< मरकुस 4 >

1 एक बार फिर मसीह येशु ने झील तट पर शिक्षा देना प्रारंभ किया. ऐसी बड़ी भीड़ उनके आस-पास इकट्ठी हो गयी कि उन्हें झील तट पर लगी एक नाव में जाकर बैठना पड़ा और भीड़ झील तट पर खड़ी रही.
ⲁ̅ⲁϥⲁⲣⲭⲉⲥⲑⲁⲓ ⲟⲛ ⲉϯⲥⲃⲱ ϩⲁⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ. ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲛⲟϭ ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲣⲟϥ ϩⲱⲥⲧⲉ ⲉⲧⲣⲉϥⲁⲗⲉ ⲉⲡϫⲟⲉ͡ⲓ ⲛϥ̅ϩⲙⲟⲟⲥ ϩⲛ̅ⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ. ⲁⲩⲱ ⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲛⲉϥⲁϩⲉⲣⲁⲧϥ̅ ϩⲓⲡⲉⲕⲣⲟ ⲛ̅ⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ
2 वह अनेक विषयों को दृष्टान्तों के माध्यम से स्पष्ट करने लगे. शिक्षा देते हुए उन्होंने कहा,
ⲃ̅ⲁϥϯⲥⲃⲱ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲙⲁⲧⲉ ϩⲛ̅ϩⲉⲛⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲩ ϩⲛ̅ⲧⲉϥⲥⲃⲱ
3 “सुनो! एक किसान बीज बोने के लिए निकला.
ⲅ̅ϫⲉ ⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲁϥⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲧϫⲟ ⲉⲧϫⲟ.
4 बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, जिन्हें पक्षियों ने आकर चुग लिया.
ⲇ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥϫⲟ, ⲟⲩⲁ ⲙⲉⲛ ⲁϥϩⲉ ϩⲁⲧⲉⲧⲉϩⲓⲏ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲉ͡ⲓ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ϩⲁⲗⲁⲧⲉ ⲁⲩⲟⲙⲟⲩ
5 कुछ अन्य बीज पथरीली भूमि पर भी जा गिरे, जहां पर्याप्‍त मिट्टी नहीं थी. पर्याप्‍त मिट्टी न होने के कारण वे जल्दी ही अंकुरित भी हो गए
ⲉ̅ⲕⲉⲩⲁ ⲇⲉ ⲁϥϩⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲛ̅ⲧⲡⲉⲧⲣⲁ ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲉⲙ̅ⲙⲛ̅ϩⲁϩ ⲛ̅ⲕⲁϩ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲁⲩϯⲟⲩⲱ ⲉϩⲣⲁⲉⲓ ⲉⲧⲃⲉϫⲉⲙⲛ̅ϩⲁϩ ⲛ̅ⲕⲁϩ ϩⲁⲣⲟⲟⲩ
6 किंतु जब सूर्योदय हुआ, वे झुलस गए और इसलिये कि उन्होंने जड़ें ही नहीं पकड़ी थी, वे मुरझा गए.
ⲋ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲡⲣⲏ ϣⲁ ⲁⲩϩⲱϭⲃ ⲁⲩⲱ ⲉⲧⲃⲉϫⲉⲙ̅ⲡⲟⲩϫⲉⲛⲟⲩⲛⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲩϣⲟⲟⲩⲉ
7 कुछ अन्य बीज कंटीली झाड़ियों में गिरे और कंटीली झाड़ियों ने उन्हें दबा दिया और उनसे कोई फल उत्पन्‍न न हुआ.
ⲍ̅ⲕⲉⲩⲁ ⲁϥϩⲉ ⲉϩⲣⲁⲉⲓ ⲉϫⲛ̅ⲛ̅ϣⲟⲛⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲉⲓ ⲉϩⲣⲁⲉⲓ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ϣⲟⲛⲧⲉ ⲁⲩⲟϭⲧⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲙ̅ⲡⲟⲩϯⲕⲁⲣⲡⲟⲥ
8 कुछ अन्य बीज अच्छी भूमि पर जा गिरे, अंकुरित हो बड़े हुए तथा उनमें तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा फसल हुई.”
ⲏ̅ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲁⲩϩⲉ ⲉϫⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲉ͡ⲓ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲁⲩⲁⲩⲝⲁⲛⲉ ⲁⲩϯⲕⲁⲣⲡⲟⲥ ⲉⲙⲁⲁⲃ ⲁⲩⲱ ⲉⲥⲉ ⲁⲩⲱ ⲉϣⲉ.
9 मसीह येशु ने आगे कहा, “जिस किसी के सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
ⲑ̅ⲛⲉϥϫⲱ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲡⲉⲧⲉⲩⲛ̅ⲧϥ̅ⲙⲁⲁϫⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲥⲱⲧⲙ̅ ⲙⲁⲣⲉϥⲥⲱⲧⲙ̅.
10 जैसे ही शिष्यों और अन्य साथियों ने मसीह येशु को अकेला पाया, उन्होंने मसीह येशु से दृष्टान्तों के विषय में पूछा.
ⲓ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲕⲁⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲇⲉ ⲁⲩϫⲛⲟⲩϥ ⲛ̅ϭⲓⲛⲉⲧⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲛⲙ̅ⲡⲙⲛ̅ⲧⲥⲛⲟⲟⲩⲥ ⲉⲛⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ
11 मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद सौंपा गया है किंतु अन्यों को सब कुछ दृष्टान्तों के माध्यम से समझाया जाता है
ⲓ̅ⲁ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ. ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ⲛ̅ⲧⲁⲩϯ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲙ̅ⲡⲙⲩⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ ⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲏ ⲇⲉ ⲉⲧϩⲓⲃⲟⲗ ⲉⲩⲛⲁϫⲓϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ⲉⲣⲟⲟⲩ ϩⲛ̅ϩⲉⲛⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ
12 क्योंकि, “वे देखते तो हैं किंतु उन्हें कुछ दिखता नहीं, वे सुनते तो हैं किंतु कुछ समझ नहीं पाते ऐसा न हो वे मेरे पास लौट आते और क्षमा प्राप्‍त कर लेते!”
ⲓ̅ⲃ̅ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲩⲛⲁⲩ ⲉⲩⲉⲛⲁⲩ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲥⲉⲧⲙ̅ⲛⲁⲩ ⲁⲩⲱ ⲉⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲩⲉⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲥⲉⲧⲙ̅ⲛⲟⲉⲓ. ⲙⲏⲡⲱⲥ ⲛ̅ⲥⲉⲕⲟⲧⲟⲩ ⲛ̅ⲥⲉⲕⲱ ⲛⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ.
13 तब मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यह दृष्टांत तुम्हारी समझ में नहीं आया? तब तुम अन्य सब दृष्टान्तों का अर्थ कैसे समझोगे?
ⲓ̅ⲅ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ. ⲁⲩⲱ ⲡⲱⲥ ⲛ̅ⲕⲉⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲧⲉⲧⲛⲁⲥⲟⲩⲱⲛⲟⲩ
14 बीज बोनेवाला वचन बोता है.
ⲓ̅ⲇ̅ⲡⲉⲧϫⲟ ⲉϥϫⲟ ⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ.
15 मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जिनमें सुसमाचार बोया तो जाता है किंतु जैसे ही वे उसे सुनते हैं शैतान आकर उस बोये हुए सुसमाचार को उठा ले जाता है.
ⲓ̅ⲉ̅ⲛⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲛⲉ ⲉⲧϩⲁⲧⲉⲧⲉϩⲓⲏ ⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲉϣⲁⲩϫⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅. ⲁⲩⲱ ⲉϣⲁⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ϣⲁϥⲉ͡ⲓ ⲛ̅ϭⲓⲡⲥⲁⲧⲁⲛⲁⲥ ⲛϥ̅ϥⲓⲡϣⲁϫⲉ ⲉⲛⲧⲁⲩϫⲟϥ ⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ
16 इसी प्रकार पथरीली भूमि वे लोग हैं, जिनमें सुसमाचार बोया जाता है और वे इसे तुरंत खुशी से अपना लेते हैं.
ⲓ̅ⲋ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲁⲓ̈ ϩⲱⲟⲩ ⲛⲉⲛⲧⲁⲩϫⲟⲟⲩ ϩⲓϫⲛ̅ⲙ̅ⲙⲁ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲣⲁ ⲉϣⲁⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ϣⲁⲩϫⲓⲧϥ̅ ϩⲛ̅ⲟⲩⲣⲁϣⲉ
17 उनमें स्थायी जड़ें तो होती नहीं इसलिये जब सुसमाचार के कारण उन पर कष्ट और अत्याचारों का प्रहार होता है, वे शीघ्र ही पीछे हट जाते हैं.
ⲓ̅ⲍ̅ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲛⲟⲩⲛⲉ ⲇⲉ ϩⲣⲁⲓ̈ ⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ ⲁⲗⲗⲁ ϩⲛ̅ⲡⲣⲟⲥⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲛⲉ ⲉⲣϣⲁⲛⲟⲩⲑⲗⲓⲯⲓⲥ ⲇⲉ ϣⲱⲡⲉ ⲏ̑ ⲟⲩⲇⲓⲱⲅⲙⲟⲥ ⲉⲧⲃⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ϣⲁⲩⲥⲕⲁⲛⲇⲁⲗⲓⲍⲉ.
18 अन्य लोग उस भूमि के समान हैं, जहां सुसमाचार कांटों के बीच बोया जाता है. वे सुसमाचार को सुनते हैं,
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲛⲉⲛⲧⲁⲩϫⲟⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲛϣⲟⲛⲧⲉ ⲉⲧⲉⲛⲁⲓ̈ ⲛⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲡϣⲁϫⲉ
19 संसार की चिंताएं, धन-संपत्ति का छलावा तथा अन्य वस्तुओं की लालसाओं का प्रवेश उस सुसमाचार को दबा देता है, जिससे उसका फलदाई होना असंभव हो जाता है. (aiōn g165)
ⲓ̅ⲑ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲣⲟⲟⲩϣ ⲙ̅ⲡⲁⲓⲱⲛ ⲛⲙ̅ⲧⲁⲡⲁⲧⲏ ⲛ̅ⲧⲙⲛⲧ̅ⲣⲙ̅ⲙⲁⲟ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲕⲉⲉⲡⲓⲑⲩⲙⲓⲁ ⲉⲧⲃⲏⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲥⲉⲱϭⲧ ⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ ⲁⲩⲱ ⲛϥ̅ϯⲕⲁⲣⲡⲟⲥ ⲁⲛ ⲉⲃⲟⲗ (aiōn g165)
20 अन्य लोग उस बीज के समान हैं, जो उत्तम भूमि में बोया जाता है जो संदेश को सुनता हैं, उसे ग्रहण करते हैं तथा फल लाता है—बोया गया बीज के तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा.”
ⲕ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲏ ⲛⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲩϫⲟⲟⲩ ⲉϫⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲉⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲥⲉϣⲱⲡ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲥⲉⲧⲁⲩⲉⲕⲁⲣⲡⲟⲥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲙⲁⲁⲃ ⲁⲩⲱ ϩⲛ̅ⲥⲉ ⲁⲩⲱ ϩⲛ̅ϣⲉ.
21 मसीह येशु ने आगे कहा, “दीपक को इसलिये नहीं जलाया जाता कि उसे टोकरी या चारपाई के नीचे रख दिया जाए. क्या उसे दीवट पर नहीं रखा जाता?
ⲕ̅ⲁ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲙⲏ ⲉⲣⲉⲡϩⲏⲃⲥ̅ ⲛⲁⲉⲓ ϫⲉ ⲉⲩⲉⲕⲁⲁϥ ϩⲁⲟⲩϣⲓ. ⲏ̑ ϩⲁⲟⲩϭⲗⲟϭ ⲙⲏ ⲛⲉⲩⲛⲁⲕⲁⲁϥ ⲁⲛ ϩⲓϫⲛ̅ⲧⲗⲩⲭⲛⲓⲁ.
22 ऐसा कुछ भी नहीं, जो छुपा है और खोला न जाएगा और न कुछ गुप्‍त है, जो प्रकाश में न लाया जाएगा.
ⲕ̅ⲃ̅ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲡⲉⲧϩⲟⲃⲥ̅ ⲅⲁⲣ ⲉⲛⲥⲉⲛⲁϭⲟⲗⲡϥ̅ ⲁⲛ ⲉⲃⲟⲗ. ⲟⲩⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲡⲉⲧϩⲏⲡ ⲉⲛϥ̅ⲛⲁⲟⲩⲱⲛϩ ⲁⲛ ⲉⲃⲟⲗ.
23 जिस किसी के सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
ⲕ̅ⲅ̅ⲡⲉⲧⲉⲩⲛ̅ⲧϥ̅ⲙⲁⲁϫⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲥⲱⲧⲙ̅ ⲙⲁⲣⲉϥⲥⲱⲧⲙ̅
24 इसके बाद मसीह येशु ने कहा, “इसका विशेष ध्यान रखो कि तुम क्या सुनते हो. तुम्हारा नापना उसी नाप से किया जाएगा जिसका इस्तेमाल स्वयं तुम करते हो—तुम्हें ज़रूर इससे भी अधिक दिया जाएगा.
ⲕ̅ⲇ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ϯϩⲧⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲣⲟϥ. ϩⲙⲡ̅ϣⲓ ⲉⲧⲉⲧⲛⲁϣⲓ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲥⲉⲛⲁϣⲓ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅.
25 जिसके पास है उसे और भी अधिक दिया जाएगा; जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके पास है.”
ⲕ̅ⲉ̅ⲡⲉⲧⲉⲩⲛ̅ⲧⲁϥ ⲅⲁⲣ ⲥⲉⲛⲁϯ ⲛⲁϥ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲉⲙⲛ̅ⲧⲁϥ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲉⲩⲛ̅ⲧⲁϥⲥϥ̅ ⲥⲉⲛⲁϥⲓⲧϥ̅ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧϥ̅.
26 मसीह येशु ने आगे कहा, “परमेश्वर का राज्य उस व्यक्ति के समान है, जिसने भूमि पर बीज डाल दिया
ⲕ̅ⲋ̅ⲛⲉϥϫⲱ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲥⲟ ⲛ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲉϥϣⲁⲛⲛⲟⲩϫⲉ ⲙ̅ⲡⲉϥϭⲣⲟϭ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲡⲉϥⲕⲁϩ.
27 और रात में जाकर सो गया. प्रातः उठकर उसने देखा कि बीज अंकुरित होकर बड़ा हो रहा है. कैसी होती है यह प्रक्रिया, यह वह स्वयं नहीं जानता.
ⲕ̅ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲛϥ̅ⲛ̅ⲕⲟⲧⲕ̅ ⲛϥ̅ⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛ̅ⲧⲉⲩϣⲏ ⲛⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ϣⲁⲣⲉⲡⲉϭⲣⲟϭ ϯⲟⲩⲱ ⲛϥⲣ̅ⲛⲟϭ ⲉⲛϥ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ̅ ⲁⲛ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲛ̅ⲑⲉ
28 भूमि स्वयं उपज उत्पन्‍न करती है. सबसे पहले अंकुर उगता है, फिर बालें, उसके बाद बालों में दाना.
ⲕ̅ⲏ̅ⲡⲕⲁϩ ϣⲁϥϯⲟⲩⲱ ⲉϩⲣⲁⲉⲓ ⲙⲁⲩⲁⲁϥ ϣⲟⲣⲡ ⲙⲉⲛ ⲛ̅ⲟⲩⲭⲟⲣⲧⲟⲥ ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲟⲩϩⲙ̅ⲥ ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲥⲟⲩⲟ ⲉϥⲙⲉϩ ϩⲙⲡ̅ϩⲙ̅ⲥ
29 दाना पड़ने पर वह उसे बिना देरी किए हसिया से काट लेता है क्योंकि उपज तैयार है.”
ⲕ̅ⲑ̅ⲉⲣϣⲁⲛⲡⲕⲁⲣⲡⲟⲥ ⲇⲉ ⲡⲱϩ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ϣⲁϥⲛ̅ⲡⲟϩⲥ ϫⲉ ⲁⲡⲧⲉ ⲙ̅ⲡⲱϩⲥ̅ ϣⲱⲡⲉ
30 तब मसीह येशु ने आगे कहा, “परमेश्वर के राज्य की तुलना किससे की जा सकती है? किस दृष्टांत के द्वारा इसे स्पष्ट किया जा सकता है?
ⲗ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲓ̈ⲛⲁⲧⲛ̅ⲧⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲟⲩ. ⲏ ⲉⲛⲛⲁⲕⲁⲁⲥ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲛ̅ⲁϣ ⲙ̅ⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ
31 यह राई के बीज के समान है. जब यह भूमि में बोया जाता है, यह बोये गए अन्य सभी बीजों की तुलना में छोटा होता है
ⲗ̅ⲁ̅ⲉⲛⲛⲁⲕⲁⲁⲥ ⲛ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲃⲗ̅ⲃⲓⲗⲉ ⲛ̅ϣⲗ̅ⲧⲙ̅ ⲉⲩϣⲁⲛϫⲟⲥ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲡⲕⲁϩ ⲉⲥⲥⲟⲃⲕ̅ ⲙⲉⲛ ⲉⲛⲉϭⲣⲱϭ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲧϩⲓϫⲙⲡ̅ⲕⲁϩ
32 फिर भी बोये जाने पर यह बड़ा होना शुरू कर देता है तथा खेत के सभी पौधों से अधिक बड़ा हो जाता है—इतना कि आकाश के पक्षी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं.”
ⲗ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲉⲩϣⲁⲛϫⲟⲥ ϣⲁⲥⲉ͡ⲓ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲛⲥ̅ϫⲓⲥⲉ ⲉⲛⲟⲩⲟⲟⲧⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛⲥⲧⲁⲩⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲉⲛⲛⲟϭ ⲛ̅ⲕⲗⲁⲇⲟⲥ ϩⲱⲥⲧⲉ ⲛ̅ⲥⲉϣⲟⲩⲱϩ ϩⲁⲧⲉⲥϩⲁⲉⲓⲃⲉⲥ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ϩⲁⲗⲁⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲡⲉ
33 सुननेवालों की समझ के अनुसार मसीह येशु इसी प्रकार के दृष्टान्तों के द्वारा अपना सुसमाचार प्रस्तुत करते थे;
ⲗ̅ⲅ̅ⲁⲩⲱ ϩⲛ̅ⲛⲁⲓ̈ⲥⲙⲟⲧ ⲙ̅ⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛⲉϥϫⲱ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉⲧⲟⲩⲛⲁϣⲥⲱⲧⲙ̅
34 बिना दृष्टांत के वह उनसे कुछ भी नहीं कहते थे, और वह अपने शिष्यों के लिए इनका अर्थ तभी बताया करते थे, जब शिष्य उनके साथ अकेले होते थे.
ⲗ̅ⲇ̅ⲁϫⲛ̅ⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ ⲇⲉ ⲙⲉϥϣⲁϫⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ⲥⲁⲩⲥⲁ ⲇⲉ ϣⲁϥⲃⲟⲗⲟⲩ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ.
35 उसी दिन शाम के समय में मसीह येशु ने शिष्यों से कहा, “चलो, उस पार चलें.”
ⲗ̅ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϩⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲣⲟⲩϩⲉ ϣⲱⲡⲉ ϫⲉ ⲙⲁⲣⲟⲛ ⲉⲡⲓⲕⲣⲟ
36 भीड़ को वहीं छोड़, उन्होंने मसीह येशु को, वह जैसे थे वैसे ही, अपने साथ नाव में ले तुरंत चल दिए. कुछ अन्य नावें भी उनके साथ हो लीं.
ⲗ̅ⲋ̅ⲁⲩⲕⲁⲡⲙⲏⲏϣⲉ ϭⲉ ⲁⲩⲧⲁⲗⲟϥ ⲉⲡϫⲟⲉⲓ ⲛ̅ⲑⲉ ⲉⲧϥ̅ⲛ̅ϩⲏⲧⲥ̅ ⲁϩⲉⲛⲕⲉⲉϫⲏⲩ ⲥϭⲏⲣ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ.
37 उसी समय हवा बहुत तेजी से चलने लगी. तेज लहरों के थपेड़ों के कारण नाव में पानी भरने लगा.
ⲗ̅ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ϩⲁⲧⲏⲩ ϣⲱⲡⲉ ⲁⲛ̅ϩⲟⲉⲓⲙ ϥⲱϭⲉ ⲉⲡϫⲟⲉⲓ ϩⲱⲥⲧⲉ ⲉⲟⲙⲥϥ̅.
38 मसीह येशु नाव के पिछले भाग में तकिया लगाए हुए सो रहे थे. उन्हें जगाते हुए शिष्य बोले, “गुरुवर! आपको हमारी चिंता ही नहीं कि हम नाश हुए जा रहे हैं!”
ⲗ̅ⲏ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲛⲉϥϩⲓⲡⲁϩⲟⲩ ⲙ̅ⲡϫⲟⲉⲓ ⲉϥⲛ̅ⲕⲟⲧⲕ ϩⲓϫⲛ̅ⲟⲩϣⲟⲧ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲛⲉϩⲥⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁϥ. ϫⲉ ⲡⲥⲁϩ ⲛⲅ̅ⲟ ⲁⲛ ⲡⲉ ⲣ̅ⲣⲟⲟⲩϣ ϫⲉ ⲧⲛ̅ⲛⲁⲙⲟⲩ
39 मसीह येशु जाग गए. उन्होंने बवंडर को डांटा तथा लहरों को आज्ञा दी, “शांत हो जाओ! स्थिर हो जाओ!” बवंडर शांत हो गया तथा पूरी शांति छा गई.
ⲗ̅ⲑ̅ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛϥ ⲇⲉ ⲁϥⲉⲡⲓⲧⲓⲙⲁ ⲙ̅ⲡⲧⲏⲩ ⲁⲩⲱ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛ̅ⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ϫⲉ ⲕⲁⲣⲱ ⲛ̅ⲧⲉϣⲧⲙ̅ⲣⲱ ⲁⲩⲱ ⲁⲡⲧⲏⲩ ϩⲣⲏϭ ⲁⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ϫⲁⲙⲏ ϣⲱⲡⲉ.
40 मसीह येशु शिष्यों को देखकर बोले, “क्यों इतने भयभीत हो तुम? क्या कारण है कि तुममें अब तक विश्वास नहीं?”
ⲙ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲁϩⲣⲱⲧⲛ̅ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲟ ⲛ̅ϭⲁⲃϩⲏⲧ ⲙ̅ⲡⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲕⲁⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅.
41 शिष्य अत्यंत भयभीत थे. वे आपस में कहने लगे, “कौन है यह कि बवंडर और झील तक इनका आज्ञापालन करते हैं!”
ⲙ̅ⲁ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ϩⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ϩⲟⲧⲉ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲉⲣⲏⲩ ϫⲉ ⲟⲩⲁϣ ⲙ̅ⲙⲓⲛⲉ ⲡⲉ ⲡⲁⲓ̈ ϫⲉ ⲡⲕⲉⲧⲏⲩ ⲛⲙ̅ⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ.

< मरकुस 4 >