< मरकुस 14 >
1 फ़सह तथा खमीर रहित रोटी के उत्सव के लिए मात्र दो दिन रह गए थे. प्रधान पुरोहित तथा शास्त्री इस खोज में थे कि मसीह येशु को पकड़कर गुप्त रूप से उनकी हत्या कर दें,
मंग दोन दिन नंतर वल्हांडण अनी बेखमीर भाकरीसना सण व्हता. तवय येशुले गुपचुप कसं मारी टाकानं हाई मुख्य याजक अनी शास्त्री दखी राहींतात.
2 क्योंकि उनका विचार था: “उत्सव के समय में नहीं, अन्यथा बलवा हो जाएगा.”
“पण हाई सणना येळले करानं नही, करं तर कदाचित लोकसमा दंगा व्हई जाई” अस त्या बोलनात.
3 मसीह येशु बैथनियाह नगर आए. वहां वह पूर्व कोढ़ रोगी शिमओन नामक व्यक्ति के घर पर भोजन के लिए बैठे थे. एक स्त्री वहां संगमरमर के बर्तन में शुद्ध जटामांसी का अत्यंत कीमती इत्र ले आई. उसने उस बर्तन को तोड़ वह इत्र मसीह येशु के सिर पर उंडेल दिया.
येशु बेथानी गावले जो पहिले कोडरोगी व्हता त्या शिमोनना घर जेवाले बशेल व्हता तवय एक बाई जटामांसी वनस्पतीनं महागडं सुगंधी तेल संगमरवरना भांडामा लई वनी. तिनी ते भांडं फोडीन तेल त्याना डोकावर वती दिधं.
4 उपस्थित अतिथियों में से कुछ क्रुद्ध होकर आपस में बड़बड़ाने लगे, “क्यों कर दिया इसने इस इत्र का फिज़ूल खर्च?
तवय काहीजण कुरकुर करीसन बोलणात, “हाई सुगंधी तेलना नाश का बरं करा?
5 इसे तीन सौ दीनार से भी अधिक दाम पर बेचकर वह राशि निर्धनों में बांटी जा सकती थी.” वे उस स्त्री को इसके लिए डांटने लगे.
कारण हाई सुगंधी तेल एक वरीसनी मजुरी म्हणजे तिनशे चांदिना शिक्कासनावर ईकाई जातं, ते ईकीन त्या पैसा गरीबसमा वाटाई जातात!” अस त्यासनी तिले दताडं.
6 किंतु मसीह येशु ने उनसे कहा, “छोड़ दो उसे! क्यों सता रहे हो उसे? उसने मेरे लिए एक सराहनीय काम किया है.
पण येशु बोलना, “जाऊ द्या! तिले का बरं बोली राहीनात? तिनी मनाकरता एक चांगलं काम करेल शे.
7 जहां तक निर्धनों का प्रश्न है, वे तो तुम्हारे साथ हमेशा ही रहेंगे. तुम उनकी सहायता तो कभी भी कर सकते हो, किंतु मैं तुम्हारे साथ हमेशा नहीं रहूंगा.
गोरगरीब कायमना तुमना जोडेच शेतस अनी तुमले वाटी तवय त्यासनं भलं करता ई. पण मी कायम तुमनासंगे राहसु अस नही.
8 जो उसके लिए संभव था, वह उसने किया है—उसने मेरी देह का अभिषेक मेरे अंतिम संस्कार के पहले ही कर दिया है.
तिनाघाई जे करता ई ते तिनी करं; मना मरानंतरनी तयारी पहिलेच तिनी करी दिधी.
9 सच तो यह है कि सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, इस स्त्री के इस कार्य का वर्णन भी इसकी याद में किया जाएगा.”
मी तुमले सत्य सांगस की, सर्व जगमा जठे जठे सुवार्ता सांगतीन, तठे तठे तिनी जे सत्कर्म करेल शे त्यानी आठवण करतीन.”
10 तब कारियोतवासी यहूदाह ने, जो बारह शिष्यों में से एक था, मसीह येशु को पकड़वाने के उद्देश्य से प्रधान पुरोहितों से भेंट की.
मंग बारा शिष्यसमधला एक यहूदा इस्कर्योतनी मुख्य याजकसकडे जाईन येशुले सोपी दिसु, अस सांगं.
11 इससे वे अत्यंत प्रसन्न हो गए और उसे धनराशि देने का वचन दिया. इसलिये यहूदाह एक अवसर के लिए देखता रहा कि वह किसी भी प्रकार सही अवसर पर मसीह येशु को पकड़वा दे.
त्यानं ऐकीसन त्यासले आनंद व्हयना अनी त्यासनी त्याले पैसा देवानं ठरायं. मंग यहूदा येशुले कसं सोपी देवानं यानी संधी दखु लागना.
12 अखमीरी रोटी के उत्सव के पहले दिन, जो फ़सह बलि अर्पण की बेला होती थी, शिष्यों ने मसीह येशु से पूछा, “हम आपके लिए फ़सह कहां तैयार करें—आपकी इच्छा क्या है?”
बेखमीर भाकरना सणना पहिला दिन जवय वल्हांडणना यज्ञकरता कोकरूना बळी देतस, त्या दिन त्याना शिष्य येशुले बोलणात, “आम्हीन कोठे जाईसन वल्हांडणना जेवणनी तयारी करानी अशी तुमनी ईच्छा शे?”
13 इस पर मसीह येशु ने अपने दो शिष्यों को इस निर्देश के साथ भेजा, “नगर में जाओ. तुम्हें जल का मटका ले जाता हुआ एक व्यक्ति मिलेगा. उसके पीछे-पीछे जाना.
मंग येशुनी त्याना शिष्यसमाधला दोन जणसले धाडीन सांगं, “नगरमा जा म्हणजे एक माणुस पाणीनं मडकं लई जातांना तुमले भेटी त्यानामांगे जा.
14 वह जिस घर में प्रवेश करेगा, उसके घर के स्वामी से कहना, ‘गुरु ने पूछा है, “मेरा अतिथि कक्ष कहां है, जहां मैं अपने शिष्यों के साथ फ़सह खाऊं?”’
तो ज्या घरमा जाई, तठला घरमालकले सांगा; ‘गुरु सांगस, मी मना शिष्यससंगे वल्हांडणनं जेवण करसु तर पाहुणचार करानी खोली कोठे शे?’
15 वह स्वयं तुम्हें एक विशाल, तैयार तथा सुसज्जित ऊपरी कक्ष दिखा देगा. हमारे लिए वहीं तैयारी करना.”
मंग तो स्वतः सजाडेल अनी तयार करेल एक मोठी माडीवरली खोली तुमले दखाडी, तठे आपलाकरता तयारी करा.”
16 शिष्य चले गए. जब वे नगर पहुंचे, उन्होंने ठीक वैसा ही पाया जैसा प्रभु ने उनसे कहा था और वहां उन्होंने फ़सह तैयार किया.
मंग त्याना शिष्य शहरमा गयात तवय त्यानी सांगेलप्रमाणेच त्यासले दखायनं अनी त्यासनी वल्हांडणना जेवणनी तयारी करी.
17 संध्या होने पर मसीह येशु अपने बारहों शिष्यों के साथ वहां आए.
मंग संध्याकाय व्हयनी तवय येशु बारा शिष्यससंगे तठे वना.
18 जब वह भोजन पर बैठे हुए थे मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक अटल सत्य प्रकट कर रहा हूं: तुममें से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मेरे साथ धोखा करेगा.”
अनी त्या बशीन जेवण करी राहींतात तवय येशु बोलना, “मी तुमले सत्य सांगस की, तुमना मातीन एक माले शत्रुसना हातमा सोपी दि, तो आत्ते मनासंगे जेवण करी राहीना.”
19 अत्यंत दुःखी हो वे उनसे एक-एक कर यह पूछने लगे, “निःसंदेह वह मैं तो नहीं हूं?”
त्या नाराज व्हयनात अनी एक एकजण त्याले ईचारु लागणात, “मी शे का तो?”
20 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “है तो वह बारहों में से एक—वही, जो मेरे साथ कटोरे में रोटी डुबो रहा है.
येशुनी उत्तर दिधं, “बारा जणसपैकी एक जो मना ताटमा हात घाली राहीना.
21 मनुष्य के पुत्र को तो, जैसा कि उसके विषय में पवित्र शास्त्र में लिखा है, जाना ही है; किंतु धिक्कार है उस व्यक्ति पर, जो मनुष्य के पुत्र के साथ धोखा करेगा. उस व्यक्ति के लिए अच्छा तो यही होता कि उसका जन्म ही न होता.”
मनुष्यना पोऱ्याबद्दल लिखेल शे तसं त्याले जानच शे; पण जो मनुष्यना पोऱ्याले धरीन सोपी देवाव शे त्याना धिक्कार असो! तो माणुस जन्मले नही येता तर ते त्याले चांगलं व्हतं!”
22 भोजन के लिए बैठे हुए मसीह येशु ने रोटी लेकर उसके लिए आभार धन्यवाद करते हुए उसे तोड़ा और उनमें बांटते हुए कहा, “लो, यह मेरा शरीर है.”
त्या जेवण करतांना येशुनी भाकर लिधी अनं उपकार मानीन तोडी अनी शिष्यसले दिसन सांगं, हाई ल्या, “हाई मनं शरीर शे.”
23 इसके बाद मसीह येशु ने प्याला उठाया, उसके लिए धन्यवाद दिया, शिष्यों को दिया और सबने उसमें से पिया.
मंग त्यानी प्याला लिधा अनं देवना आभार मानीन त्यासले दिधा, अनी त्यासनी ते पिधं.
24 मसीह येशु ने उनसे कहा, “यह वायदे का मेरा लहू है, जो अनेकों के लिए उंडेला गया है.
त्यानी त्यासले सांगं, “हाई मनं रंगत देव अनी मनुष्यना करारले दखाडस, हाई बराच जणसकरता वताई जाई ऱ्हायनं.
25 मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: जब तक परमेश्वर के राज्य में नया रस न पिऊं, दाख का रस तब तक मैं नहीं पिऊंगा.”
मी तुमले सत्य सांगस की, मी तोपावत द्राक्षवेलना रस कधीच पिवाऊ नही जोपावत देवना राज्यमा नवा द्राक्षरस पितस नही.”
26 एक भक्ति गीत गाने के बाद वे ज़ैतून पर्वत पर चले गए.
मंग देवनं गानं म्हणीसन त्या जैतुनना डोंगरकडे निंघी गयात.
27 उनसे मसीह येशु ने कहा, “तुम सभी मेरा साथ छोड़कर चले जाओगे. जैसा कि इस संबंध में पवित्र शास्त्र का लेख है: “मैं चरवाहे का संहार करूंगा और झुंड की सभी भेड़ें तितर-बितर हो जाएंगी.
मंग येशु त्यासले बोलना, “तुम्हीन सर्व माले सोडीन पळी जाशात, कारण शास्त्र अस सांगस की, ‘देव मेंढपायले मारी टाकी अनी मेंढरसनी दाणादाण व्हई जाई.’
28 हां, पुनर्जीवित किए जाने के बाद मैं तुमसे पहले गलील प्रदेश पहुंच जाऊंगा.”
तरी मी जिवत व्हवानंतर तुमना पहिले गालीलमा जासु.”
29 पेतरॉस ने कहा, “सभी आपका साथ छोड़कर जाएं तो जाएं, किंतु मैं आपको कभी न छोड़ूंगा.”
पेत्र त्याले बोलना, “जरी सर्व तुले सोडीन पळतीन पण मी तुले सोडीन पळाव नही.”
30 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक अटल सत्य प्रकट कर रहा हूं; आज रात में ही, इससे पहले कि मुरगा दो बार बांग दे, तुम मुझे तीन बार नकार चुके होंगे.”
येशु त्याले बोलना मी तुले सत्य सांगस, “आज रातले कोंबडा दोनदाव कोकावाना पहिले तु तिनदाव माले नाकारशी.”
31 किंतु पेतरॉस दृढतापूर्वक कहते रहे, “यदि मुझे आपके साथ मृत्यु को अपनाना भी पड़े तो भी मैं आपको नहीं नकारूंगा.” अन्य सभी शिष्यों ने भी यही दोहराया.
तरी पेत्र खंबीर व्हईसन बोलना, “तुमनासंगे माले मरणं पडनं तरी मी तुमले नाकारावुच नही!” अनी बाकीना शिष्यसनी पण तसच सांगं.
32 वे गेतसेमनी नामक स्थान पर आए. मसीह येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जब तक मैं प्रार्थना कर रहा हूं, तुम यहीं ठहरो.”
मंग त्या गेथशेमाने नावना बागमा वनात तवय येशु त्याना शिष्यसले बोलना, “मी प्रार्थना करीसन येस तोपावत आठे बठा.”
33 उन्होंने अपने साथ पेतरॉस, याकोब तथा योहन को ले लिया. वह अत्यंत अधीर तथा व्याकुल हो रहे थे.
त्यानी पेत्र, याकोब अनं योहान यासले संगे लिधं अनी तो अस्वस्थ अनं व्याकुळ व्हवु लागना,
34 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मेरे प्राण इतने व्याकुल हैं मानो मेरी मृत्यु हो रही हो. तुम यहीं ठहरो और जागते रहो.”
तो त्यासले बोलना, “मी भलता उदास शे, आठपावत की मी मराले टेकेल शे, तुम्हीन आठेच थांबा अनी जागा ऱ्हा.”
35 वह उनसे थोड़ी ही दूर गए और भूमि पर गिरकर यह प्रार्थना करने लगे कि यदि संभव हो तो यह क्षण टल जाए.
मंग तो त्यासनापाईन थोडा पुढे गया अनी जमीनवर पडीन प्रार्थना कराले लागना की, “शक्य व्हई तर हाई येळ टळी जावो.”
36 प्रार्थना में उन्होंने कहा, “अब्बा! पिता! आपके लिए तो सभी कुछ संभव है. मेरे सामने रखे इस प्याले को हटा दीजिए. फिर भी मेरी नहीं, आपकी इच्छा के अनुरूप हो.”
अनी तो बोलना, “हे बापा, हे पिता! तुले सर्वकाही शक्य शे, हाऊ दुःखना प्याला मनापाईन दुर कर. तरी मना ईच्छाप्रमाणे नको तर तुना ईच्छाप्रमाणे व्हवु दे.”
37 जब मसीह येशु वहां लौटकर आए तो शिष्यों को सोता हुआ पाया. उन्होंने पेतरॉस से कहा, “शिमओन! सोए हुए हो! एक घंटा भी जागे न रह सके!
मंग त्यानी परत ईसन तिन्ही शिष्यसले झोपेल दखं. तवय तो पेत्रले बोलना, “शिमोन, तु झोपी गया का? एक तास बी तुनाघाई जागं ऱ्हावायनं नही का?”
38 सजग रहो, प्रार्थना करते रहो, ऐसा न हो कि तुम परीक्षा में पड़ जाओ. हां, निःसंदेह आत्मा तो तैयार है किंतु शरीर दुर्बल.”
“तुम्हीन परिक्षामा पडाले नको म्हणीन जागा ऱ्हा, अनी प्रार्थना करा. आत्मा कितला बी उतावळा व्हई, पण शरीर अशक्त शे.”
39 तब उन्होंने दोबारा जाकर वही प्रार्थना की.
येशुनी परत जाईन त्याच शब्दसमा प्रार्थना करी.
40 वह दोबारा लौटकर आए तो देखा कि शिष्य सोए हुए हैं—क्योंकि उनकी पलकें बोझिल थी. उन्हें यह भी नहीं सूझ रहा था कि प्रभु को क्या उत्तर दें.
मंग परत ईसन त्यानी दखं तर त्या झोपेल व्हतात; त्यासना डोया जड व्हई जायेल व्हतात अनी त्याले काय उत्तर देवानं त्यासले समजनं नही.
41 जब मसीह येशु तीसरी बार उनके पास आए तो उन्होंने उनसे कहा, “अभी भी सो रहे हो? सोते रहो और विश्राम करो! बहुत हो गया! वह क्षण आ गया है. देख लो कैसे मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथों में सौंपा जा रहा है!
परत तिसरांदाव त्यानी ईसन त्यासले सांगं, “आतेपावत तुम्हीन झोपीन आराम करी राहीनात? पुरं व्हयनं! येळ ई जायेल शे! दखा, मनुष्यना पोऱ्या पापी लोकसना ताबामा सोपाई राहीना.
42 उठो! यहां से चलें. देखो, जो मुझे पकड़वाने पर है, वह आ गया!”
ऊठा, आपण जाऊ. दखा, माले सोपी देणारा जोडे येल शे!”
43 जब मसीह येशु यह कह ही रहे थे, उसी क्षण यहूदाह, जो बारह शिष्यों में से एक था, आ पहुंचा. उसके साथ तलवार और लाठियां लिए हुए एक भीड़ भी थी. ये सब प्रधान पुरोहितों, शास्त्रियों तथा पुरनियों द्वारा भेजे गए थे.
येशु बोली राहींता इतलामा बारा शिष्यसपैकी एक म्हणजे यहूदा तठे वना, त्यानाबरोबर मुख्य याजक, शास्त्री अनी वडील लोकसना माणसे तलवारी अनी टिपरा लई वनात.
44 पकड़वानेवाले ने उन्हें यह संकेत दिया था: “मैं जिसे चूमूं, वही होगा वह. उसे पकड़कर सिपाहियों की सुरक्षा में ले जाना.”
त्याले सोपणारानी एक इशारा देयल व्हता तो असा की, “मी ज्यानं चुंबन लिसु तोच येशु शे. त्याले धरीन बांधीन अनं संभायीन लई जा.”
45 वहां पहुंचते ही यहूदाह सीधे मसीह येशु के पास गया और उनसे कहा, “रब्बी” और उन्हें चूम लिया.
तो येताच येशुकडे गया अनी “गुरजी!” अस म्हणीन त्याना चुंबन लिधात.
46 इस पर उन्होंने मसीह येशु को पकड़कर बांध लिया.
मंग त्यासनी त्याले पकडीन बांधं.
47 उनमें से, जो मसीह के साथ थे, एक ने तलवार खींची और महापुरोहित के दास पर प्रहार कर दिया जिससे उसका एक कान कट गया.
ज्या येशुजोडे उभा व्हतात त्यासनामाईन एकनी तलवारघाई प्रमुख याजकना सेवकना कान कापी टाका.
48 मसीह येशु ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे पकड़ने के लिए तुम तलवार और लाठियां लेकर आए हो मानो मैं कोई डाकू हूं!
तवय येशु त्यासले बोलना, “जसं एखादा नियम तोडणाराले धराकरता तलवार अनी टिपरा लई जातस तसा तुम्हीन माले धराले येल शेतस का?
49 मंदिर में शिक्षा देते हुए मैं प्रतिदिन तुम्हारे साथ ही होता था, तब तो तुमने मुझे नहीं पकड़ा किंतु अब जो कुछ घटित हो रहा है वह इसलिये कि पवित्र शास्त्र का लेख पूरा हो.”
मी तुमनासंगे रोज मंदिरमा शिकाडी राहींतु, तवय तुम्हीन का बरं माले धरं नही, पण हाई ह्यानाकरता व्हयनं की शास्त्रना लेख पुरा व्हवाले पाहिजे.”
50 सभी शिष्य मसीह येशु को छोड़ भाग चुके थे.
मंग येशुसंगेना सर्व शिष्य त्याले सोडीन पळी गयात.
51 एक युवक था, जो मसीह येशु के पीछे-पीछे आ रहा था. उसने अपने शरीर पर मात्र एक चादर लपेटी हुई थी. जब उन्होंने उसे पकड़ना चाहा,
त्या येळले एक तरूण पोऱ्या त्याना आंगवर लुंगीशिवाय काहीच नव्हतं तो येशुना मांगे चाली राहींता, त्याले त्यासनी धराना प्रयत्न करा.
52 वह अपनी उस चादर को छोड़ नंगा ही भाग निकला.
पण तो ती लुंगी टाकीन उघडाच पळी गया.
53 वे मसीह येशु को महापुरोहित के सामने ले गए, वहां सभी प्रधान पुरोहित, वरिष्ठ नागरिक तथा शास्त्री इकट्ठा थे.
मंग येशुले त्या प्रमुख याजकसकडे लई वनात अनी त्यानाजवळ सर्व मुख्य याजक, वडील अनी शास्त्री जमनात.
54 पेतरॉस दूर ही दूर, उनके पीछे-पीछे आ रहे थे और वह महापुरोहित के आंगन में भी आ गए. वह अधिकारियों के साथ बैठ गए और उनके साथ आग तापने लगे.
पेत्र दुरतीन त्याना मांगेमांगे चालत मुख्य याजकना वाडामा गया अनी तो पहारेकरीससंगे शेकोटी जोडे शेकी राहींता.
55 मसीह येशु को मृत्यु दंड देने की इच्छा लिए हुए प्रधान पुरोहित तथा पूरी महासभा मसीह येशु के विरुद्ध गवाह खोजने का यत्न कर रही थी किंतु इसमें वे विफल ही रहे.
मुख्य याजक अनी सर्व यहूदीसना न्यायसभा मधलासनी येशुले मृत्युदंड भेटाकरता त्यानाविरुध्द काय आरोप कराना हाई शोधी राहींतात. पण त्यासले एक बी आरोप सापडना नही.
56 निःसंदेह उनके विरुद्ध अनेक झूठे गवाह उठ खड़े हुए थे, किंतु उनकी गवाही मेल न खायी.
बराच जणसनी त्यानाविरुध्द खोटी साक्ष दिधी, पण त्यासना साक्षमा काहीच तथ्य नव्हतं.
57 तब कुछ ने मसीह येशु के विरुद्ध यह झूठी गवाही दी:
काही लोकसनी उभं राहीन येशुनाविरुध्द अशी खोटी साक्ष दिधी की,
58 “हमने इसे कहते सुना है: ‘मैं मनुष्य के द्वारा बनाए गए इस मंदिर को ढाह दूंगा और तीन दिन में एक दूसरा बना दूंगा, जो हाथ से बना न होगा.’”
हाई हातघाई बांधेल मंदिर मी तोडी टाकसु अनी हात नही लावता दुसरं तीन दिनमा उभं करसु अस आम्हीन याले बोलतांना ऐकं.
59 इस आरोप में भी उनके गवाह में समानता न थी.
पण त्यासनी हाई साक्षमापण तथ्य नव्हतं.
60 तब महापुरोहित उनके सामने खड़े हुए तथा मसीह येशु से पूछा, “क्या तुम्हें अपने बचाव में कुछ नहीं कहना है? ये सब तुम्हारे विरुद्ध क्या-क्या गवाही दे रहे हैं!”
तवय मुख्य याजकनी मझार उभं राहीसन येशुले ईचारं, “ह्या तुनाविरुध्द साक्ष दि राहिनात त्यानावर तुले काहीच उत्तर देणं नही शे का?”
61 किंतु मसीह येशु ने कोई उत्तर न दिया. वह मौन ही बने रहे. तब महापुरोहित ने उन पर व्यंग्य करते हुए पूछा, “क्या तुम ही मसीह हो—परम प्रधान के पुत्र?”
येशु गप्पच राहिना, त्यानी काहीच उत्तर दिधं नही. प्रमुख याजकसनी परत त्याले ईचारं, “धन्यवादित देवना पोऱ्या ख्रिस्त तो तुच शे का?”
62 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “जी हां, मैं हूं. आप मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान के दायें पक्ष में आसीन तथा आकाश के बादलों पर लौटता हुआ देखेंगे.”
येशुनी सांगं, “मीच शे, अनी तुम्हीन मनुष्यना पोऱ्याले सर्वसमर्थ परमेश्वरना उजवीकडे बशेल अनी आकाशमधला ढगससंगे येतांना दखशात.”
63 इस पर महापुरोहित ने अपने वस्त्र फाड़ते हुए कहा, “अब क्या ज़रूरत रह गई किसी अन्य गवाह की?
मुख्य याजक आपला कपडा फाडीन बोलना, आमले आत्ते साक्षीदारसनी काय गरज!
64 तुम सभी ने परमेश्वर-निंदा सुन ली है. क्या विचार है तुम्हारा?” सबने एक मत से उन्हें मृत्यु दंड का भागी घोषित किया.
हाऊ देवनी थट्टा करी राहीना, हाई तुम्हीन ऐकं, तुमले काय वाटस? तवय सर्वासनी ठराय हाऊ मरणदंडले योग्य शे.
65 कुछ ने उन पर थूकना प्रारंभ कर दिया. उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ उन्हें घूंसे मारते हुए कहने लगे, “कर भविष्यवाणी!” और प्रहरियों ने उनके मुख पर थप्पड़ भी मारे.
मंग बराच जण येशुवर थुंकू लागणात, त्यानं तोंड झाकीन त्याले बुक्क्या माऱ्यात अनी त्याले सांगु लागणात, “वळख, तुले कोणी मारं!” अनी पहारेकरीसनी त्याले थापड्या मारीन ताबामा लिधं.
66 जब पेतरॉस नीचे आंगन में थे. महापुरोहित की एक सेविका वहां आई.
पेत्र खाल वाडामा व्हता तवय प्रमुख याजकसना सेवकसमाधली एक बाई तठे वनी.
67 उसे पेतरॉस वहां आग तापते हुए दिखे इसलिये वह उनकी ओर एकटक देखते हुए बोली, “तुम भी तो येशु नाज़री के साथ थे!”
अनी तिनी पेत्रले शेकतांना टक लाईन दखीन सांगं, “तु पण येशु नासरेथकरना संगे व्हता ना.”
68 पेतरॉस ने यह कहते हुए नकार दिया, “क्या कह रही हो! मैं इस विषय में कुछ नहीं जानता. मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है,” और वह द्वार की ओर चले गए.
पण त्यानी नाकारीन सांगं, “तु काय सांगी राहीनी, माले माहीत नही अनं समजी बी नही राहीनं” अनी तो वाडाना दुसरी बाजुले गया ईतलामा कोंबडा कोकायना.
69 एक बार फिर जब उस दासी ने उन्हें देखा तो आस-पास उपस्थित लोगों से दोबारा कहने लगी, “यह भी उन्हीं में से एक है!”
मंग त्या दासीनी त्याले परत दखं अनी त्यानाजोडे ज्या उभा व्हतात त्यासले सांगु लागणी, “हाऊ त्यासनापैकीच एक शे!”
70 पेतरॉस ने दोबारा नकार दिया. कुछ समय बाद उनके पास खड़े लोग ही पेतरॉस से कहने लगे, “इसमें तो कोई संदेह ही नहीं है कि तुम उनमें से एक हो क्योंकि तुम भी गलीलवासी हो.”
पण त्यानी परत नकार. मंग थोडा येळमा जोडे उभा राहनारासनी पेत्रले सांगं, “तु खरच त्यासनापैकीच शे ना, कारण तु गालीली शे.”
71 किंतु पेतरॉस धिक्कार कर शपथ खाते हुए कहने लगे, “तुम जिस व्यक्ति के विषय में कह रहे हो, उसे तो मैं जानता ही नहीं!”
मंग पेत्र बोलणा, “जर मी खोटं बोली ऱ्हायनु तर, देव माले मारी टाको! असा शपथा वाहीन बोलु लागणा, हाऊ ज्या माणुसबद्दल तुम्हीन बोली राहिनात त्याले मी वळखत नही!”
72 उसी क्षण मुर्गे ने दूसरी बार बांग दी. पेतरॉस को मसीह येशु की वह पहले से कही हुए बात याद आई, “इसके पहले कि मुर्ग दो बार बांग दे, तुम तीन बार मुझे नकार चुके होंगे.” पेतरॉस फूट-फूटकर रोने लगे.
अनी लगेच दुसरींदाव कोंबडा कोकायना. तवय “कोंबडा दोनदाव कोकाई, त्याना पहिले तु माले तीनदाव नाकारशी” असा ज्या शब्द येशुनी पेत्रले सांगेल व्हतात त्या त्याले आठवणात अनी तो रडाले लागना.