< लूका 8 >
1 इसके बाद शीघ्र ही प्रभु येशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा तथा प्रचार करते हुए नगर-नगर और गांव-गांव फिरने लगे. बारहों शिष्य उनके साथ साथ थे.
১অপরঞ্চ যীশু র্দ্ৱাদশভিঃ শিষ্যৈঃ সার্দ্ধং নানানগরেষু নানাগ্রামেষু চ গচ্ছন্ ইশ্ৱরীযরাজৎৱস্য সুসংৱাদং প্রচারযিতুং প্রারেভে|
2 इनके अतिरिक्त कुछ वे स्त्रियां भी उनके साथ यात्रा कर रही थी, जिन्हें रोगों और दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया गया था: मगदालावासी मरियम, जिसमें से सात दुष्टात्मा निकाले गए थे,
২তদা যস্যাঃ সপ্ত ভূতা নিরগচ্ছন্ সা মগ্দলীনীতি ৱিখ্যাতা মরিযম্ হেরোদ্রাজস্য গৃহাধিপতেঃ হোষে র্ভার্য্যা যোহনা শূশানা
3 हेरोदेस के भंडारी कूज़ा की पत्नी योहान्ना, सूज़न्ना तथा अन्य स्त्रियां. ये वे स्त्रियां थी, जो अपनी संपत्ति से इनकी सहायता कर रही थी.
৩প্রভৃতযো যা বহ্ৱ্যঃ স্ত্রিযঃ দুষ্টভূতেভ্যো রোগেভ্যশ্চ মুক্তাঃ সত্যো নিজৱিভূতী র্ৱ্যযিৎৱা তমসেৱন্ত, তাঃ সর্ৱ্ৱাস্তেন সার্দ্ধম্ আসন্|
4 जब नगर-नगर से बड़ी भीड़ इकट्ठा हो रही थी और लोग प्रभु येशु के पास आ रहे थे, प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा शिक्षा दी.
৪অনন্তরং নানানগরেভ্যো বহৱো লোকা আগত্য তস্য সমীপেঽমিলন্, তদা স তেভ্য একাং দৃষ্টান্তকথাং কথযামাস| একঃ কৃষীবলো বীজানি ৱপ্তুং বহির্জগাম,
5 “एक किसान बीज बोने के लिए निकला. बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, पैरों के नीचे कुचले गए तथा आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया.
৫ততো ৱপনকালে কতিপযানি বীজানি মার্গপার্শ্ৱে পেতুঃ, ততস্তানি পদতলৈ র্দলিতানি পক্ষিভি র্ভক্ষিতানি চ|
6 कुछ पथरीली भूमि पर जा पड़े, वे अंकुरित तो हुए परंतु नमी न होने के कारण मुरझा गए.
৬কতিপযানি বীজানি পাষাণস্থলে পতিতানি যদ্যপি তান্যঙ্কুরিতানি তথাপি রসাভাৱাৎ শুশুষুঃ|
7 कुछ बीज कंटीली झाड़ियों में जा पड़े और झाड़ियों ने उनके साथ बड़े होते हुए उन्हें दबा दिया.
৭কতিপযানি বীজানি কণ্টকিৱনমধ্যে পতিতানি ততঃ কণ্টকিৱনানি সংৱৃদ্ধ্য তানি জগ্রসুঃ|
8 कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, बड़े हुए और फल लाए—जितना बोया गया था उससे सौ गुणा.” जब प्रभु येशु यह दृष्टांत सुना चुके तो उन्होंने ऊंचे शब्द में कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले.”
৮তদন্যানি কতিপযবীজানি চ ভূম্যামুত্তমাযাং পেতুস্ততস্তান্যঙ্কুরযিৎৱা শতগুণানি ফলানি ফেলুঃ| স ইমা কথাং কথযিৎৱা প্রোচ্চৈঃ প্রোৱাচ, যস্য শ্রোতুং শ্রোত্রে স্তঃ স শৃণোতু|
9 उनके शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “इस दृष्टांत का अर्थ क्या है?”
৯ততঃ পরং শিষ্যাস্তং পপ্রচ্ছুরস্য দৃষ্টান্তস্য কিং তাৎপর্য্যং?
10 प्रभु येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद जानने की क्षमता प्रदान की गई है किंतु अन्यों के लिए मुझे दृष्टान्तों का प्रयोग करना पड़ता हैं जिससे कि, “‘वे देखते हुए भी न देखें; और सुनते हुए भी न समझें.’
১০ততঃ স ৱ্যাজহার, ঈশ্ৱরীযরাজ্যস্য গুহ্যানি জ্ঞাতুং যুষ্মভ্যমধিকারো দীযতে কিন্ত্ৱন্যে যথা দৃষ্ট্ৱাপি ন পশ্যন্তি শ্রুৎৱাপি ম বুধ্যন্তে চ তদর্থং তেষাং পুরস্তাৎ তাঃ সর্ৱ্ৱাঃ কথা দৃষ্টান্তেন কথ্যন্তে|
11 “इस दृष्टांत का अर्थ यह है: बीज परमेश्वर का वचन है.
১১দৃষ্টান্তস্যাস্যাভিপ্রাযঃ, ঈশ্ৱরীযকথা বীজস্ৱরূপা|
12 मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जो वचन सुनते तो हैं किंतु शैतान आता है और उनके मन से वचन उठा ले जाता है कि वे विश्वास करके उद्धार प्राप्त न कर सकें
১২যে কথামাত্রং শৃণ্ৱন্তি কিন্তু পশ্চাদ্ ৱিশ্ৱস্য যথা পরিত্রাণং ন প্রাপ্নুৱন্তি তদাশযেন শৈতানেত্য হৃদযাতৃ তাং কথাম্ অপহরতি ত এৱ মার্গপার্শ্ৱস্থভূমিস্ৱরূপাঃ|
13 पथरीली भूमि वे लोग हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुनने पर खुशी से स्वीकारते हैं किंतु उनमें जड़ न होने के कारण वे विश्वास में थोड़े समय के लिए ही स्थिर रह पाते हैं. कठिन परिस्थितियों में घिरने पर वे विश्वास से दूर हो जाते हैं.
১৩যে কথং শ্রুৎৱা সানন্দং গৃহ্লন্তি কিন্ত্ৱবদ্ধমূলৎৱাৎ স্ৱল্পকালমাত্রং প্রতীত্য পরীক্ষাকালে ভ্রশ্যন্তি তএৱ পাষাণভূমিস্ৱরূপাঃ|
14 वह भूमि जहां बीज कंटीली झाड़ियों के मध्य गिरा, वे लोग हैं, जो सुनते तो हैं किंतु जब वे जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं, जीवन की चिंताएं, धन तथा विलासिता उनका दमन कर देती हैं और वे मजबूत हो ही नहीं पाते.
১৪যে কথাং শ্রুৎৱা যান্তি ৱিষযচিন্তাযাং ধনলোভেন এহিকসুখে চ মজ্জন্ত উপযুক্তফলানি ন ফলন্তি ত এৱোপ্তবীজকণ্টকিভূস্ৱরূপাঃ|
15 इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढतापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरंतर फल लाते हैं.
১৫কিন্তু যে শ্রুৎৱা সরলৈঃ শুদ্ধৈশ্চান্তঃকরণৈঃ কথাং গৃহ্লন্তি ধৈর্য্যম্ অৱলম্ব্য ফলান্যুৎপাদযন্তি চ ত এৱোত্তমমৃৎস্ৱরূপাঃ|
16 “कोई भी दीपक को जलाकर न तो उसे बर्तन से ढांकता है और न ही उसे पलंग के नीचे रखता है परंतु उसे दीवट पर रखता है कि कमरे में प्रवेश करने पर लोग देख सकें.
১৬অপরঞ্চ প্রদীপং প্রজ্ৱাল্য কোপি পাত্রেণ নাচ্ছাদযতি তথা খট্ৱাধোপি ন স্থাপযতি, কিন্তু দীপাধারোপর্য্যেৱ স্থাপযতি, তস্মাৎ প্রৱেশকা দীপ্তিং পশ্যন্তি|
17 ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है जिसे प्रकट न किया जाएगा तथा ऐसा कोई रहस्य नहीं जिसे उजागर कर सामने न लाया जाएगा.
১৭যন্ন প্রকাশযিষ্যতে তাদৃগ্ অপ্রকাশিতং ৱস্তু কিমপি নাস্তি যচ্চ ন সুৱ্যক্তং প্রচারযিষ্যতে তাদৃগ্ গৃপ্তং ৱস্তু কিমপি নাস্তি|
18 इसलिये इसका विशेष ध्यान रखो कि तुम कैसे सुनते हो. जिस किसी के पास है, उसे और भी दिया जाएगा तथा जिस किसी के पास नहीं है, उसके पास से वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके विचार से उसका है.”
১৮অতো যূযং কেন প্রকারেণ শৃণুথ তত্র সাৱধানা ভৱত, যস্য সমীপে বর্দ্ধতে তস্মৈ পুনর্দাস্যতে কিন্তু যস্যাশ্রযে ন বর্দ্ধতে তস্য যদ্যদস্তি তদপি তস্মাৎ নেষ্যতে|
19 तब प्रभु येशु की माता और उनके भाई उनसे भेंट करने वहां आए किंतु लोगों की भीड़ के कारण वे उनके पास पहुंचने में असमर्थ रहे.
১৯অপরঞ্চ যীশো র্মাতা ভ্রাতরশ্চ তস্য সমীপং জিগমিষৱঃ
20 किसी ने प्रभु येशु को सूचना दी, “आपकी माता तथा भाई बाहर खड़े हैं—वे आपसे भेंट करना चाह रहे हैं.”
২০কিন্তু জনতাসম্বাধাৎ তৎসন্নিধিং প্রাপ্তুং ন শেকুঃ| তৎপশ্চাৎ তৱ মাতা ভ্রাতরশ্চ ৎৱাং সাক্ষাৎ চিকীর্ষন্তো বহিস্তিষ্ঠনতীতি ৱার্ত্তাযাং তস্মৈ কথিতাযাং
21 प्रभु येशु ने कहा, “मेरी माता और भाई वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते तथा उसका पालन करते हैं.”
২১স প্রত্যুৱাচ; যে জনা ঈশ্ৱরস্য কথাং শ্রুৎৱা তদনুরূপমাচরন্তি তএৱ মম মাতা ভ্রাতরশ্চ|
22 एक दिन प्रभु येशु ने शिष्यों से कहा, “आओ, हम झील की दूसरी ओर चलें.” इसलिये वे सब नाव में बैठकर चल दिए.
২২অনন্তরং একদা যীশুঃ শিষ্যৈঃ সার্দ্ধং নাৱমারুহ্য জগাদ, আযাত ৱযং হ্রদস্য পারং যামঃ, ততস্তে জগ্মুঃ|
23 जब वे नाव खे रहे थे प्रभु येशु सो गए. उसी समय झील पर प्रचंड बवंडर उठा, यहां तक कि नाव में जल भरने लगा और उनका जीवन खतरे में पड़ गया.
২৩তেষু নৌকাং ৱাহযৎসু স নিদদ্রৌ;
24 शिष्यों ने जाकर प्रभु येशु को जगाते हुए कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जा रहे हैं!” प्रभु येशु उठे. और बवंडर और तेज लहरों को डांटा; बवंडर थम गया तथा तेज लहरें शांत हो गईं.
২৪অথাকস্মাৎ প্রবলঝঞ্ভ্শগমাদ্ হ্রদে নৌকাযাং তরঙ্গৈরাচ্ছন্নাযাং ৱিপৎ তান্ জগ্রাস| তস্মাদ্ যীশোরন্তিকং গৎৱা হে গুরো হে গুরো প্রাণা নো যান্তীতি গদিৎৱা তং জাগরযাম্বভূৱুঃ| তদা স উত্থায ৱাযুং তরঙ্গাংশ্চ তর্জযামাস তস্মাদুভৌ নিৱৃত্য স্থিরৌ বভূৱতুঃ|
25 “कहां है तुम्हारा विश्वास?” प्रभु येशु ने अपने शिष्यों से प्रश्न किया. भय और अचंभे में वे एक दूसरे से पूछने लगे, “कौन हैं यह, जो बवंडर और लहरों तक को आदेश देते हैं और वे भी उनके आदेशों का पालन करती हैं!”
২৫স তান্ বভাষে যুষ্মাকং ৱিশ্ৱাসঃ ক? তস্মাত্তে ভীতা ৱিস্মিতাশ্চ পরস্পরং জগদুঃ, অহো কীদৃগযং মনুজঃ পৱনং পানীযঞ্চাদিশতি তদুভযং তদাদেশং ৱহতি|
26 इसके बाद वे गिरासेन प्रदेश में आए, जो गलील झील के दूसरी ओर है.
২৬ততঃ পরং গালীল্প্রদেশস্য সম্মুখস্থগিদেরীযপ্রদেশে নৌকাযাং লগন্ত্যাং তটেঽৱরোহমাৱাদ্
27 जब प्रभु येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक दुष्टात्मा समाये हुए थे. दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लंबे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परंतु कब्रों की गुफाओं में रहता था.
২৭বহুতিথকালং ভূতগ্রস্ত একো মানুষঃ পুরাদাগত্য তং সাক্ষাচ্চকার| স মনুষো ৱাসো ন পরিদধৎ গৃহে চ ন ৱসন্ কেৱলং শ্মশানম্ অধ্যুৱাস|
28 प्रभु येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यंत ऊंचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना देना? आपसे मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,”
২৮স যীশুং দৃষ্ট্ৱৈৱ চীচ্ছব্দং চকার তস্য সম্মুখে পতিৎৱা প্রোচ্চৈর্জগাদ চ, হে সর্ৱ্ৱপ্রধানেশ্ৱরস্য পুত্র, মযা সহ তৱ কঃ সম্বন্ধঃ? ৎৱযি ৱিনযং করোমি মাং মা যাতয|
29 क्योंकि प्रभु येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय समय पर दुष्टात्मा उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बांधकर पहरे में रखते थे, फिर भी वह दुष्टात्मा बेड़ियां तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.
২৯যতঃ স তং মানুষং ত্যক্ত্ৱা যাতুম্ অমেধ্যভূতম্ আদিদেশ; স ভূতস্তং মানুষম্ অসকৃদ্ দধার তস্মাল্লোকাঃ শৃঙ্খলেন নিগডেন চ ববন্ধুঃ; স তদ্ ভংক্ত্ৱা ভূতৱশৎৱাৎ মধ্যেপ্রান্তরং যযৌ|
30 प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तुम्हारा?” “विशाल सेना,” उसने उत्तर दिया क्योंकि अनेक दुष्टात्मा उसमें समाए हुए थे.
৩০অনন্তরং যীশুস্তং পপ্রচ্ছ তৱ কিন্নাম? স উৱাচ, মম নাম বাহিনো যতো বহৱো ভূতাস্তমাশিশ্রিযুঃ|
31 दुष्टात्मा-गण प्रभु येशु से निरंतर विनती कर रहे थे कि वह उन्हें पाताल में न भेजें. (Abyssos )
৩১অথ ভূতা ৱিনযেন জগদুঃ, গভীরং গর্ত্তং গন্তুং মাজ্ঞাপযাস্মান্| (Abyssos )
32 वहीं पहाड़ी के ढाल पर सूअरों का एक विशाल समूह चर रहा था. दुष्टात्माओं ने प्रभु येशु से विनती की कि वह उन्हें सूअरों में जाने की अनुमति दे दें. प्रभु येशु ने उन्हें अनुमति दे दी.
৩২তদা পর্ৱ্ৱতোপরি ৱরাহৱ্রজশ্চরতি তস্মাদ্ ভূতা ৱিনযেন প্রোচুঃ, অমুং ৱরাহৱ্রজম্ আশ্রযিতুম্ অস্মান্ অনুজানীহি; ততঃ সোনুজজ্ঞৌ|
33 जब दुष्टात्मा उस व्यक्ति में से बाहर आए, उन्होंने तुरंत जाकर सूअरों में प्रवेश किया और सूअर ढाल से झपटकर दौड़ते हुए झील में जा डूबे.
৩৩ততঃ পরং ভূতাস্তং মানুষং ৱিহায ৱরাহৱ্রজম্ আশিশ্রিযুঃ ৱরাহৱ্রজাশ্চ তৎক্ষণাৎ কটকেন ধাৱন্তো হ্রদে প্রাণান্ ৱিজৃহুঃ|
34 इन सूअरों के चरवाहे यह देख दौड़कर गए और नगर तथा उस प्रदेश में सब जगह इस घटना के विषय में बताने लगे.
৩৪তদ্ দৃষ্ট্ৱা শূকররক্ষকাঃ পলাযমানা নগরং গ্রামঞ্চ গৎৱা তৎসর্ৱ্ৱৱৃত্তান্তং কথযামাসুঃ|
35 लोग वहां यह देखने आने लगे कि क्या हुआ है. तब वे प्रभु येशु के पास आए. वहां उन्होंने देखा कि वह व्यक्ति, जो पहले दुष्टात्मा से पीड़ित था, वस्त्र धारण किए हुए, पूरी तरह स्वस्थ और सचेत प्रभु येशु के चरणों में बैठा हुआ है. यह देख वे हैरान रह गए.
৩৫ততঃ কিং ৱৃত্তম্ এতদ্দর্শনার্থং লোকা নির্গত্য যীশোঃ সমীপং যযুঃ, তং মানুষং ত্যক্তভূতং পরিহিতৱস্ত্রং স্ৱস্থমানুষৱদ্ যীশোশ্চরণসন্নিধৌ সূপৱিশন্তং ৱিলোক্য বিভ্যুঃ|
36 जिन्होंने यह सब देखा, उन्होंने जाकर अन्यों को सूचित किया कि यह दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार दुष्टात्मा से मुक्त हुआ है.
৩৬যে লোকাস্তস্য ভূতগ্রস্তস্য স্ৱাস্থ্যকরণং দদৃশুস্তে তেভ্যঃ সর্ৱ্ৱৱৃত্তান্তং কথযামাসুঃ|
37 तब गिरासेन प्रदेश तथा पास के क्षेत्रों के सभी निवासियों ने प्रभु येशु को वहां से दूर चले जाने को कहा क्योंकि वे अत्यंत भयभीत हो गए थे. इसलिये प्रभु येशु नाव द्वारा वहां से चले गए.
৩৭তদনন্তরং তস্য গিদেরীযপ্রদেশস্য চতুর্দিক্স্থা বহৱো জনা অতিত্রস্তা ৱিনযেন তং জগদুঃ, ভৱান্ অস্মাকং নিকটাদ্ ৱ্রজতু তস্মাৎ স নাৱমারুহ্য ততো ৱ্যাঘুট্য জগাম|
38 वह व्यक्ति जिसमें से दुष्टात्मा निकाला गया था उसने प्रभु येशु से विनती की कि वह उसे अपने साथ ले लें किंतु प्रभु येशु ने उसे यह कहते हुए विदा किया,
৩৮তদানীং ত্যক্তভূতমনুজস্তেন সহ স্থাতুং প্রার্থযাঞ্চক্রে
39 “अपने परिजनों में लौट जाओ तथा इन बड़े-बड़े कामों का वर्णन करो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे लिए किए हैं.” इसलिये वह लौटकर सभी नगर में यह वर्णन करने लगा कि प्रभु येशु ने उसके लिए कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं.
৩৯কিন্তু তদর্থম্ ঈশ্ৱরঃ কীদৃঙ্মহাকর্ম্ম কৃতৱান্ ইতি নিৱেশনং গৎৱা ৱিজ্ঞাপয, যীশুঃ কথামেতাং কথযিৎৱা তং ৱিসসর্জ| ততঃ স ৱ্রজিৎৱা যীশুস্তদর্থং যন্মহাকর্ম্ম চকার তৎ পুরস্য সর্ৱ্ৱত্র প্রকাশযিতুং প্রারেভে|
40 जब प्रभु येशु झील की दूसरी ओर पहुंचे, वहां इंतजार करती भीड़ ने उनका स्वागत किया.
৪০অথ যীশৌ পরাৱৃত্যাগতে লোকাস্তং আদরেণ জগৃহু র্যস্মাত্তে সর্ৱ্ৱে তমপেক্ষাঞ্চক্রিরে|
41 जाइरूस नामक एक व्यक्ति, जो यहूदी सभागृह का प्रधान था, उनसे भेंट करने आया. उसने प्रभु येशु के चरणों पर गिरकर उनसे विनती की कि वह उसके साथ उसके घर जाएं
৪১তদনন্তরং যাযীর্নাম্নো ভজনগেহস্যৈকোধিপ আগত্য যীশোশ্চরণযোঃ পতিৎৱা স্ৱনিৱেশনাগমনার্থং তস্মিন্ ৱিনযং চকার,
42 क्योंकि उसकी एकमात्र बेटी, जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी. जब प्रभु येशु वहां जा रहे थे, मार्ग में वह भीड़ में दबे जा रहे थे.
৪২যতস্তস্য দ্ৱাদশৱর্ষৱযস্কা কন্যৈকাসীৎ সা মৃতকল্পাভৱৎ| ততস্তস্য গমনকালে মার্গে লোকানাং মহান্ সমাগমো বভূৱ|
43 वहां बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री थी. उसने अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी.
৪৩দ্ৱাদশৱর্ষাণি প্রদররোগগ্রস্তা নানা ৱৈদ্যৈশ্চিকিৎসিতা সর্ৱ্ৱস্ৱং ৱ্যযিৎৱাপি স্ৱাস্থ্যং ন প্রাপ্তা যা যোষিৎ সা যীশোঃ পশ্চাদাগত্য তস্য ৱস্ত্রগ্রন্থিং পস্পর্শ|
44 इस स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ, और उसी क्षण उसका लहू बहना बंद हो गया.
৪৪তস্মাৎ তৎক্ষণাৎ তস্যা রক্তস্রাৱো রুদ্ধঃ|
45 “किसने मुझे छुआ है?” प्रभु येशु ने पूछा. जब सभी इससे इनकार कर रहे थे, पेतरॉस ने उनसे कहा, “स्वामी! यह बढ़ती हुई भीड़ आप पर गिरी जा रही है.”
৪৫তদানীং যীশুরৱদৎ কেনাহং স্পৃষ্টঃ? ততোঽনেকৈরনঙ্গীকৃতে পিতরস্তস্য সঙ্গিনশ্চাৱদন্, হে গুরো লোকা নিকটস্থাঃ সন্তস্তৱ দেহে ঘর্ষযন্তি, তথাপি কেনাহং স্পৃষ্টইতি ভৱান্ কুতঃ পৃচ্ছতি?
46 किंतु प्रभु येशु ने उनसे कहा, “किसी ने तो मुझे छुआ है क्योंकि मुझे यह पता चला है कि मुझमें से सामर्थ्य निकली है.”
৪৬যীশুঃ কথযামাস, কেনাপ্যহং স্পৃষ্টো, যতো মত্তঃ শক্তি র্নির্গতেতি মযা নিশ্চিতমজ্ঞাযি|
47 जब उस स्त्री ने यह समझ लिया कि उसका छुपा रहना असंभव है, भय से कांपती हुई सामने आई और प्रभु येशु के चरणों में गिर पड़ी. उसने सभी उपस्थित भीड़ के सामने यह स्वीकार किया कि उसने प्रभु येशु को क्यों छुआ था तथा कैसे वह तत्काल रोग से चंगी हो गई.
৪৭তদা সা নারী স্ৱযং ন গুপ্তেতি ৱিদিৎৱা কম্পমানা সতী তস্য সম্মুখে পপাত; যেন নিমিত্তেন তং পস্পর্শ স্পর্শমাত্রাচ্চ যেন প্রকারেণ স্ৱস্থাভৱৎ তৎ সর্ৱ্ৱং তস্য সাক্ষাদাচখ্যৌ|
48 इस पर प्रभु येशु ने उससे कहा, “बेटी! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है. परमेश्वर की शांति में लौट जाओ.”
৪৮ততঃ স তাং জগাদ হে কন্যে সুস্থিরা ভৱ, তৱ ৱিশ্ৱাসস্ত্ৱাং স্ৱস্থাম্ অকার্ষীৎ ৎৱং ক্ষেমেণ যাহি|
49 जब प्रभु येशु यह कह ही रहे थे, यहूदी सभागृह प्रधान जाइरूस के घर से किसी व्यक्ति ने आकर सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है, अब गुरुवर को कष्ट न दीजिए.”
৪৯যীশোরেতদ্ৱাক্যৱদনকালে তস্যাধিপতে র্নিৱেশনাৎ কশ্চিল্লোক আগত্য তং বভাষে, তৱ কন্যা মৃতা গুরুং মা ক্লিশান|
50 यह सुन प्रभु येशु ने जाइरूस को संबोधित कर कहा, “डरो मत! केवल विश्वास करो और वह स्वस्थ हो जाएगी.”
৫০কিন্তু যীশুস্তদাকর্ণ্যাধিপতিং ৱ্যাজহার, মা ভৈষীঃ কেৱলং ৱিশ্ৱসিহি তস্মাৎ সা জীৱিষ্যতি|
51 जब वे जाइरूस के घर पर पहुंचे, प्रभु येशु ने पेतरॉस, योहन और याकोब तथा कन्या के माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को अपने साथ भीतर आने की अनुमति नहीं दी.
৫১অথ তস্য নিৱেশনে প্রাপ্তে স পিতরং যোহনং যাকূবঞ্চ কন্যাযা মাতরং পিতরঞ্চ ৱিনা, অন্যং কঞ্চন প্রৱেষ্টুং ৱারযামাস|
52 उस समय सभी उस बालिका के लिए रो-रोकर शोक प्रकट कर रहे थे. “बंद करो यह रोना-चिल्लाना!” प्रभु येशु ने आज्ञा दी, “उसकी मृत्यु नहीं हुई है—वह सिर्फ सो रही है.”
৫২অপরঞ্চ যে রুদন্তি ৱিলপন্তি চ তান্ সর্ৱ্ৱান্ জনান্ উৱাচ, যূযং মা রোদিষ্ট কন্যা ন মৃতা নিদ্রাতি|
53 इस पर वे प्रभु येशु पर हंसने लगे क्योंकि वे जानते थे कि बालिका की मृत्यु हो चुकी है.
৫৩কিন্তু সা নিশ্চিতং মৃতেতি জ্ঞাৎৱা তে তমুপজহসুঃ|
54 प्रभु येशु ने बालिका का हाथ पकड़कर कहा, “बेटी, उठो!”
৫৪পশ্চাৎ স সর্ৱ্ৱান্ বহিঃ কৃৎৱা কন্যাযাঃ করৌ ধৃৎৱাজুহুৱে, হে কন্যে ৎৱমুত্তিষ্ঠ,
55 उसके प्राण उसमें लौट आए और वह तुरंत खड़ी हो गई. प्रभु येशु ने उनसे कहा कि बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए.
৫৫তস্মাৎ তস্যাঃ প্রাণেষু পুনরাগতেষু সা তৎক্ষণাদ্ উত্তস্যৌ| তদানীং তস্যৈ কিঞ্চিদ্ ভক্ষ্যং দাতুম্ আদিদেশ|
56 उसके माता-पिता चकित रह गए किंतु प्रभु येशु ने उन्हें निर्देश दिया कि जो कुछ हुआ है, उसकी चर्चा किसी से न करें.
৫৬ততস্তস্যাঃ পিতরৌ ৱিস্মযং গতৌ কিন্তু স তাৱাদিদেশ ঘটনাযা এতস্যাঃ কথাং কস্মৈচিদপি মা কথযতং|