཝཱཝུདིཏེ དགྡྷཱནི ཏེཥཱཾ མཱུལཱཔྲཝིཥྚཏྭཱཏ྄ ཤུཥྐཏཱཾ གཏཱནི ཙ།
7 कुछ अन्य बीज कंटीली झाड़ियों में जा गिरे और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा दिया.
ཨཔརཾ ཀཏིཔཡབཱིཛེཥུ ཀཎྚཀཱནཱཾ མདྷྱེ པཏིཏེཥུ ཀཎྚཀཱནྱེདྷིཏྭཱ ཏཱནི ཛགྲསུཿ།
8 कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे और फल लाए. यह उपज सौ गुणी, साठ गुणी, तीस गुणी थी.
ཨཔརཉྩ ཀཏིཔཡབཱིཛཱནི ཨུཪྻྭརཱཡཱཾ པཏིཏཱནི; ཏེཥཱཾ མདྷྱེ ཀཱནིཙིཏ྄ ཤཏགུཎཱནི ཀཱནིཙིཏ྄ ཥཥྚིགུཎཱནི ཀཱནིཙིཏ྄ ཏྲིཾཤགུཾཎཱནི ཕལཱནི ཕལིཏཝནྟི།
9 जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
ཤྲོཏུཾ ཡསྱ ཤྲུཏཱི ཨཱསཱཏེ ས ཤྲྀཎུཡཱཏ྄།
10 येशु के शिष्यों ने उनके पास आकर उनसे प्रश्न किया, “गुरुवर, आप लोगों को दृष्टान्तों में ही शिक्षा क्यों देते हैं?”
ཨནནྟརཾ ཤིཥྱཻརཱགཏྱ སོ྅པྲྀཙྪྱཏ, བྷཝཏཱ ཏེབྷྱཿ ཀུཏོ དྲྀཥྚཱནྟཀཐཱ ཀཐྱཏེ?
11 उसके उत्तर में येशु ने कहा, “स्वर्ग-राज्य के रहस्य जानने की क्षमता तुम्हें तो प्रदान की गई है, उन्हें नहीं.
ཏཏཿ ས པྲཏྱཝདཏ྄, སྭརྒརཱཛྱསྱ ནིགཱུཌྷཱཾ ཀཐཱཾ ཝེདིཏུཾ ཡུཥྨབྷྱཾ སཱམརྠྱམདཱཡི, ཀིནྟུ ཏེབྷྱོ ནཱདཱཡི།
12 क्योंकि जिस किसी के पास है उसे और अधिक प्रदान किया जाएगा और वह सम्पन्न हो जाएगा किंतु जिसके पास नहीं है उससे वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके पास है.
ཡསྨཱད྄ ཡསྱཱནྟིཀེ ཝརྡྡྷཏེ, ཏསྨཱཡེཝ དཱཡིཥྱཏེ, ཏསྨཱཏ྄ ཏསྱ བཱཧུལྱཾ བྷཝིཥྱཏི, ཀིནྟུ ཡསྱཱནྟིཀེ ན ཝརྡྡྷཏེ, ཏསྱ ཡཏ྄ ཀིཉྩནཱསྟེ, ཏདཔི ཏསྨཱད྄ ཨཱདཱཡིཥྱཏེ།
13 यही कारण है कि मैं लोगों को दृष्टान्तों में शिक्षा देता हूं: “क्योंकि वे देखते हुए भी कुछ नहीं देखते तथा सुनते हुए भी कुछ नहीं सुनते और न उन्हें इसका अर्थ ही समझ आता है.
ཏེ པཤྱནྟོཔི ན པཤྱནྟི, ཤྲྀཎྭནྟོཔི ན ཤྲྀཎྭནྟི, བུདྷྱམཱནཱ ཨཔི ན བུདྷྱནྟེ ཙ, ཏསྨཱཏ྄ ཏེབྷྱོ དྲྀཥྚཱནྟཀཐཱ ཀཐྱཏེ།
14 उनकी इसी स्थिति के विषय में भविष्यवक्ता यशायाह की यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है: “‘तुम सुनते तो रहोगे किंतु समझोगे नहीं; तुम देखते तो रहोगे किंतु तुम्हें कोई ज्ञान न होगा;
ཡཐཱ ཀརྞཻཿ ཤྲོཥྱཐ ཡཱུཡཾ ཝཻ ཀིནྟུ ཡཱུཡཾ ན བྷོཏྶྱཐ། ནེཏྲཻརྡྲཀྵྱཐ ཡཱུཡཉྩ པརིཛྙཱཏུཾ ན ཤཀྵྱཐ། ཏེ མཱནུཥཱ ཡཐཱ ནཻཝ པརིཔཤྱནྟི ལོཙནཻཿ། ཀརྞཻ ཪྻཐཱ ན ཤྲྀཎྭནྟི ན བུདྷྱནྟེ ཙ མཱནསཻཿ། ཝྱཱཝརྟྟིཏེཥུ ཙིཏྟེཥུ ཀཱལེ ཀུཏྲཱཔི ཏཻརྫནཻཿ། མཏྟསྟེ མནུཛཱཿ སྭསྠཱ ཡཐཱ ནཻཝ བྷཝནྟི ཙ། ཏཐཱ ཏེཥཱཾ མནུཥྱཱཎཱཾ ཀྲིཡནྟེ སྠཱུལབུདྡྷཡཿ། བདྷིརཱིབྷཱུཏཀརྞཱཤྩ ཛཱཏཱཤྩ མུདྲིཏཱ དྲྀཤཿ།
15 क्योंकि इन लोगों का मन-मस्तिष्क मंद पड़ चुका है. वे अपने कानों से ऊंचा ही सुना करते हैं. उन्होंने अपनी आंखें मूंद रखी हैं कि कहीं वे अपनी आंखों से देखने न लगें, कानों से सुनने न लगें तथा अपने हृदय से समझने न लगें और मेरी ओर फिर जाएं कि मैं उन्हें स्वस्थ कर दूं.’
ཡདེཏཱནི ཝཙནཱནི ཡིཤཡིཡབྷཝིཥྱདྭཱདིནཱ པྲོཀྟཱནི ཏེཥུ ཏཱནི ཕལནྟི།
16 धन्य हैं तुम्हारी आंखें क्योंकि वे देखती हैं और तुम्हारे कान क्योंकि वे सुनते हैं.
ཀིནྟུ ཡུཥྨཱཀཾ ནཡནཱནི དྷནྱཱནི, ཡསྨཱཏ྄ ཏཱནི ཝཱིཀྵནྟེ; དྷནྱཱཤྩ ཡུཥྨཱཀཾ ཤབྡགྲཧཱཿ, ཡསྨཱཏ྄ ཏཻརཱཀརྞྱཏེ།
17 मैं तुम पर एक सच प्रकट कर रहा हूं: अनेक भविष्यवक्ता और धर्मी व्यक्ति वह देखने की कामना करते रहे, जो तुम देख रहे हो किंतु वे देख न सके तथा वे वह सुनने की कामना करते रहे, जो तुम सुन रहे हो किंतु सुन न सके.
མཡཱ ཡཱུཡཾ ཏཐྱཾ ཝཙཱམི ཡུཥྨཱབྷི ཪྻདྱད྄ ཝཱིཀྵྱཏེ, ཏད྄ བཧཝོ བྷཝིཥྱདྭཱདིནོ དྷཱརྨྨིཀཱཤྩ མཱནཝཱ དིདྲྀཀྵནྟོཔི དྲཥྚུཾ ནཱལབྷནྟ, པུནཤྩ ཡཱུཡཾ ཡདྱཏ྄ ཤྲྀཎུཐ, ཏཏ྄ ཏེ ཤུཤྲཱུཥམཱཎཱ ཨཔི ཤྲོཏུཾ ནཱལབྷནྟ།
18 “अब तुम किसान का दृष्टांत सुनो:
ཀྲྀཥཱིཝལཱིཡདྲྀཥྚཱནྟསྱཱརྠཾ ཤྲྀཎུཏ།
19 जब कोई व्यक्ति राज्य के विषय में सुनता है किंतु उसे समझा नहीं करता, शैतान आता है और वह, जो उसके हृदय में रोपा गया है, झपटकर ले जाता है. यह वह बीज है जो मार्ग के किनारे गिर गया था.
མཱརྒཔཱརྴྭེ བཱིཛཱནྱུཔྟཱནི ཏསྱཱརྠ ཨེཥཿ, ཡདཱ ཀཤྩིཏ྄ རཱཛྱསྱ ཀཐཱཾ ནིཤམྱ ན བུདྷྱཏེ, ཏདཱ པཱཔཱཏྨཱགཏྱ ཏདཱིཡམནས ཨུཔྟཱཾ ཀཐཱཾ ཧརན྄ ནཡཏི།
20 पथरीली भूमि वह व्यक्ति है, जो संदेश को सुनता है तथा तुरंत ही उसे खुशी से अपना लेता है
ཨཔརཾ པཱཥཱཎསྠལེ བཱིཛཱནྱུཔྟཱནི ཏསྱཱརྠ ཨེཥཿ; ཀཤྩིཏ྄ ཀཐཱཾ ཤྲུཏྭཻཝ ཧརྵཙིཏྟེན གྲྀཧླཱཏི,
21 किंतु इसलिये कि उसकी जड़ है ही नहीं, वह थोड़े दिन के लिए ही उसमें टिक पाता है. जब संदेश के कारण यातनाएं और सताहट प्रारंभ होते हैं, उसका पतन हो जाता है.
ཀིནྟུ ཏསྱ མནསི མཱུལཱཔྲཝིཥྚཏྭཱཏ྄ ས ཀིཉྩིཏྐཱལམཱཏྲཾ སྠིརསྟིཥྛཏི; པཤྩཱཏ ཏཏྐཐཱཀཱརཎཱཏ྄ ཀོཔི ཀླེསྟཱཌནཱ ཝཱ ཙེཏ྄ ཛཱཡཏེ, ཏརྷི ས ཏཏྐྵཎཱད྄ ཝིགྷྣམེཏི།
22 वह भूमि, जहां बीज कंटीली झाड़ियों के बीच गिरा, वह व्यक्ति है जो संदेश को सुनता तो है किंतु संसार की चिंताएं तथा सम्पन्नता का छलावा संदेश को दबा देते हैं और वह बिना फल के रह जाता है. (aiōn )
ཨཔརཾ ཀཎྚཀཱནཱཾ མདྷྱེ བཱིཛཱནྱུཔྟཱནི ཏདརྠ ཨེཥཿ; ཀེནཙིཏ྄ ཀཐཱཡཱཾ ཤྲུཏཱཡཱཾ སཱཾསཱརིཀཙིནྟཱབྷི རྦྷྲཱནྟིབྷིཤྩ སཱ གྲསྱཏེ, ཏེན སཱ མཱ ཝིཕལཱ བྷཝཏི། (aiōn )
23 वह उत्तम भूमि, जिस पर बीज रोपा गया, वह व्यक्ति है, जो संदेश को सुनता है, उसे समझता है तथा वास्तव में फल लाता है—बोये गये बीज के तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा.”
ཨཔརམ྄ ཨུཪྻྭརཱཡཱཾ བཱིཛཱནྱུཔྟཱནི ཏདརྠ ཨེཥཿ; ཡེ ཏཱཾ ཀཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ ཝུདྷྱནྟེ, ཏེ ཕལིཏཱཿ སནྟཿ ཀེཙིཏ྄ ཤཏགུཎཱནི ཀེཙིཏ ཥཥྚིགུཎཱནི ཀེཙིཙྩ ཏྲིཾཤདྒུཎཱནི ཕལཱནི ཛནཡནྟི།
24 येशु ने उनके सामने एक अन्य दृष्टांत प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य की तुलना उस व्यक्ति से की जा सकती है, जिसने अपने खेत में उत्तम बीज का रोपण किया.
ཨནནྟརཾ སོཔརཱམེཀཱཾ དྲྀཥྚཱནྟཀཐཱམུཔསྠཱཔྱ ཏེབྷྱཿ ཀཐཡཱམཱས; སྭརྒཱིཡརཱཛྱཾ ཏཱདྲྀཤེན ཀེནཙིད྄ གྲྀཧསྠེནོཔམཱིཡཏེ, ཡེན སྭཱིཡཀྵེཏྲེ པྲཤསྟབཱིཛཱནྱཽཔྱནྟ།
25 जब उसके सेवक सो रहे थे, उसका शत्रु आया और गेहूं के बीज के मध्य जंगली बीज रोप कर चला गया.
ཀིནྟུ ཀྵཎདཱཡཱཾ སཀལལོཀེཥུ སུཔྟེཥུ ཏསྱ རིཔུརཱགཏྱ ཏེཥཱཾ གོདྷཱུམབཱིཛཱནཱཾ མདྷྱེ ཝནྱཡཝམབཱིཛཱནྱུཔྟྭཱ ཝཝྲཱཛ།
26 जब गेहूं के अंकुर फूटे और बालें आईं तब जंगली बीज के पौधे भी दिखाई दिए.
ཏཏོ ཡདཱ བཱིཛེབྷྱོ྅ངྐརཱ ཛཱཡམཱནཱཿ ཀཎིཤཱནི གྷྲྀཏཝནྟཿ; ཏདཱ ཝནྱཡཝསཱནྱཔི དྲྀཤྱམཱནཱནྱབྷཝན྄།
27 “इस पर सेवकों ने आकर अपने स्वामी से पूछा, ‘स्वामी, आपने तो अपने खेत में उत्तम बीज रोपे थे! तो फिर ये जंगली पौधे कहां से आ गए?’
ཏཏོ གྲྀཧསྠསྱ དཱསེཡཱ ཨཱགམྱ ཏསྨཻ ཀཐཡཱཉྩཀྲུཿ, ཧེ མཧེཙྪ, བྷཝཏཱ ཀིཾ ཀྵེཏྲེ བྷདྲབཱིཛཱནི ནཽཔྱནྟ? ཏཐཱཏྭེ ཝནྱཡཝསཱནི ཀྲྀཏ ཨཱཡན྄?
28 “स्वामी ने उत्तर दिया, ‘यह काम शत्रु का है.’ “तब सेवकों ने उससे पूछा, ‘क्या आप चाहते हैं कि हम इन्हें उखाड़ फेंकें?’
ཏདཱནཱིཾ ཏེན ཏེ པྲཏིགདིཏཱཿ, ཀེནཙིཏ྄ རིཔུཎཱ ཀརྨྨདམཀཱརི། དཱསེཡཱཿ ཀཐཡཱམཱསུཿ, ཝཡཾ གཏྭཱ ཏཱནྱུཏྤཱཡྻ ཀྵིཔཱམོ བྷཝཏཿ ཀཱིདྲྀཤཱིཙྪཱ ཛཱཡཏེ?
29 “उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली पौधे उखाड़ते हुए तुम गेहूं भी उखाड़ डालो.
ཏེནཱཝཱདི, ནཧི, ཤངྐེ྅ཧཾ ཝནྱཡཝསོཏྤཱཊནཀཱལེ ཡུཥྨཱབྷིསྟཻཿ སཱཀཾ གོདྷཱུམཱ ཨཔྱུཏྤཱཊིཥྱནྟེ།
30 गेहूं तथा जंगली पौधों को कटनी तक साथ साथ बढ़ने दो. उस समय मैं मज़दूरों को आज्ञा दूंगा, जंगली पौधे इकट्ठा कर उनकी पुलियां बांध दो कि उन्हें जला दिया जाए किंतु गेहूं मेरे खलिहान में इकट्ठा कर दो.’”
ཨཏཿ ཤྶྱཀརྟྟནཀཱལཾ ཡཱཝད྄ ཨུབྷཡཱནྱཔི སཧ ཝརྡྡྷནྟཱཾ, པཤྩཱཏ྄ ཀརྟྟནཀཱལེ ཀརྟྟཀཱན྄ ཝཀྵྱཱམི, ཡཱུཡམཱདཽ ཝནྱཡཝསཱནི སཾགྲྀཧྱ དཱཧཡིཏུཾ ཝཱིཊིཀཱ བདྭྭཱ སྠཱཔཡཏ; ཀིནྟུ སཪྻྭེ གོདྷཱུམཱ ཡུཥྨཱབྷི རྦྷཱཎྜཱགཱརཾ ནཱིཏྭཱ སྠཱཔྱནྟཱམ྄།
31 येशु ने उनके सामने एक अन्य दृष्टांत प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य एक राई के बीज के समान है, जिसे एक व्यक्ति ने अपने खेत में रोप दिया.
ཨནནྟརཾ སོཔརཱམེཀཱཾ དྲྀཥྚཱནྟཀཐཱམུཏྠཱཔྱ ཏེབྷྱཿ ཀཐིཏཝཱན྄ ཀཤྩིནྨནུཛཿ སརྵཔབཱིཛམེཀཾ ནཱིཏྭཱ སྭཀྵེཏྲ ཨུཝཱཔ།
32 यह अन्य सभी बीजों की तुलना में छोटा होता है किंतु जब यह पूरा विकसित हुआ तब खेत के सभी पौधों से अधिक बड़ा हो गया और फिर वह बढ़कर एक पेड़ में बदल गया कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों में बसेरा करने लगे.”
སརྵཔབཱིཛཾ སཪྻྭསྨཱད྄ བཱིཛཱཏ྄ ཀྵུདྲམཔི སདངྐུརིཏཾ སཪྻྭསྨཱཏ྄ ཤཱཀཱཏ྄ བྲྀཧད྄ བྷཝཏི; ས ཏཱདྲྀཤསྟརུ རྦྷཝཏི, ཡསྱ ཤཱཁཱསུ ནབྷསཿ ཁགཱ ཨཱགཏྱ ནིཝསནྟི; སྭརྒཱིཡརཱཛྱཾ ཏཱདྲྀཤསྱ སརྵཔཻཀསྱ སམམ྄།
33 येशु ने उनके सामने एक और दृष्टांत प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य खमीर के समान है, जिसे एक स्त्री ने लेकर तीन माप आटे में मिला दिया और होते-होते सारा आटा खमीर बन गया, यद्यपि आटा बड़ी मात्रा में था.”
པུནརཔི ས ཨུཔམཱཀཐཱམེཀཱཾ ཏེབྷྱཿ ཀཐཡཱཉྩཀཱར; ཀཱཙན ཡོཥིཏ྄ ཡཏ྄ ཀིཎྭམཱདཱཡ དྲོཎཏྲཡམིཏགོདྷཱུམཙཱུརྞཱནཱཾ མདྷྱེ སཪྻྭེཥཱཾ མིཤྲཱིབྷཝནཔཪྻྱནྟཾ སམཱཙྪཱདྱ ནིདྷཏྟཝཏཱི, ཏཏྐིཎྭམིཝ སྭརྒརཱཛྱཾ།
34 येशु ने ये पूरी शिक्षाएं भीड़ को दृष्टान्तों में दीं. कोई भी शिक्षा ऐसी न थी, जो दृष्टांत में न दी गई
ཨིཏྠཾ ཡཱིཤུ རྨནུཛནིཝཧཱནཱཾ སནྣིདྷཱཝུཔམཱཀཐཱབྷིརེཏཱནྱཱཁྱཱནཱནི ཀཐིཏཝཱན྄ ཨུཔམཱཾ ཝིནཱ ཏེབྷྱཿ ཀིམཔི ཀཐཱཾ ནཱཀཐཡཏ྄།
35 कि भविष्यवक्ता द्वारा की गई यह भविष्यवाणी पूरी हो जाए: मैं दृष्टान्तों में वार्तालाप करूंगा, मैं वह सब कहूंगा, जो सृष्टि के आरंभ से गुप्त है.
ཨེཏེན དྲྀཥྚཱནྟཱིཡེན ཝཱཀྱེན ཝྱཱདཱཡ ཝདནཾ ནིཛཾ། ཨཧཾ པྲཀཱཤཡིཥྱཱམི གུཔྟཝཱཀྱཾ པུརཱབྷཝཾ། ཡདེཏདྭཙནཾ བྷཝིཥྱདྭཱདིནཱ པྲོཀྟམཱསཱིཏ྄, ཏཏ྄ སིདྡྷམབྷཝཏ྄།
36 जब येशु भीड़ को छोड़कर घर के भीतर चले गए, उनके शिष्यों ने उनके पास आकर उनसे विनती की, “गुरुवर, हमें खेत के जंगली बीज का दृष्टांत समझा दीजिए.”
སཪྻྭཱན྄ མནུཛཱན྄ ཝིསྲྀཛྱ ཡཱིཤཽ གྲྀཧཾ པྲཝིཥྚེ ཏཙྪིཥྱཱ ཨཱགཏྱ ཡཱིཤཝེ ཀཐིཏཝནྟཿ, ཀྵེཏྲསྱ ཝནྱཡཝསཱིཡདྲྀཥྚཱནྟཀཐཱམ྄ བྷཝཱན ཨསྨཱན྄ སྤཥྚཱིཀྲྀཏྱ ཝདཏུ།
37 येशु ने दृष्टांत की व्याख्या इस प्रकार की, “अच्छे बीज बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है.
ཏཏཿ ས པྲཏྱུཝཱཙ, ཡེན བྷདྲབཱིཛཱནྱུཔྱནྟེ ས མནུཛཔུཏྲཿ,
38 खेत यह संसार है. अच्छा बीज राज्य की संतान हैं तथा जंगली बीज शैतान की.
ཀྵེཏྲཾ ཛགཏ྄, བྷདྲབཱིཛཱནཱི རཱཛྱསྱ སནྟཱནཱཿ,
39 शत्रु, जिसने उनको बोया है, शैतान है. कटनी इस युग का अंत तथा काटने के लिए निर्धारित मज़दूर स्वर्गदूत हैं. (aiōn )
ཝནྱཡཝསཱནི པཱཔཱཏྨནཿ སནྟཱནཱཿ། ཡེན རིཔུཎཱ ཏཱནྱུཔྟཱནི ས ཤཡཏཱནཿ, ཀརྟྟནསམཡཤྩ ཛགཏཿ ཤེཥཿ, ཀརྟྟཀཱཿ སྭརྒཱིཡདཱུཏཱཿ། (aiōn )
40 “इसलिये ठीक जिस प्रकार जंगली पौधे कटने के बाद आग में भस्म कर दिए जाते हैं, युग के अंत में ऐसा ही होगा. (aiōn )
ཡཐཱ ཝནྱཡཝསཱནི སཾགྲྀཧྱ དཱཧྱནྟེ, ཏཐཱ ཛགཏཿ ཤེཥེ བྷཝིཥྱཏི; (aiōn )
41 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य में पतन के सभी कारणों तथा कुकर्मियों को इकट्ठा करेंगे और
ཨརྠཱཏ྄ མནུཛསུཏཿ སྭཱཾཡདཱུཏཱན྄ པྲེཥཡིཥྱཏི, ཏེན ཏེ ཙ ཏསྱ རཱཛྱཱཏ྄ སཪྻྭཱན྄ ཝིགྷྣཀཱརིཎོ྅དྷཱརྨྨིཀལོཀཱཾཤྩ སཾགྲྀཧྱ
42 उन्हें आग कुंड में झोंक देंगे, जहां लगातार रोना तथा दांतों का पीसना होता रहेगा.
ཡཏྲ རོདནཾ དནྟགྷརྵཎཉྩ བྷཝཏི, ཏཏྲཱགྣིཀུཎྜེ ནིཀྵེཔྶྱནྟི།
43 तब धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे. जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
ཏདཱནཱིཾ དྷཱརྨྨིཀལོཀཱཿ སྭེཥཱཾ པིཏཱུ རཱཛྱེ བྷཱསྐརཨིཝ ཏེཛསྭིནོ བྷཝིཥྱནྟི། ཤྲོཏུཾ ཡསྱ ཤྲུཏཱི ཨཱསཱཏེ, མ ཤྲྀཎུཡཱཏ྄།
44 “स्वर्ग-राज्य खेत में छिपाए गए उस खजाने के समान है, जिसे एक व्यक्ति ने पाया और दोबारा छिपा दिया. आनंद में उसने अपनी सारी संपत्ति बेचकर उस खेत को मोल ले लिया.
ཨཔརཉྩ ཀྵེཏྲམདྷྱེ ནིདྷིཾ པཤྱན྄ ཡོ གོཔཡཏི, ཏཏཿ པརཾ སཱནནྡོ གཏྭཱ སྭཱིཡསཪྻྭསྭཾ ཝིཀྲཱིཡ ཏྟཀྵེཏྲཾ ཀྲཱིཎཱཏི, ས ཨིཝ སྭརྒརཱཛྱཾ།
45 “स्वर्ग-राज्य उस व्यापारी के समान है, जो अच्छे मोतियों की खोज में था.
ཨནྱཉྩ ཡོ ཝཎིཀ྄ ཨུཏྟམཱཾ མུཀྟཱཾ གཝེཥཡན྄
46 एक कीमती मोती मिल जाने पर उसने अपनी सारी संपत्ति बेचकर उस मोती को मोल ले लिया.
མཧཱརྒྷཱཾ མུཀྟཱཾ ཝིལོཀྱ ནིཛསཪྻྭསྭཾ ཝིཀྲཱིཡ ཏཱཾ ཀྲཱིཎཱཏི, ས ཨིཝ སྭརྒརཱཛྱཾ།
47 “स्वर्ग-राज्य समुद्र में डाले गए उस जाल के समान है, जिसमें सभी प्रजातियों की मछलियां आ जाती हैं.
པུནཤྩ སམུདྲོ ནིཀྵིཔྟཿ སཪྻྭཔྲཀཱརམཱིནསཾགྲཱཧྱཱནཱཡཨིཝ སྭརྒརཱཛྱཾ།
48 जब वह जाल भर गया और खींचकर तट पर लाया गया, उन्होंने बैठकर अच्छी मछलियों को टोकरी में इकट्ठा कर लिया तथा निकम्मी को फेंक दिया.
ཏསྨིན྄ ཨཱནཱཡེ པཱུརྞེ ཛནཱ ཡཐཱ རོདྷསྱུཏྟོལྱ སམུཔཝིཤྱ པྲཤསྟམཱིནཱན྄ སཾགྲཧྱ བྷཱཛནེཥུ ནིདདྷཏེ, ཀུཏྶིཏཱན྄ ནིཀྵིཔནྟི;
49 युग के अंत में ऐसा ही होगा. स्वर्गदूत आएंगे और दुष्टों को धर्मियों के मध्य से निकालकर अलग करेंगे (aiōn )
ཏཐཻཝ ཛགཏཿ ཤེཥེ བྷཝིཥྱཏི, ཕལཏཿ སྭརྒཱིཡདཱུཏཱ ཨཱགཏྱ པུཎྱཝཛྫནཱནཱཾ མདྷྱཱཏ྄ པཱཔིནཿ པྲྀཐཀ྄ ཀྲྀཏྭཱ ཝཧྣིཀུཎྜེ ནིཀྵེཔྶྱནྟི, (aiōn )
50 तथा उन्हें आग के कुंड में झोंक देंगे, जहां रोना तथा दांतों का पीसना होता रहेगा.
ཏཏྲ རོདནཾ དནྟཻ རྡནྟགྷརྵཎཉྩ བྷཝིཥྱཏཿ།
51 “क्या तुम्हें अब यह सब समझ आया?” उन्होंने उत्तर दिया. “जी हां, प्रभु.”
ཡཱིཤུནཱ ཏེ པྲྀཥྚཱ ཡུཥྨཱབྷིཿ ཀིམེཏཱནྱཱཁྱཱནཱནྱབུདྷྱནྟ? ཏདཱ ཏེ པྲཏྱཝདན྄, སཏྱཾ པྲབྷོ།
52 येशु ने उनसे कहा, “यही कारण है कि व्यवस्था का हर एक शिक्षक, जो स्वर्ग-राज्य के विषय में प्रशिक्षित किया जा चुका है, परिवार के प्रधान के समान है, जो अपने भंडार से नई और पुरानी हर एक वस्तु को निकाल लाता है.”
ཏདཱནཱིཾ ས ཀཐིཏཝཱན྄, ནིཛབྷཱཎྜཱགཱརཱཏ྄ ནཝཱིནཔུརཱཏནཱནི ཝསྟཱུནི ནིརྒམཡཏི ཡོ གྲྀཧསྠཿ ས ཨིཝ སྭརྒརཱཛྱམདྷི ཤིཀྵིཏཱཿ སྭཪྻ ཨུཔདེཥྚཱརཿ།
53 दृष्टान्तों में अपनी शिक्षा दे चुकने पर येशु उस स्थान से चले गए.
ཨནནྟརཾ ཡཱིཤུརེཏཱཿ སཪྻྭཱ དྲྀཥྚཱནྟཀཐཱཿ སམཱཔྱ ཏསྨཱཏ྄ སྠཱནཱཏ྄ པྲཏསྠེ། ཨཔརཾ སྭདེཤམཱགཏྱ ཛནཱན྄ བྷཛནབྷཝན ཨུཔདིཥྚཝཱན྄;
54 तब येशु अपने गृहनगर में आए और वहां वह यहूदी सभागृह में लोगों को शिक्षा देने लगे. इस पर वे चकित होकर आपस में कहने लगे, “इस व्यक्ति को यह ज्ञान तथा इन अद्भुत कामों का सामर्थ्य कैसे प्राप्त हो गया?
ཏེ ཝིསྨཡཾ གཏྭཱ ཀཐིཏཝནྟ ཨེཏསྱཻཏཱདྲྀཤཾ ཛྙཱནམ྄ ཨཱཤྩཪྻྱཾ ཀརྨྨ ཙ ཀསྨཱད྄ ཨཛཱཡཏ?
55 क्या यह उस बढ़ई का पुत्र नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम नहीं और क्या याकोब, योसेफ़, शिमओन और यहूदाह इसके भाई नहीं?
ཀིམཡཾ སཱུཏྲདྷཱརསྱ པུཏྲོ ནཧི? ཨེཏསྱ མཱཏུ རྣཱམ ཙ ཀིཾ མརིཡམ྄ ནཧི? ཡཱཀུབ྄-ཡཱུཥཕ྄-ཤིམོན྄-ཡིཧཱུདཱཤྩ ཀིམེཏསྱ བྷྲཱཏརོ ནཧི?
56 और क्या इसकी बहनें हमारे बीच नहीं? तब इसे ये सब कैसे प्राप्त हो गया?”
ཨེཏསྱ བྷགིནྱཤྩ ཀིམསྨཱཀཾ མདྷྱེ ན སནྟི? ཏརྷི ཀསྨཱདཡམེཏཱནི ལབྡྷཝཱན྄? ཨིཏྠཾ ས ཏེཥཱཾ ཝིགྷྣརཱུཔོ བབྷཱུཝ;
57 वे येशु के प्रति क्रोध से भर गए. इस पर येशु ने उनसे कहा, “अपने गृहनगर और परिवार के अलावा भविष्यवक्ता कहीं भी अपमानित नहीं होता.”
ཏཏོ ཡཱིཤུནཱ ནིགདིཏཾ སྭདེཤཱིཡཛནཱནཱཾ མདྷྱཾ ཝིནཱ བྷཝིཥྱདྭཱདཱི ཀུཏྲཱཔྱནྱཏྲ ནཱསམྨཱནྱོ བྷཝཏཱི།
58 लोगों के अविश्वास के कारण येशु ने उस नगर में अधिक अद्भुत काम नहीं किए.
ཏེཥཱམཝིཤྭཱསཧེཏོཿ ས ཏཏྲ སྠཱནེ བཧྭཱཤྩཪྻྱཀརྨྨཱཎི ན ཀྲྀཏཝཱན྄།