< मरकुस 14 >

1 फ़सह तथा खमीर रहित रोटी के उत्सव के लिए मात्र दो दिन रह गए थे. प्रधान पुरोहित तथा शास्त्री इस खोज में थे कि मसीह येशु को पकड़कर गुप्‍त रूप से उनकी हत्या कर दें,
tadā nistārotsavakiṇvahīnapūpotsavayorārambhasya dinadvaye 'vaśiṣṭe pradhānayājakā adhyāpakāśca kenāpi chalena yīśuṁ dharttāṁ hantuñca mṛgayāñcakrire;
2 क्योंकि उनका विचार था: “उत्सव के समय में नहीं, अन्यथा बलवा हो जाएगा.”
kintu lokānāṁ kalahabhayādūcire, nacotsavakāla ucitametaditi|
3 मसीह येशु बैथनियाह नगर आए. वहां वह पूर्व कोढ़ रोगी शिमओन नामक व्यक्ति के घर पर भोजन के लिए बैठे थे. एक स्त्री वहां संगमरमर के बर्तन में शुद्ध जटामांसी का अत्यंत कीमती इत्र ले आई. उसने उस बर्तन को तोड़ वह इत्र मसीह येशु के सिर पर उंडेल दिया.
anantaraṁ baithaniyāpure śimonakuṣṭhino gṛhe yośau bhotkumupaviṣṭe sati kācid yoṣit pāṇḍarapāṣāṇasya sampuṭakena mahārghyottamatailam ānīya sampuṭakaṁ bhaṁktvā tasyottamāṅge tailadhārāṁ pātayāñcakre|
4 उपस्थित अतिथियों में से कुछ क्रुद्ध होकर आपस में बड़बड़ाने लगे, “क्यों कर दिया इसने इस इत्र का फिज़ूल खर्च?
tasmāt kecit svānte kupyantaḥ kathitavaṁntaḥ kutoyaṁ tailāpavyayaḥ?
5 इसे तीन सौ दीनार से भी अधिक दाम पर बेचकर वह राशि निर्धनों में बांटी जा सकती थी.” वे उस स्त्री को इसके लिए डांटने लगे.
yadyetat taila vyakreṣyata tarhi mudrāpādaśatatrayādapyadhikaṁ tasya prāptamūlyaṁ daridralokebhyo dātumaśakṣyata, kathāmetāṁ kathayitvā tayā yoṣitā sākaṁ vācāyuhyan|
6 किंतु मसीह येशु ने उनसे कहा, “छोड़ दो उसे! क्यों सता रहे हो उसे? उसने मेरे लिए एक सराहनीय काम किया है.
kintu yīśuruvāca, kuta etasyai kṛcchraṁ dadāsi? mahyamiyaṁ karmmottamaṁ kṛtavatī|
7 जहां तक निर्धनों का प्रश्न है, वे तो तुम्हारे साथ हमेशा ही रहेंगे. तुम उनकी सहायता तो कभी भी कर सकते हो, किंतु मैं तुम्हारे साथ हमेशा नहीं रहूंगा.
daridrāḥ sarvvadā yuṣmābhiḥ saha tiṣṭhanti, tasmād yūyaṁ yadecchatha tadaiva tānupakarttāṁ śaknutha, kintvahaṁ yubhābhiḥ saha nirantaraṁ na tiṣṭhāmi|
8 जो उसके लिए संभव था, वह उसने किया है—उसने मेरी देह का अभिषेक मेरे अंतिम संस्कार के पहले ही कर दिया है.
asyā yathāsādhyaṁ tathaivākarodiyaṁ, śmaśānayāpanāt pūrvvaṁ sametya madvapuṣi tailam amarddayat|
9 सच तो यह है कि सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, इस स्त्री के इस कार्य का वर्णन भी इसकी याद में किया जाएगा.”
ahaṁ yuṣmabhyaṁ yathārthaṁ kathayāmi, jagatāṁ madhye yatra yatra susaṁvādoyaṁ pracārayiṣyate tatra tatra yoṣita etasyāḥ smaraṇārthaṁ tatkṛtakarmmaitat pracārayiṣyate|
10 तब कारियोतवासी यहूदाह ने, जो बारह शिष्यों में से एक था, मसीह येशु को पकड़वाने के उद्देश्य से प्रधान पुरोहितों से भेंट की.
tataḥ paraṁ dvādaśānāṁ śiṣyāṇāmeka īṣkariyotīyayihūdākhyo yīśuṁ parakareṣu samarpayituṁ pradhānayājakānāṁ samīpamiyāya|
11 इससे वे अत्यंत प्रसन्‍न हो गए और उसे धनराशि देने का वचन दिया. इसलिये यहूदाह एक अवसर के लिए देखता रहा कि वह किसी भी प्रकार सही अवसर पर मसीह येशु को पकड़वा दे.
te tasya vākyaṁ samākarṇya santuṣṭāḥ santastasmai mudrā dātuṁ pratyajānata; tasmāt sa taṁ teṣāṁ kareṣu samarpaṇāyopāyaṁ mṛgayāmāsa|
12 अखमीरी रोटी के उत्सव के पहले दिन, जो फ़सह बलि अर्पण की बेला होती थी, शिष्यों ने मसीह येशु से पूछा, “हम आपके लिए फ़सह कहां तैयार करें—आपकी इच्छा क्या है?”
anantaraṁ kiṇvaśūnyapūpotsavasya prathame'hani nistārotmavārthaṁ meṣamāraṇāsamaye śiṣyāstaṁ papracchaḥ kutra gatvā vayaṁ nistārotsavasya bhojyamāsādayiṣyāmaḥ? kimicchati bhavān?
13 इस पर मसीह येशु ने अपने दो शिष्यों को इस निर्देश के साथ भेजा, “नगर में जाओ. तुम्हें जल का मटका ले जाता हुआ एक व्यक्ति मिलेगा. उसके पीछे-पीछे जाना.
tadānīṁ sa teṣāṁ dvayaṁ prerayan babhāṣe yuvayoḥ puramadhyaṁ gatayoḥ sato ryo janaḥ sajalakumbhaṁ vahan yuvāṁ sākṣāt kariṣyati tasyaiva paścād yātaṁ;
14 वह जिस घर में प्रवेश करेगा, उसके घर के स्वामी से कहना, ‘गुरु ने पूछा है, “मेरा अतिथि कक्ष कहां है, जहां मैं अपने शिष्यों के साथ फ़सह खाऊं?”’
sa yat sadanaṁ pravekṣyati tadbhavanapatiṁ vadataṁ, gururāha yatra saśiṣyohaṁ nistārotsavīyaṁ bhojanaṁ kariṣyāmi, sā bhojanaśālā kutrāsti?
15 वह स्वयं तुम्हें एक विशाल, तैयार तथा सुसज्जित ऊपरी कक्ष दिखा देगा. हमारे लिए वहीं तैयारी करना.”
tataḥ sa pariṣkṛtāṁ susajjitāṁ bṛhatīcañca yāṁ śālāṁ darśayiṣyati tasyāmasmadarthaṁ bhojyadravyāṇyāsādayataṁ|
16 शिष्य चले गए. जब वे नगर पहुंचे, उन्होंने ठीक वैसा ही पाया जैसा प्रभु ने उनसे कहा था और वहां उन्होंने फ़सह तैयार किया.
tataḥ śiṣyau prasthāya puraṁ praviśya sa yathoktavān tathaiva prāpya nistārotsavasya bhojyadravyāṇi samāsādayetām|
17 संध्या होने पर मसीह येशु अपने बारहों शिष्यों के साथ वहां आए.
anantaraṁ yīśuḥ sāyaṁkāle dvādaśabhiḥ śiṣyaiḥ sārddhaṁ jagāma;
18 जब वह भोजन पर बैठे हुए थे मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक अटल सत्य प्रकट कर रहा हूं: तुममें से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मेरे साथ धोखा करेगा.”
sarvveṣu bhojanāya propaviṣṭeṣu sa tānuditavān yuṣmānahaṁ yathārthaṁ vyāharāmi, atra yuṣmākameko jano yo mayā saha bhuṁkte māṁ parakereṣu samarpayiṣyate|
19 अत्यंत दुःखी हो वे उनसे एक-एक कर यह पूछने लगे, “निःसंदेह वह मैं तो नहीं हूं?”
tadānīṁ te duḥkhitāḥ santa ekaikaśastaṁ praṣṭumārabdhavantaḥ sa kimahaṁ? paścād anya ekobhidadhe sa kimahaṁ?
20 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “है तो वह बारहों में से एक—वही, जो मेरे साथ कटोरे में रोटी डुबो रहा है.
tataḥ sa pratyavadad eteṣāṁ dvādaśānāṁ yo jano mayā samaṁ bhojanāpātre pāṇiṁ majjayiṣyati sa eva|
21 मनुष्य के पुत्र को तो, जैसा कि उसके विषय में पवित्र शास्त्र में लिखा है, जाना ही है; किंतु धिक्कार है उस व्यक्ति पर, जो मनुष्य के पुत्र के साथ धोखा करेगा. उस व्यक्ति के लिए अच्छा तो यही होता कि उसका जन्म ही न होता.”
manujatanayamadhi yādṛśaṁ likhitamāste tadanurūpā gatistasya bhaviṣyati, kintu yo jano mānavasutaṁ samarpayiṣyate hanta tasya janmābhāve sati bhadramabhaviṣyat|
22 भोजन के लिए बैठे हुए मसीह येशु ने रोटी लेकर उसके लिए आभार धन्यवाद करते हुए उसे तोड़ा और उनमें बांटते हुए कहा, “लो, यह मेरा शरीर है.”
aparañca teṣāṁ bhojanasamaye yīśuḥ pūpaṁ gṛhītveśvaraguṇān anukīrtya bhaṅktvā tebhyo dattvā babhāṣe, etad gṛhītvā bhuñjīdhvam etanmama vigraharūpaṁ|
23 इसके बाद मसीह येशु ने प्याला उठाया, उसके लिए धन्यवाद दिया, शिष्यों को दिया और सबने उसमें से पिया.
anantaraṁ sa kaṁsaṁ gṛhītveśvarasya guṇān kīrttayitvā tebhyo dadau, tataste sarvve papuḥ|
24 मसीह येशु ने उनसे कहा, “यह वायदे का मेरा लहू है, जो अनेकों के लिए उंडेला गया है.
aparaṁ sa tānavādīd bahūnāṁ nimittaṁ pātitaṁ mama navīnaniyamarūpaṁ śoṇitametat|
25 मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: जब तक परमेश्वर के राज्य में नया रस न पिऊं, दाख का रस तब तक मैं नहीं पिऊंगा.”
yuṣmānahaṁ yathārthaṁ vadāmi, īśvarasya rājye yāvat sadyojātaṁ drākṣārasaṁ na pāsyāmi, tāvadahaṁ drākṣāphalarasaṁ puna rna pāsyāmi|
26 एक भक्ति गीत गाने के बाद वे ज़ैतून पर्वत पर चले गए.
tadanantaraṁ te gītamekaṁ saṁgīya bahi rjaitunaṁ śikhariṇaṁ yayuḥ
27 उनसे मसीह येशु ने कहा, “तुम सभी मेरा साथ छोड़कर चले जाओगे. जैसा कि इस संबंध में पवित्र शास्त्र का लेख है: “मैं चरवाहे का संहार करूंगा और झुंड की सभी भेड़ें तितर-बितर हो जाएंगी.
atha yīśustānuvāca niśāyāmasyāṁ mayi yuṣmākaṁ sarvveṣāṁ pratyūho bhaviṣyati yato likhitamāste yathā, meṣāṇāṁ rakṣakañcāhaṁ prahariṣyāmi vai tataḥ| meṣāṇāṁ nivaho nūnaṁ pravikīrṇo bhaviṣyati|
28 हां, पुनर्जीवित किए जाने के बाद मैं तुमसे पहले गलील प्रदेश पहुंच जाऊंगा.”
kantu madutthāne jāte yuṣmākamagre'haṁ gālīlaṁ vrajiṣyāmi|
29 पेतरॉस ने कहा, “सभी आपका साथ छोड़कर जाएं तो जाएं, किंतु मैं आपको कभी न छोड़ूंगा.”
tadā pitaraḥ pratibabhāṣe, yadyapi sarvveṣāṁ pratyūho bhavati tathāpi mama naiva bhaviṣyati|
30 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक अटल सत्य प्रकट कर रहा हूं; आज रात में ही, इससे पहले कि मुरगा दो बार बांग दे, तुम मुझे तीन बार नकार चुके होंगे.”
tato yīśuruktāvān ahaṁ tubhyaṁ tathyaṁ kathayāmi, kṣaṇādāyāmadya kukkuṭasya dvitīyavāraravaṇāt pūrvvaṁ tvaṁ vāratrayaṁ māmapahnoṣyase|
31 किंतु पेतरॉस दृढतापूर्वक कहते रहे, “यदि मुझे आपके साथ मृत्यु को अपनाना भी पड़े तो भी मैं आपको नहीं नकारूंगा.” अन्य सभी शिष्यों ने भी यही दोहराया.
kintu sa gāḍhaṁ vyāharad yadyapi tvayā sārddhaṁ mama prāṇo yāti tathāpi kathamapi tvāṁ nāpahnoṣye; sarvve'pītare tathaiva babhāṣire|
32 वे गेतसेमनी नामक स्थान पर आए. मसीह येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जब तक मैं प्रार्थना कर रहा हूं, तुम यहीं ठहरो.”
aparañca teṣu getśimānīnāmakaṁ sthāna gateṣu sa śiṣyān jagāda, yāvadahaṁ prārthaye tāvadatra sthāne yūyaṁ samupaviśata|
33 उन्होंने अपने साथ पेतरॉस, याकोब तथा योहन को ले लिया. वह अत्यंत अधीर तथा व्याकुल हो रहे थे.
atha sa pitaraṁ yākūbaṁ yohanañca gṛhītvā vavrāja; atyantaṁ trāsito vyākulitaśca tebhyaḥ kathayāmāsa,
34 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मेरे प्राण इतने व्याकुल हैं मानो मेरी मृत्यु हो रही हो. तुम यहीं ठहरो और जागते रहो.”
nidhanakālavat prāṇo me'tīva daḥkhameti, yūyaṁ jāgratotra sthāne tiṣṭhata|
35 वह उनसे थोड़ी ही दूर गए और भूमि पर गिरकर यह प्रार्थना करने लगे कि यदि संभव हो तो यह क्षण टल जाए.
tataḥ sa kiñciddūraṁ gatvā bhūmāvadhomukhaḥ patitvā prārthitavānetat, yadi bhavituṁ śakyaṁ tarhi duḥkhasamayoyaṁ matto dūrībhavatu|
36 प्रार्थना में उन्होंने कहा, “अब्बा! पिता! आपके लिए तो सभी कुछ संभव है. मेरे सामने रखे इस प्याले को हटा दीजिए. फिर भी मेरी नहीं, आपकी इच्छा के अनुरूप हो.”
aparamuditavān he pita rhe pitaḥ sarvveṁ tvayā sādhyaṁ, tato hetorimaṁ kaṁsaṁ matto dūrīkuru, kintu tan mamecchāto na tavecchāto bhavatu|
37 जब मसीह येशु वहां लौटकर आए तो शिष्यों को सोता हुआ पाया. उन्होंने पेतरॉस से कहा, “शिमओन! सोए हुए हो! एक घंटा भी जागे न रह सके!
tataḥ paraṁ sa etya tān nidritān nirīkṣya pitaraṁ provāca, śimon tvaṁ kiṁ nidrāsi? ghaṭikāmekām api jāgarituṁ na śaknoṣi?
38 सजग रहो, प्रार्थना करते रहो, ऐसा न हो कि तुम परीक्षा में पड़ जाओ. हां, निःसंदेह आत्मा तो तैयार है किंतु शरीर दुर्बल.”
parīkṣāyāṁ yathā na patatha tadarthaṁ sacetanāḥ santaḥ prārthayadhvaṁ; mana udyuktamiti satyaṁ kintu vapuraśaktikaṁ|
39 तब उन्होंने दोबारा जाकर वही प्रार्थना की.
atha sa punarvrajitvā pūrvvavat prārthayāñcakre|
40 वह दोबारा लौटकर आए तो देखा कि शिष्य सोए हुए हैं—क्योंकि उनकी पलकें बोझिल थी. उन्हें यह भी नहीं सूझ रहा था कि प्रभु को क्या उत्तर दें.
parāvṛtyāgatya punarapi tān nidritān dadarśa tadā teṣāṁ locanāni nidrayā pūrṇāni, tasmāttasmai kā kathā kathayitavyā ta etad boddhuṁ na śekuḥ|
41 जब मसीह येशु तीसरी बार उनके पास आए तो उन्होंने उनसे कहा, “अभी भी सो रहे हो? सोते रहो और विश्राम करो! बहुत हो गया! वह क्षण आ गया है. देख लो कैसे मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथों में सौंपा जा रहा है!
tataḥparaṁ tṛtīyavāraṁ āgatya tebhyo 'kathayad idānīmapi śayitvā viśrāmyatha? yatheṣṭaṁ jātaṁ, samayaścopasthitaḥ paśyata mānavatanayaḥ pāpilokānāṁ pāṇiṣu samarpyate|
42 उठो! यहां से चलें. देखो, जो मुझे पकड़वाने पर है, वह आ गया!”
uttiṣṭhata, vayaṁ vrajāmo yo jano māṁ parapāṇiṣu samarpayiṣyate paśyata sa samīpamāyātaḥ|
43 जब मसीह येशु यह कह ही रहे थे, उसी क्षण यहूदाह, जो बारह शिष्यों में से एक था, आ पहुंचा. उसके साथ तलवार और लाठियां लिए हुए एक भीड़ भी थी. ये सब प्रधान पुरोहितों, शास्त्रियों तथा पुरनियों द्वारा भेजे गए थे.
imāṁ kathāṁ kathayati sa, etarhidvādaśānāmeko yihūdā nāmā śiṣyaḥ pradhānayājakānām upādhyāyānāṁ prācīnalokānāñca sannidheḥ khaṅgalaguḍadhāriṇo bahulokān gṛhītvā tasya samīpa upasthitavān|
44 पकड़वानेवाले ने उन्हें यह संकेत दिया था: “मैं जिसे चूमूं, वही होगा वह. उसे पकड़कर सिपाहियों की सुरक्षा में ले जाना.”
aparañcāsau parapāṇiṣu samarpayitā pūrvvamiti saṅketaṁ kṛtavān yamahaṁ cumbiṣyāmi sa evāsau tameva dhṛtvā sāvadhānaṁ nayata|
45 वहां पहुंचते ही यहूदाह सीधे मसीह येशु के पास गया और उनसे कहा, “रब्बी” और उन्हें चूम लिया.
ato hetoḥ sa āgatyaiva yośoḥ savidhaṁ gatvā he guro he guro, ityuktvā taṁ cucumba|
46 इस पर उन्होंने मसीह येशु को पकड़कर बांध लिया.
tadā te tadupari pāṇīnarpayitvā taṁ dadhnuḥ|
47 उनमें से, जो मसीह के साथ थे, एक ने तलवार खींची और महापुरोहित के दास पर प्रहार कर दिया जिससे उसका एक कान कट गया.
tatastasya pārśvasthānāṁ lokānāmekaḥ khaṅgaṁ niṣkoṣayan mahāyājakasya dāsamekaṁ prahṛtya tasya karṇaṁ ciccheda|
48 मसीह येशु ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे पकड़ने के लिए तुम तलवार और लाठियां लेकर आए हो मानो मैं कोई डाकू हूं!
paścād yīśustān vyājahāra khaṅgān laguḍāṁśca gṛhītvā māṁ kiṁ cauraṁ dharttāṁ samāyātāḥ?
49 मंदिर में शिक्षा देते हुए मैं प्रतिदिन तुम्हारे साथ ही होता था, तब तो तुमने मुझे नहीं पकड़ा किंतु अब जो कुछ घटित हो रहा है वह इसलिये कि पवित्र शास्त्र का लेख पूरा हो.”
madhyemandiraṁ samupadiśan pratyahaṁ yuṣmābhiḥ saha sthitavānatahaṁ, tasmin kāle yūyaṁ māṁ nādīdharata, kintvanena śāstrīyaṁ vacanaṁ sedhanīyaṁ|
50 सभी शिष्य मसीह येशु को छोड़ भाग चुके थे.
tadā sarvve śiṣyāstaṁ parityajya palāyāñcakrire|
51 एक युवक था, जो मसीह येशु के पीछे-पीछे आ रहा था. उसने अपने शरीर पर मात्र एक चादर लपेटी हुई थी. जब उन्होंने उसे पकड़ना चाहा,
athaiko yuvā mānavo nagnakāye vastramekaṁ nidhāya tasya paścād vrajan yuvalokai rdhṛto
52 वह अपनी उस चादर को छोड़ नंगा ही भाग निकला.
vastraṁ vihāya nagnaḥ palāyāñcakre|
53 वे मसीह येशु को महापुरोहित के सामने ले गए, वहां सभी प्रधान पुरोहित, वरिष्ठ नागरिक तथा शास्त्री इकट्ठा थे.
aparañca yasmin sthāne pradhānayājakā upādhyāyāḥ prācīnalokāśca mahāyājakena saha sadasi sthitāstasmin sthāne mahāyājakasya samīpaṁ yīśuṁ ninyuḥ|
54 पेतरॉस दूर ही दूर, उनके पीछे-पीछे आ रहे थे और वह महापुरोहित के आंगन में भी आ गए. वह अधिकारियों के साथ बैठ गए और उनके साथ आग तापने लगे.
pitaro dūre tatpaścād itvā mahāyājakasyāṭṭālikāṁ praviśya kiṅkaraiḥ sahopaviśya vahnitāpaṁ jagrāha|
55 मसीह येशु को मृत्यु दंड देने की इच्छा लिए हुए प्रधान पुरोहित तथा पूरी महासभा मसीह येशु के विरुद्ध गवाह खोजने का यत्न कर रही थी किंतु इसमें वे विफल ही रहे.
tadānīṁ pradhānayājakā mantriṇaśca yīśuṁ ghātayituṁ tatprātikūlyena sākṣiṇo mṛgayāñcakrire, kintu na prāptāḥ|
56 निःसंदेह उनके विरुद्ध अनेक झूठे गवाह उठ खड़े हुए थे, किंतु उनकी गवाही मेल न खायी.
anekaistadviruddhaṁ mṛṣāsākṣye dattepi teṣāṁ vākyāni na samagacchanta|
57 तब कुछ ने मसीह येशु के विरुद्ध यह झूठी गवाही दी:
sarvvaśeṣe kiyanta utthāya tasya prātikūlyena mṛṣāsākṣyaṁ dattvā kathayāmāsuḥ,
58 “हमने इसे कहते सुना है: ‘मैं मनुष्य के द्वारा बनाए गए इस मंदिर को ढाह दूंगा और तीन दिन में एक दूसरा बना दूंगा, जो हाथ से बना न होगा.’”
idaṁ karakṛtamandiraṁ vināśya dinatrayamadhye punaraparam akarakṛtaṁ mandiraṁ nirmmāsyāmi, iti vākyam asya mukhāt śrutamasmābhiriti|
59 इस आरोप में भी उनके गवाह में समानता न थी.
kintu tatrāpi teṣāṁ sākṣyakathā na saṅgātāḥ|
60 तब महापुरोहित उनके सामने खड़े हुए तथा मसीह येशु से पूछा, “क्या तुम्हें अपने बचाव में कुछ नहीं कहना है? ये सब तुम्हारे विरुद्ध क्या-क्या गवाही दे रहे हैं!”
atha mahāyājako madhyesabham utthāya yīśuṁ vyājahāra, ete janāstvayi yat sākṣyamaduḥ tvametasya kimapyuttaraṁ kiṁ na dāsyasi?
61 किंतु मसीह येशु ने कोई उत्तर न दिया. वह मौन ही बने रहे. तब महापुरोहित ने उन पर व्यंग्य करते हुए पूछा, “क्या तुम ही मसीह हो—परम प्रधान के पुत्र?”
kintu sa kimapyuttaraṁ na datvā maunībhūya tasyau; tato mahāyājakaḥ punarapi taṁ pṛṣṭāvān tvaṁ saccidānandasya tanayo 'bhiṣiktastratā?
62 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “जी हां, मैं हूं. आप मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान के दायें पक्ष में आसीन तथा आकाश के बादलों पर लौटता हुआ देखेंगे.”
tadā yīśustaṁ provāca bhavāmyaham yūyañca sarvvaśaktimato dakṣīṇapārśve samupaviśantaṁ megha māruhya samāyāntañca manuṣyaputraṁ sandrakṣyatha|
63 इस पर महापुरोहित ने अपने वस्त्र फाड़ते हुए कहा, “अब क्या ज़रूरत रह गई किसी अन्य गवाह की?
tadā mahāyājakaḥ svaṁ vamanaṁ chitvā vyāvaharat
64 तुम सभी ने परमेश्वर-निंदा सुन ली है. क्या विचार है तुम्हारा?” सबने एक मत से उन्हें मृत्यु दंड का भागी घोषित किया.
kimasmākaṁ sākṣibhiḥ prayojanam? īśvaranindāvākyaṁ yuṣmābhiraśrāvi kiṁ vicārayatha? tadānīṁ sarvve jagadurayaṁ nidhanadaṇḍamarhati|
65 कुछ ने उन पर थूकना प्रारंभ कर दिया. उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ उन्हें घूंसे मारते हुए कहने लगे, “कर भविष्यवाणी!” और प्रहरियों ने उनके मुख पर थप्पड़ भी मारे.
tataḥ kaścit kaścit tadvapuṣi niṣṭhīvaṁ nicikṣepa tathā tanmukhamācchādya capeṭena hatvā gaditavān gaṇayitvā vada, anucarāśca capeṭaistamājaghnuḥ
66 जब पेतरॉस नीचे आंगन में थे. महापुरोहित की एक सेविका वहां आई.
tataḥ paraṁ pitare'ṭṭālikādhaḥkoṣṭhe tiṣṭhati mahāyājakasyaikā dāsī sametya
67 उसे पेतरॉस वहां आग तापते हुए दिखे इसलिये वह उनकी ओर एकटक देखते हुए बोली, “तुम भी तो येशु नाज़री के साथ थे!”
taṁ vihnitāpaṁ gṛhlantaṁ vilokya taṁ sunirīkṣya babhāṣe tvamapi nāsaratīyayīśoḥ saṅginām eko jana āsīḥ|
68 पेतरॉस ने यह कहते हुए नकार दिया, “क्या कह रही हो! मैं इस विषय में कुछ नहीं जानता. मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है,” और वह द्वार की ओर चले गए.
kintu sopahnutya jagāda tamahaṁ na vadmi tvaṁ yat kathayami tadapyahaṁ na buddhye| tadānīṁ pitare catvaraṁ gatavati kukkuṭo rurāva|
69 एक बार फिर जब उस दासी ने उन्हें देखा तो आस-पास उपस्थित लोगों से दोबारा कहने लगी, “यह भी उन्हीं में से एक है!”
athānyā dāsī pitaraṁ dṛṣṭvā samīpasthān janān jagāda ayaṁ teṣāmeko janaḥ|
70 पेतरॉस ने दोबारा नकार दिया. कुछ समय बाद उनके पास खड़े लोग ही पेतरॉस से कहने लगे, “इसमें तो कोई संदेह ही नहीं है कि तुम उनमें से एक हो क्योंकि तुम भी गलीलवासी हो.”
tataḥ sa dvitīyavāram apahnutavān paścāt tatrasthā lokāḥ pitaraṁ procustvamavaśyaṁ teṣāmeko janaḥ yatastvaṁ gālīlīyo nara iti tavoccāraṇaṁ prakāśayati|
71 किंतु पेतरॉस धिक्कार कर शपथ खाते हुए कहने लगे, “तुम जिस व्यक्ति के विषय में कह रहे हो, उसे तो मैं जानता ही नहीं!”
tadā sa śapathābhiśāpau kṛtvā provāca yūyaṁ kathāṁ kathayatha taṁ naraṁ na jāne'haṁ|
72 उसी क्षण मुर्गे ने दूसरी बार बांग दी. पेतरॉस को मसीह येशु की वह पहले से कही हुए बात याद आई, “इसके पहले कि मुर्ग दो बार बांग दे, तुम तीन बार मुझे नकार चुके होंगे.” पेतरॉस फूट-फूटकर रोने लगे.
tadānīṁ dvitīyavāraṁ kukkuṭo 'rāvīt| kukkuṭasya dvitīyaravāt pūrvvaṁ tvaṁ māṁ vāratrayam apahnoṣyasi, iti yadvākyaṁ yīśunā samuditaṁ tat tadā saṁsmṛtya pitaro roditum ārabhata|

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