< मत्ती 11 >
1 जब येशु अपने बारह शिष्यों को निर्देश दे चुके, वह शिक्षा देने और प्रचार के लिए वहां से उनके नगरों में चले गए.
And it came to pass, when Jesus had made an end of commanding his twelve disciples, he passed from thence, to teach and preach in their cities.
2 बंदीगृह में जब योहन ने मसीह के कामों के विषय में सुना उन्होंने अपने शिष्यों को येशु से यह पूछने भेजा,
Now when John had heard in prison the works of Christ: sending two of his disciples he said to him:
3 “क्या आप वही है, जिसकी प्रतिज्ञा तथा प्रतीक्षा की गई हैं, या हम किसी अन्य का इंतजार करें?”
Art thou he that art to come, or look we for another?
4 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जो कुछ तुम देख और सुन रहे हो उसकी सूचना योहन को दे दो:
And Jesus making answer said to them: Go and relate to John what you have heard and seen.
5 अंधे देख पा रहे हैं, लंगड़े चल रहे हैं, कोढ़ के रोगियों को शुद्ध किया जा रहा है, बहिरे सुनने लगे हैं, मरे हुए दोबारा जीवित किए जा रहे हैं तथा कंगालों को सुसमाचार सुनाया जा रहा है.
The blind see, the lame walk, the lepers are cleansed, the deaf hear, the dead rise again, the poor have the gospel preached to them.
6 धन्य है वह, जिसका विश्वास मुझ पर से नहीं उठता.”
And blessed is he that shall not be scandalized in me.
7 जब योहन के शिष्य वहां से जा ही रहे थे, प्रभु येशु ने भीड़ से योहन के विषय में कहना प्रारंभ किया, “तुम्हारी आशा बंजर भूमि में क्या देखने की थी? हवा में हिलते हुए सरकंडे को?
And when they went their way, Jesus began to say to the multitudes concerning John: What went you out into the desert to see? a reed shaken with the wind?
8 यदि यह नहीं तो फिर क्या देखने गए थे? कीमती वस्त्र धारण किए हुए किसी व्यक्ति को? जो ऐसे वस्त्र धारण करते हैं उनका निवास तो राजमहलों में होता है.
But what went you out to see? a man clothed in soft garments? Behold they that are clothed in soft garments, are in the houses of kings.
9 तुम क्यों गए थे? किसी भविष्यवक्ता से भेंट करने? हां! मैं तुम्हें बता रहा हूं कि यह वह हैं, जो भविष्यवक्ता से भी बढ़कर हैं
But what went you out to see? a prophet? yea I tell you, and more than a prophet.
10 यह वह हैं जिनके विषय में लिखा गया है: “‘मैं अपना दूत तुम्हारे आगे भेज रहा हूं, जो तुम्हारे आगे-आगे जाकर तुम्हारे लिए मार्ग तैयार करेगा.’
For this is he of whom it is written: Behold I send my angel before thy face, who shall prepare thy way before thee.
11 सच तो यह है कि आज तक जितने भी मनुष्य हुए हैं उनमें से एक भी बपतिस्मा देनेवाले योहन से बढ़कर नहीं. फिर भी स्वर्ग-राज्य में छोटे से छोटा भी योहन से बढ़कर है.
Amen I say to you, there hath not risen among them that are born of women a greater than John the Baptist: yet he that is the lesser in the kingdom of heaven is greater than he.
12 बपतिस्मा देनेवाले योहन के समय से लेकर अब तक स्वर्ग-राज्य प्रबलतापूर्वक फैल रहा है और आकांक्षी-उत्साही व्यक्ति इस पर अधिकार कर रहे हैं.
And from the days of John the Baptist until now, the kingdom of heaven suffereth violence, and the violent bear it away.
13 भविष्यद्वक्ताओं तथा व्यवस्था की भविष्यवाणी योहन तक ही थी.
For all the prophets and the law prophesied until John:
14 यदि तुम इस सच में विश्वास कर सको तो सुनो: योहन ही वह एलियाह हैं जिनका दोबारा आगमन होना था.
And if you will receive it, he is Elias that is to come.
15 जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.
He that hath ears to hear, let him hear.
16 “इस पीढ़ी की तुलना मैं किससे करूं? यह बाजारों में बैठे हुए उन बालकों के समान है, जो पुकारते हुए अन्यों से कह रहे हैं:
But whereunto shall I esteem this generation to be like? It is like to children sitting in the market place.
17 “‘जब हमने तुम्हारे लिए बांसुरी बजाई, तुम न नाचे; हमने शोक गीत भी गाए, फिर भी तुम न रोए.’
Who crying to their companions say: We have piped to you, and you have not danced: we have lamented, and you have not mourned.
18 योहन रोटी नहीं खाते, और दाखरस नहीं पीते थे. इसलिये लोगों ने घोषणा की, ‘उसमें दुष्टात्मा है.’
For John came neither eating nor drinking; and they say: He hath a devil.
19 मनुष्य का पुत्र खाते-पीते आया, और उन्होंने घोषित कर दिया, ‘अरे, वह तो पेटू और पियक्कड़ है; वह तो चुंगी लेनेवालों और अपराधी व्यक्तियों का मित्र है!’ बुद्धि अपने कामों से सही साबित होती है.”
The Son of man came eating and drinking, and they say: Behold a man that is a glutton and a wine drinker, a friend of publicans and sinners. And wisdom is justified by her children.
20 येशु ने अधिकांश अद्भुत काम इन्हीं नगरों में किए थे; फिर भी इन नगरों ने पश्चाताप नहीं किया था, इसलिये येशु इन नगरों को धिक्कारने लगे.
Then began he to upbraid the cities wherein were done the most of his miracles, for that they had not done penance.
21 “धिक्कार है तुझ पर कोराज़ीन! धिक्कार है तुझ पर बैथसैदा! ये ही अद्भुत काम, जो तुझमें किए गए हैं यदि सोर और सीदोन नगरों में किए जाते तो वे विलाप-वस्त्र पहन, सिर पर राख डाल कब के पश्चाताप कर चुके होते!
Woe to thee, Corozain, woe to thee, Bethsaida: for if in Tyre and Sidon had been wrought the miracles that have been wrought in you, they had long ago done penance in sackcloth and ashes.
22 फिर भी मैं कहता हूं, सुनो: न्याय-दिवस पर सोर और सीदोन नगरों का दंड तेरे दंड से अधिक सहने योग्य होगा.
But I say unto you, it shall be more tolerable for Tyre and Sidon in the day of judgment, than for you.
23 और कफ़रनहूम, तू! क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किए जाने की आशा कर रहा है? अरे! तुझे तो पाताल में उतार दिया जाएगा क्योंकि जो अद्भुत काम तुझमें किए गए, यदि वे ही सोदोम नगर में किए गए होते तो वह आज भी बना होता. (Hadēs )
And thou Capharnaum, shalt thou be exalted up to heaven? thou shalt go down even unto hell. For if in Sodom had been wrought the miracles that have been wrought in thee, perhaps it had remained unto this day. (Hadēs )
24 फिर भी आज जो मैं कह रहा हूं उसे याद रख: न्याय-दिवस पर सोदोम नगर का दंड तेरे दंड से अधिक सहने योग्य होगा.”
But I say unto you, that it shall be more tolerable for the land of Sodom in the day of judgment, than for thee.
25 यह वह अवसर था जब येशु ने इस प्रकार कहा: “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी, मैं आपकी स्तुति करता हूं कि आपने ये सभी सच बुद्धिमानों और ज्ञानियों से छुपा रखे और नन्हे बालकों पर प्रकट कर दिए क्योंकि पिता, आपकी दृष्टि में यही अच्छा था.
At that time Jesus answered and said: I confess to thee, O Father, Lord of heaven and earth, because thou hast hid these things from the wise and prudent, and hast revealed them to the little ones.
26 सच है, पिता, क्योंकि इसी में आपको परम संतोष था.
Yea, Father; for so hath it seemed good in thy sight.
27 “मेरे पिता द्वारा सब कुछ मुझे सौंप दिया गया है. पिता के अलावा कोई पुत्र को नहीं जानता और न ही कोई पिता को जानता है, सिवाय पुत्र के तथा वे, जिन पर वह प्रकट करना चाहें.
All things are delivered to me by my Father. And no one knoweth the Son, but the Father: neither doth any one know the Father, but the Son, and he to whom it shall please the Son to reveal him.
28 “तुम सभी, जो थके हुए तथा भारी बोझ से दबे हो, मेरे पास आओ, तुम्हें विश्राम मैं दूंगा.
Come to me, all you that labour, and are burdened, and I will refresh you.
29 मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझसे सीखो क्योंकि मैं दीन और हृदय से नम्र हूं और तुम्हें मन में विश्राम प्राप्त होगा
Take up my yoke upon you, and learn of me, because I am meek, and humble of heart: and you shall find rest to your souls.
30 क्योंकि सहज है मेरा जूआ और हल्का है मेरा बोझ.”
For my yoke is sweet and my burden light.