< मलाकी 1 >

1 एक भविष्यवाणी: मलाकी के माध्यम से इस्राएल को दिया गया याहवेह का वचन.
Enoncé de la parole de l’Eternel adressée à Israël par l’organe de Malachie:
2 याहवेह कहते हैं, “मैंने तुम्हें प्रेम किया है. “पर तुम कहते हो, ‘आपने किस प्रकार से प्रेम किया है?’” याहवेह स्पष्ट करते हैं, “क्या एसाव याकोब का भाई नहीं था? फिर भी मैंने याकोब से प्रेम किया,
"Je vous ai pris en affection, dit l’Eternel! Vous répliquez: "En quoi nous as-tu témoigné ton amour?" Esaü n’est-il pas le frère de Jacob? dit l’Eternel; or, j’ai aimé Jacob,
3 पर एसाव से नफरत किया, और उसके पहाड़ी भागों को उजाड़ दिया और उसकी पैतृक भूमि को बंजर भूमि के सियारों के लिए छोड़ दिया.”
mais Esaü, je l’ai haï, si bien que j’ai livré ses montagnes à la dévastation et son héritage aux chacals du désert.
4 एदोम कह सकता है, “यद्यपि हमें उजाड़ दिया गया है, पर हम खंडहरों को फिर बनाएंगे.” पर सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: “वे फिर बना सकते हैं, पर मैं गिरा दूंगा. उनका देश दुष्टों का देश कहलाएगा, और वे एक ऐसे लोग होंगे जिनके ऊपर याहवेह का कोप हमेशा बना रहेगा.
Qu’Edom dise: "Nous avons été écrasés, mais nous allons relever nos ruines!" ainsi répond l’Eternel-Cebaot: "Qu’ils bâtissent, moi je démolirai, et on les appellera le Domaine de la Perversité, le Peuple à jamais réprouvé de Dieu.
5 तुम स्वयं अपने आंखों से देखोगे और कहोगे, ‘याहवेह महान है—और तो और वह इस्राएल की सीमा के बाहर भी महान है!’
Vos yeux en seront témoins, et vous-mêmes direz: "L’Eternel s’est montré grand par-delà les frontières d’Israël"
6 “एक बेटा अपने पिता का और एक गुलाम अपने मालिक का सम्मान करता है. यदि मैं एक पिता हूं, तो कहां है वह सम्मान, जिसका मैं हकदार हूं? यदि मैं एक मालिक हूं, तो कहां है वह आदर, जिसका मैं हकदार हूं?” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है. “हे पुरोहितो, ये तुम हो जो मेरे नाम का अनादर हो. “पर तुम पूछते हो, ‘हमने किस प्रकार से आपके नाम का अनादर किया है?’
Le fils honore son père, l’esclave son maître. Si je suis un père pour vous, où sont mes honneurs? Si je suis un maître, où est la vénération qui m’est due? Ainsi vous parle l’Eternel-Cebaot, à vous, ô pontifes qui avilissez son nom, et qui dites: "En quoi avons-nous avili ton nom?"
7 “मेरी वेदी पर अशुद्ध भोजन चढ़ाने के द्वारा. “पर तुम पूछते हो, ‘हमने किस प्रकार से आपको अशुद्ध किया है?’ “यह कहने के द्वारा कि याहवेह का मेज़ तुच्छ है.
Vous apportez sur mon autel un aliment souillé, et vous dites: "En quoi t’avons-nous souillé?" Par votre langage, la table de l’Eternel devient un objet de mépris.
8 जब तुम अंधे पशुओं को बलिदान चढ़ाते हो, तो क्या यह गलत नहीं है? जब तुम लंगड़े या बीमारयुक्त पशुओं को बलिदान करते हो, तो क्या यह गलत नहीं है? ऐसी भेंट अपने राज्यपाल को देने की कोशिश करो! क्या वह तुमसे खुश होगा? क्या वह तुमको स्वीकार करेगा?” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.
Et lorsque vous venez m’immoler une bête aveugle, ce n’est point un mal? Point un mal quand vous amenez une bête éclopée ou malade? Présente-la donc à ton Satrape! Tu verras s’il te fera bon accueil, s’il te témoignera sa faveur, dit l’Eternel-Cebaot.
9 “अब तुम परमेश्वर से निवेदन करो कि वह हम पर अनुग्रह करें. तुम्हारे हाथों से इस प्रकार के बलिदान को देखकर क्या वे तुम्हें स्वीकार करेंगे?” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.
Et maintenant, soyez donc intercesseurs devant Dieu, afin qu’il nous favorise! C’Est votre main qui a agi de la sorte: est-ce par vous qu’il peut nous devenir propice? dit l’Eternel-Cebaot.
10 “अच्छा होता कि तुममें से कोई मंदिर के दरवाजों को बंद कर देता, ताकि तुम मेरी वेदी पर बेकार की आग न जलाते! मैं तुमसे खुश नहीं हूं,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है, “और मैं तुम्हारे हाथ से कोई भेंट स्वीकार न करूंगा.
Ah s’il s’en trouvait un parmi vous pour fermer les portes, afin que vous n’allumiez plus mon autel en pure perte! Je n’ai aucun plaisir à vous voir, dit l’Eternel-Cebaot, l’offrande de votre main, je ne la veux pas.
11 जहां-जहां सूर्य उदय होता और सूर्य डूबता है, उन सब जगहों में जाति-जाति के लोगों के बीच मेरा नाम महान होगा. हर एक जगह में, मेरे पास धूप एवं शुद्ध भेंटें लायी जाएंगी, क्योंकि जाति-जाति के लोगों में मेरा नाम महान होगा,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.
Certes! Du levant du soleil à son couchant, mon nom est glorifié parmi les peuples; en tous lieux, on me présente de l’encens, des sacrifices, de pures offrandes, car mon nom est grand parmi les peuples, dit l’Eternel-Cebaot.
12 “पर तुम यह कहकर इसे अपवित्र करते हो, ‘प्रभु की मेज़ अशुद्ध है,’ और, ‘इस पर रखा भोजन तुच्छ है.’
Et c’est vous qui le déshonorez! Par votre langage, la table du Seigneur est souillée, ce qui en provient, son aliment, est digne de mépris.
13 तुम यह भी कहते हो, ‘यह एक बोझ है!’ और तुम घृणापूर्वक इस पर अपनी नाक सिकोड़ते हो,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है. “जब तुम घायल, लंगड़े या बीमारयुक्त पशुओं को लाकर उन्हें बलिदान के रूप में चढ़ाते हो, तो क्या मुझे इस प्रकार के बलिदान को तुम्हारे हाथ से ग्रहण करना चाहिये?” याहवेह का कहना है.
Vous dites encore: "Ah! quelle misère!" Et vous le repoussez avec dédain, dit l’Eternel-Cebaot. Et puis, vous amenez des bêtes volées, ou boiteuses, ou malades, et voilà l’offrande que vous apportez! L’Accepterais-je de votre main? dit l’Eternel.
14 “वह धोखेबाज श्रापित है, जिसके पास उसके झुंड में ग्रहण योग्य नर पशु हो और उसने उसे देने की शपथ भी खायी हो, पर वह एक दोषयुक्त पशु प्रभु को चढ़ाता है. क्योंकि मैं एक महान राजा हूं,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है, “और जाति-जाति के लोगों के बीच मेरे नाम का भय माना जाए.
Malheur à l’hypocrite qui possède dans son troupeau des mâles, et qui ne voue au Seigneur et ne sacrifie qu’une victime détériorée! Car je suis un grand Souverain, dit l’Eternel-Cebaot, et mon nom est redouté parmi les peuples.

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