< लूका 8 >
1 इसके बाद शीघ्र ही प्रभु येशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा तथा प्रचार करते हुए नगर-नगर और गांव-गांव फिरने लगे. बारहों शिष्य उनके साथ साथ थे.
ཨཔརཉྩ ཡཱིཤུ རྡྭཱདཤབྷིཿ ཤིཥྱཻཿ སཱརྡྡྷཾ ནཱནཱནགརེཥུ ནཱནཱགྲཱམེཥུ ཙ གཙྪན྄ ཨིཤྭརཱིཡརཱཛཏྭསྱ སུསཾཝཱདཾ པྲཙཱརཡིཏུཾ པྲཱརེབྷེ།
2 इनके अतिरिक्त कुछ वे स्त्रियां भी उनके साथ यात्रा कर रही थी, जिन्हें रोगों और दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया गया था: मगदालावासी मरियम, जिसमें से सात दुष्टात्मा निकाले गए थे,
ཏདཱ ཡསྱཱཿ སཔྟ བྷཱུཏཱ ནིརགཙྪན྄ སཱ མགྡལཱིནཱིཏི ཝིཁྱཱཏཱ མརིཡམ྄ ཧེརོདྲཱཛསྱ གྲྀཧཱདྷིཔཏེཿ ཧོཥེ རྦྷཱཪྻྱཱ ཡོཧནཱ ཤཱུཤཱནཱ
3 हेरोदेस के भंडारी कूज़ा की पत्नी योहान्ना, सूज़न्ना तथा अन्य स्त्रियां. ये वे स्त्रियां थी, जो अपनी संपत्ति से इनकी सहायता कर रही थी.
པྲབྷྲྀཏཡོ ཡཱ བཧྭྱཿ སྟྲིཡཿ དུཥྚབྷཱུཏེབྷྱོ རོགེབྷྱཤྩ མུཀྟཱཿ སཏྱོ ནིཛཝིབྷཱུཏཱི ཪྻྱཡིཏྭཱ ཏམསེཝནྟ, ཏཱཿ སཪྻྭཱསྟེན སཱརྡྡྷམ྄ ཨཱསན྄།
4 जब नगर-नगर से बड़ी भीड़ इकट्ठा हो रही थी और लोग प्रभु येशु के पास आ रहे थे, प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा शिक्षा दी.
ཨནནྟརཾ ནཱནཱནགརེབྷྱོ བཧཝོ ལོཀཱ ཨཱགཏྱ ཏསྱ སམཱིཔེ྅མིལན྄, ཏདཱ ས ཏེབྷྱ ཨེཀཱཾ དྲྀཥྚཱནྟཀཐཱཾ ཀཐཡཱམཱས། ཨེཀཿ ཀྲྀཥཱིབལོ བཱིཛཱནི ཝཔྟུཾ བཧིརྫགཱམ,
5 “एक किसान बीज बोने के लिए निकला. बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, पैरों के नीचे कुचले गए तथा आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया.
ཏཏོ ཝཔནཀཱལེ ཀཏིཔཡཱནི བཱིཛཱནི མཱརྒཔཱརྴྭེ པེཏུཿ, ཏཏསྟཱནི པདཏལཻ རྡལིཏཱནི པཀྵིབྷི རྦྷཀྵིཏཱནི ཙ།
6 कुछ पथरीली भूमि पर जा पड़े, वे अंकुरित तो हुए परंतु नमी न होने के कारण मुरझा गए.
ཀཏིཔཡཱནི བཱིཛཱནི པཱཥཱཎསྠལེ པཏིཏཱནི ཡདྱཔི ཏཱནྱངྐུརིཏཱནི ཏཐཱཔི རསཱབྷཱཝཱཏ྄ ཤུཤུཥུཿ།
7 कुछ बीज कंटीली झाड़ियों में जा पड़े और झाड़ियों ने उनके साथ बड़े होते हुए उन्हें दबा दिया.
ཀཏིཔཡཱནི བཱིཛཱནི ཀཎྚཀིཝནམདྷྱེ པཏིཏཱནི ཏཏཿ ཀཎྚཀིཝནཱནི སཾཝྲྀདྡྷྱ ཏཱནི ཛགྲསུཿ།
8 कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, बड़े हुए और फल लाए—जितना बोया गया था उससे सौ गुणा.” जब प्रभु येशु यह दृष्टांत सुना चुके तो उन्होंने ऊंचे शब्द में कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले.”
ཏདནྱཱནི ཀཏིཔཡབཱིཛཱནི ཙ བྷཱུམྱཱམུཏྟམཱཡཱཾ པེཏུསྟཏསྟཱནྱངྐུརཡིཏྭཱ ཤཏགུཎཱནི ཕལཱནི ཕེལུཿ། ས ཨིམཱ ཀཐཱཾ ཀཐཡིཏྭཱ པྲོཙྩཻཿ པྲོཝཱཙ, ཡསྱ ཤྲོཏུཾ ཤྲོཏྲེ སྟཿ ས ཤྲྀཎོཏུ།
9 उनके शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “इस दृष्टांत का अर्थ क्या है?”
ཏཏཿ པརཾ ཤིཥྱཱསྟཾ པཔྲཙྪུརསྱ དྲྀཥྚཱནྟསྱ ཀིཾ ཏཱཏྤཪྻྱཾ?
10 प्रभु येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद जानने की क्षमता प्रदान की गई है किंतु अन्यों के लिए मुझे दृष्टान्तों का प्रयोग करना पड़ता हैं जिससे कि, “‘वे देखते हुए भी न देखें; और सुनते हुए भी न समझें.’
ཏཏཿ ས ཝྱཱཛཧཱར, ཨཱིཤྭརཱིཡརཱཛྱསྱ གུཧྱཱནི ཛྙཱཏུཾ ཡུཥྨབྷྱམདྷིཀཱརོ དཱིཡཏེ ཀིནྟྭནྱེ ཡཐཱ དྲྀཥྚྭཱཔི ན པཤྱནྟི ཤྲུཏྭཱཔི མ བུདྷྱནྟེ ཙ ཏདརྠཾ ཏེཥཱཾ པུརསྟཱཏ྄ ཏཱཿ སཪྻྭཱཿ ཀཐཱ དྲྀཥྚཱནྟེན ཀཐྱནྟེ།
11 “इस दृष्टांत का अर्थ यह है: बीज परमेश्वर का वचन है.
དྲྀཥྚཱནྟསྱཱསྱཱབྷིཔྲཱཡཿ, ཨཱིཤྭརཱིཡཀཐཱ བཱིཛསྭརཱུཔཱ།
12 मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जो वचन सुनते तो हैं किंतु शैतान आता है और उनके मन से वचन उठा ले जाता है कि वे विश्वास करके उद्धार प्राप्त न कर सकें
ཡེ ཀཐཱམཱཏྲཾ ཤྲྀཎྭནྟི ཀིནྟུ པཤྩཱད྄ ཝིཤྭསྱ ཡཐཱ པརིཏྲཱཎཾ ན པྲཱཔྣུཝནྟི ཏདཱཤཡེན ཤཻཏཱནེཏྱ ཧྲྀདཡཱཏྲྀ ཏཱཾ ཀཐཱམ྄ ཨཔཧརཏི ཏ ཨེཝ མཱརྒཔཱརྴྭསྠབྷཱུམིསྭརཱུཔཱཿ།
13 पथरीली भूमि वे लोग हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुनने पर खुशी से स्वीकारते हैं किंतु उनमें जड़ न होने के कारण वे विश्वास में थोड़े समय के लिए ही स्थिर रह पाते हैं. कठिन परिस्थितियों में घिरने पर वे विश्वास से दूर हो जाते हैं.
ཡེ ཀཐཾ ཤྲུཏྭཱ སཱནནྡཾ གྲྀཧླནྟི ཀིནྟྭབདྡྷམཱུལཏྭཱཏ྄ སྭལྤཀཱལམཱཏྲཾ པྲཏཱིཏྱ པརཱིཀྵཱཀཱལེ བྷྲཤྱནྟི ཏཨེཝ པཱཥཱཎབྷཱུམིསྭརཱུཔཱཿ།
14 वह भूमि जहां बीज कंटीली झाड़ियों के मध्य गिरा, वे लोग हैं, जो सुनते तो हैं किंतु जब वे जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं, जीवन की चिंताएं, धन तथा विलासिता उनका दमन कर देती हैं और वे मजबूत हो ही नहीं पाते.
ཡེ ཀཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ ཡཱནྟི ཝིཥཡཙིནྟཱཡཱཾ དྷནལོབྷེན ཨེཧིཀསུཁེ ཙ མཛྫནྟ ཨུཔཡུཀྟཕལཱནི ན ཕལནྟི ཏ ཨེཝོཔྟབཱིཛཀཎྚཀིབྷཱུསྭརཱུཔཱཿ།
15 इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढतापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरंतर फल लाते हैं.
ཀིནྟུ ཡེ ཤྲུཏྭཱ སརལཻཿ ཤུདྡྷཻཤྩཱནྟཿཀརཎཻཿ ཀཐཱཾ གྲྀཧླནྟི དྷཻཪྻྱམ྄ ཨཝལམྦྱ ཕལཱནྱུཏྤཱདཡནྟི ཙ ཏ ཨེཝོཏྟམམྲྀཏྶྭརཱུཔཱཿ།
16 “कोई भी दीपक को जलाकर न तो उसे बर्तन से ढांकता है और न ही उसे पलंग के नीचे रखता है परंतु उसे दीवट पर रखता है कि कमरे में प्रवेश करने पर लोग देख सकें.
ཨཔརཉྩ པྲདཱིཔཾ པྲཛྭཱལྱ ཀོཔི པཱཏྲེཎ ནཱཙྪཱདཡཏི ཏཐཱ ཁཊྭཱདྷོཔི ན སྠཱཔཡཏི, ཀིནྟུ དཱིཔཱདྷཱརོཔཪྻྱེཝ སྠཱཔཡཏི, ཏསྨཱཏ྄ པྲཝེཤཀཱ དཱིཔྟིཾ པཤྱནྟི།
17 ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है जिसे प्रकट न किया जाएगा तथा ऐसा कोई रहस्य नहीं जिसे उजागर कर सामने न लाया जाएगा.
ཡནྣ པྲཀཱཤཡིཥྱཏེ ཏཱདྲྀག྄ ཨཔྲཀཱཤིཏཾ ཝསྟུ ཀིམཔི ནཱསྟི ཡཙྩ ན སུཝྱཀྟཾ པྲཙཱརཡིཥྱཏེ ཏཱདྲྀག྄ གྲྀཔྟཾ ཝསྟུ ཀིམཔི ནཱསྟི།
18 इसलिये इसका विशेष ध्यान रखो कि तुम कैसे सुनते हो. जिस किसी के पास है, उसे और भी दिया जाएगा तथा जिस किसी के पास नहीं है, उसके पास से वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके विचार से उसका है.”
ཨཏོ ཡཱུཡཾ ཀེན པྲཀཱརེཎ ཤྲྀཎུཐ ཏཏྲ སཱཝདྷཱནཱ བྷཝཏ, ཡསྱ སམཱིཔེ བརྡྡྷཏེ ཏསྨཻ པུནརྡཱསྱཏེ ཀིནྟུ ཡསྱཱཤྲཡེ ན བརྡྡྷཏེ ཏསྱ ཡདྱདསྟི ཏདཔི ཏསྨཱཏ྄ ནེཥྱཏེ།
19 तब प्रभु येशु की माता और उनके भाई उनसे भेंट करने वहां आए किंतु लोगों की भीड़ के कारण वे उनके पास पहुंचने में असमर्थ रहे.
ཨཔརཉྩ ཡཱིཤོ རྨཱཏཱ བྷྲཱཏརཤྩ ཏསྱ སམཱིཔཾ ཛིགམིཥཝཿ
20 किसी ने प्रभु येशु को सूचना दी, “आपकी माता तथा भाई बाहर खड़े हैं—वे आपसे भेंट करना चाह रहे हैं.”
ཀིནྟུ ཛནཏཱསམྦཱདྷཱཏ྄ ཏཏྶནྣིདྷིཾ པྲཱཔྟུཾ ན ཤེཀུཿ། ཏཏྤཤྩཱཏ྄ ཏཝ མཱཏཱ བྷྲཱཏརཤྩ ཏྭཱཾ སཱཀྵཱཏ྄ ཙིཀཱིརྵནྟོ བཧིསྟིཥྛནཏཱིཏི ཝཱརྟྟཱཡཱཾ ཏསྨཻ ཀཐིཏཱཡཱཾ
21 प्रभु येशु ने कहा, “मेरी माता और भाई वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते तथा उसका पालन करते हैं.”
ས པྲཏྱུཝཱཙ; ཡེ ཛནཱ ཨཱིཤྭརསྱ ཀཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ ཏདནུརཱུཔམཱཙརནྟི ཏཨེཝ མམ མཱཏཱ བྷྲཱཏརཤྩ།
22 एक दिन प्रभु येशु ने शिष्यों से कहा, “आओ, हम झील की दूसरी ओर चलें.” इसलिये वे सब नाव में बैठकर चल दिए.
ཨནནྟརཾ ཨེཀདཱ ཡཱིཤུཿ ཤིཥྱཻཿ སཱརྡྡྷཾ ནཱཝམཱརུཧྱ ཛགཱད, ཨཱཡཱཏ ཝཡཾ ཧྲདསྱ པཱརཾ ཡཱམཿ, ཏཏསྟེ ཛགྨུཿ།
23 जब वे नाव खे रहे थे प्रभु येशु सो गए. उसी समय झील पर प्रचंड बवंडर उठा, यहां तक कि नाव में जल भरने लगा और उनका जीवन खतरे में पड़ गया.
ཏེཥུ ནཽཀཱཾ ཝཱཧཡཏྶུ ས ནིདདྲཽ;
24 शिष्यों ने जाकर प्रभु येशु को जगाते हुए कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जा रहे हैं!” प्रभु येशु उठे. और बवंडर और तेज लहरों को डांटा; बवंडर थम गया तथा तेज लहरें शांत हो गईं.
ཨཐཱཀསྨཱཏ྄ པྲབལཛྷཉྦྷྴགམཱད྄ ཧྲདེ ནཽཀཱཡཱཾ ཏརངྒཻརཱཙྪནྣཱཡཱཾ ཝིཔཏ྄ ཏཱན྄ ཛགྲཱས། ཏསྨཱད྄ ཡཱིཤོརནྟིཀཾ གཏྭཱ ཧེ གུརོ ཧེ གུརོ པྲཱཎཱ ནོ ཡཱནྟཱིཏི གདིཏྭཱ ཏཾ ཛཱགརཡཱམྦབྷཱུཝུཿ། ཏདཱ ས ཨུཏྠཱཡ ཝཱཡུཾ ཏརངྒཱཾཤྩ ཏརྫཡཱམཱས ཏསྨཱདུབྷཽ ནིཝྲྀཏྱ སྠིརཽ བབྷཱུཝཏུཿ།
25 “कहां है तुम्हारा विश्वास?” प्रभु येशु ने अपने शिष्यों से प्रश्न किया. भय और अचंभे में वे एक दूसरे से पूछने लगे, “कौन हैं यह, जो बवंडर और लहरों तक को आदेश देते हैं और वे भी उनके आदेशों का पालन करती हैं!”
ས ཏཱན྄ བབྷཱཥེ ཡུཥྨཱཀཾ ཝིཤྭཱསཿ ཀ? ཏསྨཱཏྟེ བྷཱིཏཱ ཝིསྨིཏཱཤྩ པརསྤརཾ ཛགདུཿ, ཨཧོ ཀཱིདྲྀགཡཾ མནུཛཿ པཝནཾ པཱནཱིཡཉྩཱདིཤཏི ཏདུབྷཡཾ ཏདཱདེཤཾ ཝཧཏི།
26 इसके बाद वे गिरासेन प्रदेश में आए, जो गलील झील के दूसरी ओर है.
ཏཏཿ པརཾ གཱལཱིལྤྲདེཤསྱ སམྨུཁསྠགིདེརཱིཡཔྲདེཤེ ནཽཀཱཡཱཾ ལགནྟྱཱཾ ཏཊེ྅ཝརོཧམཱཝཱད྄
27 जब प्रभु येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक दुष्टात्मा समाये हुए थे. दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लंबे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परंतु कब्रों की गुफाओं में रहता था.
བཧུཏིཐཀཱལཾ བྷཱུཏགྲསྟ ཨེཀོ མཱནུཥཿ པུརཱདཱགཏྱ ཏཾ སཱཀྵཱཙྩཀཱར། ས མནུཥོ ཝཱསོ ན པརིདདྷཏ྄ གྲྀཧེ ཙ ན ཝསན྄ ཀེཝལཾ ཤྨཤཱནམ྄ ཨདྷྱུཝཱས།
28 प्रभु येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यंत ऊंचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना देना? आपसे मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,”
ས ཡཱིཤུཾ དྲྀཥྚྭཻཝ ཙཱིཙྪབྡཾ ཙཀཱར ཏསྱ སམྨུཁེ པཏིཏྭཱ པྲོཙྩཻརྫགཱད ཙ, ཧེ སཪྻྭཔྲདྷཱནེཤྭརསྱ པུཏྲ, མཡཱ སཧ ཏཝ ཀཿ སམྦནྡྷཿ? ཏྭཡི ཝིནཡཾ ཀརོམི མཱཾ མཱ ཡཱཏཡ།
29 क्योंकि प्रभु येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय समय पर दुष्टात्मा उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बांधकर पहरे में रखते थे, फिर भी वह दुष्टात्मा बेड़ियां तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.
ཡཏཿ ས ཏཾ མཱནུཥཾ ཏྱཀྟྭཱ ཡཱཏུམ྄ ཨམེདྷྱབྷཱུཏམ྄ ཨཱདིདེཤ; ས བྷཱུཏསྟཾ མཱནུཥམ྄ ཨསཀྲྀད྄ དདྷཱར ཏསྨཱལློཀཱཿ ཤྲྀངྑལེན ནིགཌེན ཙ བབནྡྷུཿ; ས ཏད྄ བྷཾཀྟྭཱ བྷཱུཏཝཤཏྭཱཏ྄ མདྷྱེཔྲཱནྟརཾ ཡཡཽ།
30 प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तुम्हारा?” “विशाल सेना,” उसने उत्तर दिया क्योंकि अनेक दुष्टात्मा उसमें समाए हुए थे.
ཨནནྟརཾ ཡཱིཤུསྟཾ པཔྲཙྪ ཏཝ ཀིནྣཱམ? ས ཨུཝཱཙ, མམ ནཱམ བཱཧིནོ ཡཏོ བཧཝོ བྷཱུཏཱསྟམཱཤིཤྲིཡུཿ།
31 दुष्टात्मा-गण प्रभु येशु से निरंतर विनती कर रहे थे कि वह उन्हें पाताल में न भेजें. (Abyssos )
ཨཐ བྷཱུཏཱ ཝིནཡེན ཛགདུཿ, གབྷཱིརཾ གརྟྟཾ གནྟུཾ མཱཛྙཱཔཡཱསྨཱན྄། (Abyssos )
32 वहीं पहाड़ी के ढाल पर सूअरों का एक विशाल समूह चर रहा था. दुष्टात्माओं ने प्रभु येशु से विनती की कि वह उन्हें सूअरों में जाने की अनुमति दे दें. प्रभु येशु ने उन्हें अनुमति दे दी.
ཏདཱ པཪྻྭཏོཔརི ཝརཱཧཝྲཛཤྩརཏི ཏསྨཱད྄ བྷཱུཏཱ ཝིནཡེན པྲོཙུཿ, ཨམུཾ ཝརཱཧཝྲཛམ྄ ཨཱཤྲཡིཏུམ྄ ཨསྨཱན྄ ཨནུཛཱནཱིཧི; ཏཏཿ སོནུཛཛྙཽ།
33 जब दुष्टात्मा उस व्यक्ति में से बाहर आए, उन्होंने तुरंत जाकर सूअरों में प्रवेश किया और सूअर ढाल से झपटकर दौड़ते हुए झील में जा डूबे.
ཏཏཿ པརཾ བྷཱུཏཱསྟཾ མཱནུཥཾ ཝིཧཱཡ ཝརཱཧཝྲཛམ྄ ཨཱཤིཤྲིཡུཿ ཝརཱཧཝྲཛཱཤྩ ཏཏྐྵཎཱཏ྄ ཀཊཀེན དྷཱཝནྟོ ཧྲདེ པྲཱཎཱན྄ ཝིཛྲྀཧུཿ།
34 इन सूअरों के चरवाहे यह देख दौड़कर गए और नगर तथा उस प्रदेश में सब जगह इस घटना के विषय में बताने लगे.
ཏད྄ དྲྀཥྚྭཱ ཤཱུཀརརཀྵཀཱཿ པལཱཡམཱནཱ ནགརཾ གྲཱམཉྩ གཏྭཱ ཏཏྶཪྻྭཝྲྀཏྟཱནྟཾ ཀཐཡཱམཱསུཿ།
35 लोग वहां यह देखने आने लगे कि क्या हुआ है. तब वे प्रभु येशु के पास आए. वहां उन्होंने देखा कि वह व्यक्ति, जो पहले दुष्टात्मा से पीड़ित था, वस्त्र धारण किए हुए, पूरी तरह स्वस्थ और सचेत प्रभु येशु के चरणों में बैठा हुआ है. यह देख वे हैरान रह गए.
ཏཏཿ ཀིཾ ཝྲྀཏྟམ྄ ཨེཏདྡརྴནཱརྠཾ ལོཀཱ ནིརྒཏྱ ཡཱིཤོཿ སམཱིཔཾ ཡཡུཿ, ཏཾ མཱནུཥཾ ཏྱཀྟབྷཱུཏཾ པརིཧིཏཝསྟྲཾ སྭསྠམཱནུཥཝད྄ ཡཱིཤོཤྩརཎསནྣིདྷཽ སཱུཔཝིཤནྟཾ ཝིལོཀྱ བིབྷྱུཿ།
36 जिन्होंने यह सब देखा, उन्होंने जाकर अन्यों को सूचित किया कि यह दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार दुष्टात्मा से मुक्त हुआ है.
ཡེ ལོཀཱསྟསྱ བྷཱུཏགྲསྟསྱ སྭཱསྠྱཀརཎཾ དདྲྀཤུསྟེ ཏེབྷྱཿ སཪྻྭཝྲྀཏྟཱནྟཾ ཀཐཡཱམཱསུཿ།
37 तब गिरासेन प्रदेश तथा पास के क्षेत्रों के सभी निवासियों ने प्रभु येशु को वहां से दूर चले जाने को कहा क्योंकि वे अत्यंत भयभीत हो गए थे. इसलिये प्रभु येशु नाव द्वारा वहां से चले गए.
ཏདནནྟརཾ ཏསྱ གིདེརཱིཡཔྲདེཤསྱ ཙཏུརྡིཀྶྠཱ བཧཝོ ཛནཱ ཨཏིཏྲསྟཱ ཝིནཡེན ཏཾ ཛགདུཿ, བྷཝཱན྄ ཨསྨཱཀཾ ནིཀཊཱད྄ ཝྲཛཏུ ཏསྨཱཏ྄ ས ནཱཝམཱརུཧྱ ཏཏོ ཝྱཱགྷུཊྱ ཛགཱམ།
38 वह व्यक्ति जिसमें से दुष्टात्मा निकाला गया था उसने प्रभु येशु से विनती की कि वह उसे अपने साथ ले लें किंतु प्रभु येशु ने उसे यह कहते हुए विदा किया,
ཏདཱནཱིཾ ཏྱཀྟབྷཱུཏམནུཛསྟེན སཧ སྠཱཏུཾ པྲཱརྠཡཱཉྩཀྲེ
39 “अपने परिजनों में लौट जाओ तथा इन बड़े-बड़े कामों का वर्णन करो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे लिए किए हैं.” इसलिये वह लौटकर सभी नगर में यह वर्णन करने लगा कि प्रभु येशु ने उसके लिए कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं.
ཀིནྟུ ཏདརྠམ྄ ཨཱིཤྭརཿ ཀཱིདྲྀངྨཧཱཀརྨྨ ཀྲྀཏཝཱན྄ ཨིཏི ནིཝེཤནཾ གཏྭཱ ཝིཛྙཱཔཡ, ཡཱིཤུཿ ཀཐཱམེཏཱཾ ཀཐཡིཏྭཱ ཏཾ ཝིསསརྫ། ཏཏཿ ས ཝྲཛིཏྭཱ ཡཱིཤུསྟདརྠཾ ཡནྨཧཱཀརྨྨ ཙཀཱར ཏཏ྄ པུརསྱ སཪྻྭཏྲ པྲཀཱཤཡིཏུཾ པྲཱརེབྷེ།
40 जब प्रभु येशु झील की दूसरी ओर पहुंचे, वहां इंतजार करती भीड़ ने उनका स्वागत किया.
ཨཐ ཡཱིཤཽ པརཱཝྲྀཏྱཱགཏེ ལོཀཱསྟཾ ཨཱདརེཎ ཛགྲྀཧུ ཪྻསྨཱཏྟེ སཪྻྭེ ཏམཔེཀྵཱཉྩཀྲིརེ།
41 जाइरूस नामक एक व्यक्ति, जो यहूदी सभागृह का प्रधान था, उनसे भेंट करने आया. उसने प्रभु येशु के चरणों पर गिरकर उनसे विनती की कि वह उसके साथ उसके घर जाएं
ཏདནནྟརཾ ཡཱཡཱིརྣཱམྣོ བྷཛནགེཧསྱཻཀོདྷིཔ ཨཱགཏྱ ཡཱིཤོཤྩརཎཡོཿ པཏིཏྭཱ སྭནིཝེཤནཱགམནཱརྠཾ ཏསྨིན྄ ཝིནཡཾ ཙཀཱར,
42 क्योंकि उसकी एकमात्र बेटी, जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी. जब प्रभु येशु वहां जा रहे थे, मार्ग में वह भीड़ में दबे जा रहे थे.
ཡཏསྟསྱ དྭཱདཤཝརྵཝཡསྐཱ ཀནྱཻཀཱསཱིཏ྄ སཱ མྲྀཏཀལྤཱབྷཝཏ྄། ཏཏསྟསྱ གམནཀཱལེ མཱརྒེ ལོཀཱནཱཾ མཧཱན྄ སམཱགམོ བབྷཱུཝ།
43 वहां बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री थी. उसने अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी.
དྭཱདཤཝརྵཱཎི པྲདརརོགགྲསྟཱ ནཱནཱ ཝཻདྱཻཤྩིཀིཏྶིཏཱ སཪྻྭསྭཾ ཝྱཡིཏྭཱཔི སྭཱསྠྱཾ ན པྲཱཔྟཱ ཡཱ ཡོཥིཏ྄ སཱ ཡཱིཤོཿ པཤྩཱདཱགཏྱ ཏསྱ ཝསྟྲགྲནྠིཾ པསྤརྴ།
44 इस स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ, और उसी क्षण उसका लहू बहना बंद हो गया.
ཏསྨཱཏ྄ ཏཏྐྵཎཱཏ྄ ཏསྱཱ རཀྟསྲཱཝོ རུདྡྷཿ།
45 “किसने मुझे छुआ है?” प्रभु येशु ने पूछा. जब सभी इससे इनकार कर रहे थे, पेतरॉस ने उनसे कहा, “स्वामी! यह बढ़ती हुई भीड़ आप पर गिरी जा रही है.”
ཏདཱནཱིཾ ཡཱིཤུརཝདཏ྄ ཀེནཱཧཾ སྤྲྀཥྚཿ? ཏཏོ྅ནེཀཻརནངྒཱིཀྲྀཏེ པིཏརསྟསྱ སངྒིནཤྩཱཝདན྄, ཧེ གུརོ ལོཀཱ ནིཀཊསྠཱཿ སནྟསྟཝ དེཧེ གྷརྵཡནྟི, ཏཐཱཔི ཀེནཱཧཾ སྤྲྀཥྚཨིཏི བྷཝཱན྄ ཀུཏཿ པྲྀཙྪཏི?
46 किंतु प्रभु येशु ने उनसे कहा, “किसी ने तो मुझे छुआ है क्योंकि मुझे यह पता चला है कि मुझमें से सामर्थ्य निकली है.”
ཡཱིཤུཿ ཀཐཡཱམཱས, ཀེནཱཔྱཧཾ སྤྲྀཥྚོ, ཡཏོ མཏྟཿ ཤཀྟི རྣིརྒཏེཏི མཡཱ ནིཤྩིཏམཛྙཱཡི།
47 जब उस स्त्री ने यह समझ लिया कि उसका छुपा रहना असंभव है, भय से कांपती हुई सामने आई और प्रभु येशु के चरणों में गिर पड़ी. उसने सभी उपस्थित भीड़ के सामने यह स्वीकार किया कि उसने प्रभु येशु को क्यों छुआ था तथा कैसे वह तत्काल रोग से चंगी हो गई.
ཏདཱ སཱ ནཱརཱི སྭཡཾ ན གུཔྟེཏི ཝིདིཏྭཱ ཀམྤམཱནཱ སཏཱི ཏསྱ སམྨུཁེ པཔཱཏ; ཡེན ནིམིཏྟེན ཏཾ པསྤརྴ སྤརྴམཱཏྲཱཙྩ ཡེན པྲཀཱརེཎ སྭསྠཱབྷཝཏ྄ ཏཏ྄ སཪྻྭཾ ཏསྱ སཱཀྵཱདཱཙཁྱཽ།
48 इस पर प्रभु येशु ने उससे कहा, “बेटी! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है. परमेश्वर की शांति में लौट जाओ.”
ཏཏཿ ས ཏཱཾ ཛགཱད ཧེ ཀནྱེ སུསྠིརཱ བྷཝ, ཏཝ ཝིཤྭཱསསྟྭཱཾ སྭསྠཱམ྄ ཨཀཱརྵཱིཏ྄ ཏྭཾ ཀྵེམེཎ ཡཱཧི།
49 जब प्रभु येशु यह कह ही रहे थे, यहूदी सभागृह प्रधान जाइरूस के घर से किसी व्यक्ति ने आकर सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है, अब गुरुवर को कष्ट न दीजिए.”
ཡཱིཤོརེཏདྭཱཀྱཝདནཀཱལེ ཏསྱཱདྷིཔཏེ རྣིཝེཤནཱཏ྄ ཀཤྩིལློཀ ཨཱགཏྱ ཏཾ བབྷཱཥེ, ཏཝ ཀནྱཱ མྲྀཏཱ གུརུཾ མཱ ཀླིཤཱན།
50 यह सुन प्रभु येशु ने जाइरूस को संबोधित कर कहा, “डरो मत! केवल विश्वास करो और वह स्वस्थ हो जाएगी.”
ཀིནྟུ ཡཱིཤུསྟདཱཀརྞྱཱདྷིཔཏིཾ ཝྱཱཛཧཱར, མཱ བྷཻཥཱིཿ ཀེཝལཾ ཝིཤྭསིཧི ཏསྨཱཏ྄ སཱ ཛཱིཝིཥྱཏི།
51 जब वे जाइरूस के घर पर पहुंचे, प्रभु येशु ने पेतरॉस, योहन और याकोब तथा कन्या के माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को अपने साथ भीतर आने की अनुमति नहीं दी.
ཨཐ ཏསྱ ནིཝེཤནེ པྲཱཔྟེ ས པིཏརཾ ཡོཧནཾ ཡཱཀཱུབཉྩ ཀནྱཱཡཱ མཱཏརཾ པིཏརཉྩ ཝིནཱ, ཨནྱཾ ཀཉྩན པྲཝེཥྚུཾ ཝཱརཡཱམཱས།
52 उस समय सभी उस बालिका के लिए रो-रोकर शोक प्रकट कर रहे थे. “बंद करो यह रोना-चिल्लाना!” प्रभु येशु ने आज्ञा दी, “उसकी मृत्यु नहीं हुई है—वह सिर्फ सो रही है.”
ཨཔརཉྩ ཡེ རུདནྟི ཝིལཔནྟི ཙ ཏཱན྄ སཪྻྭཱན྄ ཛནཱན྄ ཨུཝཱཙ, ཡཱུཡཾ མཱ རོདིཥྚ ཀནྱཱ ན མྲྀཏཱ ནིདྲཱཏི།
53 इस पर वे प्रभु येशु पर हंसने लगे क्योंकि वे जानते थे कि बालिका की मृत्यु हो चुकी है.
ཀིནྟུ སཱ ནིཤྩིཏཾ མྲྀཏེཏི ཛྙཱཏྭཱ ཏེ ཏམུཔཛཧསུཿ།
54 प्रभु येशु ने बालिका का हाथ पकड़कर कहा, “बेटी, उठो!”
པཤྩཱཏ྄ ས སཪྻྭཱན྄ བཧིཿ ཀྲྀཏྭཱ ཀནྱཱཡཱཿ ཀརཽ དྷྲྀཏྭཱཛུཧུཝེ, ཧེ ཀནྱེ ཏྭམུཏྟིཥྛ,
55 उसके प्राण उसमें लौट आए और वह तुरंत खड़ी हो गई. प्रभु येशु ने उनसे कहा कि बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए.
ཏསྨཱཏ྄ ཏསྱཱཿ པྲཱཎེཥུ པུནརཱགཏེཥུ སཱ ཏཏྐྵཎཱད྄ ཨུཏྟསྱཽ། ཏདཱནཱིཾ ཏསྱཻ ཀིཉྩིད྄ བྷཀྵྱཾ དཱཏུམ྄ ཨཱདིདེཤ།
56 उसके माता-पिता चकित रह गए किंतु प्रभु येशु ने उन्हें निर्देश दिया कि जो कुछ हुआ है, उसकी चर्चा किसी से न करें.
ཏཏསྟསྱཱཿ པིཏརཽ ཝིསྨཡཾ གཏཽ ཀིནྟུ ས ཏཱཝཱདིདེཤ གྷཊནཱཡཱ ཨེཏསྱཱཿ ཀཐཱཾ ཀསྨཻཙིདཔི མཱ ཀཐཡཏཾ།