< लूका 8 >

1 इसके बाद शीघ्र ही प्रभु येशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा तथा प्रचार करते हुए नगर-नगर और गांव-गांव फिरने लगे. बारहों शिष्य उनके साथ साथ थे.
ויהי אחרי כן ויעבר מעיר אל עיר ומכפר אל כפר קורא ומבשר את מלכות האלהים ושנים העשר אתו׃
2 इनके अतिरिक्त कुछ वे स्त्रियां भी उनके साथ यात्रा कर रही थी, जिन्हें रोगों और दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया गया था: मगदालावासी मरियम, जिसमें से सात दुष्टात्मा निकाले गए थे,
ונשים אשר נרפאו מרוחות רעות ומחליים מרים הנקראה מגדלית אשר גרשו ממנה שבעה שדים׃
3 हेरोदेस के भंडारी कूज़ा की पत्नी योहान्‍ना, सूज़न्‍ना तथा अन्य स्त्रियां. ये वे स्त्रियां थी, जो अपनी संपत्ति से इनकी सहायता कर रही थी.
ויוחנה אשת כוזא סוכן הורדוס ושושנה ואחרות רבות אשר שרתהו מנכסיהן׃
4 जब नगर-नगर से बड़ी भीड़ इकट्ठा हो रही थी और लोग प्रभु येशु के पास आ रहे थे, प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा शिक्षा दी.
ויהי בהתאסף המון עם רב אשר יצאו אליו מעיר ועיר וידבר במשל׃
5 “एक किसान बीज बोने के लिए निकला. बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, पैरों के नीचे कुचले गए तथा आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया.
הזורע יצא לזרע את זרעו ובזרעו נפל מן הזרע על יד הדרך וירמס ועוף השמים אכלו׃
6 कुछ पथरीली भूमि पर जा पड़े, वे अंकुरित तो हुए परंतु नमी न होने के कारण मुरझा गए.
ויש אשר נפל על הסלע ויצמח וייבש כי לא היתה לו לחה׃
7 कुछ बीज कंटीली झाड़ियों में जा पड़े और झाड़ियों ने उनके साथ बड़े होते हुए उन्हें दबा दिया.
ויש אשר נפל בתוך הקצים ויצמחו הקצים עמו וימעכהו׃
8 कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, बड़े हुए और फल लाए—जितना बोया गया था उससे सौ गुणा.” जब प्रभु येशु यह दृष्टांत सुना चुके तो उन्होंने ऊंचे शब्द में कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले.”
ויש אשר נפל על האדמה הטובה ויצמח ויעש פרי מאה שערים כזאת דבר ויזעק מי אשר אזנים לו לשמע ישמע׃
9 उनके शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “इस दृष्टांत का अर्थ क्या है?”
וישאלהו תלמידיו לאמר מה המשל הזה׃
10 प्रभु येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद जानने की क्षमता प्रदान की गई है किंतु अन्यों के लिए मुझे दृष्टान्तों का प्रयोग करना पड़ता हैं जिससे कि, “‘वे देखते हुए भी न देखें; और सुनते हुए भी न समझें.’
ויאמר לכם נתן לדעת את סודות מלכות האלהים ולאחרים במשלים למען בראתם לא יראו ובשמעם לא יבינו׃
11 “इस दृष्टांत का अर्थ यह है: बीज परमेश्वर का वचन है.
וזה הוא המשל הזרע דבר אלהים הוא׃
12 मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जो वचन सुनते तो हैं किंतु शैतान आता है और उनके मन से वचन उठा ले जाता है कि वे विश्वास करके उद्धार प्राप्‍त न कर सकें
ואשר על יד הדרך הם השמעים ואחר כן בא השטן ונשא את הדבר מלבם פן יאמינו ונושעו׃
13 पथरीली भूमि वे लोग हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुनने पर खुशी से स्वीकारते हैं किंतु उनमें जड़ न होने के कारण वे विश्वास में थोड़े समय के लिए ही स्थिर रह पाते हैं. कठिन परिस्थितियों में घिरने पर वे विश्वास से दूर हो जाते हैं.
ואשר על הסלע הם המקבלים בשמחה את הדבר בשמעם ושרש אין להם רק לשעה מאמינים ובעת הנסיון יסגו אחור׃
14 वह भूमि जहां बीज कंटीली झाड़ियों के मध्य गिरा, वे लोग हैं, जो सुनते तो हैं किंतु जब वे जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं, जीवन की चिंताएं, धन तथा विलासिता उनका दमन कर देती हैं और वे मजबूत हो ही नहीं पाते.
ואשר נפל בין הקצים הם השמעים והוליכם להם וימכו בדאגות ובעשר ובתאות החיים ופרי לא ישוו למו׃
15 इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढतापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरंतर फल लाते हैं.
ואשר באדמה הטובה הם השמרים בלב טוב וטהור את הדבר אשר שמעו ועשים פרי בתוחלת׃
16 “कोई भी दीपक को जलाकर न तो उसे बर्तन से ढांकता है और न ही उसे पलंग के नीचे रखता है परंतु उसे दीवट पर रखता है कि कमरे में प्रवेश करने पर लोग देख सकें.
ואין איש מדליק נר אשר יכסה אותו בכלי או ישימהו תחת המטה כי אם על המנורה יעלהו למען יראו כל באי הבית את האור׃
17 ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है जिसे प्रकट न किया जाएगा तथा ऐसा कोई रहस्य नहीं जिसे उजागर कर सामने न लाया जाएगा.
כי אין דבר נעלם אשר לא יגלה ואין גנוז אשר לא יודע ובא לאור׃
18 इसलिये इसका विशेष ध्यान रखो कि तुम कैसे सुनते हो. जिस किसी के पास है, उसे और भी दिया जाएगा तथा जिस किसी के पास नहीं है, उसके पास से वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके विचार से उसका है.”
לכן ראו איך תשמעון כי כל אשר יש לו נתון ינתן לו וכל אשר אין לו גם את אשר הוא חשב להיות לו יקח ממנו׃
19 तब प्रभु येशु की माता और उनके भाई उनसे भेंट करने वहां आए किंतु लोगों की भीड़ के कारण वे उनके पास पहुंचने में असमर्थ रहे.
ויבאו אליו אמו ואחיו ולא יכלו לגשת אליו מפני העם׃
20 किसी ने प्रभु येशु को सूचना दी, “आपकी माता तथा भाई बाहर खड़े हैं—वे आपसे भेंट करना चाह रहे हैं.”
ויגד לו לאמר אמך ואחיך עמדים בחוץ והם חפצים לראותך׃
21 प्रभु येशु ने कहा, “मेरी माता और भाई वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते तथा उसका पालन करते हैं.”
ויען ויאמר אליהם אמי ואחי הם השמעים ועשים את דבר האלהים׃
22 एक दिन प्रभु येशु ने शिष्यों से कहा, “आओ, हम झील की दूसरी ओर चलें.” इसलिये वे सब नाव में बैठकर चल दिए.
ויהי היום וירד אל אניה הוא ותלמידיו ויאמר אליהם נעברה אל עבר הים וישוטו הימה׃
23 जब वे नाव खे रहे थे प्रभु येशु सो गए. उसी समय झील पर प्रचंड बवंडर उठा, यहां तक कि नाव में जल भरने लगा और उनका जीवन खतरे में पड़ गया.
ויהי בלכתם באניה וישכב ויישן ורוח סערה ירדה על הים וישטפו עליהם המים ויהיו בסכנה׃
24 शिष्यों ने जाकर प्रभु येशु को जगाते हुए कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जा रहे हैं!” प्रभु येशु उठे. और बवंडर और तेज लहरों को डांटा; बवंडर थम गया तथा तेज लहरें शांत हो गईं.
ויגשו ויעירו אותו לאמר מורה מורה אבדנו ויעור ויגער ברוח ובמשברי ים וישתקו ותהי דממה׃
25 “कहां है तुम्हारा विश्वास?” प्रभु येशु ने अपने शिष्यों से प्रश्न किया. भय और अचंभे में वे एक दूसरे से पूछने लगे, “कौन हैं यह, जो बवंडर और लहरों तक को आदेश देते हैं और वे भी उनके आदेशों का पालन करती हैं!”
ויאמר אליהם איה אמונתכם וייראו ויתמהו ויאמרו איש אל רעהו מי אפוא הוא המצוה גם את הרוחות ואת המים וישמעו לו׃
26 इसके बाद वे गिरासेन प्रदेश में आए, जो गलील झील के दूसरी ओर है.
ויעברו ויבאו אל ארץ הגדריים אשר ממול הגליל׃
27 जब प्रभु येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक दुष्टात्मा समाये हुए थे. दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लंबे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परंतु कब्रों की गुफाओं में रहता था.
ויצא אל היבשה ויפגשהו איש מן העיר אשר שדים בו מימים רבים ובגד לא לבש ובבית לא ישב כי אם בקברים׃
28 प्रभु येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यंत ऊंचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना देना? आपसे मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,”
וירא את ישוע ויפל לפניו ויקרא בקול גדול מה לי ולך ישוע בן אל עליון מבקש אני ממך אשר לא תענני׃
29 क्योंकि प्रभु येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय समय पर दुष्टात्मा उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बांधकर पहरे में रखते थे, फिर भी वह दुष्टात्मा बेड़ियां तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.
כי צוה את הרוח הטמא לצאת מן האיש כי ימים רבים חטף אתו ונאסר בזיקים ונשמר בכבלים והיה בנתקו את המוסרות ונדחף ביד השד אל המדברות׃
30 प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तुम्हारा?” “विशाल सेना,” उसने उत्तर दिया क्योंकि अनेक दुष्टात्मा उसमें समाए हुए थे.
וישאל אתו ישוע לאמר מה שמך ויאמר לגיון שמי כי שדים רבים נכנסו בו׃
31 दुष्टात्मा-गण प्रभु येशु से निरंतर विनती कर रहे थे कि वह उन्हें पाताल में न भेजें. (Abyssos g12)
ויתחנן לו לבלתי צות אתם לרדת אל התהום׃ (Abyssos g12)
32 वहीं पहाड़ी के ढाल पर सूअरों का एक विशाल समूह चर रहा था. दुष्टात्माओं ने प्रभु येशु से विनती की कि वह उन्हें सूअरों में जाने की अनुमति दे दें. प्रभु येशु ने उन्हें अनुमति दे दी.
ויהי שם עדר חזירים רבים על המרעה בהר ויתחננו לו כי יניח להם לבוא אל תוכם וינח להם׃
33 जब दुष्टात्मा उस व्यक्ति में से बाहर आए, उन्होंने तुरंत जाकर सूअरों में प्रवेश किया और सूअर ढाल से झपटकर दौड़ते हुए झील में जा डूबे.
ויצאו השדים מן האדם ההוא ויבאו בחזירים וישתער העדר מן המורד אל הים ויטבע׃
34 इन सूअरों के चरवाहे यह देख दौड़कर गए और नगर तथा उस प्रदेश में सब जगह इस घटना के विषय में बताने लगे.
וינוסו הרעים כראותם את אשר נעשה ויגידו הדבר בעיר ובכפרים׃
35 लोग वहां यह देखने आने लगे कि क्या हुआ है. तब वे प्रभु येशु के पास आए. वहां उन्होंने देखा कि वह व्यक्ति, जो पहले दुष्टात्मा से पीड़ित था, वस्त्र धारण किए हुए, पूरी तरह स्वस्थ और सचेत प्रभु येशु के चरणों में बैठा हुआ है. यह देख वे हैरान रह गए.
ויצאו לראת את אשר נעשה ויבאו אל ישוע וימצאו שם את האדם אשר יצאו ממנו השדים ישב לרגלי ישוע מלבש וטוב שכל וייראו׃
36 जिन्होंने यह सब देखा, उन्होंने जाकर अन्यों को सूचित किया कि यह दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार दुष्टात्मा से मुक्त हुआ है.
ויספרו להם הראים איך נרפא אחוז השדים׃
37 तब गिरासेन प्रदेश तथा पास के क्षेत्रों के सभी निवासियों ने प्रभु येशु को वहां से दूर चले जाने को कहा क्योंकि वे अत्यंत भयभीत हो गए थे. इसलिये प्रभु येशु नाव द्वारा वहां से चले गए.
ויבקשו ממנו כל המון חבל הגדריים ללכת מאתם כי אימה גדולה נפלה עליהם וירד אל האניה וישב׃
38 वह व्यक्ति जिसमें से दुष्टात्मा निकाला गया था उसने प्रभु येशु से विनती की कि वह उसे अपने साथ ले लें किंतु प्रभु येशु ने उसे यह कहते हुए विदा किया,
ויבקש ממנו האיש אשר יצאו ממנו השדים לשבת אתו וישלח אתו ישוע באמרו׃
39 “अपने परिजनों में लौट जाओ तथा इन बड़े-बड़े कामों का वर्णन करो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे लिए किए हैं.” इसलिये वह लौटकर सभी नगर में यह वर्णन करने लगा कि प्रभु येशु ने उसके लिए कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं.
שוב לביתך וספר הגדלות אשר עשה לך האלהים וילך לו וישמע בכל העיר את הגדלות אשר עשה לו ישוע׃
40 जब प्रभु येशु झील की दूसरी ओर पहुंचे, वहां इंतजार करती भीड़ ने उनका स्वागत किया.
ויהי בשוב ישוע ויקבל אתו העם כי כלם היו מחכים לו׃
41 जाइरूस नामक एक व्यक्ति, जो यहूदी सभागृह का प्रधान था, उनसे भेंट करने आया. उसने प्रभु येशु के चरणों पर गिरकर उनसे विनती की कि वह उसके साथ उसके घर जाएं
והנה בא איש ושמו יאיר והוא ראש בית הכנסת ויפל לרגלי ישוע ויתחנן לו לבוא אתו אל ביתו׃
42 क्योंकि उसकी एकमात्र बेटी, जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी. जब प्रभु येशु वहां जा रहे थे, मार्ग में वह भीड़ में दबे जा रहे थे.
כי בת יחידה כשתים עשרה שנה היתה לו והיא נוטה למות ויהי בלכתו שמה וידחקהו המון העם׃
43 वहां बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री थी. उसने अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी.
ואשה זבת דם שתים עשרה שנה אשר הוציאה כל קנינה לרפאים ואין איש יכל לרפאתה׃
44 इस स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ, और उसी क्षण उसका लहू बहना बंद हो गया.
היא קרבה מאחריו ותגע בציצת בגדו וזוב דמה עמד פתאם׃
45 “किसने मुझे छुआ है?” प्रभु येशु ने पूछा. जब सभी इससे इनकार कर रहे थे, पेतरॉस ने उनसे कहा, “स्वामी! यह बढ़ती हुई भीड़ आप पर गिरी जा रही है.”
ויאמר ישוע מי זה נגע בי וכלם כחשו ויאמר פטרוס והעמדים אצלו מורה המון העם דחקים ולחצים אתך ואתה תאמר מי נגע בי׃
46 किंतु प्रभु येशु ने उनसे कहा, “किसी ने तो मुझे छुआ है क्योंकि मुझे यह पता चला है कि मुझमें से सामर्थ्य निकली है.”
ויאמר ישוע נגע בי אדם כי ידעתי אשר יצאה ממני גבורה׃
47 जब उस स्त्री ने यह समझ लिया कि उसका छुपा रहना असंभव है, भय से कांपती हुई सामने आई और प्रभु येशु के चरणों में गिर पड़ी. उसने सभी उपस्थित भीड़ के सामने यह स्वीकार किया कि उसने प्रभु येशु को क्यों छुआ था तथा कैसे वह तत्काल रोग से चंगी हो गई.
ותרא האשה כי לא נסתרה ממנו ותחרד לקראתו ותפל לפניו ותגד באזני כל העם על מה נגעה בו ואיך נרפאה פתאם׃
48 इस पर प्रभु येशु ने उससे कहा, “बेटी! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है. परमेश्वर की शांति में लौट जाओ.”
ויאמר אליה חזקי בתי אמונתך הושיעה לך לכי לשלום׃
49 जब प्रभु येशु यह कह ही रहे थे, यहूदी सभागृह प्रधान जाइरूस के घर से किसी व्यक्ति ने आकर सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है, अब गुरुवर को कष्ट न दीजिए.”
עודנו מדבר ואיש בא מבית ראש הכנסת ויאמר מתה בתך אל תטריח את המורה׃
50 यह सुन प्रभु येशु ने जाइरूस को संबोधित कर कहा, “डरो मत! केवल विश्वास करो और वह स्वस्थ हो जाएगी.”
וישמע ישוע ויען ויאמר לו אל תירא אך האמן והיא תושע׃
51 जब वे जाइरूस के घर पर पहुंचे, प्रभु येशु ने पेतरॉस, योहन और याकोब तथा कन्या के माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को अपने साथ भीतर आने की अनुमति नहीं दी.
ויבא הביתה ולא הניח לאיש לבוא אתו בלתי אם לפטרוס וליעקב וליוחנן ולאבי הילדה ולאמה׃
52 उस समय सभी उस बालिका के लिए रो-रोकर शोक प्रकट कर रहे थे. “बंद करो यह रोना-चिल्लाना!” प्रभु येशु ने आज्ञा दी, “उसकी मृत्यु नहीं हुई है—वह सिर्फ सो रही है.”
וכלם בכים וספדים לה ויאמר אל תבכו כי לא מתה אך ישנה היא׃
53 इस पर वे प्रभु येशु पर हंसने लगे क्योंकि वे जानते थे कि बालिका की मृत्यु हो चुकी है.
וישחקו עליו באשר ידעו כי מתה׃
54 प्रभु येशु ने बालिका का हाथ पकड़कर कहा, “बेटी, उठो!”
והוא אחז בידה ויקרא לאמר הילדה קומי׃
55 उसके प्राण उसमें लौट आए और वह तुरंत खड़ी हो गई. प्रभु येशु ने उनसे कहा कि बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए.
ותשב רוחה ותקם פתאם ויצו לתת לה לאכול׃
56 उसके माता-पिता चकित रह गए किंतु प्रभु येशु ने उन्हें निर्देश दिया कि जो कुछ हुआ है, उसकी चर्चा किसी से न करें.
וישתוממו אביה ואמה והוא צוה אתם לבלתי הגיד לאיש את אשר נעשה׃

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