< मरकुस 9 >

1 तब मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: यहां उपस्थित व्यक्तियों में कुछ ऐसे हैं, जो मृत्यु तब तक न चखेंगे, जब तक वे परमेश्वर के राज्य को सामर्थ्य के साथ आया हुआ न देख लें.”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎾᏍᎩ ᎩᎶ ᎠᏂ ᏥᏓᏂᏙᎦ, ᎥᏝ ᏴᏛᎾᏙᎴᎰᏏ ᎠᏲᎱᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎬᏂ ᎤᏂᎪᎲᎯ ᎨᏎᏍᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒ ᎤᎵᏂᎩᏗᏳ ᎨᏒ ᎦᎷᏨᎭ.
2 छः दिन बाद मसीह येशु केवल पेतरॉस, याकोब तथा योहन को एक ऊंचे पर्वत पर ले गए कि उन्हें वहां एकांत मिल सके. वहां उन्हीं के सामने मसीह येशु का रूपान्तरण हुआ.
ᏑᏓᎵᏃ ᏫᏄᏒᎸ ᏥᏌ ᏚᏘᏅᏎ ᏈᏓ, ᎠᎴ ᏥᎻ, ᎠᎴ ᏣᏂ, ᎢᏅᏃ ᎢᎦᏘ ᎣᏓᎸ ᏚᎿᎭᎷᏔᏁ ᎢᏴᏛ ᎤᏅᏒ ᎨᏒᎢ; ᎠᎴ ᎤᏓᏁᏟᏴᏎ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ.
3 उनके वस्त्र उज्जवल तथा इतने अधिक सफ़ेद हो गए कि पृथ्वी पर कोई भी किसी भी रीति से इतनी उज्जवल सफेदी नहीं ला सकता.
ᏧᏄᏬᏃ ᏚᏔᎷᎩᏍᎨᎢ, ᎤᏣᏘ ᏧᏁᎩᏳ ᎨᏎᎢ ᎥᏃᏥ ᏥᏄᏁᎩᏴ ᎾᏍᎩᏯᎢ; ᎾᏍᎩ ᎥᏝ ᎩᎶ ᏗᎬᎩᎶᏍᎩ ᎠᏂ ᎡᎶᎯ ᎡᎯ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᏁᎬ ᏱᏂᏙᎦᎬᎦ.
4 उन्हें वहां मोशेह के साथ एलियाह दिखाई दिए. वे मसीह येशु के साथ बातें कर रहे थे.
ᎬᏂᎨᏒᏃ ᏂᎬᏩᎾᏛᏁᎴ ᎢᎳᏯ ᎠᎴ ᎼᏏ; ᏥᏌᏃ ᎬᏩᎵᏃᎮᏗᏍᎨᎢ.
5 यह देख पेतरॉस बोल उठे, “रब्बी! हमारा यहां होना कितना सुखद है! हम यहां तीन मंडप बनाएं—एक आपके लिए, एक मोशेह के लिए तथा एक एलियाह के लिए.”
ᏈᏓᏃ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᏥᏌ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎣᏏᏳ ᎠᏂ ᏥᏕᏙᎭ; ᎠᎴ ᏦᎢ ᏫᏙᏥᎵᏦᏛᎦ; ᏌᏉ ᏂᎯ ᏣᏤᎵᎦ, ᏌᏉᏃ ᎼᏏ ᎤᏤᎵᎦ, ᏌᏉᏃ ᎢᎳᏯ ᎤᏤᎵᎦ.
6 पेतरॉस को यह मालूम ही न था कि वह क्या कहे जा रहे हैं—इतने अत्यधिक भयभीत हो गए थे शिष्य!
ᎥᏝᏰᏃ ᏯᎦᏔᎮ ᎢᏳᏪᏍᏗᏱ; ᎤᏣᏘᏰᏃ ᎠᏂᏍᎦᎢᎮᎢ.
7 तभी एक बादल ने वहां अचानक प्रकट होकर उन्हें ढक लिया और उसमें से निकला एक शब्द सुनाई दिया, “यह मेरा पुत्र है—मेरा परम प्रिय—जो वह कहता है, उस पर ध्यान दो!”
ᎤᎶᎩᎸᏃ ᎤᏄᏢᏔᏁᎢ; ᎧᏁᎬᏃ ᎤᎶᎩᎸ ᏧᎾᏄᎪᏤᎢ, ᎯᎠ ᏂᎦᏪᏍᎨᎢ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᎨᏳᎢ ᎠᏇᏥ; ᎾᏍᎩ ᎡᏣᏛᏓᏍᏓᏏ.
8 तभी उन्होंने देखा कि मसीह येशु के अतिरिक्त वहां कोई भी न था.
ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᏚᎾᎧᎿᎭᏂᏙᎸ, ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᎩᎶ ᏳᏂᎪᎮᎢ, ᏥᏌ ᎤᏩᏒ, ᎠᎴ ᎤᏅᏒ.
9 पर्वत से नीचे उतरते हुए मसीह येशु ने शिष्यों को सावधान किया कि जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जीवित न हो जाए, तब तक जो उन्होंने देखा है उसकी चर्चा किसी से न करें.
ᏧᏂᎦᏐᎠᏏᏗᏒᏃ ᎣᏓᎸᎢ, ᏚᏁᏤᎴ ᎾᏍᎩ ᎩᎶ ᎤᏂᏃᏁᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᏄᏍᏛ ᎤᏂᎪᎲᎢ, ᎬᏂ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎤᏲᎱᏒ ᏧᎴᎯᏌᏅᎯ ᎨᏎᏍᏗ ᏚᏬᏎᎴᎢ.
10 इस घटना को उन्होंने अपने तक ही सीमित रखा. हां, वे इस विषय पर विचार-विमर्श अवश्य करते रहे कि मरे हुओं में से जीवित होने का मतलब क्या हो सकता है.
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᏪᏒ ᎤᎾᎦᏌᏯᏍᏔᏁᎢ, ᏓᎾᏓᏛᏛᎲᏍᎨ ᎦᏛᎬ ᎠᏲᎱᏒ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒᎢ.
11 शिष्यों ने मसीह येशु से प्रश्न किया, “क्या कारण है कि शास्त्री कहते हैं कि पहले एलियाह का आना अवश्य है?”
ᎬᏩᏛᏛᏁᏃ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᎦᏙᏃ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎢᎳᏯ ᎢᎬᏱ ᏓᎦᎷᏥ ᏣᎾᏗᏍᎪᎢ?
12 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “सच है. एलियाह ही पहले आएगा तथा सब कुछ व्यवस्थित करेगा. अब यह बताओ: पवित्र शास्त्र में मनुष्य के पुत्र के विषय में यह वर्णन क्यों है कि उसे अनेक यातनाएं दी जाएंगी तथा उसे तुच्छ समझा जाएगा?
ᎤᏁᏨᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᎳᏯ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᎢᎬᏱ ᎤᎷᎯᏍᏗ, ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᎤᏬᏢᎯᏐᏗ; ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎯᎠ ᏂᎬᏅᎪᏪᎳ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎠᏥᏃᎮᏍᎬᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᏣᏘ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᎤᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏎᏍᏗ, ᎠᎴ ᎠᏎᏉ ᏓᏰᏥᏰᎸᏂ.
13 सुनो! वास्तव में एलियाह आ चुके है और उन्होंने उनके साथ मनमाना व्यवहार किया—ठीक जैसा कि वर्णन किया गया था.”
ᎠᏎᏃ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎢᎳᏯ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᎤᎷᏨ, ᎠᎴ ᏄᏍᏛ ᎤᎾᏚᎵᏍᎬ ᏂᎬᏩᏁᎸ, ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎬᏅ ᎪᏪᎸ ᎾᏍᎩ ᎠᏥᏃᎮᏍᎬᎢ.
14 जब ये तीन लौटकर शेष शिष्यों के पास आए तो देखा कि एक बड़ी भीड़ उन शिष्यों के चारों ओर जमा हो गई है और शास्त्री वाद-विवाद किए जा रहे थे.
ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯᏃ ᎠᏁᏙᎲ ᎤᎷᏨ, ᎤᏂᏣᏘ ᏚᎪᎮ ᎬᏩᎾᏓᏡᏫᏍᏕᎢ, ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎬᏩᎾᏛᏛᎮᎸᎢᏍᎨᎢ.
15 मसीह येशु को देखते ही भीड़ को आश्चर्य हुआ और वह नमस्कार करने उनकी ओर दौड़ पड़ी.
ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᏂᎦᏛ ᏴᏫ, ᎬᏩᎪᎲ, ᎤᏣᏘ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎᎢ; ᎬᏩᏗᏝᎣᎮᎸᏃ ᎬᏩᏲᎵᎴᎢ.
16 मसीह येशु ने शिष्यों से पूछा, “किस विषय पर उनसे वाद-विवाद कर रहे थे तुम?”
ᏚᏛᏛᏁᏃ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ, ᎦᏙ ᏕᏣᏛᏛᎮᎸᎥᏍᎦ ᏚᏬᏎᎴᎢ?
17 भीड़ में से एक व्यक्ति ने उनसे कहा, “गुरुवर, मैं अपने पुत्र को आपके पास लाया था. उसमें समाई हुई आत्मा ने उसे गूंगा बना दिया है.
ᎠᏏᏴᏫᏃ ᎾᏍᎩ ᎤᏂᏣᏘ ᎨᏒ ᎨᎳ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎬᏯᏘᏃᎯᏏ ᎠᏇᏥ, ᎤᏩᎨᏫ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏪᎢ;
18 जब यह दुष्टात्मा उस पर प्रबल होती है, उसे भूमि पर पटक देती है. उसके मुंह से फेन निकलने लगता है, वह दांत पीसने लगता है तथा उसका शरीर ऐंठ जाता है. मैंने आपके शिष्यों से इसे निकालने की विनती की थी किंतु वे असफल रहे.”
ᎢᎸᎯᏢᏃ ᎤᏱᎶᎯᏏ ᎤᎩᎸᏍᎪᎢ; ᎠᎴ ᏓᎭᏬᎢᎰᎢ, ᎠᎴ ᏕᎦᎸᏓᎩᏍᎪ ᏕᎦᏄᏙᎬᎢ, ᎠᎴ ᎤᎸᏕᎯᎰᎢ; ᎨᏣᏍᏓᏩᏗᏙᎯᏃ ᎦᏥᏔᏲᏎᎸ ᎤᏂᏄᎪᏫᏍᏗᏱ; ᎠᏎᏃ ᎤᏂᏄᎸᏅᏉ.
19 मसीह येशु ने भीड़ से कहा, “अरे ओ अविश्वासी और बिगड़ी हुई पीढ़ी!” प्रभु येशु ने कहा, “मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा, कब तक धीरज रखूंगा? यहां लाओ बालक को!”
ᎤᏁᏤᎸᏃ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, Ᏺ! ᏂᏦᎯᏳᏒᎾ ᎪᎯ ᏥᏤᎭ! ᎢᎳᎪ ᎢᎪᎯᏛ ᎢᏨᏰᎳᏗᏙᎮᏍᏗ? ᎢᎳᎪ ᎢᎪᎯᏛ ᎤᏁᎳᎩ ᎢᏨᏰᎵᏎᎮᏍᏗ? ᎠᏂ ᎯᏯᏘᏃᎦ.
20 लोग बालक को उनके पास ले आए. मसीह येशु पर दृष्टि पड़ते ही दुष्टात्मा ने बालक में ऐंठन उत्पन्‍न कर दी. वह भूमि पर गिरकर लोटने लगा और उसके मुंह से फेन आने लगा.
ᎤᎾᏘᏃᎮᎴᏃ; ᎤᎪᎲᏃ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᎩᎸᏁᎢ; ᎡᎳᏗᏃ ᎤᏅᏤᎢ, ᎠᎴ ᏓᎭᏬᎢᎲ ᎠᎵᏗᏒᏂᎮᎢ.
21 मसीह येशु ने बालक के पिता से पूछा, “यह सब कब से हो रहा है?” “बचपन से,” उसने उत्तर दिया.
ᎤᏛᏛᏁᏃ ᎤᏙᏓ, ᎢᎳᎪ ᏂᎪᎯᎩ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎢᎬᏩᎵᏍᏓᏁᎸᎯ? ᎤᏬᏎᎴᎢ. ᎠᏲᎵᏉ ᎨᏒᎢ, ᎤᏛᏁᎢ;
22 “इस दुष्टात्मा ने उसे हमेशा जल और आग दोनों ही में फेंककर नाश करने की कोशिश की है. यदि आपके लिए कुछ संभव है, हम पर दया कर हमारी सहायता कीजिए!”
ᏯᏃᎩᏳᏃ ᎠᏥᎸᏱ ᎠᎴ ᎠᏑᏱ ᎤᏓᎡᎪᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᎯᏍᏗᏱ; ᎢᏳᏍᎩᏂᏃᏅ ᎪᎱᏍᏗ ᎨᏣᏛᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ, ᏍᎩᏍᏙᎵᎩ, ᎠᎴ ᏍᎩᏍᏕᎸ.
23 “यदि आपके लिए!” मसीह येशु ने कहा, “सब कुछ संभव है उसके लिए, जो विश्वास करता है.”
ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎢᏳᏃ ᎨᏦᎯᏳᏗ ᎨᏎᏍᏗ, ᏂᎦᏗᏳ ᎪᎱᏍᏗ ᎢᎦᏰᎦᏛᏁᏗ ᎪᎯᏳᎲᏍᎩ.
24 ऊंचे शब्द में बालक के पिता ने कहा, “मैं विश्वास करता हूं. मेरे अविश्वास को दूर करने में मेरी सहायता कीजिए.”
ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᎠᏲᎵ ᎤᏙᏓ ᎤᏪᎷᏁᎢ, ᎠᎴ ᏗᎬᎦᏌᏬᎢᎯ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎪᎢᏳᎲᏍᎦ; ᏍᎩᏍᏕᎸᏏ ᎾᏉᎯᏳᏒᎾ ᎨᏒᎢ.
25 जब मसीह येशु ने देखा कि और अधिक लोग बड़ी शीघ्रतापूर्वक वहां इकट्ठा होते जा रहे हैं, उन्होंने दुष्टात्मा को डांटते हुए कहा, “ओ गूंगे और बहिरे दुष्टात्मा, मेरा आदेश है कि इसमें से बाहर निकल जा और इसमें फिर कभी प्रवेश न करना.”
ᏥᏌᏃ ᎤᎪᎲ ᎾᏍᎩ ᎤᏂᏣᏘ ᎠᎾᏁᎷᎩᏍᎬ ᎠᎾᏓᏟᏏᏍᎬᎢ, ᎤᏍᎦᏤ ᎦᏓᎭ ᎠᏓᏅᏙ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏨᎨᏩ ᎠᎴ ᏗᏣᎵᎡᎾ ᎠᏓᏅᏙ, ᎬᏁᏤᎭ, ᎡᎯᏄᎪᎢ, ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᎿᎭᏉ ᎢᎸᎯᏳ ᏥᎯᏴᎵ.
26 उस बालक को और भी अधिक भयावह ऐंठन में डालकर चिल्लाते हुए वह दुष्टात्मा उसमें से निकल गया. वह बालक ऐसा हो गया मानो उसके प्राण ही निकल गए हों. कुछ तो यहां तक कहने लगे, “इसकी मृत्यु हो गई है.”
[ ᎠᏓᏅᏙᏃ ] ᎤᏪᎷᏅ, ᎠᎴ ᎤᏣᏘ ᎤᎩᎸᏅ, ᎤᏄᎪᏤᎢ; ᎠᎴ ᎤᏲᎱᏒᎯᏉ ᎾᏍᎩᏯ ᎨᏎᎢ; ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᏂᏣᏖ, ᎠᏲᎱᎯ, ᎠᎾᏗᏍᎨᎢ.
27 किंतु मसीह येशु ने बालक का हाथ पकड़ उसे उठाया और वह खड़ा हो गया.
ᎠᏎᏃ ᏥᏌ ᎤᏬᏯᏁᏒ, ᏚᎴᏔᏁᎢ, ᎠᎴ ᏚᎴᏁᎢ.
28 जब मसीह येशु ने उस घर में प्रवेश किया एकांत पाकर शिष्यों ने उनसे पूछा, “हम उस दुष्टात्मा को क्यों नहीं निकाल सके?”
ᎦᎵᏦᏕᏃ ᏫᎤᏴᎸ, ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎤᏅᏒ ᎨᏒ ᎬᏩᏛᏛᏁᎢ, ᎦᏙᏃ ᎠᏴ ᎥᏝ ᎦᏲᏥᏄᎪᏫᏍᏗ ᏱᎨᏎᎢ? ᎤᎾᏛᏁᎢ.
29 येशु ने उत्तर दिया, “सिवाय प्रार्थना के इस वर्ग निकाला ही नहीं जा सकता.”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎥᏝ ᏴᎦᏰᎦᏄᎪᏩ, ᎬᏂ ᎠᏓᏙᎵᏍᏔᏅᎯ ᎠᎴ ᎠᎹᏟ ᎬᏅᎯ ᏥᎨᏐᎢ.
30 वहां से निकलकर उन्होंने गलील प्रदेश का मार्ग लिया. मसीह येशु नहीं चाहते थे कि किसी को भी इस यात्रा के विषय में मालूम हो.
ᎤᎾᏂᎩᏒᏃ ᎾᎿᎭᏂ, ᎨᎵᎵ ᎠᏰᎵ ᎤᏂᎶᏎᎢ; ᎥᏝᏃ ᏳᏚᎵᏍᎨ ᎩᎶ ᎤᏙᎴᎰᎯᏍᏗᏱ.
31 इसलिये कि मसीह येशु अपने शिष्यों को यह शिक्षा दे रहे थे, “मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथों पकड़वा दिया जाएगा. वे उसकी हत्या कर देंगे. तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से जीवित हो जाएगा.”
ᏚᏪᏲᏁᏰᏃ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᏓᏥᏲᎯ ᏕᎨᏥᏲᎯᏏ ᏴᏫ. ᎠᎴ ᏓᎬᏩᎵ; ᎠᎴ ᎣᏂ ᎿᎭᏉ ᎠᏥᎸᎯ ᎨᏎᏍᏗ, ᏙᏛᎠᎴᎯᏌᏂ ᏦᎢᏁ ᎢᎦ.
32 किंतु यह विषय शिष्यों की समझ से परे रहा तथा वे इसका अर्थ पूछने में डर भी रहे थे.
ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᏳᏃᎵᏤ ᎾᏍᎩ ᏄᏪᏒ ᎠᎴ ᎠᏂᏍᎦᎢᎮ ᎤᎾᏛᏛᏗᏱ.
33 कफ़रनहूम नगर पहुंचकर जब उन्होंने घर में प्रवेश किया मसीह येशु ने शिष्यों से पूछा, “मार्ग में तुम किस विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे?”
ᎨᏆᏂᏃ ᎤᎷᏥᎴᎢ; ᎦᎵᏦᎦᏃ ᎠᏯᎥ ᏚᏛᏛᏁ, ᎦᏙ ᎾᏍᎩ ᏥᏥᏃᎮᏍᎬ ᎢᏨᏒ ᎨᏒ Ꭰ ᏗᏓᎢᏒᎢ.
34 शिष्य मौन बने रहे क्योंकि मार्ग में उनके विचार-विमर्श का विषय था उनमें बड़ा कौन है.
ᎠᏎᏃ ᎡᎳᏪᏱᏉ ᎤᏅᏎᎢ; ᏗᎾᎢᏒᏃ ᎠᏂᏃᎮᏍᎨ ᎤᏅᏒ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᎤᏟ ᎠᏥᎸᏉᏗᏳ ᎨᏒᎢ.
35 मसीह येशु ने बैठते हुए बारहों को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “यदि किसी की इच्छा बड़ा बनने की है, वह छोटा हो जाए और सबका सेवक बने.”
ᎤᏪᏅᏃ, ᏔᎳᏚ ᎢᏯᏂᏛ ᏫᏚᏯᏅᎮᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᎢᎬᏱ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ ᎤᏚᎵᏍᎨᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎣᏂᏱ ᎠᎦᎴᏙᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᎾᏂᎥᎢ, ᎠᎴ ᎾᏂᎥ ᎬᏩᏅᏏᏙᎯ ᎨᏎᏍᏗ.
36 उन्होंने एक बालक को उनके मध्य खड़ा किया और फिर उसे गोद में लेकर शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा,
ᎠᏲᎵᏃ ᏭᏯᏅᎲ, ᎠᏂᏅ ᎠᏰᎵ ᎤᏪᎧᏁᎢ; ᎤᏄᎶᎸᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ,
37 “जो कोई ऐसे बालक को मेरे नाम में स्वीकार करता है, मुझे स्वीकार करता है तथा जो कोई मुझे स्वीकार करता है, वह मुझे नहीं परंतु मेरे भेजनेवाले को स्वीकार करता है.”
ᎩᎶ ᎠᏏᏴᏫ ᎯᎠ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᏗᏂᏲᎵ ᏓᏓᏂᎸᎨᏍᏗ ᎠᏴ ᎠᏴ ᏓᏆᏙᎥ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎠᏴ ᏓᏆᏓᏂᎸᎨᏍᏗ; ᎩᎶᏃ ᎠᏴ ᏓᏆᏓᏂᎸᎨᏍᏗ, ᎥᏝ ᎠᏴ ᏱᏓᏆᏓᏂᎸᎨᏍᏗ, ᏅᏛᎩᏅᏏᏛᏍᎩᏂ ᏓᏓᏂᎸᎨᏍᏗ.
38 योहन ने मसीह येशु को सूचना दी, “गुरुवर, हमने एक व्यक्ति को आपके नाम में दुष्टात्मा निकालते हुए देखा है. हमने उसे रोकने का प्रयास किया क्योंकि वह हममें से नहीं है.”
ᏣᏂᏃ ᎤᏁᏤᎴᎢ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎣᏥᎪᎲᎩ ᎠᏏᏴᏫ ᎠᏂᏍᎩᎾ ᏕᎦᏄᎪᏫᏍᎬᎩ ᏕᏣᏙᎥ ᎬᏗᏍᎬᎩ; ᎥᏝᏃ ᏱᎩᏍᏓᏩᏗᏙᎭ; ᎣᏥᏅᏍᏓᏕᎸᎩᏃ ᏂᎩᏍᏓᏩᏕᎬᎾ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ.
39 “मत रोको उसे!” मसीह येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “कोई भी, जो मेरे नाम में अद्भुत काम करता है, दूसरे ही क्षण मेरी निंदा नहीं कर सकता
ᎠᏎᏃ ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏞᏍᏗ ᎡᏥᏅᏍᏓᏕᎸᎩ; ᎥᏝᏰᏃ ᏰᎭ ᎩᎶ ᏓᏆᏙᎥ ᎬᏗᏍᎩ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏧᎸᏫᏍᏓᏁᎯ, ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏪᏅᏛ ᎤᏐᏅ ᎬᎩᏁᎢᏍᏙᏗ.
40 क्योंकि वह व्यक्ति, जो हमारे विरुद्ध नहीं है, हमारे पक्ष में ही है.
ᎩᎶᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏡᏗᏍᎬᎾ ᏥᎨᏐ, ᎾᏍᎩ ᎢᎦᎵᎪᏁᎯ ᎨᏐᎢ.
41 यदि कोई तुम्हें एक कटोरा जल इसलिये पिलाता है कि तुम मसीह के शिष्य हो तो मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं; वह अपना प्रतिफल न खोएगा.
ᎩᎶᏰᏃ ᎠᎹ ᎤᎵᏍᏈᏗ ᎠᎧᎵᎢ ᎢᏣᏗᏔᏍᏗ ᎢᏥᏁᏁᎯ ᎠᏴ ᏓᏆᏙᎥ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎦᎶᏁᏛ ᎡᏣᏤᎵ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ, ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎢᏨᏲᏎᎭ, ᎥᏝ ᎤᏲᎱᏎᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ ᎠᎦᎫᏴᎡᏗ ᎨᏒᎢ.
42 “और यदि कोई इन मासूम बालकों के, जिन्होंने मुझ पर विश्वास रखा है, पतन का कारण बने, उसके लिए सही यही होगा कि उसके गले में चक्की का पाट बांध उसे समुद्र में फेंक दिया जाए.
ᎠᎴ ᎩᎶ ᎠᏏᏴᏫ ᎯᎠ ᏧᎾᏍᏗ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᏥᎬᏉᎯᏳᎲᏍᎦ ᏙᎪᏕᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎤᏟ ᎣᏏᏳ ᎢᏳᎵᏍᏓᏁᏗ ᎠᏍᏙᏍᎩ ᏅᏯ ᏯᏥᏯᏝᏅ, ᎠᎴ ᎠᎺᏉᎯ ᏱᏩᎦᏓᎢᏅ.
43 यदि तुम्हारा हाथ तुम्हारे लिए ठोकर का कारण बने तो उसे काट फेंको. तुम्हारे लिए सही यह होगा कि तुम एक विकलांग के रूप में जीवन में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दोनों हाथों के होते हुए नर्क में जाओ, जहां आग कभी नहीं बुझती, [ (Geenna g1067)
ᎢᏳ ᎠᎴ ᏦᏰᏂ ᏕᏦᏕᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎯᏍᏆᎵᏍᎨᏍᏗ; ᎤᏟ ᎣᏏᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏣᎪᎳᏂ ᎬᏂᏛ ᏗᎨᏒ ᏱᏫᏣᏴᎸ, ᎠᏃ ᎢᏧᎳ ᏗᎨᎰᏯᏗ ᏨᏍᎩᏃ ᏱᏫᏣᏴᎸ, ᎾᎿᎭᎠᏥᎸᏱ ᎦᎬᏜᏓᏗᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ; (Geenna g1067)
44 जहां उनका कीड़ा कभी नहीं मरता, जहां आग कभी नहीं बुझती].
ᎾᎿᎭᎤᎾᏤᎵ ᏥᏍᎪᏴ ᏂᎦᎵᏬᎬᎾ ᏗᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᏥᎸ ᏂᎬᏠᏍᎬᎾ ᏗᎨᏒᎢ.
45 यदि तुम्हारा पांव तुम्हारे लिए ठोकर का कारण हो जाता है उसे काट फेंको. तुम्हारे लिए सही यही होगा कि तुम लंगड़े के रूप में जीवन में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दो पांवों के होते हुए नर्क में फेंके जाओ, [ (Geenna g1067)
ᎢᏳ ᎠᎴ ᏣᎳᏏᏕᏂ ᏙᏦᏕᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎯᏍᏆᎵᏍᎨᏍᏗ; ᎤᏟᏰᏃ ᎣᏏᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᎯᏲᎤᎵ ᎬᏂᏛ ᏗᎨᏒ ᏱᏫᏣᏴᎸ, ᎠᏃ ᎢᏧᎳ ᏗᎨᏣᎳᏍᎩ ᏨᏍᎩᏃ ᏱᏪᏣᏓᎢᏅ, ᎾᎿᎭᎠᏥᎸᏱ ᎦᎬ ᏜᏓᏗᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ; (Geenna g1067)
46 जहां उनका कीड़ा कभी नहीं मरता, जहां आग कभी नहीं बुझती].
ᎾᎿᎭᎤᎾᏤᎵ ᏥᏍᎪᏴ ᏂᎦᎵᏬᎬᎾ ᏗᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᏥᎸ ᏂᎬᏠᏍᎬᎾ.
47 यदि तुम्हारी आंख तुम्हारे लिए ठोकर का कारण बने तो उसे निकाल फेंको! तुम्हारे लिए सही यही होगा कि तुम एक आंख के साथ परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दोनों आंखों के साथ नर्क में फेंके जाओ, (Geenna g1067)
ᎢᏳ ᎠᎴ ᎯᎦᏙᎵ ᏙᏦᏕᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎭᏓᎦᏖᏙᎢᏍᎨᏍᏗ; ᎤᏟᏰᏃ ᎣᏏᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏌᏉᏉ ᏱᎧᏅ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎪᎯ ᏱᏫᏣᏴᎸ ᎠᏃ ᎢᏧᎳ ᏱᏘᎧᏅ ᏨᏍᎩᏃ ᎠᏥᎸᏱ ᏱᏪᏣᏓᎢᏅ; (Geenna g1067)
48 जहां “‘उनका कीड़ा कभी नहीं मरता, जहां आग कभी नहीं बुझती.’
ᎾᎿᎭᎤᎾᏤᎵ ᏥᏍᎪᏴ ᏂᎦᎵᏬᎬᎾ ᏗᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᏥᎸ ᏂᎬᏠᏍᎬᎾ ᏗᎨᏒᎢ.
49 हर एक व्यक्ति आग द्वारा नमकीन किया जाएगा.
ᎾᏂᎥᏰᏃ ᎠᏥᎸ ᎬᏗ ¯ ᎠᎹ ᎨᏥᏅᏝᏰᏗ ᎨᏎᏍᏗ, ᎠᎴ ᏂᎦᎥ ᎠᏥᎸ-ᎨᎳᏍᏗ ¯ ᎠᎹ ᎦᏅᎵᏰᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
50 “नमक एक आवश्यक वस्तु है, किंतु यदि नमक अपना खारापन खो बैठे तो किस वस्तु से उसका खारापन वापस कर सकोगे? तुम स्वयं में नमक तथा आपस में मेल-मिलाप बनाए रखो.”
ᎠᎹ ᎣᏏᏳ; ᎠᏎᏃ ¯ ᎠᎹ ᏳᏥᏍᎪᎸ ᎦᏙ ᏱᏨᎦ ᏄᏥᏍᎪᎸᎾ ᏱᏂᏨᎦ? ¯ ᎠᎹ ᎢᏥᎶᏨᎯ ᎨᏎᏍᏗ, ᎠᎴ ᏙᎯᏱ ᏂᏨᏁᏍᏗ ᎢᏤᎲᎢ.

< मरकुस 9 >