< मरकुस 5 >

1 तब वे झील के दूसरे तट पर गिरासेन क्षेत्र में आए.
ⲁ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲙⲟⲟϣⲉ ⲉⲡⲉⲕⲣⲟ ⲛ̅ⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲉⲧⲉⲭⲱⲣⲁ ⲛⲛ̅ⲅⲉⲣⲁⲥⲏⲛⲟⲥ
2 मसीह येशु के नाव से नीचे उतरते ही एक मनुष्य जिसमें अशुद्ध आत्मा थी कब्र से निकलकर उनके पास आया.
ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲫⲱϭⲉ ⲉⲡⲉⲕⲣⲟ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲁϥⲧⲱⲙⲛⲧ̅ ⲉⲣⲟϥ ⲛ̅ϭⲓⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲉϥⲛⲏⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲙϩⲁⲟⲩ ⲉⲣⲉⲟⲩⲡⲛ̅ⲁ̅ ⲛ̅ⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲧⲟⲛ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ
3 वह कब्रों के मध्य ही रहा करता था. अब कोई भी उसे सांकलों तथा बेड़ियों से भी बांध पाने में समर्थ न था.
ⲅ̅ⲉϥϣⲟⲟⲡ ϩⲛ̅ⲛⲉⲙϩⲁⲟⲩ ⲉⲙⲡⲉϣⲗⲁⲁⲩ ϭⲉ ϭⲙ̅ϭⲟⲙ ⲉⲙⲟⲣϥ̅ ϩⲛ̅ϩⲁⲗⲩⲥⲓⲥ
4 बहुधा उसे बेड़ियों तथा सांकलों में बांधे जाने के प्रयास किए गए किंतु वह सांकलों को तोड़ देता तथा बेड़ियों के टुकड़े-टुकड़े कर डालता था. अब किसी में इतनी क्षमता न थी कि उसे वश में कर सके.
ⲇ̅ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲁⲩⲙⲟⲣϥ̅ ⲛ̅ϩⲁϩ ⲛ̅ⲥⲟⲡ ⲛ̅ϩⲉⲛⲡⲁⲓⲇⲉⲥ ⲛⲙ̅ϩⲉⲛϩⲁⲗⲩⲥⲓⲥ ⲁⲩⲱ ϣⲁϥⲥⲗⲡ̅ⲛ̅ϩⲁⲗⲩⲥⲓⲥ ⲛϥ̅ⲟⲩⲉϭⲡⲙ̅ⲡⲁⲓⲇⲉⲥ ⲉⲙⲡⲉϣⲗⲁⲁⲩ ϭⲙ̅ϭⲟⲙ ⲉⲣⲟϥ
5 रात-दिन कब्रों के मध्य तथा पहाड़ियों में वह चिल्लाता रहता था तथा स्वयं को पत्थर मार-मार कर घायल कर लेता था.
ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲛⲓⲙ ⲛ̅ⲧⲉⲩϣⲏ ⲛⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲛⲉϥϩⲛ̅ⲛⲉⲙϩⲁⲟⲩ ⲁⲩⲱ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲧⲟⲩⲓ̈ⲏ ⲉϥϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲩϩⲓⲟⲩⲉ ⲉⲣⲟϥ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲱⲛⲉ.
6 दूर से ही जब उसने मसीह येशु को देखा, वह दौड़कर उनके पास आया, अपना सिर झुकाया
ⲋ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲛⲁⲩ ⲉⲓ̅ⲥ̅ ϩⲙ̅ⲡⲟⲩⲉ ⲁϥⲡⲱⲧ ⲁϥⲡⲁϩⲧϥ̅ ϩⲁⲣⲁⲧϥ̅ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲧ̅ ⲛⲁϥ
7 और उसमें से ऊंची आवाज में ये शब्द सुनाई दिए, “परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र येशु! मेरा आपका कोई लेनदेन नहीं. आपको परमेश्वर की शपथ, मुझे कोई कष्ट न दें,”
ⲍ̅ⲁϥⲱϣ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ϩⲣⲟⲟⲩ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁϩⲣⲟⲕ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲓ̈ ⲓ̅ⲥ̅ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧϫⲟⲥⲉ ϯⲱⲣⲕ̅ ⲉⲣⲟⲕ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ϫⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲕⲃⲁⲥⲁⲛⲓⲍⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲓ̈.
8 क्योंकि मसीह येशु उसे आज्ञा दे चुके थे, “ओ दुष्टात्मा, इस मनुष्य में से निकल आ!”
ⲏ̅ⲛⲉⲣⲉⲓ̅ⲥ̅ ⲅⲁⲣ ϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲁⲙⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲛ̅ⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲧⲟⲛ.
9 तब मसीह येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तेरा?” दुष्टात्मा ने उत्तर दिया, “सेना—क्योंकि हम बहुत हैं.”
ⲑ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥϫⲛⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲟϥ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲉⲣⲛⲧⲕ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲗⲉⲅⲓⲱⲛ ⲡⲉ ⲡⲣⲁⲛ ϫⲉ ⲧⲛ̅ϫⲕϩⲁϩ
10 दुष्टात्मा मसीह येशु से विनती करने लगा कि वह उसे उस प्रदेश से बाहर न भेजें.
ⲓ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ⲉⲙⲁⲧⲉ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲛ̅ⲛⲉϥⲛⲟϫⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲉⲭⲱⲣⲁ.
11 वहीं पहाड़ी पर सूअरों का एक विशाल झुंड चर रहा था.
ⲓ̅ⲁ̅ⲛⲉⲥⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲇⲉ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ϩⲁⲣⲁⲧϥ̅ ⲙⲡ̅ⲧⲟⲟⲩ ⲛ̅ϭⲓⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ⲁⲅⲉⲗⲏ ⲣ̅ⲣⲓⲣ ⲉⲩⲙⲟⲟⲛⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲥ
12 दुष्टात्मा-समूह ने मसीह येशु से विनती की, “हमें इन सूअरों में भेज दीजिए कि हम उनमें जा बसें.”
ⲓ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ϫⲟⲟⲩⲛ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲛⲉϣⲁⲩ
13 मसीह येशु ने उन्हें यह आज्ञा दे दी. वे दुष्टात्मा बाहर निकलकर उन सूअरों में प्रवेश कर गए. लगभग दो हज़ार सूअरों का वह झुंड पहाड़ की तीव्र ढलान पर तेज गति से दौड़ता हुआ झील में जा डूबा.
ⲓ̅ⲅ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲕⲁⲁⲩ ⲉⲧⲣⲉⲩⲃⲱⲕ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲛⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲧⲟⲛ ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲩⲃⲱⲕʾ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲛⲉϣⲁⲩ ⲁⲩⲱ ⲁⲥⲣⲱϩⲧ ⲛ̅ϭⲓⲧⲁⲅⲉⲗⲏ ⲣ̅ⲣⲓⲣ ϩⲓϫⲛ̅ⲧϣⲱⲙⲉ ⲉⲩⲛⲁⲣ̅ϫⲟⲩⲱⲧ ⲛ̅ϣⲉ ⲁⲩⲙⲟⲩ ϩⲛ̅ⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ
14 भयभीत रखवाले भाग गए तथा नगर और पास के क्षेत्रों में जाकर इस घटना के विषय में बताने लगे. नगरवासी, जो कुछ हुआ था, उसे देखने वहां आने लगे.
ⲓ̅ⲇ̅ⲛⲉⲧⲙⲟⲟⲛⲉ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲁⲩⲡⲱⲧ ⲁⲩϫⲓⲡⲟⲩⲱ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲧⲡⲟⲗⲓⲥ ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲱϣⲉ ⲁⲩⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ.
15 जब वे मसीह येशु के पास पहुंचे, उन्होंने देखा कि वह दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति वस्त्र धारण किए हुए सचेत स्थिति में वहां बैठा था. यह वही व्यक्ति था जिसमें दुष्टात्माओं की सेना पैठी थी. यह देख वे डर गए.
ⲓ̅ⲉ̅ⲁⲩⲉ͡ⲓ ⲇⲉ ⲉⲣⲁⲧϥ̅ ⲛ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲁⲩⲛⲁⲩ ⲉⲡⲉⲧⲟ ⲛⲣⲉϥϣⲟⲟⲣ ⲉϥϩⲙⲟⲟⲥ ⲉϩⲣⲁⲉ͡ⲓ ⲉⲣⲉⲛⲉϥϩⲟⲉⲓⲧⲉ ϩⲓⲱⲱϥ ⲁⲩⲱ ⲉⲣⲉⲡⲉϥϩⲏⲧ ⲥⲙⲟⲛⲧ. ⲡⲉⲛⲧⲁⲗⲉⲅⲉⲱⲛ ϣⲱⲡⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲣ̅ϩⲟⲧⲉ.
16 सारे घटनाक्रम को देखनेवाले लोगों ने उनके सामने इसका बयान किया कि दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति तथा सूअरों के साथ क्या-क्या हुआ है.
ⲓ̅ⲋ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲧⲁⲟⲩⲟ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲟ ⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲁⲩⲱ ⲉⲧⲃⲉⲛⲉϣⲁⲩ
17 इस पर वे मसीह येशु से विनती करने लगे कि वह उनके क्षेत्र से बाहर चले जाएं.
ⲓ̅ⲍ̅ⲁⲩⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ⲇⲉ ⲉⲧⲣⲉϥⲡⲱⲱⲛⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲩⲧⲟϣ
18 जब मसीह येशु नाव पर सवार हो रहे थे, दुष्टात्माओं से विमुक्त हुआ व्यक्ति मसीह येशु से विनती करने लगा कि उसे उनके साथ ले लिया जाए.
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲉϥⲛⲁⲧⲁⲗⲉ ⲉⲡϫⲟⲉⲓ ⲁϥⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲧⲟ ⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉⲧⲣⲉϥⲟⲩⲁϩϥ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ
19 मसीह येशु ने उसे इसकी अनुमति नहीं दी परंतु उसे आदेश दिया, “अपने परिजनों के पास लौट जाओ और उन्हें बताओ कि तुम्हारे लिए प्रभु ने कैसे-कैसे आश्चर्यकर्म किए हैं तथा तुम पर उनकी कैसी कृपादृष्टि हुई है.”
ⲓ̅ⲑ̅ⲁⲩⲱ ⲙⲡϥ̅ⲕⲁⲁϥ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲃⲱⲕ ⲉϩⲣⲁⲉⲓ ⲉⲡⲉⲕⲏⲉⲓ ϣⲁⲛⲉⲕⲣⲱⲙⲉ ⲛⲅ̅ⲧⲁⲟⲩⲟ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲁⲁⲩ ⲛⲁⲕ ⲉⲁϥⲛⲁ ⲛⲁⲕ
20 वह देकापोलिस नगर में गया और उन कामों का वर्णन करने लगा, जो मसीह येशु ने उसके लिए किए थे. यह सुन सभी चकित रह गए.
ⲕ̅ⲁϥⲃⲱⲕ ⲇⲉ ⲁϥⲁⲣⲭⲉⲥⲑⲁⲓ ⲛ̅ⲧⲁϣⲉⲟⲉⲓϣ ϩⲛ̅ⲧⲇⲉⲕⲁⲡⲟⲗⲓⲥ ⲛ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲓ̅ⲥ̅ ⲁⲁⲩ ⲛⲁϥ. ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲣ̅ϣⲡⲏⲣⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ
21 मसीह येशु दोबारा झील के दूसरे तट पर चले गए. एक बड़ी भीड़ उनके पास इकट्ठी हो गयी. मसीह येशु झील तट पर ही रहे.
ⲕ̅ⲁ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥϫⲓⲟⲟⲣ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡϫⲟⲉⲓ ⲛ̅ϭⲓⲓ̅ⲥ̅ ⲁϥⲉ͡ⲓ ⲉⲡⲉⲕⲣⲟ. ⲁⲩⲛⲟϭ ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲣⲟϥ. ⲛⲉϥϩⲁⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲇⲉ
22 स्थानीय यहूदी सभागृह का एक अधिकारी, जिसका नाम जाइरूस था, वहां आया. यह देख कि वह कौन हैं, वह उनके चरणों पर गिर पड़ा.
ⲕ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲁϥⲉ͡ⲓ ⲛ̅ϭⲓⲟⲩⲁ ⲛ̅ⲁⲣⲭⲓⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲟⲥ ⲉⲡⲉϥⲣⲁⲛ ⲡⲉ ⲓ̈ⲁⲉⲓⲣⲟⲥ. ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲁϥⲡⲁϩⲧϥ̅ ϩⲁⲣⲁⲧϥ̅
23 बड़ी ही विनती के साथ उसने मसीह येशु से कहा, “मेरी बेटी मरने पर है. कृपया चलिए और उस पर हाथ रख दीजिए कि वह स्वस्थ हो जाए और जीवित रहे.”
ⲕ̅ⲅ̅ⲁⲩⲱ ⲁϥⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ⲉⲙⲁⲧⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲧⲁϣⲉⲉⲣⲉ ⲙⲟⲕϩ̅ ⲛ̅ϣⲱⲛⲉ ϫⲉⲕⲁⲥ ϭⲉ ⲉⲕⲉⲉⲓ ⲛⲅ̅ⲕⲁⲧⲟⲟⲧⲕ̅ ϩⲓϫⲱⲥ ϫⲉ ⲉⲥⲉⲗⲟ ⲛⲥ̅ⲱⲛϩ
24 मसीह येशु उसके साथ चले गए. बड़ी भीड़ भी उनके पीछे-पीछे चल रही थी और लोग उन पर गिरे पड़ते थे.
ⲕ̅ⲇ̅ⲁϥⲃⲱⲕ ⲇⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲁⲩⲱ ⲁϥⲟⲩⲁϩϥ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲛ̅ϭⲓⲟⲩⲛⲟϭ ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲛⲉⲩⲑⲗⲓⲃⲉ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ.
25 एक स्त्री बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित थी.
ⲕ̅ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲥϩⲓⲙⲉ ⲉⲣⲉⲡⲉⲥⲛⲟϥ ϣⲟⲩⲟ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲉⲓⲥⲙⲛⲧⲥ̅ⲛⲟⲟⲩⲥ ⲣ̅ⲣⲟⲙⲡⲉ.
26 अनेक चिकित्सकों के हाथों से उसने अनेक पीड़ाएं सही थी. इसमें वह अपना सब कुछ व्यय कर चुकी थी, फिर भी इससे उसे लाभ के बदले हानि ही उठानी पड़ी थी.
ⲕ̅ⲋ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲥϣⲉⲡϩⲁϩ ⲛ̅ϩⲓⲥⲉ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧⲟⲩ ⲛ̅ϩⲁϩ ⲛ̅ⲥⲁⲉⲓⲛ ⲁⲩⲱ ⲁⲥϫⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲛⲉⲧⲉⲩⲛ̅ⲧⲁⲥⲥⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲙⲡⲥ̅ⲙ̅ⲧⲟⲛ ⲗⲁⲁⲩ. ⲁⲗⲗⲁ ⲛ̅ⲧⲁⲥⲉ͡ⲓ ⲛ̅ⲑⲟ.
27 मसीह येशु के विषय में सुनकर उसने भीड़ में पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ.
ⲕ̅ⲍ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲥⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲧⲃⲉⲓ̅ⲥ̅ ⲁⲥⲟϣⲥ ⲉϩⲟⲩⲛ ϩⲙ̅ⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲁⲥⲉ͡ⲓ ⲉⲡⲁϩⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲁⲥϫⲱϩ ⲉⲧⲉϥϣⲧⲏⲛ
28 उसका यह विश्वास था: “यदि मैं उनके वस्त्र को भी छू लूं, तो मैं स्वस्थ हो जाऊंगी.”
ⲕ̅ⲏ̅ⲁⲥϫⲟⲟⲥ ⲅⲁⲣ ϫⲉ ⲉⲓ̈ϣⲁⲛϫⲱϩ ⲉⲛⲉϥϩⲟⲓ̈ⲧⲉ ϯⲛⲁⲗⲟ.
29 उसी क्षण उसका रक्तस्राव थम गया. स्वयं उसे अपने शरीर में यह मालूम हो गया कि वह अपनी पीड़ा से ठीक हो चुकी है.
ⲕ̅ⲑ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲁⲥϭⲱ ⲛ̅ϭⲓⲧⲡⲏⲅⲏ ⲙ̅ⲡⲉⲥⲥⲛⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲁⲥⲉⲓⲙⲉ ϩⲙ̅ⲡⲉⲥⲥⲱⲙⲁ ϫⲉ ⲁⲥⲗⲟ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲙⲁⲥⲧⲓⲅⲝ ⲉⲧⲛⲙ̅ⲙⲁⲥ
30 उसी क्षण मसीह येशु को भी यह आभास हुआ कि उनमें से सामर्थ्य निकली है. भीड़ में ही उन्होंने मुड़कर प्रश्न किया, “कौन है वह, जिसने मेरे वस्त्र को छुआ है?”
ⲗ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲉ͡ⲓⲙⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ϩⲣⲁⲓ̈ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ⲉⲧϭⲟⲙ ⲉⲛⲧⲁⲥⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲁϥⲕⲧⲟϥ ϩⲙⲡ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲡⲉ ⲛⲧⲁϥϫⲱϩ ⲉⲛⲁϩⲟⲓ̈ⲧⲉ
31 शिष्यों ने उनसे कहा, “आप तो देख ही रहे हैं कि किस प्रकार भीड़ आप पर गिरी पड़ रही है, और आप प्रश्न कर रहे हैं, ‘कौन है वह, जिसने मेरे वस्त्र को छुआ है!’”
ⲗ̅ⲁ̅ⲡⲉϫⲉⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲕⲛⲁⲩ ⲉⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲧⲑⲗⲓⲃⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲕ ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ̈ ⲕϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲡⲉ ⲛ̅ⲧⲁϥϫⲱϩ ⲉⲣⲟⲉⲓ.
32 प्रभु की दृष्टि उसे खोजने लगी, जिसने यह किया था.
ⲗ̅ⲃ̅ⲁϥⲕⲧⲉⲓ̈ⲁⲧϥ̅ ⲇⲉ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲧⲉⲛⲧⲁⲥⲣ̅ⲡⲁⲓ̈
33 वह स्त्री यह जानते हुए कि उसके साथ क्या हुआ है, भय से कांपती हुई उनके चरणों पर आ गिरी और उन पर सारी सच्चाई प्रकट कर दी.
ⲗ̅ⲅ̅ⲧⲉⲥϩⲓⲙⲉ ⲇⲉ ⲁⲥⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲥⲥⲧⲱⲧ ⲉⲥⲥⲟⲟⲩⲛ ⲙ̅ⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲁⲥⲉⲓ ⲁⲥⲡⲁϩⲧⲥ̅ ϩⲁⲣⲁⲧϥ̅ ⲁⲥⲧⲁⲟⲩⲟ ⲉⲣⲟϥ ⲛ̅ⲧⲙⲉ ⲧⲏⲣⲥ̅
34 मसीह येशु ने उस स्त्री से कहा, “पुत्री, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है. शांति में विदा हो जाओ और स्वस्थ रहो.”
ⲗ̅ⲇ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲥ ϫⲉ ⲧⲁϣⲉⲉⲣⲉ ⲧⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲥⲛⲁϩⲙⲉ ⲃⲱⲕ ϩⲛ̅ⲟⲩⲉⲓⲣⲏⲛⲏ. ⲛ̅ⲧⲉⲗⲟ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲟⲩⲙⲁⲥⲧⲓⲅⲝ.
35 जब मसीह येशु यह कह ही रहे थे, याइरॉस के घर से आए कुछ लोगों ने यह सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है. अब गुरुवर को कष्ट देने का क्या लाभ?”
ⲗ̅ⲉ̅ⲉⲧⲓ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲉϥϣⲁϫⲉ. ⲁⲩⲉⲓ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲙ̅ⲡⲁⲣⲭⲓⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲟⲥ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲧⲉⲕϣⲉⲉⲣⲉ ⲁⲥⲙⲟⲩ ⲉⲕⲛⲁϯϩⲟⲓ̈ ϭⲉ ⲙ̅ⲡⲥⲁϩ ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ
36 मसीह येशु ने यह सुन उस यहूदी सभागृह अधिकारी से कहा, “भयभीत न हो—केवल विश्वास करो.”
ⲗ̅ⲋ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲡⲉϫⲁϥ ⲙ̅ⲡⲁⲣⲭⲓⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲟⲥ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲧⲉ
37 उन्होंने पेतरॉस, याकोब तथा याकोब के भाई योहन के अतिरिक्त अन्य किसी को भी अपने साथ आने की अनुमति न दी,
ⲗ̅ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲙ̅ⲡϥ̅ⲕⲁⲗⲁⲁⲩ ⲉⲟⲩⲁϩϥ ⲛ̅ⲥⲱϥ. ⲛ̅ⲥⲁⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲛⲙ̅ⲓ̈ⲁⲕⲱⲃⲟⲥ ⲛⲙ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲡⲥⲟⲛ ⲛ̅ⲓ̈ⲁⲕⲱⲃⲟⲥ
38 और ये सब यहूदी सभागृह अधिकारी के घर पर पहुंचे. मसीह येशु ने देखा कि वहां शोर मचा हुआ है तथा लोग ऊंची आवाज में रो-पीट रहे हैं.
ⲗ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲉ͡ⲓ ⲉϩⲣⲁⲓ̅ ⲉⲡⲏⲉⲓ ⲙ̅ⲡⲁⲣⲭⲓⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲟⲥ ⲁϥⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲉⲩϣⲧⲣ̅ⲧⲱⲣ ⲁⲩⲱ ⲉⲩⲣⲓⲙⲉ ⲉⲩⲟⲩⲛⲣⲟ ⲉⲙⲁⲧⲉ.
39 घर में प्रवेश कर मसीह येशु ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “यह शोर और रोना-पीटना क्यों! बच्ची की मृत्यु नहीं हुई है—वह केवल सो रही है.”
ⲗ̅ⲑ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲃⲱⲕ ⲇⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲁϩⲣⲱⲧⲛ̅ ⲧⲉⲧⲛ̅ϣⲧⲣ̅ⲧⲱⲣ. ⲁⲩⲱ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲣⲓⲙⲉ ⲉⲧϣⲉⲉⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲙ̅ⲡⲥ̅ⲙⲟⲩ ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲥⲛ̅ⲕⲟⲧⲕ̅
40 यह सुन वे मसीह येशु का ठट्ठा करने लगे. किंतु मसीह येशु ने उन सभी को वहां से बाहर निकाल बच्ची के माता-पिता तथा अपने साथियों को साथ ले उस कक्ष में प्रवेश किया, जहां वह बालिका थी.
ⲙ̅ⲁⲩⲥⲱⲃⲉ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲛⲟϫⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲁϥϫⲓⲡⲓⲱⲧ ⲛ̅ⲧϣⲉⲉⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲛⲙ̅ⲧⲉⲥⲙⲁⲁⲩ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲧⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲁϥⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲙⲁ ⲉⲧⲉⲣⲉⲧϣⲉⲉⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅.
41 वहां उन्होंने बालिका का हाथ पकड़कर उससे कहा, “तालीथा कोऊम” (अर्थात् बेटी, उठो!)
ⲙ̅ⲁ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲁⲙⲁϩⲧⲉ ⲛⲧ̅ϭⲓϫ ⲛ̅ⲧϣⲉⲉⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲥ ϫⲉ ⲧⲁⲗⲉⲓⲑⲁ ⲕⲟⲩⲙ. ⲉⲧⲉⲡⲁⲓ̈ ⲡⲉ ϣⲁⲩⲟⲩⲁϩⲙⲉϥ ϫⲉ ⲧϣⲉⲉⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲉⲉⲓϫⲉⲣⲟ ⲧⲱⲟⲩⲛⲉ
42 उसी क्षण वह उठ खड़ी हुई और चलने फिरने लगी. इस पर वे सभी चकित रह गए. बालिका बारह वर्ष की थी.
ⲙ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲁⲥⲧⲱⲟⲩⲛⲥ̅ ⲛ̅ϭⲓⲧϣⲉⲉⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲁⲥⲙⲟⲟϣⲉ ⲛⲉⲥϩⲙ̅ⲙⲛⲧ̅ⲥⲛⲟⲟⲩⲥ ⲅⲁⲣ ⲣ̅ⲣⲟⲙⲡⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲣ̅ϣⲡⲏⲣⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ϣⲡⲏⲣⲉ
43 मसीह येशु ने उन्हें स्पष्ट आदेश दिए कि इस घटना के विषय में कोई भी जानने न पाए और फिर उनसे कहा कि उस बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए.
ⲙ̅ⲅ̅ⲁϥϩⲱⲛ ⲇⲉ ⲉⲧⲟⲟⲧⲟⲩ ⲉⲙⲁⲧⲉ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲛⲛⲉⲗⲁⲁⲩ ⲉⲓⲙⲉ ⲉⲡⲁⲓ̈ ⲁⲩⲱ ⲁϥⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲉⲧⲣⲉⲩⲧⲙ̅ⲙⲟⲥ·

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