< मरकुस 6 >
1 मसीह येशु वहां से अपने गृहनगर आए. उनके शिष्य उनके साथ थे.
ཨནནྟརཾ ས ཏཏྶྠཱནཱཏ྄ པྲསྠཱཡ སྭཔྲདེཤམཱགཏཿ ཤིཥྱཱཤྩ ཏཏྤཤྩཱད྄ གཏཱཿ།
2 शब्बाथ पर वे यहूदी सभागृह में शिक्षा देने लगे. उनको सुन उनमें से अनेक चकित हो कहने लगे. “कहां से प्राप्त हुआ इसे यह सब? कहां से प्राप्त हुआ है इसे यह बुद्धि कौशल और हाथों से यह अद्भुत काम करने की क्षमता?
ཨཐ ཝིཤྲཱམཝཱརེ སཏི ས བྷཛནགྲྀཧེ ཨུཔདེཥྚུམཱརབྡྷཝཱན྄ ཏཏོ྅ནེཀེ ལོཀཱསྟཏྐཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ ཝིསྨིཏྱ ཛགདུཿ, ཨསྱ མནུཛསྱ ཨཱིདྲྀཤཱི ཨཱཤྩཪྻྱཀྲིཡཱ ཀསྨཱཛ྄ ཛཱཏཱ? ཏཐཱ སྭཀརཱབྷྱཱམ྄ ཨིཏྠམདྦྷུཏཾ ཀརྨྨ ཀརྟྟཱམ྄ ཨེཏསྨཻ ཀཐཾ ཛྙཱནཾ དཏྟམ྄?
3 क्या यह वही बढ़ई नहीं? क्या यह मरियम का पुत्र तथा याकोब, योसेस, यहूदाह तथा शिमओन का भाई नहीं? क्या उसी की बहनें हमारे मध्य नहीं हैं?” इस पर उन्होंने मसीह येशु को अस्वीकार कर दिया.
ཀིམཡཾ མརིཡམཿ པུཏྲསྟཛྙཱ ནོ? ཀིམཡཾ ཡཱཀཱུབ྄-ཡོསི-ཡིཧུདཱ-ཤིམོནཱཾ བྷྲཱཏཱ ནོ? ཨསྱ བྷགིནྱཿ ཀིམིཧཱསྨཱབྷིཿ སཧ ནོ? ཨིཏྠཾ ཏེ ཏདརྠེ པྲཏྱཱུཧཾ གཏཱཿ།
4 मसीह येशु ने उनसे कहा, “भविष्यवक्ता हर जगह सम्मानित होता है सिवाय अपने स्वयं के नगर में, अपने संबंधियों तथा परिवार के मध्य.”
ཏདཱ ཡཱིཤུསྟེབྷྱོ྅ཀཐཡཏ྄ སྭདེཤཾ སྭཀུཊུམྦཱན྄ སྭཔརིཛནཱཾཤྩ ཝིནཱ ཀུཏྲཱཔི བྷཝིཥྱདྭཱདཱི ཨསཏྐྲྀཏོ ན བྷཝཏི།
5 कुछ रोगियों पर हाथ रख उन्हें स्वस्थ करने के अतिरिक्त मसीह येशु वहां कोई अन्य अद्भुत काम न कर सके.
ཨཔརཉྩ ཏེཥཱམཔྲཏྱཡཱཏ྄ ས ཝིསྨིཏཿ ཀིཡཏཱཾ རོགིཎཱཾ ཝཔུཿཥུ ཧསྟམ྄ ཨརྤཡིཏྭཱ ཀེཝལཾ ཏེཥཱམཱརོགྱཀརཎཱད྄ ཨནྱཏ྄ ཀིམཔི ཙིཏྲཀཱཪྻྱཾ ཀརྟྟཱཾ ན ཤཀྟཿ།
6 मसीह येशु को उनके अविश्वास पर बहुत ही आश्चर्य हुआ. मसीह येशु नगर-नगर जाकर शिक्षा देते रहे.
ཨཐ ས ཙཏུརྡིཀྶྠ གྲཱམཱན྄ བྷྲམིཏྭཱ ཨུཔདིཥྚཝཱན྄
7 उन्होंने उन बारहों को बुलाया और उन्हें दुष्टात्माओं पर अधिकार देते हुए उन्हें दो-दो करके भेज दिया.
དྭཱདཤཤིཥྱཱན྄ ཨཱཧཱུཡ ཨམེདྷྱབྷཱུཏཱན྄ ཝཤཱིཀརྟྟཱཾ ཤཀྟིཾ དཏྟྭཱ ཏེཥཱཾ དྭཽ དྭཽ ཛནོ པྲེཥིཏཝཱན྄།
8 मसीह येशु ने उन्हें आदेश दिए, “इस यात्रा में छड़ी के अतिरिक्त अपने साथ कुछ न ले जाना—न भोजन, न झोली और न पैसा.
པུནརིཏྱཱདིཤད྄ ཡཱུཡམ྄ ཨེཀཻཀཱཾ ཡཥྚིཾ ཝིནཱ ཝསྟྲསཾཔུཊཿ པཱུཔཿ ཀཊིབནྡྷེ ཏཱམྲཁཎྜཉྩ ཨེཥཱཾ ཀིམཔི མཱ གྲཧླཱིཏ,
9 हां, चप्पल तो पहन सकते हो किंतु अतिरिक्त बाहरी वस्त्र नहीं.”
མཱརྒཡཱཏྲཱཡཻ པཱདེཥཱུཔཱནཧཽ དཏྟྭཱ དྭེ ཨུཏྟརཱིཡེ མཱ པརིདྷདྭྭཾ།
10 आगे उन्होंने कहा, “जिस घर में भी तुम ठहरो उस नगर से विदा होने तक वहीं रहना.
ཨཔརམཔྱུཀྟཾ ཏེན ཡཱུཡཾ ཡསྱཱཾ པུཪྻྱཱཾ ཡསྱ ནིཝེཤནཾ པྲཝེཀྵྱཐ ཏཱཾ པུརཱིཾ ཡཱཝནྣ ཏྱཀྵྱཐ ཏཱཝཏ྄ ཏནྣིཝེཤནེ སྠཱསྱཐ།
11 जहां कहीं तुम्हें स्वीकार न किया जाए या तुम्हारा प्रवचन न सुना जाए, वह स्थान छोड़ते हुए अपने पैरों की धूल वहीं झाड़ देना कि यह उनके विरुद्ध प्रमाण हो.”
ཏཏྲ ཡདི ཀེཔི ཡུཥྨཱཀམཱཏིཐྱཾ ན ཝིདདྷཏི ཡུཥྨཱཀཾ ཀཐཱཤྩ ན ཤྲྀཎྭནྟི ཏརྷི ཏཏྶྠཱནཱཏ྄ པྲསྠཱནསམཡེ ཏེཥཱཾ ཝིརུདྡྷཾ སཱཀྵྱཾ དཱཏུཾ སྭཔཱདཱནཱསྥཱལྱ རཛཿ སམྤཱཏཡཏ; ཨཧཾ ཡུཥྨཱན྄ ཡཐཱརྠཾ ཝཙྨི ཝིཙཱརདིནེ ཏནྣགརསྱཱཝསྠཱཏཿ སིདོམཱམོརཡོ རྣགརཡོརཝསྠཱ སཧྱཏརཱ བྷཝིཥྱཏི།
12 शिष्यों ने प्रस्थान किया. वे यह प्रचार करने लगे कि पश्चाताप सभी के लिए ज़रूरी है.
ཨཐ ཏེ གཏྭཱ ལོཀཱནཱཾ མནཿཔརཱཝརྟྟནཱིཿ ཀཐཱ པྲཙཱརིཏཝནྟཿ།
13 उन्होंने अनेक दुष्टात्माएं निकाली तथा अनेक रोगियों को तेल मलकर उन्हें स्वस्थ किया.
ཨེཝམནེཀཱན྄ བྷཱུཏཱཾཤྩ ཏྱཱཛིཏཝནྟསྟཐཱ ཏཻལེན མརྡྡཡིཏྭཱ བཧཱུན྄ ཛནཱནརོགཱནཀཱརྵུཿ།
14 राजा हेरोदेस तक इसका समाचार पहुंच गया क्योंकि मसीह येशु की ख्याति दूर-दूर तक फैल गयी थी. कुछ तो यहां तक कह रहे थे, “बपतिस्मा देनेवाले योहन मरे हुओं में से जीवित हो गए हैं. यही कारण है कि मसीह येशु में यह अद्भुत सामर्थ्य प्रकट है.”
ཨིཏྠཾ ཏསྱ སུཁྱཱཏིཤྩཏུརྡིཤོ ཝྱཱཔྟཱ ཏདཱ ཧེརོད྄ རཱཛཱ ཏནྣིཤམྱ ཀཐིཏཝཱན྄, ཡོཧན྄ མཛྫཀཿ ཤྨཤཱནཱད྄ ཨུཏྠིཏ ཨཏོཧེཏོསྟེན སཪྻྭཱ ཨེཏཱ ཨདྦྷུཏཀྲིཡཱཿ པྲཀཱཤནྟེ།
15 कुछ कह रहे थे, “वह एलियाह हैं.” कुछ यह भी कहते सुने गए, “वह एक भविष्यवक्ता हैं—अतीत में हुए भविष्यद्वक्ताओं के समान.”
ཨནྱེ྅ཀཐཡན྄ ཨཡམ྄ ཨེལིཡཿ, ཀེཔི ཀཐིཏཝནྟ ཨེཥ བྷཝིཥྱདྭཱདཱི ཡདྭཱ བྷཝིཥྱདྭཱདིནཱཾ སདྲྀཤ ཨེཀོཡམ྄།
16 यह सब सुनकर हेरोदेस कहता रहा, “योहन, जिसका मैंने वध करवाया था, जीवित हो गया है.”
ཀིནྟུ ཧེརོད྄ ཨིཏྱཱཀརྞྱ བྷཱཥིཏཝཱན྄ ཡསྱཱཧཾ ཤིརཤྪིནྣཝཱན྄ ས ཨེཝ ཡོཧནཡཾ ས ཤྨཤཱནཱདུདཏིཥྛཏ྄།
17 स्वयं हेरोदेस ने योहन को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था क्योंकि उसने अपने भाई फ़िलिप्पॉस की पत्नी हेरोदिअस से विवाह कर लिया था.
པཱུཪྻྭཾ སྭབྷྲཱཏུཿ ཕིལིཔསྱ པཏྣྱཱ ཨུདྭཱཧཾ ཀྲྀཏཝནྟཾ ཧེརོདཾ ཡོཧནཝཱདཱིཏ྄ སྭབྷཱཏྲྀཝདྷཱུ རྣ ཝིཝཱཧྱཱ།
18 योहन हेरोदेस को याद दिलाते रहते थे, “तुम्हारे लिए अपने भाई की पत्नी को रख लेना व्यवस्था के अनुसार नहीं है.” इसलिये
ཨཏཿ ཀཱརཎཱཏ྄ ཧེརོད྄ ལོཀཾ པྲཧིཏྱ ཡོཧནཾ དྷྲྀཏྭཱ བནྡྷནཱལཡེ བདྡྷཝཱན྄།
19 हेरोदियास के मन में योहन के लिए शत्रुभाव पनप रहा था. वह उनका वध करवाना चाहती थी किंतु उससे कुछ नहीं हो पा रहा था.
ཧེརོདིཡཱ ཏསྨཻ ཡོཧནེ པྲཀུཔྱ ཏཾ ཧནྟུམ྄ ཨཻཙྪཏ྄ ཀིནྟུ ན ཤཀྟཱ,
20 हेरोदेस योहन से डरता था क्योंकि वह जानता था कि योहन एक धर्मी और पवित्र व्यक्ति हैं. हेरोदेस ने योहन को सुरक्षित रखा था. योहन के प्रवचन सुनकर वह घबराता तो था फिर भी उसे उनके प्रवचन सुनना बहुत प्रिय था.
ཡསྨཱད྄ ཧེརོད྄ ཏཾ དྷཱརྨྨིཀཾ སཏྤུརུཥཉྩ ཛྙཱཏྭཱ སམྨནྱ རཀྵིཏཝཱན྄; ཏཏྐཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ ཏདནུསཱརེཎ བཧཱུནི ཀརྨྨཱཎི ཀྲྀཏཝཱན྄ ཧྲྀཥྚམནཱསྟདུཔདེཤཾ ཤྲུཏཝཱཾཤྩ།
21 आखिरकार हेरोदिअस को वह मौका प्राप्त हो ही गया: अपने जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हेरोदेस ने अपने सभी उच्च अधिकारियों, सेनापतियों और गलील प्रदेश के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भोज पर आमंत्रित किया.
ཀིནྟུ ཧེརོད྄ ཡདཱ སྭཛནྨདིནེ པྲདྷཱནལོཀེབྷྱཿ སེནཱནཱིབྷྱཤྩ གཱལཱིལྤྲདེཤཱིཡཤྲེཥྛལོཀེབྷྱཤྩ རཱཏྲཽ བྷོཛྱམེཀཾ ཀྲྀཏཝཱན྄
22 इस अवसर पर हेरोदिअस की पुत्री ने वहां अपने नृत्य के द्वारा हेरोदेस और अतिथियों को मोह लिया. राजा ने पुत्री से कहा. “मुझसे चाहे जो मांग लो, मैं दूंगा.”
ཏསྨིན྄ ཤུབྷདིནེ ཧེརོདིཡཱཡཱཿ ཀནྱཱ སམེཏྱ ཏེཥཱཾ སམཀྵཾ སཾནྲྀཏྱ ཧེརོདསྟེན སཧོཔཝིཥྚཱནཱཉྩ ཏོཥམཛཱིཛནཏ྄ ཏཏཱ ནྲྀཔཿ ཀནྱཱམཱཧ སྨ མཏྟོ ཡད྄ ཡཱཙསེ ཏདེཝ ཏུབྷྱཾ དཱསྱེ།
23 राजा ने शपथ खाते हुए कहा, “तुम जो कुछ मांगोगी, मैं तुम्हें दूंगा—चाहे वह मेरा आधा राज्य ही क्यों न हो.”
ཤཔཐཾ ཀྲྀཏྭཱཀཐཡཏ྄ ཙེད྄ རཱཛྱཱརྡྡྷམཔི ཡཱཙསེ ཏདཔི ཏུབྷྱཾ དཱསྱེ།
24 अपनी मां के पास जाकर उसने पूछा, “क्या मांगूं?” “बपतिस्मा देनेवाले योहन का सिर,” उसने कहा.
ཏཏཿ སཱ བཧི རྒཏྭཱ སྭམཱཏརཾ པཔྲཙྪ ཀིམཧཾ ཡཱཙིཥྱེ? ཏདཱ སཱཀཐཡཏ྄ ཡོཧནོ མཛྫཀསྱ ཤིརཿ།
25 पुत्री ने तुरंत जाकर राजा से कहा, “मैं चाहती हूं कि आप मुझे इसी समय एक थाल में बपतिस्मा देनेवाले योहन का सिर लाकर दें.”
ཨཐ ཏཱུརྞཾ བྷཱུཔསམཱིཔམ྄ ཨེཏྱ ཡཱཙམཱནཱཝདཏ྄ ཀྵཎེསྨིན྄ ཡོཧནོ མཛྫཀསྱ ཤིརཿ པཱཏྲེ ནིདྷཱཡ དེཧི, ཨེཏད྄ ཡཱཙེ྅ཧཾ།
26 हालांकि राजा को इससे गहरा दुःख तो हुआ किंतु आमंत्रित अतिथियों के सामने ली गई अपनी शपथ के कारण वह अस्वीकार न कर सका.
ཏསྨཱཏ྄ བྷཱུཔོ྅ཏིདུཿཁིཏཿ, ཏཐཱཔི སྭཤཔཐསྱ སཧབྷོཛིནཱཉྩཱནུརོདྷཱཏ྄ ཏདནངྒཱིཀརྟྟུཾ ན ཤཀྟཿ།
27 तत्काल राजा ने एक जल्लाद को बुलवाया और योहन का सिर ले आने की आज्ञा दी. वह गया, कारागार में योहन का वध किया
ཏཏྐྵཎཾ རཱཛཱ གྷཱཏཀཾ པྲེཥྱ ཏསྱ ཤིར ཨཱནེཏུམཱདིཥྚཝཱན྄།
28 और उनका सिर एक बर्तन में रखकर पुत्री को सौंप दिया और उसने जाकर अपनी माता को सौंप दिया.
ཏཏཿ ས ཀཱརཱགཱརཾ གཏྭཱ ཏཙྪིརཤྪིཏྭཱ པཱཏྲེ ནིདྷཱཡཱནཱིཡ ཏསྱཻ ཀནྱཱཡཻ དཏྟཝཱན྄ ཀནྱཱ ཙ སྭམཱཏྲེ དདཽ།
29 जब योहन के शिष्यों को इसका समाचार प्राप्त हुआ, वे आए और योहन के शव को ले जाकर एक कब्र में रख दिया.
ཨནནཏརཾ ཡོཧནཿ ཤིཥྱཱསྟདྭཱརྟྟཱཾ པྲཱཔྱཱགཏྱ ཏསྱ ཀུཎཔཾ ཤྨཤཱནེ྅སྠཱཔཡན྄།
30 प्रेरित लौटकर मसीह येशु के पास आए और उन्हें अपने द्वारा किए गए कामों और दी गई शिक्षा का विवरण दिया.
ཨཐ པྲེཥིཏཱ ཡཱིཤོཿ སནྣིདྷཽ མིལིཏཱ ཡད྄ ཡཙ྄ ཙཀྲུཿ ཤིཀྵཡཱམཱསུཤྩ ཏཏྶཪྻྭཝཱརྟྟཱསྟསྨཻ ཀཐིཏཝནྟཿ།
31 मसीह येशु ने उनसे कहा, “आओ, कुछ समय के लिए कहीं एकांत में चलें और विश्राम करें,” क्योंकि अनेक लोग आ जा रहे थे और उन्हें भोजन तक का अवसर प्राप्त न हो सका था.
ས ཏཱནུཝཱཙ ཡཱུཡཾ ཝིཛནསྠཱནཾ གཏྭཱ ཝིཤྲཱམྱཏ ཡཏསྟཏྶནྣིདྷཽ བཧུལོཀཱནཱཾ སམཱགམཱཏ྄ ཏེ བྷོཀྟུཾ ནཱཝཀཱཤཾ པྲཱཔྟཱཿ།
32 वे चुपचाप नाव पर सवार हो एक सुनसान जगह पर चले गए.
ཏཏསྟེ ནཱཝཱ ཝིཛནསྠཱནཾ གུཔྟཾ གགྨུཿ།
33 लोगों ने उन्हें वहां जाते हुए देख लिया. अनेकों ने यह भी पहचान लिया कि वे कौन थे. आस-पास के नगरों से अनेक लोग दौड़ते हुए उनसे पहले ही उस स्थान पर जा पहुंचे.
ཏཏོ ལོཀནིཝཧསྟེཥཱཾ སྠཱནཱནྟརཡཱནཾ དདརྴ, ཨནེཀེ ཏཾ པརིཙིཏྱ ནཱནཱཔུརེབྷྱཿ པདཻཪྻྲཛིཏྭཱ ཛཝེན ཏཻཥཱམགྲེ ཡཱིཤོཿ སམཱིཔ ཨུཔཏསྠུཿ།
34 जब मसीह येशु तट पर पहुंचे, उन्होंने वहां एक बड़ी भीड़ को इकट्ठा देखा. उसे देख वह दुःखी हो उठे क्योंकि उन्हें भीड़ बिना चरवाहे की भेड़ों के समान लगी. वहां मसीह येशु उन्हें अनेक विषयों पर शिक्षा देने लगे.
ཏདཱ ཡཱིཤུ རྣཱཝོ བཧིརྒཏྱ ལོཀཱརཎྱཱནཱིཾ དྲྀཥྚྭཱ ཏེཥུ ཀརུཎཱཾ ཀྲྀཏཝཱན྄ ཡཏསྟེ྅རཀྵཀམེཥཱ ཨིཝཱསན྄ ཏདཱ ས ཏཱན ནཱནཱཔྲསངྒཱན྄ ཨུཔདིཥྚཝཱན྄།
35 दिन ढल रहा था. शिष्यों ने मसीह येशु के पास आकर उनसे कहा, “यह सुनसान जगह है और दिन ढला जा रहा है.
ཨཐ དིཝཱནྟེ སཏི ཤིཥྱཱ ཨེཏྱ ཡཱིཤུམཱུཙིརེ, ཨིདཾ ཝིཛནསྠཱནཾ དིནཉྩཱཝསནྣཾ།
36 अब आप इन्हें विदा कर दीजिए कि ये पास के गांवों में जाकर अपने लिए भोजन-व्यवस्था कर सकें.”
ལོཀཱནཱཾ ཀིམཔི ཁཱདྱཾ ནཱསྟི, ཨཏཤྩཏུརྡིཀྵུ གྲཱམཱན྄ གནྟུཾ བྷོཛྱདྲཝྱཱཎི ཀྲེཏུཉྩ བྷཝཱན྄ ཏཱན྄ ཝིསྲྀཛཏུ།
37 किंतु मसीह येशु ने उन्हीं से कहा, “तुम ही दो इन्हें भोजन!” शिष्यों ने इसके उत्तर में कहा, “इतनों के भोजन में कम से कम दो सौ दीनार लगेंगे. क्या आप चाहते हैं कि हम जाकर इनके लिए इतने का भोजन ले आएं?”
ཏདཱ ས ཏཱནུཝཱཙ ཡཱུཡམེཝ ཏཱན྄ བྷོཛཡཏ; ཏཏསྟེ ཛགདུ ཪྻཡཾ གཏྭཱ དྭིཤཏསཾཁྱཀཻ རྨུདྲཱཔཱདཻཿ པཱུཔཱན྄ ཀྲཱིཏྭཱ ཀིཾ ཏཱན྄ བྷོཛཡིཥྱཱམཿ?
38 मसीह येशु ने उनसे पूछा, “कितनी रोटियां हैं यहां? जाओ, पता लगाओ!” उन्होंने पता लगाकर उत्तर दिया, “पांच—और इनके अलावा दो मछलियां भी.”
ཏདཱ ས ཏཱན྄ པྲྀཥྛཝཱན྄ ཡུཥྨཱཀཾ སནྣིདྷཽ ཀཏི པཱུཔཱ ཨཱསཏེ? གཏྭཱ པཤྱཏ; ཏཏསྟེ དྲྀཥྚྭཱ ཏམཝདན྄ པཉྩ པཱུཔཱ དྭཽ མཏྶྱཽ ཙ སནྟི།
39 मसीह येशु ने सभी लोगों को झुंड़ों में हरी घास पर बैठ जाने की आज्ञा दी.
ཏདཱ ས ལོཀཱན྄ ཤསྤོཔརི པཾཀྟིབྷིརུཔཝེཤཡིཏུམ྄ ཨཱདིཥྚཝཱན྄,
40 वे सभी सौ-सौ और पचास-पचास के झुंडों में बैठ गए.
ཏཏསྟེ ཤཏཾ ཤཏཾ ཛནཱཿ པཉྩཱཤཏ྄ པཉྩཱཤཛྫནཱཤྩ པཾཀྟིབྷི རྦྷུཝི སམུཔཝིཝིཤུཿ།
41 मसीह येशु ने वे पांच रोटियां और दो मछलियां लेकर स्वर्ग की ओर आंखें उठाकर उनके लिए धन्यवाद प्रकट किया. तब वह रोटियां तोड़ते और शिष्यों को देते गए कि वे उन्हें भीड़ में बांटते जाएं. इसके साथ उन्होंने वे दो मछलियां भी उनमें बांट दीं.
ཨཐ ས ཏཱན྄ པཉྩཔཱུཔཱན྄ མཏྶྱདྭཡཉྩ དྷྲྀཏྭཱ སྭརྒཾ པཤྱན྄ ཨཱིཤྭརགུཎཱན྄ ཨནྭཀཱིརྟྟཡཏ྄ ཏཱན྄ པཱུཔཱན྄ བྷཾཀྟྭཱ ལོཀེབྷྱཿ པརིཝེཥཡིཏུཾ ཤིཥྱེབྷྱོ དཏྟཝཱན྄ དྭཱ མཏྶྱཽ ཙ ཝིབྷཛྱ སཪྻྭེབྷྱོ དཏྟཝཱན྄།
43 शिष्यों ने शेष रह गए रोटियों तथा मछलियों के टुकड़े इकट्ठा किए तो बारह टोकरे भर गए.
ཨནནྟརཾ ཤིཥྱཱ ཨཝཤིཥྚཻཿ པཱུཔཻ རྨཏྶྱཻཤྩ པཱུརྞཱན྄ དྭདཤ ཌལླཀཱན྄ ཛགྲྀཧུཿ།
44 जिन्होंने भोजन किया था, उनमें पुरुष ही पांच हज़ार थे.
ཏེ བྷོཀྟཱརཿ པྲཱཡཿ པཉྩ སཧསྲཱཎི པུརུཥཱ ཨཱསན྄།
45 तुरंत ही मसीह येशु ने शिष्यों को जबरन नाव पर बैठा उन्हें अपने से पहले दूसरे किनारे पर स्थित नगर बैथसैदा पहुंचने के लिए विदा किया—वह स्वयं भीड़ को विदा कर रहे थे.
ཨཐ ས ལོཀཱན྄ ཝིསྲྀཛནྣེཝ ནཱཝམཱརོཌྷུཾ སྭསྨཱདགྲེ པཱརེ བཻཏྶཻདཱཔུརཾ ཡཱཏུཉྩ ཤྵྱིན྄ ཝཱཌྷམཱདིཥྚཝཱན྄།
46 उन्हें विदा करने के बाद वह प्रार्थना के लिए पर्वत पर चले गए.
ཏདཱ ས སཪྻྭཱན྄ ཝིསྲྀཛྱ པྲཱརྠཡིཏུཾ པཪྻྭཏཾ གཏཿ།
47 रात हो चुकी थी. नाव झील के मध्य में थी. मसीह येशु किनारे पर अकेले थे.
ཏཏཿ སནྡྷྱཱཡཱཾ སཏྱཱཾ ནཽཿ སིནྡྷུམདྷྱ ཨུཔསྠིཏཱ ཀིནྟུ ས ཨེཀཱཀཱི སྠལེ སྠིཏཿ།
48 मसीह येशु देख रहे थे कि हवा उल्टी दिशा में चलने के कारण शिष्यों को नाव खेने में कठिन प्रयास करना पड़ रहा था. रात के चौथे प्रहर मसीह येशु झील की सतह पर चलते हुए उनके पास जा पहुंचे और ऐसा अहसास हुआ कि वह उनसे आगे निकलना चाह रहे थे.
ཨཐ སམྨུཁཝཱཏཝཧནཱཏ྄ ཤིཥྱཱ ནཱཝཾ ཝཱཧཡིཏྭཱ པརིཤྲཱནྟཱ ཨིཏི ཛྙཱཏྭཱ ས ནིཤཱཙཏུརྠཡཱམེ སིནྡྷཱུཔརི པདྦྷྱཱཾ ཝྲཛན྄ ཏེཥཱཾ སམཱིཔམེཏྱ ཏེཥཱམགྲེ ཡཱཏུམ྄ ཨུདྱཏཿ།
49 उन्हें जल सतह पर चलता देख शिष्य समझे कि कोई दुष्टात्मा है और वे चिल्ला उठे
ཀིནྟུ ཤིཥྱཱཿ སིནྡྷཱུཔརི ཏཾ ཝྲཛནྟཾ དྲྀཥྚྭཱ བྷཱུཏམནུམཱཡ རུརུཝུཿ,
50 क्योंकि उन्हें देख वे भयभीत हो गए थे. इस पर मसीह येशु ने कहा, “मैं हूं! मत डरो! साहस मत छोड़ो!”
ཡཏཿ སཪྻྭེ ཏཾ དྲྀཥྚྭཱ ཝྱཱཀུལིཏཱཿ། ཨཏཨེཝ ཡཱིཤུསྟཏྐྵཎཾ ཏཻཿ སཧཱལཔྱ ཀཐིཏཝཱན྄, སུསྠིརཱ བྷཱུཏ, ཨཡམཧཾ མཱ བྷཻཥྚ།
51 यह कहते हुए वह उनकी नाव में चढ़ गए और वायु थम गई. शिष्य इससे अत्यंत चकित रह गए.
ཨཐ ནཽཀཱམཱརུཧྱ ཏསྨིན྄ ཏེཥཱཾ སནྣིདྷིཾ གཏེ ཝཱཏོ ནིཝྲྀཏྟཿ; ཏསྨཱཏྟེ མནཿསུ ཝིསྨིཏཱ ཨཱཤྩཪྻྱཾ མེནིརེ།
52 रोटियों की घटना अब तक उनकी समझ से परे थी. उनके हृदय निर्बुद्धि जैसे हो गए थे.
ཡཏསྟེ མནསཱཾ ཀཱཋིནྱཱཏ྄ ཏཏ྄ པཱུཔཱིཡམ྄ ཨཱཤྩཪྻྱཾ ཀརྨྨ ན ཝིཝིཀྟཝནྟཿ།
53 झील पार कर वे गन्नेसरत प्रदेश में पहुंच गए. उन्होंने नाव वहीं लगा दी.
ཨཐ ཏེ པཱརཾ གཏྭཱ གིནེཥརཏྤྲདེཤམེཏྱ ཏཊ ཨུཔསྠིཏཱཿ།
54 मसीह येशु के नाव से उतरते ही लोगों ने उन्हें पहचान लिया.
ཏེཥུ ནཽཀཱཏོ བཧིརྒཏེཥུ ཏཏྤྲདེཤཱིཡཱ ལོཀཱསྟཾ པརིཙིཏྱ
55 जहां कहीं भी मसीह येशु होते थे, लोग दौड़-दौड़ कर बिछौनों पर रोगियों को वहां ले आते थे.
ཙཏུརྡིཀྵུ དྷཱཝནྟོ ཡཏྲ ཡཏྲ རོགིཎོ ནརཱ ཨཱསན྄ ཏཱན྄ སཪྻྭཱན ཁཊྭོཔརི ནིདྷཱཡ ཡཏྲ ཀུཏྲཙིཏ྄ ཏདྭཱརྟྟཱཾ པྲཱཔུཿ ཏཏ྄ སྠཱནམ྄ ཨཱནེཏུམ྄ ཨཱརེབྷིརེ།
56 मसीह येशु जिस किसी नगर, गांव या बाहरी क्षेत्र में प्रवेश करते थे, लोग रोगियों को सार्वजनिक स्थलों में लिटा कर उनसे विनती करते थे कि उन्हें उनके वस्त्र के छोर का स्पर्श मात्र ही कर लेने दें. जो कोई उनके वस्त्र का स्पर्श कर लेता था, स्वस्थ हो जाता था.
ཏཐཱ ཡཏྲ ཡཏྲ གྲཱམེ ཡཏྲ ཡཏྲ པུརེ ཡཏྲ ཡཏྲ པལླྱཱཉྩ ཏེན པྲཝེཤཿ ཀྲྀཏསྟདྭརྟྨམདྷྱེ ལོཀཱཿ པཱིཌིཏཱན྄ སྠཱཔཡིཏྭཱ ཏསྱ ཙེལགྲནྠིམཱཏྲཾ སྤྲཥྚུམ྄ ཏེཥཱམརྠེ ཏདནུཛྙཱཾ པྲཱརྠཡནྟཿ ཡཱཝནྟོ ལོཀཱཿ པསྤྲྀཤུསྟཱཝནྟ ཨེཝ གདཱནྨུཀྟཱཿ།