< मरकुस 8 >
1 इन्हीं दिनों की घटना है कि एक बार फिर वहां एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी. उनके पास खाने को कुछ न था. मसीह येशु ने अपने शिष्यों को बुलाकर उनसे कहा,
୧ଏଚିବେ଼ଲା ହା଼ରେକା ମାନ୍ଦା ଲ଼କୁ ରୁଣ୍ତା ଆ଼ତେରି, ଅ଼ଡ଼େ ଏ଼ୱାରିତା଼ଣା ତିନାୟି ଉନାୟି ଏ଼ନାୟି ହିଲାଆତାକି ଜୀସୁ ସୀସୁୟାଁଣି ଡାଗେ ହା଼ଟାନା ଏ଼ୱାରାଇଁ ଏଲେଇଚେସି,
2 “इनके लिए मेरे हृदय में करुणा उमड़ रही है, क्योंकि ये सब तीन दिन से लगातार मेरे साथ हैं. इनके पास अब कुछ भी भोजन सामग्री नहीं है.
୨“ଲ଼କୁତାକି ନାଙ୍ଗେ କାର୍ମା ହ଼ଚିମାଞ୍ଜାନେ, ଇଚିହିଁ ଈୱାରି ତୀନିଦିନା ଆ଼ତେରିଏ ନା଼ ତଲେ ମାଞ୍ଜାମାନେରି, ଅ଼ଡ଼େ ଈୱାରି ତା଼ଣା ଏ଼ନାୟି ତିନାୟି ହିଲେଏ ।
3 यदि मैं इन्हें भूखा ही घर भेज दूं, वे मार्ग में ही मूर्च्छित हो जाएंगे. इनमें से कुछ तो अत्यंत दूर से आए हैं.”
୩ଏ଼ୱାରାଇଁ ତୀହ୍ଆନାଁ ପାଣ୍ତିସାରେ, ୱେଣ୍ଡାହାନାଟି ଏ଼ୱାରି ହା଼ହା ଜିକେଏ ହା଼ନେରି । ଏ଼ୱାରି ବିତ୍ରାଟି ଏଚରଜା଼ଣା ହେକଟି ୱା଼ହାମାନେରି ।”
4 शिष्यों ने कहा, “इस दूर स्थान में सब की तृप्ति के लिए भोजन का प्रबंध कौन कर पायेगा?”
୪ସୀସୁୟାଁ ଏ଼ୱାଣାଇଁ ଏଲେଇଚେରି, “ଇମ୍ବାଆଁ ଈ ଲ଼କୁ ହିଲାଆ ଟା଼ୟୁତା ଆମ୍ବାଆସି ଆମ୍ବିଟି ରୂଟି ତାଚାନା ଈୱାରାଇଁ ପାଞ୍ଜି କିନେସି?”
5 मसीह येशु ने उनसे पूछा, “कितनी रोटियां हैं तुम्हारे पास?” “सात,” उन्होंने उत्तर दिया.
୫ଜୀସୁ ଏ଼ୱାରାଇଁ ୱେଚେସି, “ମୀ ତା଼ଣା ଏଚରଗଟା ରୂଟି ମାନୁ?” ଏ଼ୱାରି ଏଲେଇଚେରି, “ସା଼ତାଗଟା ।”
6 मसीह येशु ने भीड़ को भूमि पर बैठ जाने की आज्ञा दी; फिर सातों रोटियां लीं, उनके लिए धन्यवाद प्रकट कर उन्हें तोड़ा और उन्हें बांटने के लिए शिष्यों को देते गए. शिष्य उन्हें भीड़ में बांटते गए.
୬ଏମ୍ବାଟିଏ ଜୀସୁ ଲ଼କୁଣି ବୂମିତା କୁଗାଲି ହୁକୁମି ହୀତେସି; ଅ଼ଡ଼େ ଏ଼ୱାସି ସା଼ତାଗାଟା ରୂଟି ଅ଼ହାନା ଜହରା କିହାନା ଏ଼ ବାରେ ଡ଼ିକ୍ହାନା ବା଼ଟି କିହାଲି ତାନି ସୀସୁୟାଁକି ହୀତେସି, ଅ଼ଡ଼େ ଏ଼ୱାରି ଲ଼କୁତାକି ବା଼ଟି କିହା ହୀତେରି ।
7 उनके पास कुछ छोटी मछलियां भी थी. उन पर धन्यवाद करते हुए मसीह येशु ने उन्हें भी बांटने की आज्ञा दी.
୭ଇଞ୍ଜାଁ ଏ଼ୱାରିତା଼ଣା ଏଚରଗଟା ଊଣା ମୀଣ୍କା ମାଚୁ; ଏ଼ ବାରେତି ଜିକେଏ ଜୀସୁ ମାହାପୂରୁ ତା଼ଣା ଜହରା କିହାନା ବା଼ଟି କିହା ହୀହାଲି ସୀସୁୟାଁଇଁ ଏଲେଇଚେସି ।
8 लोग खाकर तृप्त हुए. शिष्यों ने तोड़ी गई रोटियों के शेष टुकड़ों को इकट्ठा कर सात बड़े टोकरे भर लिए.
୮ଏମ୍ବାଟିଏ ଏ଼ୱାରି ତିଞ୍ଜାନା ପାଞ୍ଜିତେରି ଇଞ୍ଜାଁ ହା଼ରିତାଣି ସା଼ତା ଡାଲି କୂଡ଼ି କିତେରି ।
9 इस भीड़ में लगभग चार हज़ार लोग थे. तब मसीह येशु ने उन्हें विदा किया.
୯ଏ଼ୱାରି ବାରେ ସା଼ରି ମା଼ଣା ଲ଼କୁ ମାଚେରି । ଏଚେଟିଏ ଡା଼ୟୁ ଏ଼ୱାରାଇଁ ହେଲ ହୀତେସି,
10 इसके बाद मसीह येशु बिना देर किए अपने शिष्यों के साथ नाव पर सवार होकर दालमनूथा क्षेत्र में आ गए.
୧୦ଇଞ୍ଜାଁ ଦେବୁଣିଏ ତାନି ସୀସୁୟାଁ ତଲେ ଡଂଗତା ହ଼ଚାନା ଦଲ୍ମନୁ ଗା଼ଡ଼ାତା ହାଚେରି ।
11 फ़रीसियों ने आकर उनसे विवाद प्रारंभ कर दिया. उन्होंने यह परखने के लिए कि मसीह येशु परमेश्वर-पुत्र हैं, स्वर्ग का कोई चमत्कार चिह्न की मांग की.
୧୧ଡା଼ୟୁ ପାରୁସିୟାଁ ୱା଼ହାନା ଜୀସୁତଲେ ବା଼ଦିବା଼ଦା କିହାଲି ମା଼ଟ୍ହେରି ଇଞ୍ଜାଁ ଏ଼ୱାଣାଇଁ ତାୟିପାରି କିହାଲିତାକି ହା଼ଗୁ ଲାକଟି ର଼ ସିନା ରୀସ୍ତେରି ।
12 मसीह येशु ने अपने अंदर में गहरी पीड़ा में कराहते हुए उन्हें उत्तर दिया, “यह पीढ़ी चमत्कार चिह्न क्यों चाहती है? सच तो यह है कि इस पीढ़ी को कोई भी चमत्कार चिह्न नहीं दिया जाएगा.”
୧୨ଜୀସୁ ଜୀୱୁତା କିଲିବିଲି ଆ଼ହାନା ଗାଡି ନେ଼ଞ୍ଜାନା ୱେସ୍ତେସି, “ଈ ଜୁଗୁତି ଲ଼କୁ ଏ଼ନାଆଁତାକି ସିନା ପାରିମାନେରି? ନା଼ନୁ ମିଙ୍ଗେ ସାତା ୱେସିମାଞ୍ଜାଇଁ, ନୀଏଁତି ମାଣ୍ସିକି ଏ଼ନି ସିନା ହୀପ୍କି ଆ଼ଏ ।”
13 उन्हें छोड़कर मसीह येशु नाव पर सवार होकर दूसरी ओर चले गए.
୧୩ଅ଼ଡ଼େ ଏ଼ୱାସି ଏ଼ୱାରାଇଁ ପିସାନା ଅ଼ଡ଼େ ୱେଣ୍ତେ ଡଂଗତା ହ଼ଚାନା ଆତାଲାୱାକି ହାଚେସି ।
14 शिष्य अपने साथ भोजन रखना भूल गए थे—उनके पास नाव में मात्र एक रोटी थी.
୧୪ଏଚିବେ଼ଲାତା ସୀସୁୟାଁ ରୂଟି ଅ଼ହାଲି ବା଼ଣାଆ଼ତେରି; ଡଂଗତା ଏ଼ୱାରିତା଼ଣା ରଣ୍ତିଏ ରୂଟି ମାଚେ ।
15 मसीह येशु ने शिष्यों को चेतावनी देते हुए कहा, “फ़रीसियों के खमीर से तथा हेरोदेस के खमीर से सावधान रहना.”
୧୫ଡା଼ୟୁ ଜୀସୁ ଏ଼ୱାରାଇଁ ଜାଣ୍ତେ ହୁକୁମି ହୀତେସି, “ଜାଗ୍ରାତା ଆ଼ଦୁ, ପାରୁସିୟାଁ ଅ଼ଡ଼େ ହେରଦତି ପୂଲାଗୁଣ୍ଡାଟି ଜାଗ୍ରାତା ଆ଼ହାନା ମାଞ୍ଜୁ ।”
16 इस पर वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “वह यह इसलिये कह रहे हैं कि हमने अपने साथ रोटियां नहीं रखीं.”
୧୬ଏଚେଟିଏ ଏ଼ୱାରି ତା଼ମ୍ବୁ ତା଼ମ୍ବୁଏ ୱେସ୍ପିଆ଼ହିଁ ଏଲେଇଞ୍ଜାଲି ମା଼ଟ୍ହେରି, “ମା଼ ତା଼ଣା ରୂଟି ହିଲେଏ ଇଞ୍ଜିଁ ଏ଼ୱାସି ମାଙ୍ଗେ ଏଲେଇଞ୍ଜିମାଞ୍ଜାନେସି ।”
17 उनकी स्थिति समझते हुए मसीह येशु ने उनसे कहा, “रोटी के न होने के विषय में वाद-विवाद क्यों किए जा रहे हो? क्या अब भी तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा? क्या तुम्हारा हृदय कठोर हो गया है?
୧୭ଜୀସୁ ଏ଼ଦାଆଁ ପୁଞ୍ଜାନା ଏ଼ୱାରାଇଁ ଏଲେଇଚେସି, “ମୀ ତା଼ଣା ରୂଟି ହିଲେଏ ଇଞ୍ଜିଁ ଏ଼ନାଆଁତାକି ମୀରୁ ମୀରୁ ୱେସ୍ପି ଆ଼ହିମାଞ୍ଜେରି? ମୀରୁ ନୀଏଁ ପାତେକା ପୁଞ୍ଜି ହିଲଅତେରି କି ତେଲ୍ହି ହିଲଅତେରି?
18 आंखें होते हुए भी तुम्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा और कानों के होते हुए भी तुम कुछ सुन नहीं पा रहे? तुम्हें कुछ भी याद नहीं रहा!
୧୮କାଣ୍କା ମାଞ୍ଜାନା ମେସି ହିଲଅତେରି? ଅ଼ଡ଼େ, କୀର୍କା ମାଞ୍ଜାନା ୱେଞ୍ଜି ହିଲଅତେରି? ମୀରୁ ଈଦାଣି ଅଣ୍ପି ହିଲ୍ଅତେରି?
19 जब मैंने पांच हज़ार व्यक्तियों के लिए पांच रोटियां परोसीं तुमने टुकड़ों से भरे कितने टोकरे इकट्ठा किए थे?” “बारह,” उन्होंने उत्तर दिया.
୧୯ଏ଼ ପା଼ସାମା଼ଣା ଲ଼କୁ ବିତ୍ରା ନା଼ନୁ ଏଚିବେ଼ଲା ପା଼ସାଗଟା ରୂଟି ଡ଼ିକ୍ହା ମାଚେଏଁ, ଏଚିବେ଼ଲା ମୀରୁ ଏଚର ଡାଲି ହା଼ରିତାଣି କୂଡ଼ି କିତେରି, ଏ଼ଦି ମୀ ଅଣ୍ପୁତା ହିଲେଏ କି?” ଏ଼ୱାରି ଏ଼ୱାଣାଇଁ ଏଲେଇଚେରି, “ବା଼ର ଡାଲି ।”
20 “जब मैंने चार हज़ार के लिए सात रोटियां परोसीं तब तुमने टुकड़ों से भरे कितने टोकरे इकट्ठा किए थे?” “सात,” उन्होंने उत्तर दिया.
୨୦“ଅ଼ଡ଼େ ଏ଼ ସା଼ରି ମା଼ଣା ଲ଼କୁ ବିତ୍ରା ନା଼ନୁ ଏଚିବେ଼ଲା ସା଼ତାଗଟା ରୂଟି ଡ଼ିକ୍ହା ମାଚେଏଁ, ଏଚିବେ଼ଲା ମୀରୁ ଏଚର ଡାଲି କୂଡ଼ି କିହାମାଚେରି?” ଏ଼ୱାରି ଏଲେଇଚେରି, “ସା଼ତା ଡାଲି ।”
21 तब मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या अब भी तुम्हारी समझ में नहीं आया?”
୨୧ଏଚିବେ଼ଲା ଜୀସୁ ଏ଼ୱାରାଇଁ ଏଲେଇଚେସି, “ମୀରୁ ଏ଼ନାଆଁ ନୀଏଁ ପାତେକା ତେଲ୍ହାଲି ଆ଼ଡିହିଲଅତେରି?”
22 वे बैथसैदा नगर आए. वहां लोग एक अंधे व्यक्ति को उनके पास लाए और उनसे विनती की कि वह उसका स्पर्श करें.
୨୨ଡା଼ୟୁ ଏ଼ୱାରି ବେତ୍ସାୟିଦାତା ୱା଼ତେରି, ଅ଼ଡ଼େ, ଲ଼କୁ ର଼ କା଼ଣାଇଁ ଏ଼ୱାଣି ତା଼ଣା ତାଚାନା ଏ଼ୱାଣାଇଁ ଡୀଗାଲି ତାକି ଜୀସୁଇଁ ବାତିମା଼ଲିତେରି ।
23 मसीह येशु उस अंधे का हाथ पकड़ उसे गांव के बाहर ले गए. वहां उन्होंने उस व्यक्ति की आंखों पर थूका और उस पर हाथ रखते हुए उससे पूछा, “क्या तुम्हें कुछ दिखाई दे रहा है?”
୨୩ଏ଼ଦାଆଁତାକି ଜୀସୁ କା଼ଣାତି କେୟୁ ଆସାନା ଏ଼ୱାଣାଇଁ ନା଼ୟୁଁ ପାଙ୍ଗାତା ଅ଼ତେସି, ଇଞ୍ଜାଁ ଏ଼ୱାଣି କାଣ୍କାଣାଁ ହୂପ୍କା ରୁବାନା ଅ଼ଡ଼େ ଏ଼ୱାଣିଲାକ କେୟୁ ଇଟାନା ଏ଼ୱାଣାଇଁ ୱେଚେସି, “ନୀନୁ ଏ଼ନାଆଁ ମେସାଲି ଆ଼ଡିମାଞ୍ଜି କି?”
24 उसने ऊपर दृष्टि करते हुए कहा, “मुझे लोग दिख रहे हैं परंतु वे ऐसे दिख रहे हैं जैसे चलते फिरते पेड़.”
୨୪ଏ଼ୱାସି ସିନିକିହାନା ଏଲେଇଚେସି, “ନା଼ନୁ ମାଣ୍ସିୟାଁଇଁ ମେସିମାଇଁ, ଇଚିହିଁ ନା଼ନୁ ମା଼ର୍କା ଲେହେଁ ଏ଼ନାଇ ତା଼କି ମାନାଣି ମେସିମାଇଁ ।”
25 मसीह येशु ने दोबारा उस पर अपने हाथ रखे और उसकी ओर एकटक देखा और उसे दृष्टि प्राप्त हो गई—उसे सब कुछ साफ़-साफ़ दिखाई देने लगा.
୨୫ଡା଼ୟୁ ଜୀସୁ ଅ଼ଡ଼େ ୱେଣ୍ତେ ଏ଼ୱାଣି କାଣ୍କାଣାଁ କେୟୁ ଇଟିତେସି; ଏମ୍ବାଟିଏ ଏ଼ୱାସି ନେହିଁକିଁ ମେସାଲି ଆ଼ଡିତେସି, ନେହିଁ ଆ଼ହାନା ବାରେ ତୀରିତଲେ ସିନିକିହାଲି ମା଼ଟ୍ହେସି ।
26 मसीह येशु ने उसे उसके घर भेजते हुए कहा, “अब इस गांव में कभी न आना.”
୨୬ଡା଼ୟୁ ଜୀସୁ ଏ଼ୱାଣାଇଁ ତାନି ଇଜ ପାଣ୍ତାନା ଏଲେଇଚେସି, “ଏ଼ ନା଼ୟୁଁ ବିତ୍ରା ଜିକେଏ ୱେଣ୍ତେ ହାଲାଆନି ।”
27 मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ कयसरिया प्रांत के फ़िलिप्पॉय नगर के पास के गांवों की यात्रा कर रहे थे. मार्ग में उन्होंने अपने शिष्यों से यह प्रश्न किया, “मैं कौन हूं इस विषय में लोगों का क्या मत है?”
୨୭ଏଚେଟିଏ ଜୀସୁ ଅ଼ଡ଼େ ତାନି ସୀସୁୟାଁ କାୟିସରିୟା ପିଲିପି ରା଼ଜିତି ନା଼ସ୍କାୱାକି ହାଚେରି, ଅ଼ଡ଼େ ଜିରୁତା ଏ଼ୱାସି ତାନି ସୀସୁୟାଁଇଁ ୱେଚେସି, “ନା଼ନୁ ଆମ୍ବାଆତେଏଁ ଇଞ୍ଜିଁ ଲ଼କୁ ଏଲେଇଞ୍ଜି ମାଞ୍ଜାନେରି?”
28 उन्होंने उत्तर दिया, “कुछ के लिए बपतिस्मा देनेवाले योहन, कुछ के लिए एलियाह तथा कुछ के लिए आप भविष्यद्वक्ताओं में से एक हैं.”
୨୮ଏମ୍ବାଟିଏ ଏ଼ୱାରି ଏ଼ୱାଣାଇଁ ଏଲେଇଚେରି, “ବାପ୍ତିସ୍ମ ହୀନି ଜହନ, ଅ଼ଡ଼େ ଆମ୍ବା ଆମ୍ବାଆରି ଏଲିୟ, ସାମା ଆମ୍ବା ଆମ୍ବାଆରି ଏଲେଇଞ୍ଜି ମାଞ୍ଜାନେରି ମାହାପୂରୁ ଅଣ୍ପୁତି ବ଼ଲୁ ୱେହ୍ନାରି ବିତ୍ରାଟି ରଅସି ।”
29 “तुम्हारा अपना मत क्या है?” मसीह येशु ने उनसे आगे प्रश्न किया. पेतरॉस ने उत्तर दिया, “आप मसीह हैं.”
୨୯ଏ଼ୱାସି ଏ଼ୱାରାଇଁ ୱେଚେସି, “ସାମା ନା଼ନୁ ଆମ୍ବାଆତେଏଁ ଇଞ୍ଜିଁ ମୀରୁ ଏଲେଇଞ୍ଜି ମାଞ୍ଜାଦେରି?” ପିତର ଏ଼ୱାଣାଇଁ ଏଲେଇଚେସି, “ନୀନୁ କ୍ରୀସ୍ତତି ।”
30 मसीह येशु ने शिष्यों को सावधान किया कि वे किसी से भी उनकी चर्चा न करें.
୩୦ଏମ୍ବାଟିଏ ଜୀସୁ ଏ଼ୱାରାଇଁ ତାନି କାତାତି ଆମ୍ବାଆରାଇଁ ଏ଼ନାଆଁ ୱେହ୍ଆଦୁ ଇଞ୍ଜିଁ ଜାଣ୍ତେ କିହିଁ ହୁକୁମି ହୀତେସି ।
31 तब मसीह येशु उन्हें यह समझाने लगे कि यह अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र अनेक यातनाएं सहे, पुरनियों, प्रधान पुरोहितों तथा विधान के शिक्षकों द्वारा तुच्छ घोषित किया जाए, उसकी हत्या कर दी जाए और तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से जीवित हो जाए.
୩୧ଅ଼ଡ଼େ, ଜୀସୁ ଏ଼ୱାରାଇଁ ଜା଼ପ୍ହାଲି ମା଼ଟ୍ହେସି, “ଇଚିହିଁ ମାଣ୍ସି ମୀର୍ଏସି ହା଼ରେକା ଦୁକୁ କସ୍ତ ବେଟାଆ଼ନାୟି ମାନେ ଇଞ୍ଜାଁ ପ୍ରାଚିନାଙ୍ଗା, କାଜା ପୂଜେରାଙ୍ଗା, ଇଞ୍ଜାଁ ମେ଼ରାପୁନାରି ତା଼ଣାଟି ଅ଼ପାଆଗାଟାସି ଆ଼ହାନା ପା଼ୟ୍ୱି ଆ଼ନାୟି ମାନେ, ଅ଼ଡ଼େ ତୀନିଦିନା ଜେ଼ଚ ୱେଣ୍ତେ ନିଙ୍ଗିନାୟି ମାନେ ।”
32 यह सब उन्होंने अत्यंत स्पष्ट रूप से कहा. उनके इस कथन पर पेतरॉस उन्हें अलग ले जाकर डांटने लगे.
୩୨ଈ କାତା ଏ଼ୱାସି ତୀର୍ପୁତଲେ ୱେସ୍ତେସି । ଏମ୍ବାଟିଏ ପିତର ଏ଼ୱାଣାଇଁ ଅ଼ରୱାକି ଅ଼ହାନା ଦାକା ହୀହାନା ଲା଼ଗାଲି ମା଼ଟ୍ହେସି ।
33 किंतु मसीह येशु पीछे मुड़े और अपने शिष्यों को देखकर उन्होंने पेतरॉस को डांटा, “दूर हो जा मेरी दृष्टि से, शैतान! तेरा मन परमेश्वर संबंधी विषयों में नहीं परंतु मनुष्य संबंधी विषयों में लगा हुआ है.”
୩୩ସାମା ଏ଼ୱାସି ଡା଼ୟୁୱାକି ତିର୍ୱାହାଁ ତାନି ସୀସୁୟାଁଣି ସିନିକିହାନା ପିତରଇଁ ଦାକା ହୀହାନା ଏଲେଇଚେସି, “ସୟତାନ, ନା଼ ନ଼କିଟି ହେକ ହାଲାମୁ, ଇଚିହିଁ ନୀନୁ ମାହାପୂରୁ କାତା ଅଣ୍ପାଆନା ମାଣ୍ସିୟାଁ କାତା ଅଣ୍ପିମାଞ୍ଜି ।”
34 तब उन्होंने भीड़ के साथ अपने शिष्यों को भी अपने पास बुलाया और उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपना इनकार कर अपना क्रूस उठाए और मेरे पीछे हो ले.
୩୪ଏମ୍ବାଟିଏ ଜୀସୁ ତାନି ସୀସୁୟାଁ ତଲେ ଲ଼କୁଣି ହା଼ଟାନା ଏଲେଇଚେସି, “ଆମ୍ବାଆସି ନା଼ ଜେ଼ଚ ୱା଼ହାଲି ମ଼ନ କିନେସି, ଆତିହିଁ ଏ଼ୱାସି ଜାହାରାଇଁ ପିସ୍ପେସି, ଇଞ୍ଜାଁ ଏ଼ୱାସି ତାନି କ୍ରୁସ ଡେ଼କାନା ନା଼ ଜେ଼ଚ ୱା଼ପେସି ।
35 इसलिये कि जो कोई अपने जीवन की रक्षा करना चाहता है, वह उसे गंवा देगा तथा जो कोई मेरे तथा सुसमाचार के लिए अपने प्राण गंवा देता है, उसे सुरक्षित पाएगा.
୩୫ଇଚିହିଁ ଆମ୍ବାଆସି ତାନି ଜୀୱୁ ଗେଲ୍ପାଲି ମ଼ନ କିନେସି, ଏ଼ୱାସି ଏ଼ଦାଆଁ ହା଼ୱି କିନେସି; ସାମା ଆମ୍ବାଆସି ନା଼ ତାକି ଇଞ୍ଜାଁ ନେହିଁ କାବ୍ରୁତାକି ତାନି ଜୀୱୁ ହୀନେସି, ଏ଼ୱାସି ଏ଼ଦାଆଁ ନୀଟ୍ନେସି ।
36 भला इसका क्या लाभ कि कोई व्यक्ति पूरा संसार तो प्राप्त करे किंतु अपना प्राण खो दे?
୩୬ଅ଼ଡ଼େ, ମାଣ୍ସି ଈ ଦାର୍ତିତା ମାନାଣି ବାରେ ମେଡ଼ି କିହାନା ତାନି ଜୀୱୁତି ହା଼ୱି କିନେସି, ଆତିହିଁ ଏ଼ୱାଣାକି ଏ଼ନି ଲା଼ବା?
37 या किस वस्तु से मनुष्य अपने प्राण का अदला-बदली कर सकता है?
୩୭ଅ଼ଡ଼େ, ମାଣ୍ସି ତାନି ଜୀୱୁତି ବାଦୁଲି ଏ଼ନାଆଁ ହୀହାଲି ଆ଼ଡିନେସି?
38 जो कोई इस अविश्वासी तथा पापमय युग में मुझे तथा मेरे वचन को लज्जा का विषय समझता है, मनुष्य का पुत्र भी, जब वह अपने पिता की महिमा में पवित्र स्वर्गदूतों के साथ आएगा, उसे स्वीकार करने में लज्जा का अनुभव करेगा.”
୩୮ଏ଼ଦାଆଁତାକି ଆମ୍ବାଆସି ଈ କା଼ଲାତି ଦା଼ରି କିନାରି ଅ଼ଡ଼େ ପା଼ପୁଗାଟି ଲ଼କୁ ବିତ୍ରା ନାଙ୍ଗେ ଅ଼ଡ଼େ ନା଼ ବ଼ଲୁ ତାକି ଲାଜା ଆ଼ନେସି, ମାଣ୍ସି ମୀର୍ଏସି ଏଚିବେ଼ଲା ସୁଦୁ ଦୂତୁୟାଁ ତଲେ ତାନି ଆ଼ବାତି ଗାୱୁରମି ତଲେ ୱା଼ନେସି, ଏଚିବେ଼ଲା ଏ଼ୱାସି ଜିକେଏ ଏ଼ୱାଣି କାତାତାକି ଲାଜା ଆ଼ନେସି ।”