< लूका 8 >

1 इसके बाद शीघ्र ही प्रभु येशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा तथा प्रचार करते हुए नगर-नगर और गांव-गांव फिरने लगे. बारहों शिष्य उनके साथ साथ थे.
ଅପରଞ୍ଚ ଯୀଶୁ ର୍ଦ୍ୱାଦଶଭିଃ ଶିଷ୍ୟୈଃ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ନାନାନଗରେଷୁ ନାନାଗ୍ରାମେଷୁ ଚ ଗଚ୍ଛନ୍ ଇଶ୍ୱରୀଯରାଜତ୍ୱସ୍ୟ ସୁସଂୱାଦଂ ପ୍ରଚାରଯିତୁଂ ପ୍ରାରେଭେ|
2 इनके अतिरिक्त कुछ वे स्त्रियां भी उनके साथ यात्रा कर रही थी, जिन्हें रोगों और दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया गया था: मगदालावासी मरियम, जिसमें से सात दुष्टात्मा निकाले गए थे,
ତଦା ଯସ୍ୟାଃ ସପ୍ତ ଭୂତା ନିରଗଚ୍ଛନ୍ ସା ମଗ୍ଦଲୀନୀତି ୱିଖ୍ୟାତା ମରିଯମ୍ ହେରୋଦ୍ରାଜସ୍ୟ ଗୃହାଧିପତେଃ ହୋଷେ ର୍ଭାର୍ୟ୍ୟା ଯୋହନା ଶୂଶାନା
3 हेरोदेस के भंडारी कूज़ा की पत्नी योहान्‍ना, सूज़न्‍ना तथा अन्य स्त्रियां. ये वे स्त्रियां थी, जो अपनी संपत्ति से इनकी सहायता कर रही थी.
ପ୍ରଭୃତଯୋ ଯା ବହ୍ୱ୍ୟଃ ସ୍ତ୍ରିଯଃ ଦୁଷ୍ଟଭୂତେଭ୍ୟୋ ରୋଗେଭ୍ୟଶ୍ଚ ମୁକ୍ତାଃ ସତ୍ୟୋ ନିଜୱିଭୂତୀ ର୍ୱ୍ୟଯିତ୍ୱା ତମସେୱନ୍ତ, ତାଃ ସର୍ୱ୍ୱାସ୍ତେନ ସାର୍ଦ୍ଧମ୍ ଆସନ୍|
4 जब नगर-नगर से बड़ी भीड़ इकट्ठा हो रही थी और लोग प्रभु येशु के पास आ रहे थे, प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा शिक्षा दी.
ଅନନ୍ତରଂ ନାନାନଗରେଭ୍ୟୋ ବହୱୋ ଲୋକା ଆଗତ୍ୟ ତସ୍ୟ ସମୀପେଽମିଲନ୍, ତଦା ସ ତେଭ୍ୟ ଏକାଂ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତକଥାଂ କଥଯାମାସ| ଏକଃ କୃଷୀବଲୋ ବୀଜାନି ୱପ୍ତୁଂ ବହିର୍ଜଗାମ,
5 “एक किसान बीज बोने के लिए निकला. बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, पैरों के नीचे कुचले गए तथा आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया.
ତତୋ ୱପନକାଲେ କତିପଯାନି ବୀଜାନି ମାର୍ଗପାର୍ଶ୍ୱେ ପେତୁଃ, ତତସ୍ତାନି ପଦତଲୈ ର୍ଦଲିତାନି ପକ୍ଷିଭି ର୍ଭକ୍ଷିତାନି ଚ|
6 कुछ पथरीली भूमि पर जा पड़े, वे अंकुरित तो हुए परंतु नमी न होने के कारण मुरझा गए.
କତିପଯାନି ବୀଜାନି ପାଷାଣସ୍ଥଲେ ପତିତାନି ଯଦ୍ୟପି ତାନ୍ୟଙ୍କୁରିତାନି ତଥାପି ରସାଭାୱାତ୍ ଶୁଶୁଷୁଃ|
7 कुछ बीज कंटीली झाड़ियों में जा पड़े और झाड़ियों ने उनके साथ बड़े होते हुए उन्हें दबा दिया.
କତିପଯାନି ବୀଜାନି କଣ୍ଟକିୱନମଧ୍ୟେ ପତିତାନି ତତଃ କଣ୍ଟକିୱନାନି ସଂୱୃଦ୍ଧ୍ୟ ତାନି ଜଗ୍ରସୁଃ|
8 कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, बड़े हुए और फल लाए—जितना बोया गया था उससे सौ गुणा.” जब प्रभु येशु यह दृष्टांत सुना चुके तो उन्होंने ऊंचे शब्द में कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले.”
ତଦନ୍ୟାନି କତିପଯବୀଜାନି ଚ ଭୂମ୍ୟାମୁତ୍ତମାଯାଂ ପେତୁସ୍ତତସ୍ତାନ୍ୟଙ୍କୁରଯିତ୍ୱା ଶତଗୁଣାନି ଫଲାନି ଫେଲୁଃ| ସ ଇମା କଥାଂ କଥଯିତ୍ୱା ପ୍ରୋଚ୍ଚୈଃ ପ୍ରୋୱାଚ, ଯସ୍ୟ ଶ୍ରୋତୁଂ ଶ୍ରୋତ୍ରେ ସ୍ତଃ ସ ଶୃଣୋତୁ|
9 उनके शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “इस दृष्टांत का अर्थ क्या है?”
ତତଃ ପରଂ ଶିଷ୍ୟାସ୍ତଂ ପପ୍ରଚ୍ଛୁରସ୍ୟ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତସ୍ୟ କିଂ ତାତ୍ପର୍ୟ୍ୟଂ?
10 प्रभु येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद जानने की क्षमता प्रदान की गई है किंतु अन्यों के लिए मुझे दृष्टान्तों का प्रयोग करना पड़ता हैं जिससे कि, “‘वे देखते हुए भी न देखें; और सुनते हुए भी न समझें.’
ତତଃ ସ ୱ୍ୟାଜହାର, ଈଶ୍ୱରୀଯରାଜ୍ୟସ୍ୟ ଗୁହ୍ୟାନି ଜ୍ଞାତୁଂ ଯୁଷ୍ମଭ୍ୟମଧିକାରୋ ଦୀଯତେ କିନ୍ତ୍ୱନ୍ୟେ ଯଥା ଦୃଷ୍ଟ୍ୱାପି ନ ପଶ୍ୟନ୍ତି ଶ୍ରୁତ୍ୱାପି ମ ବୁଧ୍ୟନ୍ତେ ଚ ତଦର୍ଥଂ ତେଷାଂ ପୁରସ୍ତାତ୍ ତାଃ ସର୍ୱ୍ୱାଃ କଥା ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତେନ କଥ୍ୟନ୍ତେ|
11 “इस दृष्टांत का अर्थ यह है: बीज परमेश्वर का वचन है.
ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତସ୍ୟାସ୍ୟାଭିପ୍ରାଯଃ, ଈଶ୍ୱରୀଯକଥା ବୀଜସ୍ୱରୂପା|
12 मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जो वचन सुनते तो हैं किंतु शैतान आता है और उनके मन से वचन उठा ले जाता है कि वे विश्वास करके उद्धार प्राप्‍त न कर सकें
ଯେ କଥାମାତ୍ରଂ ଶୃଣ୍ୱନ୍ତି କିନ୍ତୁ ପଶ୍ଚାଦ୍ ୱିଶ୍ୱସ୍ୟ ଯଥା ପରିତ୍ରାଣଂ ନ ପ୍ରାପ୍ନୁୱନ୍ତି ତଦାଶଯେନ ଶୈତାନେତ୍ୟ ହୃଦଯାତୃ ତାଂ କଥାମ୍ ଅପହରତି ତ ଏୱ ମାର୍ଗପାର୍ଶ୍ୱସ୍ଥଭୂମିସ୍ୱରୂପାଃ|
13 पथरीली भूमि वे लोग हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुनने पर खुशी से स्वीकारते हैं किंतु उनमें जड़ न होने के कारण वे विश्वास में थोड़े समय के लिए ही स्थिर रह पाते हैं. कठिन परिस्थितियों में घिरने पर वे विश्वास से दूर हो जाते हैं.
ଯେ କଥଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ସାନନ୍ଦଂ ଗୃହ୍ଲନ୍ତି କିନ୍ତ୍ୱବଦ୍ଧମୂଲତ୍ୱାତ୍ ସ୍ୱଲ୍ପକାଲମାତ୍ରଂ ପ୍ରତୀତ୍ୟ ପରୀକ୍ଷାକାଲେ ଭ୍ରଶ୍ୟନ୍ତି ତଏୱ ପାଷାଣଭୂମିସ୍ୱରୂପାଃ|
14 वह भूमि जहां बीज कंटीली झाड़ियों के मध्य गिरा, वे लोग हैं, जो सुनते तो हैं किंतु जब वे जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं, जीवन की चिंताएं, धन तथा विलासिता उनका दमन कर देती हैं और वे मजबूत हो ही नहीं पाते.
ଯେ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ଯାନ୍ତି ୱିଷଯଚିନ୍ତାଯାଂ ଧନଲୋଭେନ ଏହିକସୁଖେ ଚ ମଜ୍ଜନ୍ତ ଉପଯୁକ୍ତଫଲାନି ନ ଫଲନ୍ତି ତ ଏୱୋପ୍ତବୀଜକଣ୍ଟକିଭୂସ୍ୱରୂପାଃ|
15 इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढतापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरंतर फल लाते हैं.
କିନ୍ତୁ ଯେ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ସରଲୈଃ ଶୁଦ୍ଧୈଶ୍ଚାନ୍ତଃକରଣୈଃ କଥାଂ ଗୃହ୍ଲନ୍ତି ଧୈର୍ୟ୍ୟମ୍ ଅୱଲମ୍ବ୍ୟ ଫଲାନ୍ୟୁତ୍ପାଦଯନ୍ତି ଚ ତ ଏୱୋତ୍ତମମୃତ୍ସ୍ୱରୂପାଃ|
16 “कोई भी दीपक को जलाकर न तो उसे बर्तन से ढांकता है और न ही उसे पलंग के नीचे रखता है परंतु उसे दीवट पर रखता है कि कमरे में प्रवेश करने पर लोग देख सकें.
ଅପରଞ୍ଚ ପ୍ରଦୀପଂ ପ୍ରଜ୍ୱାଲ୍ୟ କୋପି ପାତ୍ରେଣ ନାଚ୍ଛାଦଯତି ତଥା ଖଟ୍ୱାଧୋପି ନ ସ୍ଥାପଯତି, କିନ୍ତୁ ଦୀପାଧାରୋପର୍ୟ୍ୟେୱ ସ୍ଥାପଯତି, ତସ୍ମାତ୍ ପ୍ରୱେଶକା ଦୀପ୍ତିଂ ପଶ୍ୟନ୍ତି|
17 ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है जिसे प्रकट न किया जाएगा तथा ऐसा कोई रहस्य नहीं जिसे उजागर कर सामने न लाया जाएगा.
ଯନ୍ନ ପ୍ରକାଶଯିଷ୍ୟତେ ତାଦୃଗ୍ ଅପ୍ରକାଶିତଂ ୱସ୍ତୁ କିମପି ନାସ୍ତି ଯଚ୍ଚ ନ ସୁୱ୍ୟକ୍ତଂ ପ୍ରଚାରଯିଷ୍ୟତେ ତାଦୃଗ୍ ଗୃପ୍ତଂ ୱସ୍ତୁ କିମପି ନାସ୍ତି|
18 इसलिये इसका विशेष ध्यान रखो कि तुम कैसे सुनते हो. जिस किसी के पास है, उसे और भी दिया जाएगा तथा जिस किसी के पास नहीं है, उसके पास से वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके विचार से उसका है.”
ଅତୋ ଯୂଯଂ କେନ ପ୍ରକାରେଣ ଶୃଣୁଥ ତତ୍ର ସାୱଧାନା ଭୱତ, ଯସ୍ୟ ସମୀପେ ବର୍ଦ୍ଧତେ ତସ୍ମୈ ପୁନର୍ଦାସ୍ୟତେ କିନ୍ତୁ ଯସ୍ୟାଶ୍ରଯେ ନ ବର୍ଦ୍ଧତେ ତସ୍ୟ ଯଦ୍ୟଦସ୍ତି ତଦପି ତସ୍ମାତ୍ ନେଷ୍ୟତେ|
19 तब प्रभु येशु की माता और उनके भाई उनसे भेंट करने वहां आए किंतु लोगों की भीड़ के कारण वे उनके पास पहुंचने में असमर्थ रहे.
ଅପରଞ୍ଚ ଯୀଶୋ ର୍ମାତା ଭ୍ରାତରଶ୍ଚ ତସ୍ୟ ସମୀପଂ ଜିଗମିଷୱଃ
20 किसी ने प्रभु येशु को सूचना दी, “आपकी माता तथा भाई बाहर खड़े हैं—वे आपसे भेंट करना चाह रहे हैं.”
କିନ୍ତୁ ଜନତାସମ୍ବାଧାତ୍ ତତ୍ସନ୍ନିଧିଂ ପ୍ରାପ୍ତୁଂ ନ ଶେକୁଃ| ତତ୍ପଶ୍ଚାତ୍ ତୱ ମାତା ଭ୍ରାତରଶ୍ଚ ତ୍ୱାଂ ସାକ୍ଷାତ୍ ଚିକୀର୍ଷନ୍ତୋ ବହିସ୍ତିଷ୍ଠନତୀତି ୱାର୍ତ୍ତାଯାଂ ତସ୍ମୈ କଥିତାଯାଂ
21 प्रभु येशु ने कहा, “मेरी माता और भाई वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते तथा उसका पालन करते हैं.”
ସ ପ୍ରତ୍ୟୁୱାଚ; ଯେ ଜନା ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ତଦନୁରୂପମାଚରନ୍ତି ତଏୱ ମମ ମାତା ଭ୍ରାତରଶ୍ଚ|
22 एक दिन प्रभु येशु ने शिष्यों से कहा, “आओ, हम झील की दूसरी ओर चलें.” इसलिये वे सब नाव में बैठकर चल दिए.
ଅନନ୍ତରଂ ଏକଦା ଯୀଶୁଃ ଶିଷ୍ୟୈଃ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ନାୱମାରୁହ୍ୟ ଜଗାଦ, ଆଯାତ ୱଯଂ ହ୍ରଦସ୍ୟ ପାରଂ ଯାମଃ, ତତସ୍ତେ ଜଗ୍ମୁଃ|
23 जब वे नाव खे रहे थे प्रभु येशु सो गए. उसी समय झील पर प्रचंड बवंडर उठा, यहां तक कि नाव में जल भरने लगा और उनका जीवन खतरे में पड़ गया.
ତେଷୁ ନୌକାଂ ୱାହଯତ୍ସୁ ସ ନିଦଦ୍ରୌ;
24 शिष्यों ने जाकर प्रभु येशु को जगाते हुए कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जा रहे हैं!” प्रभु येशु उठे. और बवंडर और तेज लहरों को डांटा; बवंडर थम गया तथा तेज लहरें शांत हो गईं.
ଅଥାକସ୍ମାତ୍ ପ୍ରବଲଝଞ୍ଭ୍ଶଗମାଦ୍ ହ୍ରଦେ ନୌକାଯାଂ ତରଙ୍ଗୈରାଚ୍ଛନ୍ନାଯାଂ ୱିପତ୍ ତାନ୍ ଜଗ୍ରାସ| ତସ୍ମାଦ୍ ଯୀଶୋରନ୍ତିକଂ ଗତ୍ୱା ହେ ଗୁରୋ ହେ ଗୁରୋ ପ୍ରାଣା ନୋ ଯାନ୍ତୀତି ଗଦିତ୍ୱା ତଂ ଜାଗରଯାମ୍ବଭୂୱୁଃ| ତଦା ସ ଉତ୍ଥାଯ ୱାଯୁଂ ତରଙ୍ଗାଂଶ୍ଚ ତର୍ଜଯାମାସ ତସ୍ମାଦୁଭୌ ନିୱୃତ୍ୟ ସ୍ଥିରୌ ବଭୂୱତୁଃ|
25 “कहां है तुम्हारा विश्वास?” प्रभु येशु ने अपने शिष्यों से प्रश्न किया. भय और अचंभे में वे एक दूसरे से पूछने लगे, “कौन हैं यह, जो बवंडर और लहरों तक को आदेश देते हैं और वे भी उनके आदेशों का पालन करती हैं!”
ସ ତାନ୍ ବଭାଷେ ଯୁଷ୍ମାକଂ ୱିଶ୍ୱାସଃ କ? ତସ୍ମାତ୍ତେ ଭୀତା ୱିସ୍ମିତାଶ୍ଚ ପରସ୍ପରଂ ଜଗଦୁଃ, ଅହୋ କୀଦୃଗଯଂ ମନୁଜଃ ପୱନଂ ପାନୀଯଞ୍ଚାଦିଶତି ତଦୁଭଯଂ ତଦାଦେଶଂ ୱହତି|
26 इसके बाद वे गिरासेन प्रदेश में आए, जो गलील झील के दूसरी ओर है.
ତତଃ ପରଂ ଗାଲୀଲ୍ପ୍ରଦେଶସ୍ୟ ସମ୍ମୁଖସ୍ଥଗିଦେରୀଯପ୍ରଦେଶେ ନୌକାଯାଂ ଲଗନ୍ତ୍ୟାଂ ତଟେଽୱରୋହମାୱାଦ୍
27 जब प्रभु येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक दुष्टात्मा समाये हुए थे. दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लंबे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परंतु कब्रों की गुफाओं में रहता था.
ବହୁତିଥକାଲଂ ଭୂତଗ୍ରସ୍ତ ଏକୋ ମାନୁଷଃ ପୁରାଦାଗତ୍ୟ ତଂ ସାକ୍ଷାଚ୍ଚକାର| ସ ମନୁଷୋ ୱାସୋ ନ ପରିଦଧତ୍ ଗୃହେ ଚ ନ ୱସନ୍ କେୱଲଂ ଶ୍ମଶାନମ୍ ଅଧ୍ୟୁୱାସ|
28 प्रभु येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यंत ऊंचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना देना? आपसे मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,”
ସ ଯୀଶୁଂ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱୈୱ ଚୀଚ୍ଛବ୍ଦଂ ଚକାର ତସ୍ୟ ସମ୍ମୁଖେ ପତିତ୍ୱା ପ୍ରୋଚ୍ଚୈର୍ଜଗାଦ ଚ, ହେ ସର୍ୱ୍ୱପ୍ରଧାନେଶ୍ୱରସ୍ୟ ପୁତ୍ର, ମଯା ସହ ତୱ କଃ ସମ୍ବନ୍ଧଃ? ତ୍ୱଯି ୱିନଯଂ କରୋମି ମାଂ ମା ଯାତଯ|
29 क्योंकि प्रभु येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय समय पर दुष्टात्मा उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बांधकर पहरे में रखते थे, फिर भी वह दुष्टात्मा बेड़ियां तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.
ଯତଃ ସ ତଂ ମାନୁଷଂ ତ୍ୟକ୍ତ୍ୱା ଯାତୁମ୍ ଅମେଧ୍ୟଭୂତମ୍ ଆଦିଦେଶ; ସ ଭୂତସ୍ତଂ ମାନୁଷମ୍ ଅସକୃଦ୍ ଦଧାର ତସ୍ମାଲ୍ଲୋକାଃ ଶୃଙ୍ଖଲେନ ନିଗଡେନ ଚ ବବନ୍ଧୁଃ; ସ ତଦ୍ ଭଂକ୍ତ୍ୱା ଭୂତୱଶତ୍ୱାତ୍ ମଧ୍ୟେପ୍ରାନ୍ତରଂ ଯଯୌ|
30 प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तुम्हारा?” “विशाल सेना,” उसने उत्तर दिया क्योंकि अनेक दुष्टात्मा उसमें समाए हुए थे.
ଅନନ୍ତରଂ ଯୀଶୁସ୍ତଂ ପପ୍ରଚ୍ଛ ତୱ କିନ୍ନାମ? ସ ଉୱାଚ, ମମ ନାମ ବାହିନୋ ଯତୋ ବହୱୋ ଭୂତାସ୍ତମାଶିଶ୍ରିଯୁଃ|
31 दुष्टात्मा-गण प्रभु येशु से निरंतर विनती कर रहे थे कि वह उन्हें पाताल में न भेजें. (Abyssos g12)
ଅଥ ଭୂତା ୱିନଯେନ ଜଗଦୁଃ, ଗଭୀରଂ ଗର୍ତ୍ତଂ ଗନ୍ତୁଂ ମାଜ୍ଞାପଯାସ୍ମାନ୍| (Abyssos g12)
32 वहीं पहाड़ी के ढाल पर सूअरों का एक विशाल समूह चर रहा था. दुष्टात्माओं ने प्रभु येशु से विनती की कि वह उन्हें सूअरों में जाने की अनुमति दे दें. प्रभु येशु ने उन्हें अनुमति दे दी.
ତଦା ପର୍ୱ୍ୱତୋପରି ୱରାହୱ୍ରଜଶ୍ଚରତି ତସ୍ମାଦ୍ ଭୂତା ୱିନଯେନ ପ୍ରୋଚୁଃ, ଅମୁଂ ୱରାହୱ୍ରଜମ୍ ଆଶ୍ରଯିତୁମ୍ ଅସ୍ମାନ୍ ଅନୁଜାନୀହି; ତତଃ ସୋନୁଜଜ୍ଞୌ|
33 जब दुष्टात्मा उस व्यक्ति में से बाहर आए, उन्होंने तुरंत जाकर सूअरों में प्रवेश किया और सूअर ढाल से झपटकर दौड़ते हुए झील में जा डूबे.
ତତଃ ପରଂ ଭୂତାସ୍ତଂ ମାନୁଷଂ ୱିହାଯ ୱରାହୱ୍ରଜମ୍ ଆଶିଶ୍ରିଯୁଃ ୱରାହୱ୍ରଜାଶ୍ଚ ତତ୍କ୍ଷଣାତ୍ କଟକେନ ଧାୱନ୍ତୋ ହ୍ରଦେ ପ୍ରାଣାନ୍ ୱିଜୃହୁଃ|
34 इन सूअरों के चरवाहे यह देख दौड़कर गए और नगर तथा उस प्रदेश में सब जगह इस घटना के विषय में बताने लगे.
ତଦ୍ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ଶୂକରରକ୍ଷକାଃ ପଲାଯମାନା ନଗରଂ ଗ୍ରାମଞ୍ଚ ଗତ୍ୱା ତତ୍ସର୍ୱ୍ୱୱୃତ୍ତାନ୍ତଂ କଥଯାମାସୁଃ|
35 लोग वहां यह देखने आने लगे कि क्या हुआ है. तब वे प्रभु येशु के पास आए. वहां उन्होंने देखा कि वह व्यक्ति, जो पहले दुष्टात्मा से पीड़ित था, वस्त्र धारण किए हुए, पूरी तरह स्वस्थ और सचेत प्रभु येशु के चरणों में बैठा हुआ है. यह देख वे हैरान रह गए.
ତତଃ କିଂ ୱୃତ୍ତମ୍ ଏତଦ୍ଦର୍ଶନାର୍ଥଂ ଲୋକା ନିର୍ଗତ୍ୟ ଯୀଶୋଃ ସମୀପଂ ଯଯୁଃ, ତଂ ମାନୁଷଂ ତ୍ୟକ୍ତଭୂତଂ ପରିହିତୱସ୍ତ୍ରଂ ସ୍ୱସ୍ଥମାନୁଷୱଦ୍ ଯୀଶୋଶ୍ଚରଣସନ୍ନିଧୌ ସୂପୱିଶନ୍ତଂ ୱିଲୋକ୍ୟ ବିଭ୍ୟୁଃ|
36 जिन्होंने यह सब देखा, उन्होंने जाकर अन्यों को सूचित किया कि यह दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार दुष्टात्मा से मुक्त हुआ है.
ଯେ ଲୋକାସ୍ତସ୍ୟ ଭୂତଗ୍ରସ୍ତସ୍ୟ ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟକରଣଂ ଦଦୃଶୁସ୍ତେ ତେଭ୍ୟଃ ସର୍ୱ୍ୱୱୃତ୍ତାନ୍ତଂ କଥଯାମାସୁଃ|
37 तब गिरासेन प्रदेश तथा पास के क्षेत्रों के सभी निवासियों ने प्रभु येशु को वहां से दूर चले जाने को कहा क्योंकि वे अत्यंत भयभीत हो गए थे. इसलिये प्रभु येशु नाव द्वारा वहां से चले गए.
ତଦନନ୍ତରଂ ତସ୍ୟ ଗିଦେରୀଯପ୍ରଦେଶସ୍ୟ ଚତୁର୍ଦିକ୍ସ୍ଥା ବହୱୋ ଜନା ଅତିତ୍ରସ୍ତା ୱିନଯେନ ତଂ ଜଗଦୁଃ, ଭୱାନ୍ ଅସ୍ମାକଂ ନିକଟାଦ୍ ୱ୍ରଜତୁ ତସ୍ମାତ୍ ସ ନାୱମାରୁହ୍ୟ ତତୋ ୱ୍ୟାଘୁଟ୍ୟ ଜଗାମ|
38 वह व्यक्ति जिसमें से दुष्टात्मा निकाला गया था उसने प्रभु येशु से विनती की कि वह उसे अपने साथ ले लें किंतु प्रभु येशु ने उसे यह कहते हुए विदा किया,
ତଦାନୀଂ ତ୍ୟକ୍ତଭୂତମନୁଜସ୍ତେନ ସହ ସ୍ଥାତୁଂ ପ୍ରାର୍ଥଯାଞ୍ଚକ୍ରେ
39 “अपने परिजनों में लौट जाओ तथा इन बड़े-बड़े कामों का वर्णन करो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे लिए किए हैं.” इसलिये वह लौटकर सभी नगर में यह वर्णन करने लगा कि प्रभु येशु ने उसके लिए कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं.
କିନ୍ତୁ ତଦର୍ଥମ୍ ଈଶ୍ୱରଃ କୀଦୃଙ୍ମହାକର୍ମ୍ମ କୃତୱାନ୍ ଇତି ନିୱେଶନଂ ଗତ୍ୱା ୱିଜ୍ଞାପଯ, ଯୀଶୁଃ କଥାମେତାଂ କଥଯିତ୍ୱା ତଂ ୱିସସର୍ଜ| ତତଃ ସ ୱ୍ରଜିତ୍ୱା ଯୀଶୁସ୍ତଦର୍ଥଂ ଯନ୍ମହାକର୍ମ୍ମ ଚକାର ତତ୍ ପୁରସ୍ୟ ସର୍ୱ୍ୱତ୍ର ପ୍ରକାଶଯିତୁଂ ପ୍ରାରେଭେ|
40 जब प्रभु येशु झील की दूसरी ओर पहुंचे, वहां इंतजार करती भीड़ ने उनका स्वागत किया.
ଅଥ ଯୀଶୌ ପରାୱୃତ୍ୟାଗତେ ଲୋକାସ୍ତଂ ଆଦରେଣ ଜଗୃହୁ ର୍ୟସ୍ମାତ୍ତେ ସର୍ୱ୍ୱେ ତମପେକ୍ଷାଞ୍ଚକ୍ରିରେ|
41 जाइरूस नामक एक व्यक्ति, जो यहूदी सभागृह का प्रधान था, उनसे भेंट करने आया. उसने प्रभु येशु के चरणों पर गिरकर उनसे विनती की कि वह उसके साथ उसके घर जाएं
ତଦନନ୍ତରଂ ଯାଯୀର୍ନାମ୍ନୋ ଭଜନଗେହସ୍ୟୈକୋଧିପ ଆଗତ୍ୟ ଯୀଶୋଶ୍ଚରଣଯୋଃ ପତିତ୍ୱା ସ୍ୱନିୱେଶନାଗମନାର୍ଥଂ ତସ୍ମିନ୍ ୱିନଯଂ ଚକାର,
42 क्योंकि उसकी एकमात्र बेटी, जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी. जब प्रभु येशु वहां जा रहे थे, मार्ग में वह भीड़ में दबे जा रहे थे.
ଯତସ୍ତସ୍ୟ ଦ୍ୱାଦଶୱର୍ଷୱଯସ୍କା କନ୍ୟୈକାସୀତ୍ ସା ମୃତକଲ୍ପାଭୱତ୍| ତତସ୍ତସ୍ୟ ଗମନକାଲେ ମାର୍ଗେ ଲୋକାନାଂ ମହାନ୍ ସମାଗମୋ ବଭୂୱ|
43 वहां बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री थी. उसने अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी.
ଦ୍ୱାଦଶୱର୍ଷାଣି ପ୍ରଦରରୋଗଗ୍ରସ୍ତା ନାନା ୱୈଦ୍ୟୈଶ୍ଚିକିତ୍ସିତା ସର୍ୱ୍ୱସ୍ୱଂ ୱ୍ୟଯିତ୍ୱାପି ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟଂ ନ ପ୍ରାପ୍ତା ଯା ଯୋଷିତ୍ ସା ଯୀଶୋଃ ପଶ୍ଚାଦାଗତ୍ୟ ତସ୍ୟ ୱସ୍ତ୍ରଗ୍ରନ୍ଥିଂ ପସ୍ପର୍ଶ|
44 इस स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ, और उसी क्षण उसका लहू बहना बंद हो गया.
ତସ୍ମାତ୍ ତତ୍କ୍ଷଣାତ୍ ତସ୍ୟା ରକ୍ତସ୍ରାୱୋ ରୁଦ୍ଧଃ|
45 “किसने मुझे छुआ है?” प्रभु येशु ने पूछा. जब सभी इससे इनकार कर रहे थे, पेतरॉस ने उनसे कहा, “स्वामी! यह बढ़ती हुई भीड़ आप पर गिरी जा रही है.”
ତଦାନୀଂ ଯୀଶୁରୱଦତ୍ କେନାହଂ ସ୍ପୃଷ୍ଟଃ? ତତୋଽନେକୈରନଙ୍ଗୀକୃତେ ପିତରସ୍ତସ୍ୟ ସଙ୍ଗିନଶ୍ଚାୱଦନ୍, ହେ ଗୁରୋ ଲୋକା ନିକଟସ୍ଥାଃ ସନ୍ତସ୍ତୱ ଦେହେ ଘର୍ଷଯନ୍ତି, ତଥାପି କେନାହଂ ସ୍ପୃଷ୍ଟଇତି ଭୱାନ୍ କୁତଃ ପୃଚ୍ଛତି?
46 किंतु प्रभु येशु ने उनसे कहा, “किसी ने तो मुझे छुआ है क्योंकि मुझे यह पता चला है कि मुझमें से सामर्थ्य निकली है.”
ଯୀଶୁଃ କଥଯାମାସ, କେନାପ୍ୟହଂ ସ୍ପୃଷ୍ଟୋ, ଯତୋ ମତ୍ତଃ ଶକ୍ତି ର୍ନିର୍ଗତେତି ମଯା ନିଶ୍ଚିତମଜ୍ଞାଯି|
47 जब उस स्त्री ने यह समझ लिया कि उसका छुपा रहना असंभव है, भय से कांपती हुई सामने आई और प्रभु येशु के चरणों में गिर पड़ी. उसने सभी उपस्थित भीड़ के सामने यह स्वीकार किया कि उसने प्रभु येशु को क्यों छुआ था तथा कैसे वह तत्काल रोग से चंगी हो गई.
ତଦା ସା ନାରୀ ସ୍ୱଯଂ ନ ଗୁପ୍ତେତି ୱିଦିତ୍ୱା କମ୍ପମାନା ସତୀ ତସ୍ୟ ସମ୍ମୁଖେ ପପାତ; ଯେନ ନିମିତ୍ତେନ ତଂ ପସ୍ପର୍ଶ ସ୍ପର୍ଶମାତ୍ରାଚ୍ଚ ଯେନ ପ୍ରକାରେଣ ସ୍ୱସ୍ଥାଭୱତ୍ ତତ୍ ସର୍ୱ୍ୱଂ ତସ୍ୟ ସାକ୍ଷାଦାଚଖ୍ୟୌ|
48 इस पर प्रभु येशु ने उससे कहा, “बेटी! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है. परमेश्वर की शांति में लौट जाओ.”
ତତଃ ସ ତାଂ ଜଗାଦ ହେ କନ୍ୟେ ସୁସ୍ଥିରା ଭୱ, ତୱ ୱିଶ୍ୱାସସ୍ତ୍ୱାଂ ସ୍ୱସ୍ଥାମ୍ ଅକାର୍ଷୀତ୍ ତ୍ୱଂ କ୍ଷେମେଣ ଯାହି|
49 जब प्रभु येशु यह कह ही रहे थे, यहूदी सभागृह प्रधान जाइरूस के घर से किसी व्यक्ति ने आकर सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है, अब गुरुवर को कष्ट न दीजिए.”
ଯୀଶୋରେତଦ୍ୱାକ୍ୟୱଦନକାଲେ ତସ୍ୟାଧିପତେ ର୍ନିୱେଶନାତ୍ କଶ୍ଚିଲ୍ଲୋକ ଆଗତ୍ୟ ତଂ ବଭାଷେ, ତୱ କନ୍ୟା ମୃତା ଗୁରୁଂ ମା କ୍ଲିଶାନ|
50 यह सुन प्रभु येशु ने जाइरूस को संबोधित कर कहा, “डरो मत! केवल विश्वास करो और वह स्वस्थ हो जाएगी.”
କିନ୍ତୁ ଯୀଶୁସ୍ତଦାକର୍ଣ୍ୟାଧିପତିଂ ୱ୍ୟାଜହାର, ମା ଭୈଷୀଃ କେୱଲଂ ୱିଶ୍ୱସିହି ତସ୍ମାତ୍ ସା ଜୀୱିଷ୍ୟତି|
51 जब वे जाइरूस के घर पर पहुंचे, प्रभु येशु ने पेतरॉस, योहन और याकोब तथा कन्या के माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को अपने साथ भीतर आने की अनुमति नहीं दी.
ଅଥ ତସ୍ୟ ନିୱେଶନେ ପ୍ରାପ୍ତେ ସ ପିତରଂ ଯୋହନଂ ଯାକୂବଞ୍ଚ କନ୍ୟାଯା ମାତରଂ ପିତରଞ୍ଚ ୱିନା, ଅନ୍ୟଂ କଞ୍ଚନ ପ୍ରୱେଷ୍ଟୁଂ ୱାରଯାମାସ|
52 उस समय सभी उस बालिका के लिए रो-रोकर शोक प्रकट कर रहे थे. “बंद करो यह रोना-चिल्लाना!” प्रभु येशु ने आज्ञा दी, “उसकी मृत्यु नहीं हुई है—वह सिर्फ सो रही है.”
ଅପରଞ୍ଚ ଯେ ରୁଦନ୍ତି ୱିଲପନ୍ତି ଚ ତାନ୍ ସର୍ୱ୍ୱାନ୍ ଜନାନ୍ ଉୱାଚ, ଯୂଯଂ ମା ରୋଦିଷ୍ଟ କନ୍ୟା ନ ମୃତା ନିଦ୍ରାତି|
53 इस पर वे प्रभु येशु पर हंसने लगे क्योंकि वे जानते थे कि बालिका की मृत्यु हो चुकी है.
କିନ୍ତୁ ସା ନିଶ୍ଚିତଂ ମୃତେତି ଜ୍ଞାତ୍ୱା ତେ ତମୁପଜହସୁଃ|
54 प्रभु येशु ने बालिका का हाथ पकड़कर कहा, “बेटी, उठो!”
ପଶ୍ଚାତ୍ ସ ସର୍ୱ୍ୱାନ୍ ବହିଃ କୃତ୍ୱା କନ୍ୟାଯାଃ କରୌ ଧୃତ୍ୱାଜୁହୁୱେ, ହେ କନ୍ୟେ ତ୍ୱମୁତ୍ତିଷ୍ଠ,
55 उसके प्राण उसमें लौट आए और वह तुरंत खड़ी हो गई. प्रभु येशु ने उनसे कहा कि बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए.
ତସ୍ମାତ୍ ତସ୍ୟାଃ ପ୍ରାଣେଷୁ ପୁନରାଗତେଷୁ ସା ତତ୍କ୍ଷଣାଦ୍ ଉତ୍ତସ୍ୟୌ| ତଦାନୀଂ ତସ୍ୟୈ କିଞ୍ଚିଦ୍ ଭକ୍ଷ୍ୟଂ ଦାତୁମ୍ ଆଦିଦେଶ|
56 उसके माता-पिता चकित रह गए किंतु प्रभु येशु ने उन्हें निर्देश दिया कि जो कुछ हुआ है, उसकी चर्चा किसी से न करें.
ତତସ୍ତସ୍ୟାଃ ପିତରୌ ୱିସ୍ମଯଂ ଗତୌ କିନ୍ତୁ ସ ତାୱାଦିଦେଶ ଘଟନାଯା ଏତସ୍ୟାଃ କଥାଂ କସ୍ମୈଚିଦପି ମା କଥଯତଂ|

< लूका 8 >